प्रियतमने पत्र Bhanuben Prajapati द्वारा पत्र में हिंदी पीडीएफ

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प्रियतमने पत्र

प्रियतमने पत्र भाग - 1

प्रिय सागर

आज तुम्हें एक खत भेज रही हूं । जिसने मेरे हदयमें लगी हुई दिल की याद को भेज रही
हूं । तुम मेरे इस खत का जवाब जरूर भेजना तुम्हारी याद आती है .तब दिल में से थोड़ी आह निकलती है l क्या करूं! दोस्त तुम्हारी याद दिल में से जाती ही नहीं है ।जब भुलाने को चाहती हूं तब दोबारा तुम्हारी याद आकर ही रहती है और क्या करूं, कैसे बताओ तुमको तुम्हें मिलने को मन करता है । लेकिन मिल नहीं सकती । तुमको पता है कि मैं तुमसे बहुत दूर हूं आने ' जाने का वक्त मेरे पास नहीं है ।इसलिए मैं आ नहीं सकती । लेकिन तुम्हें दिल से पुकार रही हूं । जब इच्छा होगी तब तुम मुझे मिलने आया करोगे 'वादा तो किया था । लेकिन तुम भूल गए पता नहीं ।अब कब मिलोगे । जैसे ऐसा लगता था अभी मिले हैं । लेकिन मिले हुए जैसे के बरसो हुआ है । बरसों बीत गए है । ऐसा लगता है वापस कब आओगे । इंतजार करती रहती हु । तुम्हारा कोई ठिकाना नहीं है । तुम आते हो तो खुश हो जाते है हम ' तुम जाते हो तो बहुत दुख हो जाता है । क्या करूं I तुमको क्या बताऊ याद बहुत आती है ।अकेले में मन नहीं लगता है । जब देखो तब तुम्हारा चेहरा नजर समक्ष आता है , लेकिन तुम भी काम में लगे रहते हो बार-बार तुमसे फरियाद करने का मन नहीं है । लेकिन मैं कर रही हूं फरियाद आया करो अच्छा लगता है । जाने की बात मत करो । आते हो तो स्वर्ग जैसा लगता है 'और जाते हो तो जैसे के मन से कोई मीठाझ चली गई है 'ऐसा लगता है अभी तो बहाना है आया करो डेर मत करो ,झूठ मत बोलो तुम्हारे पास टाइम ही टाइम है । लेकिन आने में बहुत देर करते हो । अब दोबारा ऐसा मत करना । आ जाना ।मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी ''करती हूं और करती रहूंगी । मुझे लगता है कि तुम मुझे भूल तो नहीं गए हो । मत भूलना ।तुम मुझे नहीं भूल सकते 'क्यों पता है हम बचपन से अच्छे दोस्त हैं ।बचपन की यादें कभी भूल नहीं सकते । लेकिन पता नहीं तुम्हारे मन में क्या चल रहा है '

प्रिय सागर'एक बार आकर बताओ तो अच्छा लगेगा कैसे मुझे भूल गए पता नहीं चलता । आते हो बैठते हो . बातें करते हो ' खोए खोए से रहते हो ' इसलिए लिखती हो तुम पहले जैसे नहीं रहे ।मेरा भ्रम होगा पता नहीं लेकिन तुम आते तो हो बस अच्छा लगता है ' आने की कोशिश जरूर करना ' लेकिन वापस जाने की कोशिश नहीं करना । पता है तुम्हें तुम्हारे बिना मैं जी नहीं सकती तुम्हारे लिए तो मैं जी रही हूं कोशिश कर रही हूं तुम्हें पाने की तुम्हें अपना बनाने की मेरी तमन्ना है । में किसी हाल में तुम्हे पाकर रहूंगी ' मेरा खत पढ़ना और मेरा जवाब फोन से मत दिया करना । मुझे पढ़ने की बहुत अच्छा लगता है । इसलिए एक खत भेजना | इंतजार करती रहूंगी '
तुम्हारी सिर्फ तुम्हारी प्रिया
प्रजापति भानूबेन बी " सरिता "