लारा - 7 - (एक प्रेम कहानी ) रामानुज दरिया द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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लारा - 7 - (एक प्रेम कहानी )

Behind the scenes love Story❤
(Part 7)
राम जी बोले की सोमा ऐसी क्या मजबूरी है? जो तुम मेरे साथ ऐसा कर रही हो ? सोमा बोली मेरे ऐसा करने के पीछे कई कारण हैं।
एक तो यह कि मैं आपसे प्यार करके उन लोगों को धोखा नहीं दे सकती जिनकी गोद में मैं पली-बढ़ी हूं, जिनकी उंगली पकड़कर मैंने चलना सीखा है। मैं उन्हें कैसे धोखा दे सकती हूं, मैं किसी के पीठ पीछे वार नहीं कर सकती। और खासकर आपकी उस फैमिली को जिसे मैं इतना प्यार करती हूं। नहीं घोंट सकती उनके भरोसे का गला उनके साथ विश्वासघात नहीं कर सकती ।
तब राम जी बोले कि लेकिन सोमा किसी को अपनी आदत डाल कर बाद में जमीर जगाना अच्छी बात नहीं है।
सोमा तुम बहुत गलत कर रही हो ऐसा मत करो। सोमा बोली गलत हो या सही लेकिन मुझे ऐसा करना ही होगा और दूसरा सबसे बड़ा रीजन तो यह है कि मैं किसी और से प्यार करती हूं।
कोई है जो मुझे आप से भी ज्यादा प्यार करता है। यह बात सुनकर राम जी एकदम से चुप हो गए, सोमा बोली कि मेरा पहला प्यार कोई और है, हम एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं राम जी बोले कौन है वो जिससे तुम इतना प्यार करती हो, जिसके लिए तुम मेरे प्यार को ठोकर मार रही हो। सोमा तुम्हें मेरी कसम है अगर आज तक तुमने कभी मुझे कुछ अपना माना है। अगर थोड़ा भी मेरे लिए तुम्हारे दिल में जगह हैं। तो तुम्हें आज सच बताना होगा। उस इंसान के बारे में मुझे पूरा सच जानना है कौन है वह जिसे तुम प्यार करती हो। तब सोमा बोली कि मैं helo-app चला रही थी। वही हम दोनों मिले थे। उनका नाम जय है मैंने उन्हें अपने कास्ट का देखकर फॉलो कर लिया था और उन्होंने भी मुझे फॉलो कर लिया कुछ दिन बाद हमारी चैटिंग शुरू हो गई थी जब बात होने लगी तब पता चला की जय मेरे किसी दूर की रिलेशन के ही हैं।
मैं उन्हें पहचान गई थी क्योंकि उन्होंने अपने रियल नाम से अपनी आईडी बनाई थी। लेकिन वो मुझे नहीं पहचान पाए थे । क्योंकि मैंने नैंसी नाम से फेक आईडी बना रखी थी,
शुरुआत में उन्होंने पूछा कि तुम कहां से हो तो मैंने गलती से वही से बता दिया जहां के वो खुद रहने वाले थे। क्योंकि मुझे पहले नहीं मालूम था कि उनका घर अलग है और रहते अलग है । जब उन्होंने सुना कि मैं उन्हीं के इलाके की हूं तो मुझसे सब पूछने लगे। गली मोहल्ला, किस गली में रहती हो कौन सा एरिया है? मकान नंबर क्या है? तो मैं ये सब कैसे बता सकती थी। जब मैंने कभी उनकी गली में कदम भी नहीं रखा था, मुझे क्या पता उनके इलाके के बारे में क्या कहाँ है कैसा है। मुझसे बहुत ज्यादा झूठ नहीं चल सका मुझे सच बताना ही पड़ा कि मैंने पहले आपसे झूठ बोला था। मैं आपके इलाके की नहीं हूं मैं कहीं और की रहने वाली हूं सच बताने के बाद उन्होंने पूछा कि नैंसी अब कैसे तुमने मुझे सच बता दिया? मैंने कहा क्योंकि अब मुझे पता चल गया ना कि आप मेरे रिलेशन के हो, इसीलिए मैंने आपको सच बता दिया हम दोनों में काफी चैटिंग होने लगी। एक दिन जय बोले नैंसी मुझे अपना नंबर दे सकती हो? अगर मुझ पर भरोसा हो तो, नहीं तो कोई बात नहीं। मैंने हाँ तो कर दिया कि हां मुझे आप पर भरोसा है, मैं नंबर दे दूंगी लेकिन मैं असमंजस में पड़ गई कि क्या करूं नंबर दूं, या ना दूं । क्योंकि किसी अनजान आदमी पर इतनी जल्दी भरोसा कर लेना किसी लड़की के लिए ठीक नहीं होता है। और खासकर अपने किसी रिश्तेदार पर तो बिल्कुल भी भरोसा नहीं किया जा सकता......
इसीलिए मैंने उन्हें अपना दूसरा नंबर दे दिया जो कोई नहीं जानता था । एक तरफ से और देखा जाए तो फर्जी नंबर है। अक्सर बंद ही रहता है, मैं कभी अपना फोन उस नंबर नहीं चलाती, जय को फर्जी नंबर देकर फिर मैंने उसी नंबर से एक फेक व्हाट्सएप भी बना लिया।
कि जय को शक ना हो कि मुझे दूसरा नंबर दे दिया है, अभी नैंसी को मुझ पर भरोसा नहीं है। जिस दिन रात को मैंने जय को नंबर दिया था। उस के दूसरे दिन शाम को जय ने मेरे पास फोन किया और बोले कि नैंसी जानती हो, जितना प्यारा तुम्हारा नाम है उतनी ही प्यारी और मीठी तुम्हारी आवाज भी हैं। तुम बहुत अच्छा बोलती हो, और हंसती तो उससे भी ज्यादा अच्छी हो। फिर उसके बाद हमारी रोज शाम को बात होने लगी, लेकिन जय के पास ज्यादा टाइम नहीं रहता था, क्योंकि वो पीसीएस की तैयारी कर रहे थे। उन्हें हर टाइम बस पढ़ाई करनी रहती थी। वो मुझसे चैटिंग पर भी ज्यादा बात नहीं कर पाते थे, रात को लगभग 10:00 बजे तक वो सो जाया करते थे क्योंकि उन्हें सुबह जल्दी उठकर मॉर्निंग वॉक पर जाना रहता था। उसके बाद उन्हें पूरा दिन पढ़ाई करनी रहती थी। ज्यादा से ज्यादा 10 या 15 मिनट ही हमारी बात हो पाती थी, वो भी सिर्फ शाम को जब जय अपने घर से बाहर निकलते थे तब। क्योंकि वह अपनी फैमिली के बीच रह कर बात नहीं कर पाते थे, उनकी फैमिली के बीच उनकी बहुत रिस्पेक्ट थी, उनकी इज्जत बहुत थी इसलिए वह अपनी इमेज खराब नहीं करना चाहते थे ये सब करके ।
इसीलिए घर के बीच रहकर उन्होंने कभी बात नहीं की, लेकिन उनकी 15 मिनट की बात ही हमारे लिए बहुत हुआ करती थी । ऐसे ही धीरे-धीरे दो ही हफ्तों में हमारी दोस्ती कब प्यार में बदल गई पता ही नहीं चला मुझे। जय एक दिन रात को मैसेज पर बात कर रहे थे, बातों ही बातों में उन्होंने अचानक बिना कुछ बताए बिना कुछ बोले ही "आई लव यू "बोल दिया, मैं थोड़ी देर के लिए एकदम शॉक्ड हो गयी कि अचानक ये कैसे। मैंने कहा पागल हो गए हो समझ में आ भी रहा है कि क्या बोल रहे हो, जय बोले हां मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं ,और यह बात मैं बहुत दिनों से बोलना चाहता था लेकिन आज मैं खुद को नहीं रोक पाया मुझे बोलना ही पड़ा।
प्यार तो मुझसे भी हो गया था उनसे, मैंने भी तुरंत रिप्लाई दे दिया "आई लव यू टू "
फिर क्या था मेरे पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे, क्योंकि मुझे पहली बार किसी से प्यार हुआ था। और पहले प्यार का नशा ही कुछ अलग होता है। सोते जागते उठते बैठते बस जय के बारे में ही सोचना, उसी का ख्याल रहता था, मुझे हर टाइम शाम का इंतजार रहता था कि कब शाम होगी कब जय घर से बाहर निकलेंगे और कब मेरी बात हो पाएगी जय से ।
(आगे की कहानी भाग 8 में)
(#Lara)