लेख संग्रह - भाग 7 - धन्यवाद प्रिय पाठको Shakti Singh Negi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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लेख संग्रह - भाग 7 - धन्यवाद प्रिय पाठको

प्रिय पाठकों आपको मेरी रचनाये़ पसंद आई और इसके कारण साइंस फिक्शन में मेरा पूरे प्रतिलिपि पर प्रथम स्थान आया. आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.

















बच्चों से मेरा कहना है कि खूब मेहनत करें, खूब पढ़ाई करें. डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर आदि बनें. बचपन से ही अपना गोल फिक्स कर दें और उसी के अनुसार अपनी पढ़ाई की दिशा मोड़े.


बड़ों से मेरा कहना है कि नशा पानी न करें. व्यायाम, योग आसन आदि करें और अपने काम पर दिल लगाए. खूब आराम करें, खूब खाएं, खूब मेहनत करें. खूब कमाए, अपने धन को अच्छी जगह लगाए.


जय हिंद जय भारत.








हर आशावादी मनुष्य कुछ ना कुछ सपने जरूर देखता है. एक गरीब अपने बच्चों की शादी के का सपना देखता है. एक स्टूडेंट कंपटीशन फाइट के सपने देखता है.


बेरोजगार कोई भी नौकरी प्राप्त करने का सपना देखता है. आप कौन सा सपना देखते हैं जरा बताइए.







प्रिय लेखक गण कृपा करके, कमेंट करके बताइए कि आपने प्रतिलिपि ज्वाइन कब की थी?









अश्लीलता वैसे खराब मानी जाती है. लेकिन अश्लीलता की परिभाषा क्या है? शायद इसमें हर किसी को संदेह हो.


अभी लगा दीजिए प्रतिलिपि में जो प्रतिलिपि गैलरी होती है, उसमें कई नग्न स्त्रियों की फोटो होती हैं. वह तो हमें बहुत अश्लील लगती हैं, लेकिन प्रतिलिपि वाले शायद उनको अश्लील नहीं समझते हैं.


आपकी क्या राय है? क्या मैं सही बोल रहा हूं? प्रतिलिपि वाले भी इन फोटोज पर गौर करें.









मैं एक बार नौकरी करने के लिए देहरादून गया. वहां एक सुंदर 18 वर्ष की लड़की से मेरा संपर्क हो गया. जब तक मैंने वहां नौकरी की, हम दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में र.हे हर कार्य में हम साथ रहते थे. उस लड़की के कारण मैंने जीवन में बहुत उन्नति की. हमारे फिजिकल रिलेशन भी बने और सब कुछ ठीक-ठाक रहा.






एक अनजानी सी जगह हो. मेरी गर्लफ्रेंड और मैं वहां कुटिया बना कर रहें. हम दोनों दुनिया के छल-छंद से दूर रहें.


जिंदगी का मजा आ जाए. पैसे की जरूरत ही ना पड़े. उस अनजानी जगह में हर चीज जंगल में ही हमें मिल जाए. आपकी क्या राय है.










अक्सर देखा जाता है कि स्कूल में बच्चों से मार - कुटाई होती है. बच्चों को बहुत ही ज्यादा होमवर्क दे दिया जाता है जिससे बच्चों के पास खाली टाइम नहीं रहता है. उनके पास खेलने के लिए टाइम नहीं रहता है. उनके पास जिंदगी की कुछ जरूरी चीजें सीखने के लिए टाइम ही नहीं रहता है.


स्कूल में बच्चों को भी फालतू की शिक्षा ही अधिक दी जाती है. इस शिक्षा का जीवन में लगभग 1% भाग ही बड़ी मुश्किल से काम में आ पाता है. क्या आप लोगों को नहीं लगता आज बच्चों को नये तरीके से और नई विधि से और नये मॉडल व माडर्न तरीके से पढ़ाई करवाने की जरूरत है. जिससे उनका सर्वांगीण विकास भी हो सके.








वैज्ञानिक कहते हैं कि कई ब्रह्मांड हैं. कई सौरमंडल है. उनमें कई ग्रह हैं. इस हिसाब से कई ग्रह जीवन से भरपूर हो सकते हैं.



शास्त्रों में भी लिखा है कि कई तरह के लोक हैं और उनमें जीवन है. तो आपकी क्या राय है.







थोड़ा बहुत पढ़ लिख कर होठों पर लिपस्टिक लगाकर घर का काम धंधा छोड़कर इधर उधर घूमने को मॉडर्न होना नहीं कहते हैं. इसी तरह पुरुष को भी केवल फैशन करके ही मॉडर्न का तमगा नहीं दिया जा सकता है.


मेरे विचार में मॉडर्न तो उसे कहते हैं जो अंधविश्वासों को छोड़ वैज्ञानिक बातों पर अमल करे. अपने जीवन में सच्चाई और वैज्ञानिकता को अपनाएं. रहन-सहन भी अच्छा और तरीके का करे. पठन-पाठन में रुचि ले वही मॉडर्न है. आपकी क्या राय है? कृपया कमेंट में बताइए.








एक बार मैं पूरे भारत भ्रमण पर अकेला ही निकल गया. जेब में केवल ₹3000 थे. कुछ जगह मैं बस से गया तो कुछ जगह ट्रेन से जनरल डिब्बे में बैठकर. तो कई जगह मैं पैदल घूमा.


नदियों और तालाबों के किनारे मैं पैदल ही घूमता रहा. रात में जहां रात होती पेड़ के नीचे रुक जाता या किसी मंदिर में शरण ले लेता. इस तरह मैं पूरे भारत का भ्रमण कर लिया. खर्चा भी मेरा 2000 के करीब हुआ. हजार रुपये फिर भी बच गये.


आखिर में मैंने अपने दिमाग से ₹2000 में ही सारा भारत भ्रमण कर लिया. यह आज से लगभग 20 साल पहले की बात है.


आपको मेरी योजना कैसी लगी? कृपया कमेंट में बताइए धड़ाधड़.