हारा हुआ आदमी (भाग42) Kishanlal Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

हारा हुआ आदमी (भाग42)

माया की बातों ने देवेन को सोचने के लिए मजबूर कर दिया।
माया जो कह रही है उसने सचमुच वह कर दिखाया तो?देवेन ने मन ही मन सोचा था।
उसकी आवाज सुनकर पड़ोसी जरूर मदद के लिए दौड़े हुए चले आएंगे।और माया अभी अर्ध निर्वस्त्र हालात में है।उसकी बात सुनकर लोग उसी की बात पर विश्वास करेंगे और वह बदनाम हो जाएगा।
देवेन ने सोचा।जब उसकी पत्नी निशा को इस घटना का पता चलेगा तो वह भी उसे ही दोषी समझेगी।और वह पत्नी की नज़रो में गिर जायेगा।यह विचार मन मे आते ही वह हताश हो गया।उसने माया के आगे घुटने टेक दिए।
न चाहते हुए भी देवेन वापस पलंग पर लौट आया।माया तो इसी इन्तजार में थी।देवेन के लौटते ही उसने अपनी नंगी गुदाज बाहे देवेन के गले मे डाल दी।
दिसम्बर की सर्द रात।बैडरूम का एकांत।किसी के आने का कोई भय डर नही।देवेन के बिस्तर में लौटते ही माया ने अपने शरीर का निर्वस्त्र हिस्सा देवेन के शरीर से सटा दिया।रात में जब दुनिया गहरी नींद में सो रही थी।माया और देवेन एक औरत और एक मर्द जग रहे थे।
",क्या सोच रहे हो।सोचो मत
और माया उससे लिपट गयी।देवेन नही चाहता था।पर माया का सानिध्य और उसके जिस्म की गर्मी उसे पिघलाने लगीऔर वह भूल गया उसका माया से क्या रिश्ता है।वैसे ही माया के शरीर पर कम वस्त्र थे। जो थे वो अंधेरे में ही शरीर से अलग होने लगे।।दो जिस्म करीब आये और एक दूसरे में समा गए।उनके बीच की दूरी मिट गयी।
माया के शरीर की आग शांत होने पर वह कुछ देर तक बिस्तर पर ही पड़ी रही।फिर उठकर चली गयी।
अपने कमरे में अपने बिस्तर पर पड़ते ही माया को नींद आ गयी।वह खराटे भरने लगी।
लेकिन देवेन की आंखों में नींद नही थी।उसने बहुत कोशिश की सोने की पर नींद उसकी आँखों से कोसो दूर जा चुकी थी।वह बिस्तर में पड़ा माया के बदले रूप के बारे में ही सोचता रहा।क्या उसने गलत किया?क्या यह अनैतिक था?क्या यह पाप था?अनेक तरह के प्रश्न और विचार उसके मन मे आते और जाते रहे।और पूरी रात उसकी ऐसे ही सोचते हुए गुज़री।
सुबह छः बजे निशा लौट आयी थी।लाइट आ गयी थी।निशा,राहुल को लेकर सीधे बेडरूम में लौट आयी थी।
"तुम जग रहे हो,"देवेन की तरफ देखते हुए बोली,"लग रहा है रात को सोये नही?"
"बस अभी जगा हूँ।"रात की बात को एक बार तो उसने निशा को बताने के बारे में सोचा।फिर इरादा त्याग दिया था।अगर उसने बता दिया तो न जाने निशा क्या सोचे।
"तुम रात को लौट आये तो अच्छा ही रहा।"राहुल सो रहा था।निशा उसे। पलँग पर सुलाते हुए बोली।
"क्यो?"पत्नी की बात सुनकर देवेन बोला।
"एक तो वैसे ही ठंड बहुत थी।ऊपर से बिन मौसम बरसात ने और ठंड बढ़ा दी।बरसात ने सब काम बिगाड़ दिया।ओपन मैरिज होम है।केवल तीन ही कमरे है।घराती और बराती दोनो ही तरफ के काफी लोग रुके हुए थे।वही पर फेरे होने थे।बाकी की सारी रस्मे जैसे तैसे निपटाई गयी।"निशा ने पति को रात के समाचार सुनाए थे।
"निशा"निशा जब पति से बाते कर रही थी।तभी उसे माया की आवाज सुनाई पड़ी
"आयी।"निशा उठकर चली गयी।लौटी तो दो कप उसके हाथ मे थे।