मौत का खेल - अंतिम भाग Kumar Rahman द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मौत का खेल - अंतिम भाग

डॉ. वीरानी की वापसी


रात के नौ बजे थे। शहर से दूर शरबतिया हाउस में इस वक्त काफी रौनक थी। आज राजेश शरबतिया की शादी की सालगिरह थी। मैरेज एनिवर्सरी की पार्टी हाल की जगह बाहर लॉन में हो रही थी। जगह-जगह कैंप फायर का इतंजाम था। शरबतिया की शादी की सालगिरह का सभी को इंतजार रहता था। यह पार्टी बहुत भव्य होती थी। इसमें दुनिया भर की मंहगी वाइन परोसी जाती थी। कुछ स्कॉच तो इतनी मंहगी होती थीं कि उसकी एक बोतल की कीमत में एक आम इनसान की जिदंगी भर की कमाई खर्च हो जाए। लोगों के आने का सिलसिला अब भी जारी था। रात दस बजे तक सभी लोग पार्टी में पहुंच गए थे। सबसे आखिर में आने वालों में रायना और अबीर ही थे।

रायना के आते ही पार्टी शुरू हो गई। दरअसल उसी का इंतजार किया जा रहा था। सालगिरह का केक बारह बज कर एक मिनट पर काटा जाना था। उससे पहले शराब की नदियां बहाई जानी थीं। इस पार्टी की खास बात यह थी कि पहला पैग सोने के जाम में सर्व किया गया था। उस जाम पर सभी मेहमानों का नाम खूबसूरत अक्षरों में गुदा हुआ था। पहला पैग पी चुकने के बाद जाम हटा दिया गया था, ताकि पार्टी के बाद पैक कर के उसे मेहमानों को तोहफे के तौर पर दिया जा सके। सोने के जाम में पहला पैग सभी को सर्व किया जा चुक था। यह एक स्पेशल स्कॉच थी, जिसे खास तौर से इस पार्टी के लिए ही बनवाया गया था। पहला पैग ले चुकने के बाद वेटरेस ने सभी के जाम कलेक्ट कर लिए। उसके बाद बाकी के पैग क्रिस्टल के खूबसूरत जाम में पेश किए जाने लगे। कई खूबसूरत लड़कियां साकिया के रोल में थीं। वह सोने की सुराही से जाम में वाइन उंडेल रही थीं।

राजेश शरबतिया ने माइक संभाल लिया था। उसने कहना शुरू किया, “मैं अपने सभी दोस्तों का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने मेरी इस खुशी में शिरकत की। अब मैं मिस रायना से गुजारिश करूंगा कि वह इस खास मौके पर एक गीत पेश करें।”

राजेश शरबतिया की बात पूरी होते ही आर्केस्ट्रा ने हल्के सुर छेड़ दिए थे। एक वेटरेस ने रायना को माइक थमा दिया। रायना ने एक इंग्लिश सांग गाना शुरू किया। रायना काफी खूबसूरती से गा रही थी। हर कोई उसी की तरफ देख रहा था। लाइट का फोकस उसके इर्द गिर्द घूम रहा था। वह लोगों के बीच घूम घूम कर गा रही थी। उसका गाना खत्म होते ही एक बहुत ही हैरान करने वाला हादसा हुआ। किसी को भी अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं आ रहा था। हर कोई आंखें फाड़-फाड़ कर बस उस आदमी को देखे जा रहा था। यह घटना थी ही अचंभे में डालने वाली।

रायना के ठीक बगल में डॉ. वरुण वीरानी अचानक आ खड़ा हुआ था। बस ऐसा लगा था कि वह आसमान से अवतरित हुआ हो। पूरी महफिल सन्नाटे में डूब गई थी। यूं लग रहा था जैसे यह लोग अभी अपने किसी बहुत प्रिय को दफ्ना कर आ रहे हों। लाइट का फोकस अब भी रायना पर ही था और डॉ. वरुण वीरानी उसके करीब ही खड़ा था, इसलिए उस पर भी रोशनी पड़ रही थी। रायना ने अपने इतने करीब डॉ. वीरानी को देखा तो उस के होश फाख्ता हो गए। उसके पैर बुरी तरह से कांप रहे थे। राजेश शरबतिया ने उसकी कैफियत देख ली थी, इसलिए उसने तुरंत उसे हाथों का सहारा दे दिया था।

डॉ. वरुण वीरानी ने खरखराती हुई आवाज में कहा, “हैप्पी मैरेज एनिवर्सरी डियर राजेश! हालांकि इस बार तुमने मुझे इनवाइट नहीं किया, लेकिन मैं अपने यार की खुशी में कैसे न शामिल होता।”

उसकी बात का राजेश शरबतिया ने कोई जवाब नहीं दिया। वह डॉ. वरुण को के देख कर खुद भी अचंभे में था।

डॉ. वरुण वीरानी ने खरखराती हुई सी आवाज में बात जारी रखते हुए कहा, “डरो नहीं रायना डार्लिंग। मैं कोई भूत नहीं हूं। मैं तो मरा ही नहीं था। बस जरा इलाज कराने में वक्त लगा। पिछली पार्टी में मेरा गला जरा जोर से दबाया गया था न... तो दिमाग में ऑक्सीजन न पहुंच पाने की वजह से मैं बेहोश हो गया था।”

“मुझे यकीन नहीं! तुम कोई बहरूपिया हो!” अबीर ने डॉ. वीरानी को घूरते हुए कहा।

“तुम बहुत बेहूदा आदमी हो। तुम्हें लगा कि मैं मर गया हूं और तुम मेरी बीवी को ही ले उड़े।” डॉ. वरुण वीरानी ने खरखराती हुई सी आवाज में कहा, “दरअसल थर्टी फर्स्ट की पार्टी में मेरा गला बहुत जोर से दबा कर मारने की कोशिश की गई। मैं बेहोश हो गया था। तुम लोगों ने मेरा अंतिम संस्कार भी कर दिया। जब मुझे होश आया तो मैंने अपने एक दोस्त को बुलाया और उसकी मदद से यहां से निकल भागा। मेरे उसी दोस्त ने एक लाश का मेकअप करा कर उसे यहां ला कर दफ्ना दिया। इस तरह से मेरी जान बच सकी। वरना मुझे दोबारा मारने की कोशिश जरूर होती।”

डॉ. वीरानी की बातें सुन कर सभी को जैसे सांप सूंघ गया था। किसी के कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दे। ऐसा लगता था कि डॉ. वीरानी आज सारा हिसाब बराबर करने आया हो। उसने राजेश शरबतिया की तरफ देखते हुए कहा, “शरबतिया तुम भले आदमी हो। मैं तुम्हारी पार्टी खराब करने नहीं आया। तुम्हारी पार्टी जब खत्म हो जाएगी तो मैं खुद पर हमला करने वाले का न सिर्फ नाम ओपेन करूंगा बल्कि सबूत भी....।”

अभी डॉ. वीरानी की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि किसी ने मेन स्विच ऑफ कर दिया। हर तरफ गहरा अंधेरा छा गया। हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था। राजेश शरबतिया ने तेज आवाज में कहा, “मनोज! जनरेटर क्यों नहीं आन हुआ। तुरंत चालू करो उसे।”

उसकी बात खत्म होते ही बहुत तेज रोशनी का फोकस डॉ. वीरानी पर पड़ा। सभी लोग यह नया दृश्य देख कर बुरी तरह से बौखला गए। वह पहले से ही हवन्नक हो रहे थे। अब यह नया सीन सामने था। उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर हो क्या रहा है इस पार्टी में। नया दृश्य वाकई बड़ा अजीब था। डॉ. वीरानी जमीन पर पड़ा हुआ था और दो लोग उसका गला घोंटने की कोशिश कर रहे थे। वह दोनों अपने इस काम में इस कदर मशगूल थे कि लाइट आने का भी उन्हें ख्याल नहीं था। ठीक तभी इंस्पेक्टर सोहराब की तेज आवाज गूंजी, “आप दोनों डॉ. वीरानी को छोड़ दीजिए। वरना मैं बिना चेतावनी के गोली मार दूंगा।”

सोहराब की आवाज का तुरंत असर हुआ। वह दोनों डॉ. वीरानी को छोड़ कर खड़े हो गए। सभी को उनकी पीठ नजर आ रही थी। इंस्पेक्टर सोहराब ने उनसे कहा, “आप लोग खुद अपना चेहरा दिखाएंगे या मुझे यह काम करना होगा।”

इंस्पेक्टर सोहराब की इस बात का उन पर जर्रा बराबर भी असर नहीं हुआ। वह दोनों यथावत खड़े हुए थे। डॉ. वीरानी जमीन पर से उठ खड़ा हुआ था। लोग उसकी फुर्ती देख कर दंग रह गए। उसने बहुत तेजी से दोनों के हाथ पकड़ कर कुछ ऐसा मरोड़ा था कि उन दोनों के चेहरे लोगों के सामने आ गए थे। उन दोनों के चेहरे देखने के बाद इंस्पेक्टर सोहराब को जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ था। हालांकि पार्टी में शामिल बाकी लोग बहुत ताज्जुब से उन दोनों को देख रहे थे। वह डॉ. दिनांक ठुकराल और अबीर थे।

“डॉ. दिनांक ठुकराल! आप अपना जुर्म खुद कुबूल करेंगे या मुझे बताना पड़ेगा।” इंस्पेक्टर सोहराब ने कहा।

“मैंने कोई जुर्म नहीं किया है।” डॉ. दिनांक ठुकराल ने ढिठाई से कहा।

“अच्छा चलो अबीर से ही पूछ लेते हैं।” इंस्पेक्टर सोहराब ने कहा, “मिस्टर अबीर! आप को क्या दिक्कत थी डॉ. वीरानी से?”

“स्स्सर म्मेरा कोई रोल नहीं है... इस मामले में।” अबीर ने हकलाते हुए कहा, “स्स्सर रायना बहुत मुश्किल से मुझे मिली है। मैं जल्द ही उससे शादी करने वाला था, लेकिन अब यह डॉ. वीरानी मुझसे मेरी खुशियां छीनने फिर आ गया है। पिछली घटना से मेरा कोई लेना देना नहीं है।”

इंस्पेक्टर सोहराब ने राजेश शरबतिया से माइक ले लिया और कहने लगा, “डियर फ्रैंड्स! अभी आप लोगों ने जिस सोने के जाम में पहला पैग लिया है उस पर से सभी के डीएनए उठाए जा चुके हैं। डॉ. वरुण वीरानी को जो कपड़े पहनाए गए थे, उस पर कातिल का बाल हमें मिला था। इसके अलावा जंगल में मिले सिगरेट के बड्स से भी हमने डीएनए उठाया है। एक मोबाइल लैब कोठी के पीछे खड़ी है। जाम के डीएनए से जल्द ही उन दोनों डीएनए का मिलान हो जाएगा और कातिल हमारे सामने होगा। बस कुछ देर का इंतजार है।”

इंस्पेक्टर सोहराब की बात पूरी होते ही डॉ. दिनांक ठुकराल हिस्टीरियाई अंदाज में चीख पड़ा, “हां मैंने ही डॉ. वीरानी को मारने की कोशिश की थी। पहले भी और अभी भी। यह कंबख्त किस्मत का धनी है जो हर बार बज जाता है, लेकिन इस बार नहीं बचेगा।” बात पूरी करते ही ठुकराल ने जेब से रिवाल्वर निकाल लिया और डॉ. वीरानी पर दो फायर झोंक दिए।

गोली बहुत करीब से चलाई गई थी। इसकी वजह से डॉ. वीरानी पर बहुत सटीक निशाना लगा था। वह जमीन पर गिर पड़ा, लेकिन कुछ देर बाद ही वह उठ खड़ा हुआ और तेजी से एक पेड़ की आड़ में चला गया। यह दृश्य देख कर डॉ. ठुकराल बुरी तरह से बौखला गया।

“अपनी गोलियां मत खराब करो डॉ. ठुकराल। तुम डॉ. वीरानी को नहीं मार पाओगे... क्योंकि उसे तो तुमने पहले ही मार दिया है। यह वाला डॉ. वीरानी मेरा असिस्टेंट सार्जेंट सलीम है और उसने बुलेट प्रूफ जैकेट पहन रखी है। अब तुम खुद को कानून के हवाले कर दो।”

सोहराब की बात पूरी होते ही डॉ. ठुकराल ने रिवाल्वर अपनी कनपटी से लगाई और फायर कर दिया। अलबत्ता इंस्पेक्टर सोहराब ने बहुत तेजी से उसकी तरफ छलांग लगाई थी, लेकिन वह उसे बचा नहीं सका। वह किसी कटे हुए पेड़ की तरह जमीन पर आ गिरा। सोहराब ने उसकी नब्ज टटोली। वह मर चुका था।

तभी पेड़ के पीछे से सार्जेंट सलीम निकल आया। उसने अपना मेकअप रिमूव कर दिया था। इसके साथ ही एक और घटना हुई। इसे देख कर सभी उदास हो गए। वनिता डॉ. ठुकराल की लाश से लिपट कर जारोकतार रो रही थी। उसका रोना देख कर कई लोगों को आश्चर्य हो रहा था तो कई दुख से भर गए थे।

पर्दाफाश


सार्जेंट सलीम को रात में ही सोहराब ने कोठी की तरफ रवाना कर दिया था। वह खुद शरबतिया हाउस में ही रुक गया था। सुबह जब सलीम तैयार हो कर नाश्ते की टेबल पर पहुंचा तो वहां इंस्पेक्टर सोहराब को उसने अखबार पढ़ते हुए पाया। सलीम को देखते ही सोहराब ने
अखबार एक तरफ रख दिया। दोनों नाश्ता करने लगे। सलीम के हलक से नाश्ता बड़ी मुश्किल से नीचे उतर रहा था। दरअसल वह पूरे मामले को जानने के लिए बुरी तरह से बेचैन हो रहा था, लेकिन उसे मालूम था कि नाश्ता किए बिना सोहराब एक लफ्ज भी नहीं बोलेगा।

नाश्ता खत्म करते ही सलीम ने पूछ ही लिया, “आखिर यह माजरा क्या है। मेरी तो कुछ समझ में आया नहीं।”

“यह पूरा मामला ईर्ष्या से भरे एक इनसान का दुखद अंत है। सबसे बड़ा नुकसान देश का हुआ है। उसने दो बड़े स्पेस साइंटिस्ट खो दिए।” इंस्पेक्टर सोहराब ने दुख भरे लहजे में कहा।

“आखिर डॉ. वरुण वीरानी को डॉ. दिनांक ठुकारल ने क्यों मार दिया?” सार्जेंट सलीम ने कॉफी बनाते हुए पूछा।

“सलीम साहब, यह बहुत पेचीदा और साजिशों से भरी कहानी है। तुम्हें मैं समझाने की कोशिश करता हूं।” इंस्पेक्टर सोहराब ने कहा, “हमारा सबसे नजदीक का ग्रह चंद्रमा है। हमारे साइंटिस्ट अभी भी उसके बारे में बहुत ज्यादा नहीं जानते हैं। एक थ्योरी कहती है कि चांद एक कृत्रिम ग्रह है। इस थ्योरी के मुताबिक चांद अंदर से खोखला है। डॉ. वरुण वीरानी इसी थ्योरी पर रिसर्च कर रहे थे। डॉ. ठुकराल उनका असिस्टेंट हुआ करता था। एक पड़ोसी मुल्क भी इस मामले में दिलचस्पी रखता था। उसे किसी तरह से यह मालूम हुआ कि डॉ. वीरानी अपनी रिसर्च में कुछ हद तक कामयाब हो गए हैं। वह देश नहीं चाहता था कि हम इस मामले में आगे बढ़ें। नतीजे में उसने डॉ. वीरानी की जान लेने की कोशिश की। एक बार उन्हें किडनैप करने की भी कोशिश हुई। उनकी सुरक्षा का ख्याल करते हुए दिखाने के लिए उन्हें स्पेस एजेंसी से रिटायर कर दिया गया। सभी ने यह मान लिया कि अब उनका इस शोध से कोई लेनादेना नहीं है, हालांकि यह भ्रमित करने के लिए किया गया था। डॉ. वीरानी अपने बंगले में अब भी इस पर शोध जारी रखे हुए थे। सरकार उन्हें सारी फैसिलिटी गोपनीय तरीके से उपलब्ध करा रही थी।”

सोहराब रुक कर सिगार सुलगाने लगा। उसके बाद उसने आगे का किस्सा बयान किया, “डॉ. वीरानी अब भी इस रिसर्च से जुड़े हुए हैं, यह बात सबसे छुपाई गई थी। किसी तरह से यह बात डॉ. दिनांक ठुकराल को मालूम हो गई। डॉ. वीरानी के रिटायरमेंट की बात से वह बहुत खुश था कि अगर उसने इस रिसर्च को मुकम्मल कर दिया तो सारा क्रेडिट उसे मिल जाएगा। जब उसे यह मालूम हुआ कि डॉ. वीरानी अब भी इस पर काम कर रहे हैं तो उसने उन्हें रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया। इत्तेफाकन उसे यह मौका थर्टी फर्स्ट नाइट की पार्टी में मौत का खेल के दौरान मिल गया और उसने उनका गला दबा कर मार दिया।”

“क्या इस कांस्पेरेसी में मेजर विश्वजीत भी शामिल था? क्योंकि मौत का खेल खेलने का सुझाव उसी ने तो दिया था।” सार्जेंट सलीम ने कॉफी का सिप लेते हुए पूछा।

“नहीं वह इस साजिश में शामिल नहीं था।” सोहराब ने जवाब दिया।

“फिर उसे क्यों कत्ल कर दिया गया?” सार्जेंट सलीम ने फिर पूछा।

“मेजर विश्वजीत की मौत हार्ट अटैक से ही हुई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह बात साफ हो गई है।”

“और यह वनिता का क्या मामला है?” सार्जेंट सलीम ने अपने लिए कॉफी का दूसरा कप तैयार करते हुए पूछा।

“डॉ. दिनांक ठुकराल और वनिता कभी एक साथ पढ़े थे। दोनों में प्यार भी था। हालात ऐसे बने की शादी नहीं कर सके। बाद में दोनों फिर से एक दूसरे करीब आ गए। डॉ. ठुकराल इस केस में वनिता का मिसयूज कर रहा था। लाश घर में लाश की जगह वनिता ने ही बदली थी। यही नहीं वह मेरी टोह में भी थी। हालांकि उसे यह नहीं मालूम था कि डॉ. वरुण वीरानी को डॉ. ठुकराल ने कत्ल कर दिया है।” सोहराब ने सिगार का कश लेते हुए जवाब दिया।

“क्या वनिता गिरफ्तार कर ली गई?” सार्जेंट सलीम ने पूछा।

“हां। उसने अपना जुर्म भी कुबूल कर लिया है। काफी सारी जानकारी उसने ही मुहैया कराई हैं। उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जाएगी, हालांकि उसके खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं है हमारे पास।” इंस्पेक्टर सोहराब ने बताया।

“और इस अबीर को क्या सूझी कि वह मुझ पर हमलावर हो गया?” सार्जेंट सलीम ने हंसते हुए पूछा।

“अपनी नादानी में वह यह कर बैठा। वह जल्द ही रायना से शादी करने वाला था। अचानक जब उसने डॉ. वीरानी को अपने सामने देखा तो वह बौखला गया और जब अंधेरा हुआ तो उसने सोचा कि डॉ. वीरानी को हटाने का यह सबसे बेहतरीन मौका है।”

“आपको आखिर इस ड्रामे की सूझी ही क्यों? मैं मारा जाता तो!” सार्जेंट सलीम ने बिसूरते हुए पूछा।

“तुम्हें बुलेट प्रूफ जैकेट इसीलिए पहनाई थी प्यारे। दूसरे मैं जानता हूं कि तुम्हारी खाल बहुत मोटी है। तुम इतनी आसनी से मरने वाले नहीं हो।” सोहराब ने मुस्कुराते हुए कहा, “रही ड्रामे की बात तो कातिल को सामने लाने का मुझे आखिर में यही तरीका सूझा, क्योंकि सभी का डीएनए हासिल करना आसान नहीं था। मैंने अपना प्लान शरबतिया को बताया तो वह कातिल को सामने लाने के लिए तैयार हो गया। प्लान के मुताबिक डॉ. वीरानी यानी कि तुम्हें सबके सामने लाया गया। जब डॉ. वीरानी ने कहा कि वह खुद पर हमला करने वाले को एक्सपोज करेगा तो डॉ. ठुकराल बौखला गया। मैंने प्लान के मुताबिक जानबूझ कर लाइट बंद करवा दी और जैसा कि मैंने सोचा था डॉ. ठुकराल अपनी खाल से बाहर आ गया।”

कुछ देर की खामोशी के बाद सोहराब ने मुस्कुराते हुए पूछा, “और कोई सवाल?”

“एक बहुत ही जरूरी सवाल बचा है।” सलीम कहा।

“वह कौन सा?” इंस्पेक्टर सोहराब ने पूछा।

“यह बार-बार लाश गायब होने का क्या मामला है?” सार्जेंट सलीम ने सवाल किया।

उसकी इस बात पर सोहराब मुस्कुरा दिया। उसने बुझ चुकी सिगार को सुलगाते हुए कहा, “मैं तुम्हें पहले ही बता चुका हूं कि थर्टी फर्स्ट नाइट की पार्टी में मैं भी मौजूद था। जब मेरे कमरे का दरवाजा बाहर से बंद किया गया था तो मैं थोड़ा चौंका। जब मैं खिड़की से कूद कर बाहर गया तो डॉ. वीरानी की मौत का मामला मेरे सामने आया। उन्हें दफनाए जाने के बाद मैंने चुपचाप उनकी लाश गायब करवा दी और उसका पोस्टमार्टम और डीएनए कराने के बाद लाश को दोबारा वहीं दफ्ना दिया गया।”

“आप ने उसी वक्त कार्रवाई क्यों नहीं की?” सार्जेंट सलीम ने पूछा।

“जासूस की तरह सोचा करो, पुलिस वालों की तरह नहीं।” सोहराब ने उसे टोकते हुए कहा, “सत्तर लोगों की पार्टी में किसे कातिल माना जा सकता था। सभी को थाने में बंद करके थर्ड डिग्री देकर आप कातिल का पता नहीं लगा सकते थे। यह सत्तर लोग देश की बड़ी हस्तियां हैं।”

“आखिर ठुकराल लाश के पीछे क्यों पड़ गया था अचानक?” सलीम ने मुद्दे पर लौटते हुए पूछा।

सोहराब ने कहा, “जब डॉ. ठुकराल को यह पता चला कि शरबतिया के फार्म हाउस से लाश गायब होने के बाद फिर वापस लौट आई है तो वह घबरा गया। वह कोई पेशेवर कातिल तो था नहीं। उसने अपने खास आदमियों के जरिए लाश को उठवा लिया। हड़बड़ाहट में उसने यह कदम उठा तो लिया, लेकिन अब लाश का क्या करे यह उसकी समझ में नहीं आया। उसने उसका चेहरा बिगाड़ा और लाश को होरारा के जंगल में फेंक दिया। फिर उसे ख्याल आया होगा कि लाश के कपड़े भी बदल दिए जाएं, ताकि पहचान न हो सके। शायद उसकी कार में कपड़े रखे रहे हों और उसने यह कारनामा भी अंजाम दे डाला। मुझे लगता है कि कपड़े बदलते वक्त उसने देख लिया था कि लाश का पोस्टमार्टम किया गया है। इससे उसके हाथ पैर फूल गए और वह भाग खड़ा हुआ। उसने सोचा था कि लाश को लावारिस मान लिया जाएगा। जब किसी जरिए से उसे पता चला कि खुफिया विभाग लाश तक पहुंच गया है तो वह लाश को दबारा हासिल करने की कोशिश में लग गया। उसी ने लाशघर से भी लाश चुरवाने की कोशिश की थी।”

“अब डॉ. वीरानी की लाश का क्या होगा?” सलीम ने पूछा।

“रायना को डॉ. वीरानी की जिंदगी का डीएनए और शव का डीएनए मैचर करने की रिपोर्ट दिखा दी गई है। उसने मान लिया है कि यह लाश डॉ. वीरानी की ही है। उसने लाश को कुबूल कर लिया है। आज डॉ. वीरानी का अंतिम संस्कार है।” सोहराब ने बताया।

अचानक सलीम उठ खड़ा हुआ। सोहराब ने उससे पूछा, “कहां जा रहे हो?”

“हिमालय की गुफाओं में। यह संसार मिथ्या है। अब उसमें चांद भी शामिल हो गया है।” सार्जेंट सलीम ने उदासी से कहा।

समाप्त
*** * ***