बापासदाराम -टोटाणा ता. कांकरेज वात्सल्य द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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बापासदाराम -टोटाणा ता. कांकरेज

एक अद्भुत महात्मा : - "बापा सदाराम "
गुजरात राज्य, बनासकांठा जिल्ला एवम कांकरेज तहसीलका जाने-माने एक "टोटाणा" (totana ) नामक छोटा गाँव है l जहाँ से नजदीक बनास नदी एवम "थरा" शहर के पास ये क़रीब पालनपुर से 65 km, पाटण से 35 km,राधनपुर से 35 km की दूरी पर 150 साल से अधिक पुराना है l रेलवे स्टेशन नजदीक दिओदार और भीलड़ी है l थरा से नेशनल हाइवे से क़रीब 15 km है l आने जाने से प्राइवेट एवम बस,रीक्षा से आना जाना सरल है. हारिज सिटी से भी जानेका हाइवे है l
आज से 100 साल पेहले एक तेजस्वी बालक उसी गाँव की ग़रीब बस्ती मे ठाकोर मोहनजी और माता लाखुबा के यहाँ जनम हुआ!(माता पिता निरक्षर थे उसी की वज़ह से बापा की जन्मदिन का किसीको पता नही है) माता-पिता ने इनका नाम "सदाराम" रखा,छोटा बालक का ज़ब ग़रीब दंपति अपने गाँव के खेतिबाड़ी मे मजूरी करके पाल के बड़ा कर रहें थे, वे जितना कमाते थे उनमेसे बचत कर बालक का पालना चल रहा था l बालकने अपने पिता मोहनजी को भगवानने अपने पास बुला लिया l सारी जिम्मेवारी इनकी माँ पर आ पड़ी.थोड़ा बड़ा होते ही माँ ने अपने सदाराम को मजदूरी करने के लिए अलग अलग गाँव शहर मे अपने सबँधी के साथ भेज दिया. बालक सदाराम छोटी उम्रमे और पिताजी का नहीं होने की वज़ह से स्कूल की शिक्षा नहीं ले सका l पाटण,सिद्धपुर, अहमदाबाद,धोलका के कई कारखाने मे मजूरी कर के इन्होने ने अपनी बूढ़ी माँ को पाला. बूढ़ी माँ को भी इन्होने नन्ही उम्र मे खो दिया l ग़रीब बालक का उसी समय कोई भविष्य नही बन पाया.इनको संसार मे आँखों दिखी गरीबाई एवम दुःख बीमारी किसीकी देखी नही जा सकती थी. वो मजदूरी करता तो जो तन्खा मिलता उनमेसे अपने निजी खर्च का पास रखकर लोगों की सेवा मे खर्च करने लगा.
समय के साथ इनको सांसारिक जीवन मे दुःख है, ऐसा अनुभवग्नान हुआ l उनका मन संसार से विरक्त होने लगा l वो जितना कमाते थे उनमेसे बचत करके रेलवे मे भारत भ्रमण करने को निकल पड़ा l भारत के बड़े तीर्थ स्थल पर भी घूमे लुले,अपाहिज,ग़रीब,भिखारी देखें तो उनका मन बहोत दुखी हुआ और उन्होंने सादी नहीं करने का मन बना लिया.वे लोगों की सेवा करते रहें.सत्संग मे जितने दान मिलते थे उनमेसे ग़रीब को शिक्षा एवम दान देते रहें.
टोटणा गाँव मे इनका एक छोटा निवास था.पास छोटा मंदिर मे सत्संग चलता था l और कहीँ से भी भजन कीर्तन का बुलावा आता तो अपने असबाब मे एक ज़ोला,लकड़ी,एक जोड़ी कपड़े लेके पैदल चल पड़ता.उत्तर गुजरात के कोई गाँव ऐसा नही होगा जहाँ सदाराम बापा गये ना है! आज तो सारा गुजरातके लोग इनको संत सदाराम से पुकारते है l
कई युवकों ने सत्संग सभा मे मदिरा सेवन एवम जुगाड़ नही करनेका व्रत ले चूका है l हजारों लोग बापा के चरण स्पर्श के लिए उत्सुकता जताते थे l इन्होने कभी दाढ़ी,भगवा नही पहना l सफ़ेद धोती ज़भा मे हमेशा जीवन गुजारा है l कोई शिष्य या कंठी माला नही रख्खी.. कोई इनके पास आता और स्वयं इनका भक्त बन जाता था l सदा सादगी मे इनका जीवन बिता l
ज़ब मेरे घर (कमालपुर-सातून ता. राधनपुर )पर दौ बार पधारें तो इनका रहन सहन बहोत सादाई मे मैंने उनको देखा है l इनके दर्शन के लिए बड़े बड़े संत से लेकर बड़े राजकीय लोग भी आ चूके है l वे सबको एक समझता था l जाती धर्म सबका आदर करते थे l इनको कभी भी जाती धर्म से अपनी बानी से अलग नही समझा l अपने प्रवचनमे भी खास व्यसन एवम रीत रीवाज पर गलत टिप्पणी नही की.
इनके आश्रम दो ठिकाने मे है l वहाँ दर्शनार्थी,प्रवासी को मुफ्त मे रेहने खाने का प्रबंध व्यवस्थापक संभाल रहें है l सदाव्रत भी चल रहा है l टोटणा गाँव मे अपने निवास पर और भरुच के नजदीक पतित पावका नर्मदा नदी की कोख मे आश्रम है, वहाँ भी यात्रालुओं की रेहने खाने की व्यवस्था कर दी गई है.
इन महात्माको गुजरात सरकार ने
" गुजरात गरिमा अवॉर्ड " से सन्मानित किया है l
कभी किसी के पास माँगा नही फ़िर भी मिलता रहा l लोग बापा जलाराम का अवतार समझते थे l इन महान आत्माने इस धरती पर सन.2019 संवत 2075 दिनाँक -14/05/2019, मंगलवार,बैशाख माह,सुद दसमी,शुभ घड़ी, साम 6:30 कलाक दर्मयां वो अपनी माया समेट कर चल बसा l
इनकी स्मशान यात्रा मे क़रीब तीन लाख से ज्यादा लोग शामिल थे l इनकी समाधी भी उन्होंने जहाँ अपना शेष जीवन बिताया वहीँ चंदनकाष्ट से अग्नि संस्कार करवाया गया l और स्मृति भवन भी वहीँ साकार हो रहा है l
🌹"इनको मेरा शत शत नमन" 🌹
🙏🏿 - सवदानजी मकवाणा ( वात्सल्य )