तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-4) - छोट्की के साथ क्या ह Priya Maurya द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-4) - छोट्की के साथ क्या ह

आदित्य उसके चेहरे को याद करते हुये-


"जो इस दिल मे मनादे सावन मे दिवाली।

शराबी होठ और कातिल नजरोवाली

मेरा दिल भी ले गयी वो जिसकी थी

नसीली आंखे और चाल मतवाली।"


रौनक -" इश्क़ के मारे नाम भी बतायेगा उनका।"
आदित्य-" पता नहीं।"
रौनक-" क्या तुझे उसका नाम तक नही पता अच्छा कहा रहती है वो बता।"
आदित्य -" दक्षिणी टोले में।"
रौनक उछलते-" अबे पागल हो गया है क्या तुझे पता भी है क्या बोल रहा है तू उन छोटे वर्ग वाले और हमारा कही मेल है।"
आदित्य-" तू भी यही सब बोलने लगा अब तेरे पढे लिखे होने का अब क्या फायदा और उससे हमे इश्क़ ही हुआ है कोई गुनाह नही।"

रौनक उसे बहुत समझता है लेकिन आदित्य नही मानता आखिरकार रौनक बोलता है -" ठीक है मै बस तेरे लिये उसका पता लगाऊंगा।"
दोनो अपने गाड़ी पर बैठ कर वहाँ से जंगल की तरफ निकल जाते हैं।

अचानक से ही जंगल में जाते समय वो पायलों की छम छम की आवाज सुनते है। दोनो गाड़ी रोक नीचे उतारते हैं। वही दूर से एक लड़की एक हाथों मे एक बांस की छोटी सी लकड़ी लिये दौड़ कर बकरियों को पकड रही थी वही दुसरे हाथ मे उसके एक किताब थी।

आदित्य उसे देखकर वही रुक सा जाता है। अस्मिता भी पास आती है तो उन्हे देख दूर से ही नजरे झुका चली जाती है।
रौनक उन दोनो बहुत गौर से देख रहा था।

जब वो चली जाती है तो रौनक आदित्य से-" कही यही तो नहीं है ना।"
आदित्य-" हम्म्म।"
रौनक -" यह तो अस्मिता है सारे गाँव के लड़को को पिट के रखती है वैसे हमारे सामने तो कभी नही आई लेकिन इसके टोले में कोई इससे उल्टा बात नही कर पता है।

आदित्य मैन मे -" तो इनका नाम है अस्मिता और यह इतनी मासूम के साथ साथ खतरनाक भी है खैर जैसी भी हैं अब हमारी ही होंगी।"

रौनक इधर अपने मन मे सोचता है-" यह क्या हो गया है आदित्य को भगवान ....अगर चाचा जी को पता चला तो अस्मिता का न जाने क्या होगा।" दोनो वापस हवेली आ जाते हैं।

एक शाम अस्मिता जंगल से बकरियां ले कर आई। तो पूरे गाँव में उथल पुथल मची थी । सारे लोग अपने बच्चों को अंदर भेज रहें थे। और कुछ ही दूर पर भीड खड़ी थी। अस्मिता भी भीड की तरफ चलती है तो देखती है एक लड़की जमीन पर पडी थी उसके पूरे शरीर पर चोट के निशान थे उसकी माँ भी उसका सिर पकड़े रो रही थी और बाप तो देख भी नही पा रहा था।

अस्मिता भीड को चिरते हुये दौड़कर उसके पास गयी । अस्मिता-" क्या हुआ काकी और छोटकी की यह हालत कैसे हुये इसके साथ क्या हुआ है।

उसकी माँ रोते हुये-" सब लुट गया बर्बाद कर दिया हमारी बेटी को कहीं का नही छोडा।"
अस्मिता-" काकी हुआ क्या है यह बतओगी।"

तभी उर्मिला चाची-" छोट्की का बलत्कार हो गया है और कुछ जानना है।"
अस्मिता अवाक खड़ी थी।
फिर उसने गुस्से से बोला-" किसने इतनी नीच हरकत किया है ।"
उसकी माँ चिल्लाते हुये-" सोमवा ने।" अस्मिता को बहुत गुस्सा आ रहा था । तभी उसके बाबा आते है और उसे खिच कर ले जाते है।
घर के अंदर जाकर वो बोलते है-" अस्मिता बिटिया तुम वहाँ क्या कर रही थी तुम इन सब चीजो से दूर रहा करो ।"

अस्मिता गुस्से में-" बाबा आप हमे ऐसा बोल रहे है आज हम उसकी जगह होते तो क्या करते आप बताईये।" घनश्याम जी चुप हो जाते है।
कुछ देर बाद बोलते है-" हमे कुछ नही पता तुम यही रहो और बाहर मत निकलना सरपंच जी फैसला करेंगे अभी ।"

अस्मिता-" अच्छा फिर वो सरपंच भी उस के पक्ष में फैसला करेगा हमें मत बताईये बाबा वो सोम हवेली वालों के लिये काम जो करता है।
घनश्याम जी-" बेटा हवेली वालो को ऐसे ना बोलो वो हमारे बड़े मालिक है अगर कोई सुन लिया तो ।"

अस्मिता गुस्सा हो जाती है और फिर बोलती है-" आज कुछ हो जाये हम ही देंगे पंचायत में गवाही उसके खिलाफ हमारी जान भी जाये तो जाने दो लेकिन आज हम उसे नही छोड़ने वाले अगर आज सरपंच के यहाँ से वो बच भी गया ना किसी तरह तो हमसे नही बच पायेगा हम पहले ही बता दे रहे हैं और हमे रोकने की कोशिश भी मत करियेगा बाबा आप ।"

घनश्याम जी-" ऐसा कुछ भी तुम नही करोगी बेटा बात को समझो।

उनके बार बार कहने पर भी जब अस्मिता नही मानती है तो घनश्याम जी उसे घर के अंदर ही बंद कर पंचायत की तरफ बढ जाते हैं।

इधर अस्मिता गुस्से से फट रही थी क्योकि उसे न ही अन्याय सहना अच्छा लगता था न ही अन्याय होते देखना पसंद था। उसको आज किसी भी तरह से पंचायत में जाना था जिसके लिये वो कुछ भी करने को तैयार थी।

क्रमश :