मेरी पहली कहानी  Prashant Soni द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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मेरी पहली कहानी 


मेरी पहली कहानी



असल में यह कहानी मेरी नहीं है । और मेरी ही है जी हां मैं सच बोल रहा हु । अब आप सोच रहे हो गए की यह क्या पागल की तरह बात कर रहा है चलो अब छोड़ो आपको खुद पता चल जाएगा की क्या है इस कहानी में और किसकी है यह कहानी । मेरे गांव से थोड़े दुर एक कोपरा नाम का एक गांव है वह पर एक माता का मंदिर है वह एक पर एक गुरु जी भी रहते है मैं मंदिर और गुरु जी से मिलने हर सप्ताह जाया करता हु ऐसा नहीं है की मेरे गांव में मंदिर नहीं है मेरे गांव में भी बहुत अच्छे मंदिर है असल मैं गुरु जी से मिलने जाया करता हु गुरु जी कभी बुजुर्ग है । सब बताते है की उनकी उम्र 120 से भी ज्यादा है और शायद यह सच बात है । गुरु जी उम्र के साथ साथ बहुत ज्ञान भी है । मैं जाता हु पहले भगवान के सामने अपना मस्तक झुका कर फिर गुरु जी साथ कुछ देर बैठा करता और गुरु जी के पास जब भी जाया करता हु गुरु जी हस कर पूछते है की कैसे हो बेटा और घर पे कैसे है और मैं भी हस कर उत्तर दे देता हु की आपकी कृपा आशीर्वाद से सब ठीक है गुरु जी फिर प्रसाद देते है लेकिन उस दिन गुरु जी ने पहले प्रसाद नहीं दिया और बोलने लगे की तुम्हे पहले एक कहानी सुनाते है गुरु जी की इस बात से मैं बहुत खुश हो गया और बोलने लगा की जी बिल्कुल गुरु जी गुरु बोलने लगे की बेटा तुम्हे घर तो नहीं जाना क्योंकि मैं गुरु जी से मिलने शाम को ही जाया करता हु। और उस टाइम ठंड का मोसम चल था तो आप जानते है की ठंड के समय कितनी जल्दी रात , ओर अंधेरा हो जाता है और ठंडी शीत हवा चलने लगती है । लेकिन मुझे न रात का डर न ठंडी किसी चीज का डर नहीं । क्युकी मुझे तो बस गुरु जी से उनके मुंह से पहली कहानी सुनी थी। क्युकी गुरु जी एक ब

बात खास है की गुरु जी कोई से ज्यादा बात नहीं करते गुरु जी भगवान का ध्यान लगा ही शांत बैठे रहते है लेकिन उस दिन गुरु जी ने खुद आगे से बोला के कहानी सुनाने के लिए यह बात मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी । गुरु जी के बारे में मेरे परिवार के बोलते है की वो बहुत महान पुरुष है उनने बहुत साल तपस्या की है उनका जन्म ( यूपी ) में हुआ था ऐसा मेरे परिवार के लोग बोलते है। और गुरु जी पूरे धाम के दर्शन कर लिए वो भी साइकिल से यह कोई आम बात नहीं की कोई मानव अपने जीवन काल में साइकिल से पूरे धाम के दर्शन कर ले। और खास बात यह भी है की गुरु की उम्र कभी ज्यादा है लेकिन वो आज भी फिट है। मुझे तो और भी पता है गुरु जी के बारे में । आगे कभी और अच्छे से बात करेंगे गुरु जी बारे में।

हां गुरु फिर से कहने लगे कि बेटा रात सच में ज्यादा हो रही लेकिन मुझे तो बस उनके मुंह से पहली कहानी सुनी थी। मैने हस कर उत्तर दिया गुरु जी मै अपने मोबाइल की रोशनी से घर चला जाऊँगा अब शायद गुरु जी अच्छे तरीके से समझ गए थे की यह लड़का बिना कहानी के तो घर नहीं जाएगा। इसलिए गुरु जी के मुंह पर जरा सी हंसी आ गई। सच बोलो तो मुझे गुरु जी की हंसी बहुत अच्छी लगती है। मैं जब भी जाता हु तो सोचता हु की केसे गुरु के चेहरे पे हंसी आ सकती हैं। उनके चेहरे पे हंसी देख कर मैं बहुत खुश हो गया और मैने धीरे से बोला की गुरु जी आप कहानी शुरू करें। हां अब गुरु जी ने कहानी शुरू कर दी जिस मंदिर में गुरु जी रहते है वह पर एक छोटे पंडित जी भी रहते है और मंदिर और गुरु जी का एक सेवादार भी वही रहता ही अब छोटे पंडित जी और सेवादार दोनो लोग भी वही आकर बैठ गए अब मुझे और भी अच्छा लगने लगा की गुरु जी की यह कहानी और लोग भी सुन रहे है। शायद अपने अनुभव किया हो जब अपन कहानी सुननाते है । तब जितने ज्यादा लोग हो गए उनता ही अच्छा लगता है। ऐसा मुझे तो लगता है आपको लगता है क्या ? हां फिर गुरु जी ने कहानी शुरू ही कर दी ।

और कहने लगे की आज से बहुत साल पहले एक( यू पी) में श्याम नगर की नगरी थी । वह पर के बहुत बड़े राजा रहते थे । और श्याम नगर उन राजा का ही था राजा बुद्धि बल सब चीज में महान थे। क्योंकि वह अपने काम में और अपनी प्रजा , समाज के लिए बहुत ज्यादा ईमानदार थे । राजा कभी अपने घर और अपनी प्रजा में अंतर नहीं समझते थे । गुरु कहते है की वह राजा महान इसलिए था क्योंकि वह ईमानदार था । शायद यह बात सही हो क्योंकि आपकी महानता ईमानदारी से ही बढ़ती है । मेरा मतलब ईमानदारी से यह नही की आप चोरी , झूठ ना बोले तो आप ईमानदार बन गए जी नही । मेरी नजर से ईमानदार वही है जो अपनी हर चीज,कार्य को ऐसे करे की उसको कोई देख रहा है । देखने का मतलब यह नही की आपको मानव ही देख रहा हो अपन सब के ऊपर एक चीज भगवान है वह अपनी हर कार्य को देखता है। और मेरा चीज से यह मतलब यह नही की आप पढ़ाई ही ईमानदारी से आप कुछ भी करे फिर चाहे खेल हो पढ़ाई ही कुछ भी हो आपको ऐसे करना है जिसे कोई आपको देख रहा है।अब अपन कहानी पे आते है

अरे में भूल ही गया की अपन कहानी में कहा थे। हां याद आ गया की राजा सच में महान था । तो फिर राजा को जगल जाने का बहुत ही मन हो रहा था तो राजा अकेले ही जागल जाने लगा तो वह के सेना पति कहने लगे जी आप अकेले क्यों जा रहे ? तो राजा अपने सेनापति से हंसकर कहने लगे की इस राजा का कोई दुश्मन नहीं है । ना जंगल में ना ही प्रजा में वही पे राजा की धर्म पत्नी भी थी और कहने लगी कि दुश्मन अपने आप बन जाते है। आपके दुश्मन शायद आपको पता नहीं हो लेकिन आपके दुश्मन हो रानी की इस बात से राजा के मन में एक प्रश्न ने जन्म ले लिया और राजा कहने लगे की रानी जी आप कैसे कह सकती हो कि दुश्मन अपने आप बन जाते है। रानी ने राजा के पूछे गए प्रश्न का उत्तर बड़े प्यार से दिया रानी कहने लगी की आप को पता नही आज कल के लोग दूसरों को अपने से आगे बढ़ते देख ही। जलने लगता है और वह सोचता है कि वह कैसे उसके जैसा बन जाए लेकिन आज के युग में हर कोई एक्सा नहीं बन सकता और फिर यही निराशा मानव को दुश्मन बनने में मजबूर कर देता है और रानी की इस बात से मैं शांतुस्क हु। क्युकी मैने कभी किसी मानव को युद्ध करते हुए तो देखा नहीं । चलो मान भी लेते है की आज से बहुत साल पहले युद्ध होते थे तो मेरे मन में फिर एक प्रश्न उठता है की क्यों होते थे ?

जब मैंने अपने बड़े बुजुर्ग से पता किया तो पता चला कि युद्ध इसलिए होते थे की राजा को महाराजा बनना होता था राजाओं को दूसरे राज्य की प्रजा को हराना होता और अब अपना कब्जा करना होता था । और दूसरे राज्य के राजाओं की पत्नी पे अपना कब्जा करना होता था । फिर उस राजा को दूसरा राज्य चाहिए होता था फिर महाराजा बन जाता था । पर सच बताऊं तो मेरी नजर से यह महाराजा यह महाराजा नही है । जब अपने पास सब कुछ है तो क्यों दूसरे लोगों को परेशान करना दूसरे लोगों को परेशान करके यह फिर उनको दावा कर आप महान नहीं बन सकते । अरे अपन गुरु जी की कहानी में कहा थे ? हा रानी की बात खत्म होते ही जंगल को राजा अकेले ही चले गए सेनापति और रानी का प्रयास काम नहीं आया क्युकी राजा को अकेले ही जंगल जाना था। वो कहते है की मिया बीवी दोनों हो राज़ी तो कहो कि क्या करे क़ाज़ी इसका मतलब यह है की राजा और राजा का मन दोनो को अकेले जाना था। राजा जंगल पहुंचते ही जंगल की प्रकृति आनंद उठाने लगे और मन ही मन बहुत खुश हो रहे थे वह प्रकृति के सामने अपने सारे दुख दर्द भूल गए थे। वह जीते जी स्वर्ग का आनंद धरती पे उड़ा रहे थे। लेकिन उनके मन में एक सवाल ने जन्म ले लिया और वह सवाल खुद से पूछने लगे की कुछ न कुछ तो है अपन सबसे परे अपन सबसे महान चीज । नही तो ऐसा कैसे मुमकिन होता है की जानवर , पक्षी , पेड़ पौधे कैसे रहते। यह राजा की बात से मैं भी सहमत हु। क्युकी कही ना कही विज्ञान वी पीछे रह जाता है। राजा घर से जानवर को खाना ले गए थे वो छोटे जानवर को अपने हाथ से खाना और घर से अपना पानी लाए थे वह खिला पिला रहे और मन ही मन बहुत खुश हो रहे उसको ऐसा लग रहा था की दुनिया फालतू मे इतनी परेशान है। अगर कोई दुखी इंसान अपना दर्द प्रकृति को सुनाए तो और भी अच्छा रहे ओर वह अपने सारे दुख दर्द भूल जाएगा इस प्रकृति के आगे। राजा प्रकृति में लीन हो गए थे उनको पता भी नही चला की शाम कब हो गई है और अब जंगल बिल्कुल शांति थी छोटे जानवर भी चले गए थे । अब राजा भी चिंतित हो गए की मुझे इतनी दूर घर जाना है ऊपर से यह शाम हो गई और कोई मेरे साथ नहीं मैं अकेला आया हु। और मुझे भूख प्यास दोनों लगने लगी है। राजा को लेकिन यकीन था कि मेरे साथ कुछ गलत नही हो सकता । क्युकी मैने कभी किसी का गलत नहीं किया ना कभी किसी के लिए गलत सोच रखी इस बात से यह पता चलता है कि राजा को अपने कर्म पर पूरा विश्वास था। और यह सच बात भी है की आपके कर्म की आपको आगे और नीचे ले जाते है श्रीमद्भागवत गीता में भी साफ लिखा है की आपके कर्म ही सब कुछ है। गीता और बूढ़े बुजुर्ग यह तक कहते है की अपने कर्म अपने इस जन्म में पूरे ना हो तो अगले जन्म में तक निकलते है फिर वह कर्म अच्छे हो या बुरे । मुझे आगे जन्म का नही पता लेकिन मैंने इस जन्म में अच्छा और गलत करने वालों को जरूर देखा है की उनके कर्म यही निकलते है। और यह बात राजा को पता थी की उनके कर्म अच्छे है। और राजा अपने श्याम नगर तरफ जाने लगे लेकिन राजा बहुत ज्यादा थक गए थे और राजा को भूख से ज्यादा प्यास लगी हुई थी ऐसा कहते है की खाना ना मिले तो चल जाएगा लेकिन पानी नहीं मिले तो तो मानव ज्यादा देर तक जीवित नहीं रह सकता है। और ऐसा ही राजा के साथ हो रहा था राजा को कही भी पानी नहीं मिल रहा था। लेकिन राजा भी हर मानने वालो में से नही थे । कहते है की मानव अगर जिद पकड़ ले तो फिर भगवान को भी नीचे आना पड़ता है । और राजा ने आखिर में पानी खोज ही लिया और उनके चहरे पे हंसी आ गई और राजा बहुत ही ज्यादा खुश हो गए। राजा से कब इंतजार हो नही रहा था उनको ऐसा लग रहा था की कब पानी पी ले लेकिन पानी कुएं में था और कुएं से पानी निकलना कितना मुश्किल होता है आप सभी जानते है। मेरी नजर से मुश्किल तो कुछ नही होता और सब कुछ होता अब सब आपकी प्रैक्टिस से है । जब अपन किसी किसी चीज को बार बार करेंगे तो वह कार्य अपन को आसान लगने लगे गा और कभी उस कार्य को नही करो ही तो मुश्किल लगेगा । ऐसा ही राजा के साथ हो रहा था राजा ने कभी कुएं से पानी नही निकला था तो उनको यह काम बहुत मुश्किल लग रहा था। लेकिन राजा के आगे महान शब्द इसे ही नहीं लगा था राजा सच में महान था। और हार मानने वालों में से नहीं । राजा ने कुए में से पानी निकल ही लिया और बड़े प्रेम से कुएं का पानी पिया और अपने श्याम नगर तरफ जाने लगे। और राजा को पानी पीने के बाद बहुत शांति मिली और जिस चीज से राजा ने कुएं से पानी निकालकर पानी पिया था। वह चीज (गगरी) अपने श्याम नगर ले जाने लगा उनके मन में एक सवाल आया की यह यहा क्यों राखी है यह जंगल में कौन आता है चलो इसको अपने श्याम नगर ले चलो और वह से उस गगरी को ले गए। शाम को पक्षी, जानवर की आवाज का आनंद लेते हो जा रहे थे उनके श्याम नगर पहुंचने से पहले ही राजा को लघुशंका लगी और राजा को भी लगने लगा की बस श्याम नगर तो पहुंचने वाले है ऐसा करो कि थोड़ा यहीं पे विश्राम कर ले राजा ने लघुशंका की और सोचा की अब थोड़ा विश्राम किया जाए। जिससे ही राजा ने लघुशंका की और वो खुद से प्रश्न करने लगे की मैं इस गगरी को अपने साथ क्यों ले जा रहा हु। राजा भी सोचने लगे की आज तक मेरे मन कभी किसी वस्तु को उठाने चोरी करने का कभी विचार तक नहीं आया और आज अचानक से कैसे हो गया की मैं इस छोटी सी गगरी को अपने घर ले जाने लगा ऐसा क्यों ? राजा अपनी इस छोटी सी हरकत से बहुत परेशान हो गए और राजा ने यह सोच लिया कि मैं इसको अपने राज्य श्याम नगर तो नहीं ले जा सकता और अगर में इसको वापस कुएं पे रहने गया तो काफी समय लग जाएगा लेकिन जैसा की अपन जानते है की राजा बहुत ही ईमानदार है और वो अपने ईमानदारी पर दाग नहीं लगाना चाहता था वह वापस उसी कुएं पर वह छोटी सी गगरी रख आए। लेकिन राजा के प्रश्न का उत्तर नहीं मिल रहा है राजा इस प्रश्न से धीरे धीरे परेशान हो रहे थे की यह गगरी में क्यों ले जा रहा था?

राजा अपने श्याम नगर पहुंच गए और अपनी रानी से पूछने लगे कि ऐसा क्यों हुआ मेरे साथ की मेरा इस छोटी सी गगरी पे मन आ गया।

राजा मन ही मन खुद में उत्तर खोज रहे लेकिन नहीं मिल रहा। कहते है की हर चीज का एक वक्त होता है। वक्त से पहले कोई कुछ नही कर सकता विद्यार्थी जब बड़ा होगा तभी स्कूल जा सकता है। मेरे कहने का मतलब है कि राजा के प्रश्न का उत्तर सही वक्त पे मिले गा। राजा दूसरे दिन अपने राज्य गुरु के पास गए और अपनी घटना बताई उनसे यह प्रश्न पूछने लगे की मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ अब राजा के गुरु मन ही मन हंसने लगे । राज्यगुरु ने अब राजा से प्रश्न किया की महाभारत करवाने में किसका हाथ था ? मानो राजा के मुंह पर इस प्रश्न उत्तर रखा हुआ था राजा ने कुछ सेकंड में उत्तर दिया की मामा शकुनि की वजह से बस गुरु की भी बोलने लगे की तुम्हे प्रश्न का उत्तर मिल गया। राज्यगुरु बोलने लगे कि तुमने जो किया उसके पीछे उस पानी का हाथ था। अब राजा भी समझ गए और अपने गुरु जी का आशीर्वाद लेकर अपने महल को चले गए। राजा ने उसी दिन एक कार्यक्रम रखा जिसे अपने राज्य के सभी प्रजा को बुलाया गया कार्यक्रम में सभी प्रजा का अच्छे से स्वागत किया गया और प्रजा को खाना का न्योता भी रखा गया जिसमें राज्य के पूरे नागरिक आए और खाना का कार्यक्रम खत्म होते ही राजा प्रजा के बीच गए और कहने लगे श्यामा नगर के पास जो जंगल है वहां पर एक कुआं है क्या आप लोग यह पता लगा सकते हैं कि वह कुआं किसने बनाया। जो मुझे यह पता लगाकर देगा उसको मैं सोने की मुद्राएं पुरस्कार में दूंगा अब पूरी प्रजा इस काम में जुट गई लेकिन यह काम इतना भी आसान नहीं था की कोई इसे इतने आसानी से कर ले । अगर यह काम इतना आसान होता तो राजा खुद अपने सेनापति से बोलकर करवा लेता। प्रजा काम में जुट गई और इस बात को काफ़ी दिन हो गए लेकिन कोई पता नहीं लगा पा रही थी। प्रजा ने भी हार मान ली लेकिन कुछ लोग होते है जो कभी हार नही मानते ऐसे ही उन प्रजा में से एक आदमी था। उसने पता लगा ही लिया की किसने यह कुआं बनाया है। जिसने यह कुआं बनाया है उसको राजा के सामने प्रस्तुत किया जब राजा के सामने उस व्यक्ति को प्रस्तुत किया तो पता चला कि वह व्यक्ति पुराना डाकू चोर है अब राजा को उनके प्रश्न का उत्तर मिल गया और राजा को सब समझ आ गया। राजा के मन में यह स्पष्ट हो गया था कि जैसा हम खाते हैं जैसों के साथ रहते हैं वैसे ही हम बन जाते हैं राजा ने कभी चोरी करने का सोचा नहीं था लेकिन उस डाकू ने वह कुआं बनवाया था राजा के पानी पीते हैं राजा के मन में चोरी करने का विचार आ गया और लघुशंका के बाद उनको पता चल गया की गलत कर रहा हु। अब आप मुझे बताएं की गलती राजा की है की पानी की है ?

मुझे तो ऐसा लगता है की गलती पानी की है यह स्पष्ट है कि जैसों के साथ हम रहते हैं वैसे ही बन जाते हैं अच्छे लोगो के साथ रहोगे तो आप अच्छे बनो गए। इस कहानी में इतना तक बताया गया है कि आप बुरे लोगों का एक निवाला भी खाओगे तो आप के अंदर वही बुरी विचारधारा प्रवेश करेगी। कहते है आपके मित्र देख के आपका भविष्य बता सकते है । यह बात सच है

यह कहानी से किसीको को ठेस पहुंची हो तो छोटा भाई समझ के माफ करे ।