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डबलू पंडित

जिन्होंने अपना पूरा जीवन हिंदुत्व के लिए समर्पण कर दिया कृपया माफ करना आजकल हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म कोई अच्छा नहीं मनुष्य हमारा धर्म
यह बात कहने में अच्छी लगती है वास्तविकता में ऐसा कुछ नहीं है मानवता तो किसी में रही नहीं है जो लोग जिहाद का मतलब नहीं समझते वैसे एक कुत्ते जैसे जिहादी अभी दो-तीन दिन पहले दिल्ली में बना हुआ एक सत्य घटना कुछ मुस्लिम लोगों ने अमित त्रिपाठी के घर पर हमला कर दिया उस उसकी बहन उसके दो बेटों को बड़ी क्रूरता पूर्वक हत्या की गई भाई मुझे एक बात बताओ आप कौन से धर्म में यह लिखा है जाओ तुम लोगों को मारो यह हमारा धर्म है कुरान में भी पशु पक्षी जीव इत्यादि पर
हम जुलम करे तो हमें गुनेगार माना जाता है वैसा ही भगवत गीता में यही लिखा है वैसा ही बाइबल में लिखा है कुछ बेवकूफ हो को यह बात ही समझ में नहीं आती खेर मुद्दे पर आते हैं

आज मेरी मुलाकात बनारस के डब्लू पंडित से हुई वे एक हिंदू राष्ट्रीय संगठन के प्रमुख है उनका कहना यह है कि हिंदुओं में बहुत बड़ी प्रॉब्लम क्या है पता है ?आपको "मैंने बोला ना जी ? उन्होंने बताया हमारे आसपास ही दंगे फसाद हो रहे होते हैं तो हम अपने घर का दरवाजा बंद कर देते क्योंकि हम क्यों पड़े झमेले में ? सच्ची बात है ना अगर हम भी उनके सामने अपनी ताकत दिखाएं तो शायद सामने वाले की जान बच सकती है

मेरा पहेला प्रश्न था आप पहले क्या करते थे?
उनका जवाब: मैं एक अच्छी और vip जिंदगी विदेशों में बिता रहा था।पैट्रोलियम इंजीनिअर था।28 दिन काम और 28 दिन घर पर रहता था । 2.5 लाख महीने की सैलरी थी।5।6 देश छोड़कर पृरी दुनिया घुमा हु।ये यह देखो मेरी फोटो में वो सब शिप है जिसपर मैं जॉब करता था।


विदेशो में एकदम ऐश की जिंदगी थी ।पर अचानक बहुत बड़ा बदलाव हुआ। मेरा हृदय परिवर्तन हो गया नास्तिक से आस्तिक हो गया सेक्युलर से कट्टर हो गया।मांसाहारी से शाकाहारी हो गया।और ये बात जब मैंने अपने गुरुजी यती नरसिंघा नंद सरस्वती जी से इस बदलाव का कारण पूछा तो उन्होंने बताया धर्म अपने योद्धा खुद चुनती है कि कौन मेरे लिए लड़ेगा मरेगा।बस तब से मैं अपने धर्म राष्ट्र और बहन बेटियो की रक्षा के लिए शस्त्र उठाकर भारत के कोने कोने में सहायता के लिए जाता हूं

बस हमारी इतनी मुलाकात हुई हम दोनों अहमदाबाद प्लेटफार्म पर मिले थे मैंने उनको फेसबुक पर बहुत बार लाइव देखा था इसलिए मैं पहचानता था जब मैंने अपना परिचय दिया तब वहो बहुत खुश हो गए और बोल उठे पहली बार ऐसा इंसान देखा जो दौड़ता हुआ मुझे मिलने आया उनकी ट्रेन 15 मिनट मैं ही आने वाली थी इस दौरान हमारा परिचय हुआ और वार्तालाप भी हुई मुझे उनसे मिलकर ऐसा लगा कि मैं कोई क्रांतिकारी भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद उनके बात करने का तरीका बिल्कुल ऐसा ही होगा जैसा डबलु पंडित का है बाद में उनकी ट्रेन आ गई और वह बनारस के लिए निकल गए और मैं घर के लिए निकल गया

लेखक कालुजी मफाजी
Phone 9081294286

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