अनसुनी दास्तान Word Dreamer द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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अनसुनी दास्तान

मोहल्ले में पहले ही मकान में वो रहती थी
खूबसूरती की वो मूरत थी मगर अभिमान
बिल्कुल नहीं करती थी सबके साथ
घुलमिलकर रहती थी सबको अपनी तरफ से
ज्यादा से मदद मिले उसके लिए तैयार रहती थी
उसको अपने परिवार की तरफ से भी मान
सन्मान मिलता था.पति बच्चे सास ससुर
सब उसे अपनी पलको पे बिठा कर रखते थे.
कभी कभी परिवार में छोटी छोटी बातों
को लेकर बहस हुआ करती थी मगर फिर भी
ठीक से ही चल रहा था सबकुछ.
शादी से पहले उसने बहोत कुछ सोच रखा था
की जिंदगी में कैसे आगे बढ़ना हैं घर
परिवार को कैसे संभालना हैं सक ढेर सारे सपने देखे थे जिन्हें वो पूरा करना चाहती थीं ढेर सारी
आशाएं थी जिसे वो सच करना चाहती थी वो अपने सपने और आशा को सच करने में अपने परिवार की मदद
भी मदद माँगती थी मगर किसीने उसे ज्यादा
प्रोत्साहित करने का प्रयास नहीं किया
और उसने कोशिशे भी की अपनी ज़िंदगी में
कुछ बनकर दिखाने की वो अकेले ही ज़िंदगी की
हर चुनौती का सामना कर रही थी वो घर की
ज़िम्मेदारी भी बखूबी निभाती थी और
सफलता प्राप्त करने के लिए दिन रात महेनत
भी किए जाती थी.
उसके महेनत धीरे धीरे रंग आने लगी उसने
अपने हुनर के माध्यम से अपनी नोकरी भी
चालू कर दी थी.मगर उसकी ये खुशियां ज्यादा
दिन न टिक पाए.
उसे घर और नॉकरी दोनों सँभालने में कई कठनाइयों का सामना करना पड़ता था घर परिवार के लोग
उसकी सफलता को हजम नही कर पा रहे थे
बार बार उसे ताने सुनाए जाते हर बात पर टोका जाता
सारे उसके खिलाफ हो गए.उसके गृहस्थ जीवन
में दरारें पड़ने लगी कोई नहीं था उसके पास
जो उसका हौसला बढ़ा सकते.उदासीनता ने
उसे चारो तरफ से घेर रखा था उसका
दिमागी सन्तुलन बिगड़ने लगा वो कभी
चिल्लाने लगती और कभी शांत रहती
वो इस वजह से मायूस होकर अपने में ही खोई रहती थी.
धीरे धीरे उसका मन कमजोर पड़ने लगा
ज्यादा सोचने और समजने की शक्ति क्षिण होने लगी
पागलपन के दौरे बार बार आते रहते.कई डॉक्टरों
के पास इलाज करवाए मगर उसने जीने की उम्मीद
ही छोड़ दी थी दवाओं से उसका दूर दूर तक का
कोई नाता नहीं रहा.
सुबह शाम वो एक कोने में चुपचाप बैठे रहती थी
न ही वो बच्चो का ध्यान रख पाती न ही खुद को
सँभाल पाती ज़िंदगी से वो अब ऊब सी गए थी
फिर भी उसकी साँसे भगवान भरोसे चल रही थी.
एक दिन अचानक से कही गायब हो गए पर किसीने
उसको ढूंढने का ज्यादा प्रयास नहीं किया भूल गए
सब उसके वजूद को और कुछ दिन बाद उसके मौत
की खबर आए.

इस कहानी के माध्यम से ये सिख मिलती हैं कि जिंदगी बहोत
छोटी हैं छोटी छोटी बातों को लेकर और औरो के ताने और बुरी बाते सुनकर उदास मत होइए ये ज़िन्दगी आपकी हैं तो हर फैसले आपको ही लेने हैं और अपने आप को हमेंशा तरोताजा रखना हैं वक्त एक गुजर जाएगा फिर वो ज़िंदगी दुबारा जीने को नहीं मिलेगी.
दोस्तो आशा करती हूँ आपको मेरी ये कहानी पसंद आए.