वो माँ Naina Yadav द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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वो माँ

जिंदगी में कई गम मिलते हैं और खुशी भी मिलती है आज मैं उसी गम से हारी औरत की दास्तां बताने जा रही हूं |
जिसे अपने आप से ज्यादा अपने परिवार की पड़ी रहती थी पर फिर भी उसके परिवार के कुछ सदस्य उस पर चिल्लाते तो आओ चलते हैं उस औरत की कहानी जो मैंने है पहचानी है यह बात मेरठ की है सन 2006 में उस औरत की शादी हुई 2007 में एक बच्चा पर सबको आशा थी लड़का होने की पर आई एक लड़की उस औरत को बेटा या बेटी में कोई फर्क नहीं लगता था एक खुश थी कि उसकी बेटी हुई है साथ में बेटी के थोड़ेे सांवले रंग को देखकर बच्चे को लेने से मना कर दिया जब वह बच्ची 8 महीने की थी उसके मामा उसे अपने पास ले गए वह सब बहुत खुश थे कि उनके घर में बेटी आई है उस बच्ची से अपनी मां का साया नहीं हटा उस घर में भी उसे वही प्यार दुलार के साथ पाला गया अब दो वर्ष बाद 2009 में एक बेटा हुआ | सब
बहुत खुश थे कि बेटा हुआ है वह मां जिसने अपने बच्चों को बहुत प्यार से पाला तो कई साल बाद उसकी बेटी 8 वर्ष की हुई तथा उसका बेटा 6 वर्ष का हुआ बेटी शहर में बहुत बड़ी स्कूल में पढ़ती थी जहां की फीस बहुत महंगी थी और उसकी मां नौकरी भी नहीं करती थी फिर भी वह अपने बच्चे की स्कूल की फीस भर्ती थी उस औरत के परिवार वालों और उस बच्ची को ही यह बात पता थी कि उसकी मां उसकी फीस भर्ती है बच्चों के सपने को साकार करने के लिए बच्चों का बाप अपनी बहन की बातों में आकर अपनी लड़की को गांव लाने की ताक में रहता वह मां से खूब झगड़ते रोज-रोज उस मां को कष्ट सहना पड़ता था पर अपनी बच्ची को पढ़ा लिखाकर और बच्ची की खुद की पहचान बनाना चाहती थी पर उन बच्चों के पिता को क्या अपनी बहन की बातों में आकर पत्नी से लड़का तथा बच्ची को गांव लाने का प्रयास करता रहता था पर मां उसे ऐसा कुछ नहीं करने देती | मां की फीस भरनेे के कारण उसकी बच्ची कभी बुरी संगत में नहीं पड़ी | बस अब उस औरत की कहानी चलती जा रही है अभी उसके बच्चे बड़े नहीं हुए हैंंउसकी बेटी अभी 14 साल की और बेटा 12 साल का है मां के आंसू दोनों पर नहीं देखे जाते हैं दोनों बहुत दुखी होते हैं मां के आंसुओं को देखकर हमें अपनी मां को कभी दुख नहीं देना चाहिए वह हमें जीवन भर सुख देती है हम क्या हम उन्हें सुख नहीं दे सकते कुछ शब्द माँ के लिए कुछ शब्द उस मां के लिए जो अपने बच्चों की खुशी में खुश है और दुख में दुखी है माँ से बड़कर कोई नाम क्या होगा इस नाम का हमसे एहतराम क्या होगा जिसके पैरों के नीचे जन्नत है उसके सर का मक़ाम क्या होगा। मां तो जन्नत का फूल है प्यार करना उसका उसूल है, दुनिया की मोह्ब्बत फिजूल है मां की हर दुआ कबूल है, मां को नाराज करना इंसान तेरी भूल है, मां के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है।