अनजान रीश्ता - 65 Heena katariya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

अनजान रीश्ता - 65

अविनाश अपने मोबाइल में ऐसे ही कुछ देख कर मुस्कुरा रहा था। विशी टेंशन में बैठा हुआ सोच रहा था की अविनाश के दिमाग में क्या चल रहा है । वह जिस तरह से बरबादी के रास्ते पे जा रहा था और विशी चाहते हुए मानो उसे रोक नहीं पा रहा था । वह जानता था कि अगर अविनाश ने शादी कर ली तो वह दोनो की जिंदगी बरबाद कर देगा। विशी का दिमाग मानो काम ही नहीं कर रहा था । तभी अविनाश कहता है ।


अविनाश: चिल विशी!! दिमाग फट जाएगा... अगर एक साथ इतने खयाल दिमाग में ... तुम तो ऐसे बिहेव कर रहे हो जैसे मैने पारुल से नहीं तुमसे शादी की बात की है ।


विशी: ( गुस्से में ) तुम... तुम ऐसे कब से बन गए ...तुम्हे समझ में नहीं आ रहा है की तुम क्या कर रहे है अवि... । प्लीज ठंडे दिमाग से सोचो यार!!!।


अविनाश: क्या यार! मतलब क्या! तुम क्यों इतना टेंशन ले रहे हो! मैं कोन-सा मजाक कर रहा हूं। यार में सच में सीरियस हूं यार आई मीन आई ल.… ( खांसते हुए ) उहम्म... मतलब मैं उससे कोई भी बदला नहीं ले रहा यार ( भोले बनते हुए ) ।


विशी: क्या!! मतलब क्या कह रहे हो ... मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है । मैं पागल हो जाऊंगा यार... तुम जानते भी हो शादी का क्या मतलब है? ।


अविनाश: ( कार का कांच खोलते हुए ) सांस लो.. वरना हार्ट अटैक आ जाएगा... । कितना ही टेंशन ले रहे हो ।


विशी: ( गुस्से में कार से बाहर देखते हुए ) अवि... एक दोस्त की हैसियत से कह रहा हूं... सिर्फ अपने बदले के लिए शादी कर रहे हो तो प्लीज... कुछ हासिल नहीं होगा तुम्हे!!


अविनाश: ( मुस्कुराते हुए ) चलो यार! सुन लिया मैने मेरे बाप तुम्हारी बात खुश अब!! ( हाथ जोड़ते हुए ) ।


विशी: ( मुस्कुराते हुए अविनाश की ओर मुड़ते हुए ) मतलब तुम ये शादी नहीं करोगे है ना! ।


अविनाश: हमम!!! ।


विशी: ( अविनाश को गले लगाते हुए ) ओह!! माय गॉड!! थैंक यू!! थैंक यू!! मेरी बात सुनने के लिए!! ।


अविनाश: ( विशी को दूर करते हुए ) क्या! यार तुम्हे क्या ही इतना फर्क पड़ रहा है!?।


विशी: तुम अच्छी तरह से जानते हो अवि! मैं कुछ भी देख सकता हू! पर तुम्हे! खुद को नुकसान पहुंचाते हुए कभी भी नहीं।


अविनाश: ( जोर जोर से हंसते हुए ) हाहाहाहाहा.... गलत.... गलत इंसान से....।


विशी: शट अप!! कोई गलत इंसान नहीं हो तुम... और ये बात तुम और में दोनो अच्छी तरह से जानते है ।


अविनाश: अच्छा!! ठीक है फिर हाहाहाहाहा.... ।


विशी: इडियट!! । ( पता नहीं कब सुधरेगा ये ) ।


अविनाश बस ऐसे ही कार के बहार देख रहा था । वह और बहश नहीं करना चाहता था । तभी कार रुकती है । अविनाश विशी को कुछ कहे बिना ही सेट पर चला जाता है । विशी भी कुछ नहीं बोलता वह भी काम में व्यस्त हो जाता है । अविनाश भी अपने नए सॉन्ग को लिखने में व्यस्त हो जाता है । तभी उसका फोन बजता है जिससे वह स्क्रीन की ओर देखते हुए उठाता है ।


अविनाश: हम्म!! बोलो!


( तभी आवाज आती है!): ये क्या किया तुमने!! तुम्हे अंजदाजा भी है ।


अविनाश: पारुल मैं अभी मजाक के मूड में नहीं हूं मुझे बहुत काम है मैं बाद में बात करता हूं।


पारुल: क्या मतलब है तुम्हारा! तुम यहां मेरी पूरी जिंदगी बर्बाद करने पे तुले हो। और मुझसे कह रहे हो मजाक के मूड में नहीं हो ।


अविनाश: ( मुंह बिगाड़ते हुए ) हो गया तुम्हारा तो मैं तुमसे बाद में बात करूंगा बाय! ( यह कहकर वह फोन काट देता है । ) ।


दूसरी ओर पारुल अविनाश की इस हरकत की वजह से और भी भड़क जाती है । एक तो वह कुछ भी अनाप शनाप न्यूज में बोल देता है और ऊपर से एटिट्यूड दिखाता है । समझता क्या है अपने आपको । वह फिर से अविनाश को फोन करती है ।


अविनाश फिर से फोन की ओर देखता है तो पारुल का कॉल था । वह फिर गुस्से को काबू में करते हुए.... मोबाईल की आवाज धीमी कर देता है । वह फिर से अपने सॉन्ग लिखने में व्यस्त हो जाता है । और कब घंटे बीत गए उसे पता ही नहीं चला। फिर वह फोन उठाते हुए देखता है तो पारुल के अनगिनत बार कॉल आ गए थे । वह ना चाहते हुए पारुल को कॉल करता है ।


अविनाश: बोलो! ।


पारुल: वाउ! अब आपको समय मिल गया आपको शुक्रिया!! ।


अविनाश: पारुल!?।


पारुल: फाइन!! लुक अब ये ज्यादा हो रहा है! पहले मैने गलती समझ कर जाने दी!! लेकिन।


अविनाश: लेकिन क्या! ( दांत भिसते हुए ) .. ।


पारुल: मुझे नहीं पता तुम क्या करोगे कैसे करोगे लेकिन मुझे मेरी और सेम की लाइफ में कोई भी प्रॉब्लम नहीं चाहिए तो तुम्हे जो करना है करो जिससे शादी करनी है करो लेकिन मेरी शादी सेम से ही होगी !!! तो अपना रायता जितनी जल्दी समेटो उतना हम दोनो के लिए अच्छा होगा खासकर तुम्हारे लिए ।
अविनाश: ( मुस्कुराते हुए ) चुनौती!! दे रही हो मुझे! हां?।
पारुल: ( चिढ़ते हुए ) देखो तुम्हे जो समझना है समझो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन मैं तुम्हारे इस पागलपन की वजह से सेम की भावनाओं से नहीं खेलने वाली और मैं उसे किसी को दर्द नहीं पहुंचाने दूंगी । तुम्हे भी नहीं।
अविनाश: ( हंसते हुए ) हाहाहाहा... क्या बात है इतना कॉन्फिडेंट!! ।
पारुल: लुक.... अविनाश मजाक की भी एक हद होती है! तुम जो कर रहे हो वह किसी भी तरह से जाएज नहीं है।
अविनाश: ( पारुल के मुंह से अपना नाम सुनकर उसके चहेरे पे मुस्कान आ जाती है । ) फाइन मीट मि टॉमोरो .... तभी आमने सामने बात करते है ।
पारुल: मुझे क्या पागल कुत्ते ने काटा है जो मैं तुमसे मिलने आऊंगी!! मुझे तुम पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है समझे तो तुमसे दूसरे शहर में मिलना तो दूर की बात है ।
अविनाश: डोंट वरी में तुम्हे किस तो दूर की बात है ... तुम्हारी उंगली भी टच नहीं करूंगा ।
पारुल: बेशर्म इंसान!! कुछ शर्म वर्म है या बेच खाई है ।
अविनाश: ( मुस्कुराते हुए ) टू बी फ्रैंक!! अब कोई गुनाह तो नही है आफ्टर ऑल हमारी सगाई हो चुकी है ।
पारुल: ( चिल्लाते हुए ) अविनाश... ।
अविनाश: फाइन मजाक की बात बाद में तुम नहीं आ सकती कोई बात नहीं कल में अगली फ्लाइट से वहां पर आऊंगा। वही मिल लेते है फिर !! ।
पारुल: फाइन!! ।
अविनाश: ओके देन बाय स्वीटहार्ट ( पारुल को चिढ़ाते हुए कॉल काट देता है । )

पारुल गुस्से में आग बबूला हो रही थी । वह अविनाश को मानो दो चार थप्पड़ मारना चाहती थी । अविनाश का नाम सुनते ही वह चिड़चिड़ी हो जाती थी । एक तो सगाई के दिन की बात और फिर आज सुबह जब उसने न्यूज देखी तब तो मानो उसके पांव तले से जमीन खिसक गई हो । जैसे तैसे करके उसने सेम के मोबाइल में से अविनाश के नंबर लिए और बात की लेकिन उससे समझ नही आया की उसके पास पारुल के नंबर कहां से आए यह बात तो वह पूछना ही भूल गई । खैर जो भी है कल सारी बातें पहले जैसी नॉर्मल हो जाए बस .. यह सोचते हुए अपनी मॉम के पास किचन की ओर जाती है ।