द एजेंटस - 2 Shamad Ansari द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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द एजेंटस - 2

दिव कहता है कि सीधे पुलिस और मिलिट्री फोर्स भी हमारे पिछे पड़ गए हैं। एनआईए के चीफ कहते है की आप सब घबराइए नहीं अभी सब पता चल जाएगा ।अभी बस हम सभी एजेंसी के चीफ मास्टर आॅबरो आते ही होंगे , फिर पांच मिनट बाद मास्टर औबरो भी आ जाते है ,फिर विवेकानंद सभी को बताते है मैंने इन लड़कों को चुना है,जैसा कि आप लोगों ने मुझे काम सौंपा था ।इन सभी में वह सारी खूबियां है को आप लोगो ने ढूंढने से पहले बताया था। यह सभी टीम में मिलकर काम करते हैं, उन अपहरणकर्ताओं को पकड़ने के लिए दिमाग का प्रयोग किया । जिसका मतलब यह है कि यह लोग समझदार भी है।तभी मास्टर ऑब्रो बोलते है अपने इनको चुना है तो कुछ सोच समझ के ही चुना होगा ,लेकिन मैं पहले इन सभी का परीक्षण करूंगा,ताकि मुझे भी इनकी काबिलियत पता चल सके हालांकि अगर अपने इनको चुना है तो मान लीजिए मैंने भी इनको पास कर दिया है। तभी वो उन लड़कों की तरफ देखते हुए कहते है पहले इनकी पढ़ाई पूरी करवाएं जिस भी देश में इन्हे पढ़ाई पूरी करनी हो ये वहां जाके पढ़ाई पूरी कर सकते है , उन सभी लड़कों ने एक साथ कहा हम सब अभी 11वी कक्षा में है हम 12वी तक की पढ़ाई लंदन मे करना चाहते है , आेर उसके आगे की पढ़ाई U.S.A अमेरिका में । वहा पर मौजूद लोग कहते हैं ठीक है जैसा आप सभी को comfortable लगे वैसा करिए । आप सभी की पढ़ाई का खर्च हमारे देश की सरकार उठाएगी ,अब हमे बस तुम्हारे parents we बात करनी है तभी विवेकानन्द कहते है इन सभी के माता पिता से में जल्द ही बात करके इन्हे पढ़ने के लिए भेज दूंगा। आेर मीटिंग वहीं पर समाप्त हो जाती है और मास्टर आब्रो तुरंत वहां से पूरी सुरक्षा के साथ चले जाते हैं। विवेकानन्द उन लड़कों की तरफ देखते हुए कहते है कल मैं तुम्हारे माता पिता से बात कर लूंगा, फिर वह अफसरों की तरफ देखते हुए कहते है ये तुम्हे तुम्हारे घर छोड़ के आ जाएंगे तब सिकंदर अचानक से कहता है ठीक है पर आप सब ये हमारे लिए कियुं कर रहें है ????
और हमे ही कियूं चुना ।
फिर विवेकानंद ने कहा हमारे डिपार्टमेंट में बहुत सारे खुफिया एजेंट है जो हमारे देश की सारी जानकारी लीक कर देते है और कुछ तो हमारे देश के ही है ,मगर पैसे का लालच मिलते ही वह देश से गद्दारी कर देते है ,हमरे देश में क्राइम रेट भी बहुत बढ़ गया है। इसीलिए हम भरोसेमंद ,समझदार, देशभकथ, नियमों का पालन करने वाले टीम को ढूंढ रहे थे , और तभी तुम सब मिल गए तुम्हारी आंखों में वह क्रांतिकारियों जैसा जोश देखकर और उस दिन तुम्हारी काबिलियत देखकर तुम सभी को चुन लिया गया। तुम फिक्र मत करो तुम्हें कुछ नहीं होगा आगे सब समझ जाओगे ,London जाने की तैयारी करो। मैं तुम सभी के माता पिता से बात कर लूंगा ।पहले तो सिकंदर और विक्रम के माता पिता ने माना कर दिया लेकिन बाद में उन्होंने सोचा कि इन लोगों की जिंदगी बदल जाएगी इनकी London मै अच्छी पढ़ाई होगी और आगे चलकर बहुत अच्छी नौकरी भी मिल जाएगी ये दोनों कमियाब हो जाएंगे। Cheif इनके पासपोर्ट और विजा तैयार करवा देते है। हालंकि यह सब स्पेशल इजाजत से जा रहे थे । लेकिन फॉर्मेलिटी तो ज़रूरी थी न , फिर ये सब London जाने के लिए रवाना हो जाते है साथ में खूब मस्ती भी करते है । सब बैठ के बात कर ही रहे थे कि तभी विक्रम दिव से पूछता है कि ???