अनजान रीश्ता - 59 Heena katariya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनजान रीश्ता - 59

सगाई की रश्म के बाद पारुल नैना के साथ अपने कमरे की ओर बढ़ रही थी । तभी नैना पारुल से पूछती है ।


नैना: सब कुछ ठीक तो है ना!!?।


पारुल: हंअ! हां बस थक गई हूं इसीलिए!।


नैना: आर यू श्योर बिकोज मुझे तो कुछ और ही लग रहा है!।


पारुल: क्या मतलब !!।


नैना: ( पारुल की बात काटते हुए ) तुम्हे लगता है की तुम मुझे बेवकूफ बना पाओगी!!। जल्दी बताओ क्या हुआ है ! कब से देख रही हु की तुम कुछ परेशान सी हो!।


पारुल: नैना!!।


नैना: पारुल!!।


पारुल: ( हार मानते हुए ) नैना!! यार!!!?।


नैना!! ( पीछे से आवाज आती है! ) ।


नैना: ( पीछे मुड़ते हुए ) ओह माय गॉड... गॉड ( चौंकते हुए ) आप.. को मेरा नाम पता है!।


अविनाश: ( मुस्कुराते हुए ) ऑफकोर्स!! अब इतनी प्यारी लड़की का नाम भला कोई भूल सकता है क्या!? ।


नैना: ( चेहरे पे मुस्कुराहट आ जाती है ) आई!!।


अविनाश: ( नैना की बात काटते हुए ) इससे पहले तुम कुछ कहो तुम्हे पार्टी हॉल में तुम्हारी दोस्त ढूंढ रही है ..!।


नैना: मुझे!? पर मैं तो उन्हे कहकर आई थी की मैं पारुल के साथ जा रही हूं!।


अविनाश: पता नहीं शायद कोई जरूरी काम होगा क्योंकि काफी देर से सभी से तुम्हारे बारे में पूछ रहे थे ।


नैना: पता नहीं!! शायद!।


अविनाश: कोई नहीं एक बार जाकर देख आओ उसमे कौन सी बड़ी बात है ।


नैना: हां ये भी ठीक है!! पर पारुल( पारुल की ओर देखते हुए ) ।


अविनाश: ( पारुल की ओर मुस्कुराते हुए देखकर कहता है । ) अरे! मैं वैसे भी अपने कमरे की ओर जा रहा हूं तो मैं पारुल को कमरे तक छोड़ दूंगा!! ।


नैना: थैंक यू सो मच!! ( तभी पारुल नैना का हाथ पकड़ लेती है ! ) ।


पारुल: ( आंखो से ना कहते हुए ) .. ।


नैना: ( समझ नहीं पाती पारुल उससे मना क्यों कर रही है! अविनाश कोई पराया इंसान तो नहीं है !! फिर!! ) ।


अविनाश: अहहम!!


नैना: सॉरी पर पारुल के रूम में मेरा फॉन पड़ा है तो मैं वही से अपने दोस्त को कॉल कर लूंगी तो हम तीनो साथ ही में चलते है ! ।


पारुल: ( चहेरे पे मुस्कुराहट आ जाती है ! ) ।


अविनाश: या लेट्स गो!! ( और कुछ नहीं बोलता ! ) ।


नैना: पारुल यार! वैसे जीजू काफी हेंडसम लग रहे थे !! नहीं!।


पारुल: ( आश्चर्य से नैना की ओर देखते हुए कुछ बोल नहीं पाते ) ।


नैना: क्या! ऐसे क्या देख रहीं हों! अब तो वह तुम्हारा मंगेतर है! अब क्या छुपाना और वैसे भी जब रेस्टोरेंट मैं समीर तुम्हे ही देखे जा रहा था तब पूछा था कि क्या चल रहा है तो तुमने तो बात ही टाल दी थी ।


पारुल: ( टेंशन के मारे गला सुख रहा था क्योंकि उन लोगो के साथ अविनाश भी था । मन ही मन सोच रही थी। ) ( चुप हो जा यार चुप हो जा भगवान के लिए उल्टी सीधी बाते मत कर । ) ।


अविनाश: गायस!! सॉरी पर एक इंपॉर्टेंट कॉल आ रही है तो !!।


नैना: ओके एंड थैंक यू मेरा नाम याद रखने के लिए!! ।


अविनाश: ( नैना की ओर देखते हुए सिर को सिर्फ हां में हिलाते हुए वहां से विपरित दिशा में चला जाता है । ) ।


नैना: उफ्फ!! कितनी मेहनत का काम है!!।


पारुल: ( सोचते हुए की आज पहली बार अविनाश ने जाते वक्त उसकी ओर नहीं देखा पर खैर! अच्छी बात है कम से कम वह चैन की सांस तो ले पाएगी ) क्या!!? ।


नैना: किसी इंसान को परेशान करना!! और स्पेशयली अगर वह सुपरस्टार हो तो !! ।


पारुल: ( मुस्कुराते हुए नैना की ओर फिर से देखते हुए ) ओह माय गॉड डोंट टेल मि!!।


नैना: ( गर्व के साथ ) यप!! तुम जो सोच रही हो वही जान बुझकर उससे परेशान करके भगाया है । वह क्या है ना एक हेंडसम बंदा किसी और की तारीफ बर्दाश्त नहीं कर सकता !! तो..! ? मैं बिचारी क्या करू!!।


पारुल: ( हंसते हुए ) हाहहहाहा... अच्छा किया पर क्यों.. !?।


नैना: क्यों की बच्ची तुम उसके साथ क्मफर्टेबल नहीं थी और मुझसे कह रही हो !।


पारुल: ( खुश होते हुए ) वाऊं!!।


नैना: अच्छा अब मैं जा रही हूं पार्टी हॉल की ओर अब आगे ही तुम्हारा कमरा है पता नहीं बाकी इडियट्स क्यों ढूंढ रहे है तो.. ।


पारुल: पर तुम्हारा..!।


नैना: ( पारुल की बात काटते हुए ) फोन.. यह रहा !! ( हाथ में मोबाइल दिखाते हुए ) । बाय!! ( हॉल की दिशा की ओर जाते हुए ) ।


पारुल: ( मुस्कुराते हुए सिर को हां में हिलाती है । )


पारुल अपने कमरे का दरवाजा खोलते हुए कमरे में जाती है। वह टेबल पर से पानी बोतल उठाते हुए पानी पीते हुए सोफे पर बैठती है । वह बोतल को बंद करते हुए टेबल पर रखते हुए सोच में डूब जाती है । सगाई के समय की घटना उसके मन में घूम रही थी ।


प्रिंसेस!!।


पारुल: ( घबराते हुए अपनी दाई ओर देखती है । पर अंधेरे में उसे साफ दिखाई नही दे रहा था । ) ....।


अविनाश: ( धीरे से ) हाथ लाओ अपना..।


पारुल: ( चोकते हुए ) प्लीज...।


अविनाश: प्रिंसेस....।


पारुल: प्लीज.. डोंट डू घिस.. जो हमारी यादें है उसके खातिर ही सही प्लीज अवि...।


अविनाश: पारुल के होठों पर उंगली रखते हुए ) शहहह... प्रिंसेस ( बालो को कान के पीछे करते हुए ) उसी यादों का बदला तो दे रहा हूं तुम्हे ...। नाउ डोंट मेक मि एंग्री ... । और वैसे भी १-२ मिनिट में लाईट आ जाएगी तो और बात बिगड़ेगी तुम्हारे लिए...।


पारुल: ( मानो आंखो से अविनाश के सामने गिड़गिड़ा रही थी दर्द बयान कर रही थी ... पर अविनाश अंधेरे की आड़ में पारुल का दर्द महसूस ही नहीं करना चाहता था । वह सिर्फ और सिर्फ बदले की भावना में ही जल रहा था । उससे ना तो पारुल दिख रही थी ना उसका दर्द बस बदला एक ही बात दिमाग में घूम रही थी । )


अविनाश: ( पारुल के हाथ को जबरदस्ती अपने हाथ में लेते हुए ) ( अंगुढी पहनाते हुए ) हैपी एंगेजमेंट सेरेमनी.. ( सिर पर किस करते हुए ) ।


पारुल: ( चिल्ला चिल्ला कर रोना चाहती थी अविनाश को कसकर एक थप्पड़ मारना चाहती थी की वह कुछ भी नही कर पा रही थी । तभी लाईट आ जाती है । ) ।


पारुल अपने सोच में से बहार आती है जब उसके हाथ में से रिंग गिरती है । वह जमीन पर गिरी रिंग को देखती है तो उस रिंग को उठाने झुकती है की तभी उसके आंख में से आंसू गिरने लगते है। वह रिंग जिस पर सेम का नाम लिखा था । क्या हुआ क्यों हुआ !!? क्यों अविनाश ने सेम से पहले उससे रिंग पहना दी !! क्यों वह उस वक्त अविनाश की रिंग निकाल के सेम की रिंग क्यों नहीं पहनी !!? क्यों!!? आखिर क्यों!? ऐसा तो उसने नहीं सोचा था । मानो उसका पूरा ख्वाबों का संसार बिखर रहा था । आखिर क्यों!!? यह सब एक ही इंसान की गलती है। वह है अविनाश खन्ना!! आई हेट यू अविनाश खन्ना!! आई फ्किं***ग हेट यू... । ( टेबल पर से सामान इधर उधर फेकती है । और सारी चीज़े तहस नहस कर रही थी !) तभी आवाज आती है । तू..तू ..तू.. प्रिंसेस...।


पारुल: ( पीछे मुड़ते हुए देखती है तो अविनाश आराम से बेड पर लेटा हुआ था। वह गुस्से में अविनाश की ओर आगे बढ़ते हुए ) तुम... तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहां आने की !! और तुम्हे क्या लगता है यह कोई फिल्म है क्या!!? जहां तुम जो चाहो वह करोगे! हां!! ( अविनाश का कॉलर पकड़ते हुए ) डू यू फ**किंग* थिंक!! की तुमने क्या किया है । डू यू.. ( पारुल के आंखों से आंसू बह रहे थे ।)।


अविनाश: ( पारुल के हाथो को अपने कॉलर पर से हटाते हुए ) ( पारुल के आंसू पोछते हुए लेकिन पारुल अविनाश के हाथ को नफरत और गुस्से में हटा देती है ! )।


पारुल: कोशिश भी मत करना!! बहुत हो गई तुम्हारी बदतमीजी !! अब एक और बार बदतमीजी की तो मुझसे बुरा कोई नही होगा !! ।


अविनाश: ( हार मानते हुए पारुल के आंसू पोछने की कोशिश नहीं करता । ) .. फाइन..। जैसा तुम कहो वैसा ही होगा.. ।
पारुल: ( जोर जोर से हंसते हुए ) हाहाहाहाहा... हाहहा.. आपके इस अहसान के लिए बहुत बहुत शुक्रिया की द अविनाश खन्ना मेरी लाईफ बर्बाद करने के बाद अब कह रहे है की अब वह कुछ सही काम करेगे वाऊ!! क्या बात है!! ( ताली बजाते हुए ) ।
अविनाश: ( गुस्से को काबू में करने की कोशिश कर रहा था । वह यहां पारुल की फिक्र हो रही थी । ना चाहते हुए भी उसका दिल उससे झंझोल रहा था। इसलिए वह अपने दिमाग के रोकने के बावजूद यहां आया था । उसने पारुल से सगाई की उस बात पर जरा भी पछतावा नहीं था । पर पारुल के दिल पर क्या बीत रही होगी वह अच्छी तरह जानता था । ) मैं यहां सिर्फ तुमसे मां... !
पारुल: ( अविनाश को धक्का देते हुए ) .. तुम क्या हां देखने आए हो की मैं कैसे अपनी बरबादी का जश्न मना रही हूं!! हां या फिर कुछ और भी बाकी है । या मैं फिर देखने आए हों की मै कैसे घूट घूट के खुद को कोश रही हूं!!।
अविनाश: ( पारुल का हाथ कसकर पकड़ते हुए अपनी और खींचते हुए ) इनफ!!! नाउ लिस्टेन ( पारुल हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी ) लिस्टेन!! केयरफुली!! ये जो भी हुआ है उसकी जिम्मेदार तुम हो में नहीं तो ये जो मेरे लिए नफरत पाल रही हो वह खुद के लिए करो!! और दूसरी बात मुझे कोई भी शौख नहीं था तुम्हारी लाइफ मैं वापस आने का पर गैस वोट.. मैय् बि वी आर मेड फॉर ईच अधर ... तो अब तो कुछ नहीं हो सकता क्योंकि ( रिंग वाला हाथ अपने हाथ में लेते हुए ) यह इस बात का प्रमाण है । तो जो भी करना है करो मैं जल्द ही हमारी सगाई के बारे में सबको बताने वाला हूं ।

यह कहते हुए अविनाश गुस्से में वहां से निकल जाता है दूसरी और पारुल अपनी जगह पर अविनाश की कही हुई बात से शोक में खड़ी थी । की क्या हो रहा है तभी वह खुद को शोक से बहार आते हुए अविनाश के पीछे भागती है ।