अर्जुन क्षत्रिय थे, भीम क्षत्रिय थे क्योंकि इन्होंने धर्म का पक्ष लिया था. राम क्षत्रिय थे, लक्ष्मण क्षत्रिय थे, हनुमान क्षत्रिय थे क्योंकि इन्होंनें भी धर्म का पक्ष लिया था. राणा प्रताप, राणा सांगा क्षत्रिय थे, शिवाजी क्षत्रिय थे; क्योंकि इन्होंने भी धर्म का पक्ष लिया था.
एकलव्य शूद्र था क्योंकि इसने अधर्म का पक्ष लिया था. कर्ण शूद्र था, क्योंकि इसने अधर्म का पक्ष लिया था. दुर्योधन भी कर्म से शूद्र था क्योंकि वह तो स्वयं अधर्म ही था. बल्कि यह तो शूद्र भी नहीं थे. यह तो चांडाल थे. और शायद चांडाल भी नहीं थे. ये तो पूरे राक्षस ही थे.
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प्रिय पाठकों, प्रिय मित्रों. अगर मैं अपना नाम नित नवीन बदलकर अलग अलग रखूं तो आपको कैसे लगेगा?
बढ़िया लगेगा? खराब लगेगा या मध्यम लगेगा? कृपया अपनी टिप्पणी भेजिए. अपनी राय भेजिए. धन्यवाद. 😁😁😁😁😁😁😀😀😀.
प्रिय मित्रों, प्रिय पाठकों मैं अपना स्थाई नाम क्या रखूं?
कृपया अपनी राय कमेंट कीजिए. धड़ाधड़ कमेंट कीजिए. धन्यवाद.
आपने टीवी पर और समाज में अत्यधिक प्रतिभाशाली लोगों के बारे में देखा और सुना होगा. यह प्रतिभाशाली लोग किसी विशेष फील्ड के प्रसिद्ध और पारंगत व्यक्ति होते हैं. लेकिन अन्य फील्डों में यह सामान्यत: साधारण ही होते हैं.
हम रावण के बारे में सुनते हैं कि वह वेदों का बहुत बड़ा ज्ञाता था. लेकिन मेरी राय में वह वेदों का ज्ञाता नहीं था क्योंकि वह कभी भी वेदों के मार्ग पर नहीं चला. सत्य अहिंसा आदि के मार्ग पर तो वह कभी नहीं चला. हां उसे वेद कंठस्थ रहे होंगे. लेकिन कागजी रूप में. अत: वह वेदों का रटंत ज्ञाता तो माना जा सकता है. लेकिन व्यवहारिक रूप में नहीं. तो इस प्रकार से रावण को वेदों का सचमुच का ज्ञाता नहीं माना जा सकता है.
अब बात आती है क्या रावण प्योर ब्राह्मण था? मतलब क्या वह शुद्ध ब्राह्मण था? तो बड़े दुख से कहना पड़ता है कि वह शुद्ध ब्राह्मण नहीं था. क्योंकि उसके पिता विश्रवा मुनि तो एक शुद्ध ब्राह्मण माने जा सकते हैं, लेकिन उसकी माता कैकसी दानव थी. अतः उन दोनों के मिश्रण से उत्पन्न रावण एक संकर जाति का था, जो कि राक्षस कहलाती है. यह बड़ी दुष्ट, प्रचंड और भयानक प्रजाति थी.
अतः रावण न तो ब्राह्मण था और न वेदों का ज्ञाता. आपकी क्या राय है?
मैंने देखा मेरे कई साथियों के सुपर फैन बन गए हैं. कितने भाग्यशाली हैं वह लोग. काश कोई मेरा भी पहला सुपर फैन बनता. तो मैं भी खुशी से नाच उठता.
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तालिबान उन्हीं असुरों की वंश बेला से है, जिस वंश बेला में गौरी आया, गजनवी आया, मोहम्मद बिन कासिम आया और औरंगजेब जैसा रक्तपिपासु आया.
अब यह तो परिचय हुआ तालिबान का. अब इसका इलाज क्या है? तो इसका इलाज लास्ट टाइम में उसकी आंख में चौहान की तरह तीर मारने का ही नहीं है. बल्कि शिवाजी की तरह शुरू में ही उसकी आंखें निकाल देने का है.
इसी तरह से इन असुरों का संहार हो सकता है. अहिंसा परमो धर्म: हिंसा तदैव च. अर्थात अहिंसा तो परम धर्म है लेकिन यह देवों और मनुष्यों के लिए है. राक्षसों के लिए तो हिंसा का सहारा ही लेना पड़ता है यही असली वेद वचन है.
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हर आदमी को कुछ बातें अच्छी लगती हैं और कुछ बुरी लगती हैं. आज मैं आपको बताने वाला हूं कि मुझे बुरा कब लगता है? 😁😁😁😁
जब कोई सुंदर सी लड़की मुझे भाई साहब कहती है तो मुझे बहुत बुरा लगता है. 😁😁😁😁
जब मुझे ज्यादा घाटा हो जाता है तो बुरा लगता है. 😁😁😁😁
जब मेरे पैसे खो जाते हैं, तो मुझे बुरा लगता है. 😁😁😁😁
जब खर्चा ज्यादा हो जाता है, मुझसे अचानक; तो मुझे बहुत बुरा लगता है. 😁😁😁😁
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प्राचीन भारत में नियोग प्रथा थी. यह एक बहुत ही उत्तम और आदर्श प्रथा थी. इसमें यदि किसी स्त्री का किसी कारण पुत्र या पुत्री उत्पन्न नहीं होते थे तो किसी स्वस्थ और बुद्धिमान पुरुष के द्वारा उसको पुत्र उत्पन्न करवाया जाता था. आज भी यह प्रथा दुनिया में कई क्षेत्रों में है.
यह प्रथा नस्ल सुधारने के लिए भी बहुत अच्छी थी.
आज की इंजेक्शन पद्धति भी इसी नियोग प्रथा का परिष्कृत रूप है. नियोग प्रथा के कारण दुनिया को और भारतवर्ष को कई उत्तम महापुरुषों की प्राप्ति हुई है. आपकी इस प्रथा के बारे में क्या राय है? तो कमेंट कीजिए धड़ाधड़, धड़ाधड़ धन्यवाद.
आज का युग विज्ञान का युग है. असल में पहले से ही पाषाण युग से ही जितनी भी खोजें हुई है. सब विज्ञान के अंतर्गत ही आती हैं. परंतु आज विज्ञान चौगुनी गति से विकसित हो रहा है. नई-नई खोजें हो रही है.
विज्ञान मनुष्य के लिए जरूरी है. कुछ रूढ़िवादी कहते हैं कि विज्ञान अध्यात्म का दुश्मन है. लेकिन यह आज जातिवादी पंडे, पुजारी, मौलवी भी विज्ञान के द्वारा बनाए गए कपड़े ,बर्तन, गैजेट यूज करते हैं. तो आपकी क्या राय है? विज्ञान जरूरी है या नहीं धड़ाधड़ धड़ाधड़ कमेंट कीजिए धन्यवाद.
ओलंपिक खेल बहुत पहले ग्रीस से शुरू हुए थे. इसके बाद यहां 19वीं शताब्दी से फिर से शुरू किए गए. ओलंपिक खेलों में भारत ने इस बार कुछ पदक जीते हैं.
लेकिन वैश्विक स्तर पर अभी भारत का स्थान ओलंपिक में नगण्य ही रहा है. अतः भारतवासियों को कोशिश करके ओलंपिक में अपना सारे विश्व में प्रथम या द्वितीय स्थान जल्द से जल्द लेना चाहिए और इसके लिए उन्हें मेहनत करनी पड़ेगी.
क्रिकेट एक बहुत ही लोकप्रिय खेल है. क्रिकेट खेलने से शारिरिक और मानसिक विकास होता है. क्रिकेट के राष्ट्रीय लेवल के खिलाड़ी बहुत अच्छा धन भी कमाते हैं. पब्लिक क्रिकेट के पीछे दीवानी रहती है.
कई लोग अपना सब काम - धंधा छोड़कर टीवी पर क्रिकेट के खेल को देखते रहते हैं. परंतु यह बहुत अच्छी बात नहीं है. हमें अपना काम भी करते रहना चाहिए और थोड़ा बहुत क्रिकेट में इंटरेस्ट भी लेना चाहिए.
आज ही के दिन हम स्वतंत्र हुए थे. आज ही के लिए हमारे वीर क्रांतिकारियों ने कुर्बानियां दी थी.
आइए हम सब संकल्प लें अपने महान क्रांतिकारियों की कि हम उनके दिखाए मार्ग पर चलेंगे. धन्यवाद.
हमारे देश को आजाद करते समय हमारे महापुरुषों ने देश को आजाद कर के यहां रामराज्य स्थापित करने की सोची थी. क्या आपको लगता है कि भारत देश में राम राज्य स्थापित हो पाएगा,? क्या हमारे क्रांतिकारियों की कुर्बानी का रंग लाएगी?
क्या आज की परिस्थिति में आपको लगता है कि भौतिकता वाद की अंधी दौड़ हमें रामराज्य से कहीं दूर ले जा रही है? राम राज्य तभी स्थापित होगा जब हम आध्यात्मिकता और भौतिकता वाद दोनों के बीच समन्वय स्थापित करेंगे. आपकी क्या राय है? कमेंट कीजिए.