अनजान रीश्ता - 67 Heena katariya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनजान रीश्ता - 67

पारुल की मॉम उसे आवाज दे रही थी पर वह बिना कुछ जवाब दिए अपने कमरे में चली जाती है । अपना रूम में बेड पर गिरते हुए वह रोने लगती है । मानो जैसे अब ये घटिया मजाक और सहन नहीं कर सकती थी । उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे!? कैसे इस मुसीबत से बाहर निकले!! । तभी पारुल को दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है वह किसी से बात तो नहीं करना चाहती थी पर वह उन लोगों को परेशान भी नहीं करना चाहती थी । इसलिए वह आंसू पोंछते हुए जल्दी से दरवाजा खोलते हुए अपने स्टडी टेबल पर बैठ जाती है । उसके बाल उसका चहेरा ढक रहे थे ।

जया: पारुल तुम ठीक तो हो ना ऐसे बिना कुछ जवाब दिए क्यों अपने कमरे में आ गई!? ।
पारुल: ( नाटक करते हुए ) अरे! मां वो ... नैना का कॉल आया था की कल असाइनमेंट की लास्ट डेट है और मैने अभी आधा ही कंप्लीट किया है इसी लिए.... ( आंखों से आंसू बह रहे थे । ) ।
जया: अच्छा!! फिर ठीक है मुझे लगा कहीं कुछ हुआ तो नहीं..! ।
पारुल: अरे! मॉम आप तो ऐसे ही टेंशन में आ जाती है इसमें कोन - सी नई बात है ।
जया: हाहहा... ये बात तो सच है। अच्छा मैं तुम्हारा खाना कमरे में भिजवाऊ या तुम नीचे आकर खाओगी।
पारुल: नौ... आई मीन मैं बाहर से खाकर आई हूं.. और अभी ये टेंशन मुझे खाने नहीं देगा आप प्लीज जाते हुए दरवाजा बंद करते जाएगा ( बुक में से पढ़ने का नाटक करते हुए ) ।
जया: अच्छा ठीक है फिर!!! भूख लगे तो आवाज दे देना मैं गर्म करवा के भिजवा दूंगी.. ।
पारुल: ठीक है ।

तभी दरवाजा बंद करने की आवाज आती है । जिससे पारुल बुक को टेबल पर फेकते हुए अपने रूम का दरवाजा लोक करने के लिए आगे बढ़ती है । वह कापते हुए हाथो से रूम को लोक करती है । और फिर वही दरवाजे के सहारे बैठ जाती है। अपने पैर को सिकुड़ते हुए उस पर सिर रख कर रो रही थी। मानो जैसे सब कुछ खत्म हो गया था। उसकी जिंदगी, सपने, सबकुछ । और वह भी किस की वजह से उस इंसान की वजह से जिससे वह एक समय पर खुद से भी ज्यादा चाहती थी । उसके लिए वह सारी दुनिया को छोड़ सकती थी। और आज वह इंसान .... वह सिर को ना में हिलाते हुए और कुछ सोचना नहीं चाहती थी। उसकी आंखों से आंसू सूखने का नाम नहीं ले रहे थे । मानो जैसे यह आंसू ही है जो इसका साथ निभा रहे हो। पारुल के दिमाग रोने की वजह से दर्द के मारे फट रहा था । उसकी आंखे भारी हो रही थी । वह यूंही दरवाजे के सहारे सिर टिकाते हुए आंखे बंद करके बैठी थी । और कब उससे नींद आई पता ही नही चला । करीब दो घंटे बाद दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है जिससे पारुल हड़बड़ाते हुए खड़ी हो जाती है । वह अपना सिर हाथो में पकड़कर दरवाजा खोलती है । और बिना देखे ही दूसरी और मूड जाती है । वह जानती थी की अगर किसीने उसकी शकल देखी तो फिर बात को छुपाना मुमकिन नहीं होगा । पारुल काफी देर तक राह देखती रही की कोई कुछ बोले लेकिन किसी की भी बोलने की आवाज नहीं आती। तभी दरवाजा बंद करने की आवाज आती है । जिससे वह महसूस कर सकती थी की कमरे में कोई खड़ा है । पारुल का पूछने का बिलकुल मन नहीं था की कौन खड़ा है वहां या क्या कर रहे हो मेरे कमरे में । वह खिड़की के पास चली जाती है और वहीं ठंडी हवा उससे मानो चिढ़ा रही थी । क्योंकि जिस तरह से उसकी जिंदगी जलकर खाक हो रही है । यह ढंडी हवा उसके विपरीत परिस्थितियों का उसे आभास करा रही थी। और अविनाश से की हुई सारी बाते उससे याद आ जाती है। उसकी आंख से एक आंसू निकलकर उसके हाथ पर गिरता है जिससे वह आंसू पोंछ ही रही थी की तभी उससे पीछे से गले लगा लेता है । जिससे वह थोड़ी असहज हो जाती है पर फिर जब उससे सेम की खुशबू महसूस होती है जिससे मानो उसका पूरा शरीर रिलेक्स हो गया हो। वह कुछ बोलती नहीं बस खिड़की में से बाहर देख रही थी । तभी सेम कहता है ।

सेम: पारो!!?.।
पारुल: ( कुछ जवाब नहीं देती उससे कुछ भी बोलने की ईच्छा ही नहीं थी । ) ।
सेम: ( और टाइट हग करते हुए ) इट्स अलराइट.... सब कुछ ठीक हो जाएगा शहहह.... मैं यंही हूं.... ( एक हाथ पारुल के सिर पर था तो दूसरा हाथ से पारुल को गले लगाया था । ) ।
पारुल: ( सिर को ना में हिलाते हुए जवाब देती है । की कुछ सही नहीं है और ना ही होगा ... पर वह बोल नहीं पा रही थी । ) ।
सेम: हेय इट्स.... ओके..... जो हुआ है या होगा देखा जाएगा.... ।
पारुल: ( कर्कश आवाज में ) न.. ही... मैं.. नहीं.... चाहती.... ।
सेम: ( पारुल का सिर अपने सीने पर रखते हुए उसकी पीठ थपथपाते हुए कहता है । ) फाइन अभी तुम बोलना नहीं चाहती तो खुद पर जबरदस्ती मत करो।
पारुल: ( बिना कुछ कहे सेम को गले लगा लेती है । उससे बस किसी का सहारा चाहिए था जो उससे समझ सके क्योंकि अभी वह किसी भी तरह खुद को संभाल सके इतनी हिम्मत ही नहीं थी । ) ।
सेम: ( पारुल रो रही है इस बात का सेम को अंदाजा था। क्योंकि उसके टी शर्ट पर आंसू की बूंद गिरने की वजह से पारुल का सिर जहां पर है वहा पर भीग रहा था । ) ( बाल पर हाथ फेरते हुए ) शहहह.... इट्स ओके.... इट्स ओके.... । कोई नहीं लाइफ में ऐसा होता रहता है। ये दिन भी एक दिन चले जाएंगे और तुम फिर याद करके हंसोगी। बिलीव मि... ।


पारुल और सेम ऐसे ही खड़े थे की तभी दरवाजे खोलने की आवाज आती है। जिससे सेम पारुल को अपने पीछे छिपाते हुए दरवाजे की ओर देखता है।

जया: समीर बेटा... पारुल कहां है? ।
सेम: आंटी वह अभी वॉशरूम गई है सच में असाईमेंट के टेंशन की वजह से कुछ परेशान थी ।
जया: अच्छा लेकिन सचसमी कोई बात नहीं है! है ना!? । क्योंकि अभी थोड़े दिन पहले ही तो उसने अपने असाईमेंट कॉलेज में जमा करवाए थे।
सेम: अरे! हां आंटी वो... ये फाइनल यर है तो एक ओर आखिरी स्पेशीयल वर्क कॉलेज की ओर से भेजा जाता है।
जया: अच्छा फिर ठीक है मुझे तो लगा जैसे कोई बड़ी बात है क्योंकि पारुल ऐसे कभी बरताव नही करती।
सेम: जी!!!।
जया: अरे! मैं टेंशन में भूल ही गई तुम क्या पिओगे चाय कॉफी...?।
सेम: अम!! कुछ नहीं .. थैंक यू.... ।
जया: ओके फिर... । ( जाने ही वाली थी की तभी सेम चिल्लाते हुए कहता है । )।
सेम: सॉरी पर मेरा सिर दर्द कर रहा है तो क्या आप टेबलेट और कॉफी भिजवा देगी प्लीज... । ( सिर को पकड़ते हुए ) ।
जया: ठीक है पर तुम्हारी तबियत ठीक तो है ना!?।
सेम: जी मामूली सा सिर दर्द है और कुछ नहीं।
जया: ठीक है मैं भिजवाती हूं।
सेम: थैंक यू।

दरवाजा बंद होते ही सेम पारुल की ओर देखता है वह राहत की सांस लेते हुए उससे कहता है ।

सेम: अब तुम कैसा महसूस कर रही हो!? तुम ठीक हो! ? ।
पारुल: हम्मम!!।
सेम: ( पारुल के चेहरे को अपने दोनो हाथो से छूते हुए ) देखो मैं तुम्हारी और देखूंगा नहीं पर क्या हाल बना दिया है तुमने अपना.... बिलकुल देवदास लग रही हो.... क्या किसीने तुम्हारा प्रपोजल रिजेक्ट कर दिया क्या... जो इतना रो रही हो.... ।
पारुल: ( सेम के सीने पे एक मुक्का मारते हुए ) अभी मेरा लड़ाई करने का बिलकुल मूड नहीं है ।
सेम: हां.. हां... और ये जो मुझे मार रही है वो तो कोई और है ।
पारुल: सेम!!?।
सेम: फाइन.... नही बोलूंगा कुछ अब खुश.... ।
पारुल: ( सिर को हां में हिलाते हुए जवाब देती है ) ।
सेम: ( पारुल के बिखरे बालो को समेटते हुए उसके बालो को जुड़ा बनाने की कोशिश कर रहा था । ) क्या यार!! ये कितना हार्ड काम है बालो को संवारना .... ।
पारुल: बस..... अब.... मॉम आती ही होगी.... में चहेरा धोके आती हूं वर्ना उन्हें शक हो जाएगा ।
सेम: ठीक है वैसे भी तुम रोते हुए बिलकुल बदसूरत लगती हो!!!।

तभी पारुल सेम को एक और मुक्का मारते हुए बाथरूम की और चली जाती है । आउच यार इसमें गलत क्या ही कहां मैने हाहहा.... अब इस दुनिया में सच बोलना भी पाप है क्या ?। पारुल सिर को ना में हिलाते हुए बाथरूम का दरवाजा बंद कर देती है । जैसे ही पारुल बाथरूम में चली जाती है सेम का चेहरा मानो बदल सा गया था । चिंता से भरी रेखा उसके चेहरे पे साफ साफ दिखाई दे रही थी । वह गहरी सांस लेते हुए खिड़की से बाहर देखता है। और कहता है : आई एम सॉरी..।