हारा हुआ आदमी (भाग 41) Kishanlal Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हारा हुआ आदमी (भाग 41)

"रात का सन्नाटा।सर्द मौसम।रात को बंद कमरे में सिर्फ तुम और मैं।इस समय मैं अपने बेडरूम मेंबिस्तर पर अर्ध निर्वस्त्र पड़ी हूँ।"
माया ने अंधेरे में तीर छोड़ा था।
"अगर मैने शोर मचा दिया तो क्या होगा?"
"तो क्या होगा?"माया कक बात सुनकर देवेन बोला।
आसमान में जोर से बिजली चमकी थी।जिसका प्रकाश बेडरूम के खिड़कियों के शीशो को पार् करके अंदर चला आया।उस प्रकाश में देवेन ने देखा।माया ब्लाउज और पेटीकोट में बिस्तर पर है।पेटीकोट जांघो तक ऊपर है।
"मेरी चीख सुनकर पड़ोसी दौड़े हुए चले आएंगे।मुझे इस हाल में देखकर लोगो को समझते हुए देर नही लगेगी।लोग क्या सोचेंगे जानते हो?"
माया की बात सुनकर देवेन बोला,"क्या सोचेंगे?'
"लोग सोचेंगे तुम मुझे अकेली देखकर मेरी इज़्ज़त लूटना चाहते हो।लोगो की ही नही तुम अपनी पत्नी कज नज़रो में भी गिर जाओगे।'
फिर से बिजली चमकी थी।साथ ही भयंकर गर्जना।प्रकाश के साथ ही बादलो की गर्जना बेडरूम में चली आयी।उसी के साथ देवेन की आवाज भी कमरे में गुंजी,"आप ऐसा नही कर सकती।"
"तुम चाहते हो मैं ऐसा नही करूं?माया को इस बात का एहसास ही नही विश्वास भी हो गया था कि उसकी बात ने देवेन को चारों खाने चित कर दिया था।
"आप ऐसा हरगिज मत करना"देवेन अपनी जगह खड़ा खड़ा ही गिड़गिड़ाया था।
"मुझे तुमहारी बात मंजूर है।लेकिन एक शर्त पर,"माया बोली थी,"अगर तुम चाहते हो मैं हल्ला नही मचाऊं तो चुपचाप वापस पलँग पर लौट आओ।मेरी बांहे तुम्हे आगोश में लेने के लिए बेचैन है।मेरा जिस्म तुम्हारे जिस्म से मिलने को बेकरार है।"
माया ने अंधेरे में ही अपनी दोनों बांहे फैला दी।
औरत का एक रूप देवेन ने अपनी माँ का देखा था।ममतामयी माँ।जो उसे चाहती थी।प्यार करती थी।माँ जो उसकी जननी थी।लेकिन माँ का प्यार उसके नसीब में नही था।उसे असमय छोड़कर इस दुनिया से चली गयी थी।
औरत का दूसरा रूप जो देखने को मिला।वह दुर्गा का था।दुर्गा जो उसकी चाची थी।वह कठोर,कर्कश औरत थी।कहने को औरत थी लेकिन उसके दिल मे नारी का कोमल ह्रदय नही था।
औरत का तीसरा रूप निशा का था।निशा उसकी पत्नी।
देवेन ने सीता,सावित्री, आदि पतिव्रता नारियो के बारे में सुना और पढा था।उन्ही पतिव्रता नारियो का रूप थी निशा उसकी पत्नी।निशा आधुनिक युग की मॉडर्न औरत होते हुए भी पौराणिक काल की पतिव्रता नारियो की तरह थी।भारतीय पतिव्रता नारियो की जीवंत मिशाल जो पति को ही अपना सर्वस्य मानती थी।उसकी पूजा करती थी।उस पर विश्वास करती थी।उसके प्रति निष्ठावान थी।
देवेन ने नारी के त्रिया चरित के बारे में सुना और पढ़ा था।पिक्चरों में भी देखा था।लेकिन वह सोचता था।क्या औरत सचमुच ऐसी हो सकती है।उसे विश्वास नही था की औरत का एक रूप ऐसा भी हो सकता है।औरत इतनी नीचे भी गिर ढकती है।
लेकिन माया का एक बहुत ही बढ़िया रूप उसके दिल मे बसा था।लेकिन आज उस रूप को गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए देख रहा था।इस रूप को देखकर देवेन समझ गया कि अगर औरत त्रियाचरित्र पर उतर आए तो कुछ भी कर सकती है।रिश्तो को एक ही झटके में तोड़ सकती है।
देवेन अजीब मुसीबत में फंस गया था।एक तरफ लोक लाज का भय था दूसरी तरफ निशा उसकी पत्नी से बेवफाई का डर। अगर निशा को यह पता चल गया तो?