मौत का खेल - भाग- 31 Kumar Rahman द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मौत का खेल - भाग- 31

सरप्राइज गिफ्ट


अबीर की कुर्सी को ऊपर जाते हुए राजेश शरबतिया ने देख लिया था। उसने भी यही समझा था कि ये खेल का हिस्सा है। म्यूजिक फिर शुरू हो गया और लोग चेयर के इर्द-गिर्द घूमने लगे। रायना ने अबीर को राउंड में नहीं पाया तो उसे ताज्जुब हुआ। उसने दाएं-बाएं देखा लेकिन उसे वह कहीं नजर नहीं आया। उसने सोचा कि शायद वह खेल से बाहर हो गया है और आसपास ही कहीं होगा।

खेल में अब सिर्फ पांच लोग बचे थे और उनमें रायना अकेली महिला थी। जाहिर बात है कि रायना को चेयर मिलनी ही थी। आखिर में जब दो लोग बचे तो तय हो गया कि रायना ही विजेता होगी। हुआ भी कुछ ऐसा ही। रायना के जीतते ही मेजर विश्वजीत ने उसे गले से लगा लिया। उसने उसे एक चाबी देते हुए कहा, “यह रहा तुम्हारा विनिंग सरप्राइज!”

“क्या है सरप्राइज गिफ्ट?” रायना ने मुस्कुराते हुए पूछा।

“गेस करो!” विश्वजीत ने कहा।

“तुम्हारे किसी बैंग्लो की चाबी... लेकिन ये तो किसी कार की चाबी है।” रायना ने कहा।

“यस! रोल्स रॉयस के कलिनन मॉडल की चाबी है यह!” मेजर विश्वजीत ने कहा।

यह सुनते ही रायना विश्वजीत से चिमट गई।

रोल्स रॉयस कारों का बड़ा ब्रांड है। कलिनन मॉडल की कीमत तकरीबन सात करोड़ रुपये होती है। सोहराब के पास इसी कंपनी की दो कारें हैं। फैंटम और घोस्ट। फैंटम की कीमत तकरीबन साढ़े नौ करोड़ रुपये है।

आर्केस्ट्रा ने अचानक म्यूजिक तेज कर दिया और मिस्री डांसर तेजी से डांस करते हुए मेहमानों के जाम भरने लगी। रायना मेजर विश्वजीत की बाहें पकड़े खड़ी थी। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। रोल्स रॉयस की कार उसका पुराना ख्वाब था। वह आज पूरा हो गया था। वह अबीर को पूरी तरह से भूल चुकी थी। अबीर हवा में टंगा सब कुछ देख रहा था। वह मेजर विश्वजीत को दिल ही दिल में गालियां बक रहा था। वह उस घड़ी को भी कोस रहा था, जब वह इस पार्टी में आने के लिए तैयार हुआ था।

रायना कार देखने के लिए मचल रही थी। मेजर विश्वजीत उसे साथ लेकर चला गया। ऊपर से अबीर ने यह नजारा देखा तो उसे मेजर के साथ ही रायना से भी नफरत होने लगी। इसके बावजूद रायना उसकी मजबूरी थी। एक तो रायना की गिनती सोसायटी की सबसे हसीन तरीन वीमेंस में होती थी। दूसरे उसके पास अबीर से ज्यादा दौलत थी। तीसरी जो सबसे अहम बात थी वह ये कि उसके लिंक्स बहुत हाईफाई थे। वह लिंक्स अबीर के बिजनेस के लिए खासे अहमियत रखते थे। यही वजह थी कि अबीर हमेशा रायना की खुशामद में लगा रहता था।

रायना के मेजर विश्वजीत के साथ चले जाने के बाद राजेश शरबतिया को गम का हलका सा झटका लगा। वह इस गम को गलत करने के लिए मिस्री रक्कासा की कमर में हाथ डाल कर डांस करने लगा। उस पर शराब का हलका सा सुरूर चढ़ गया था। रायना और मेजर विश्वजीत के आने में जितना टाइम लग रहा था। उसका डांस उतना ही लंबा खिंचता जा रहा था।

आखिरकार वह थक कर कुर्सी पर बैठ गया। अचानक उसे अबीर की याद हो आई। उसने छत की तऱफ देखा, लेकिन वहां अबीर की कुर्सी मौजूद नहीं थी। उसकी निगाहें काफी देर तक उसे तलाशती रहीं, लेकिन वह कहीं नहीं दिखा। अलबत्ता उसे रायना अकेले आते हुए नजर आ गई। उसने उठ कर रायना का हाथ पकड़ कर चूम लिया। रायना उसकी इस अदा पर हंसने लगी।


बाल की चोरी


यह एक बड़ा सा हालनुमा कमरा था। इसमें तीनों तरफ बेशकीमती सोफे पड़े हुए थे। मेजर विश्वजीत बैठा सिगरेट पी रहा था। उसके सामने अबीर सर झुकाए बैठा हुआ था। विश्वजीत ने सिगरेट का धुंआ छोड़ते हुए कहा, “तुम्हें क्या लगा था... कि तुम पार्टी के दौरान वीरानी का पुतला फेंकोगे और मैं डर जाऊंगा।”

अबीर कुछ नहीं बोला।

“मैंने अगले दिन सुबह ही जान लिया था कि यह हरकत तुम्हारी है। अभी तुम बच्चे हो। मेरी पूरी कोठी की निगरानी चार ड्रोन चौबीस घंटे करते रहते हैं। अगले दिन सुबह ही सीसीटीवी में तुम्हें देख लिया गया था। मैं चाहता तो तुम्हें अपने भूखे शेर के आगे डलवा देता, लेकिन सिर्फ रायना का लिहाज है।”

मेजर सिगरेट का कश लेने के लिए कुछ देर को रुका फिर उसने कहा, “मैं चाहता तो तुम्हें वहीं पार्टी में सब के सामने जलील करता, लेकिन यह मेरा क्लास नहीं है। जाओ पार्टी इंज्वाय करो और शरीफ बच्चों की तरह पेश आया करो।”

मेजर विश्वजीत के इतना कहते ही जैसे अबीर के पैरों में जान आ गई हो। वह वहां से उठा और तेजी से बाहर निकल गया। कमरे से बाहर निकल कर उसने धीमी आवाज में मेजर विश्वजीत को एक गंदी सी गाली दी और पार्टी हाल की तरफ बढ़ गया।

उसके जाने के बाद भी मेजर कमरे में अकेले बैठा सिगरेट पीता रहा। तभी उसके फोन की घंटी बजी। कॉल उसकी सेक्रेटरी की थी। वह सेक्रेटरी की बात सुनता रहा उसके बाद कहा, “मैं पार्टी के दौरान किसी से नहीं मिलता ये तो तुम्हें पता है न लियाना!”

दूसरी तरफ से कुछ कहा गया। उसके बाद विश्वजीत ने कहा, “ठीक है भेज दो।”

एक व्यक्ति को लेकर लियाना कुछ देर बाद हाजिर हो गई। मेजर ने
उस आदमी को बैठाते हुए कहा, “मिस्टर सोहराब! मैं पार्टी के दौरान किसी से मिलता नहीं हूं। आपकी काफी तारीफ सुन रखी है, इसलिए अपना यह उसूल तोड़ रहा हूं।”

“माई प्लेजर!” इंस्पेक्टर सोहराब ने कहा। उसकी निगाह मेजर विश्वजीत के सामने रखी सिगरेट की डिब्बी पर टिक गई थी। ये भी सोब्रानी ब्रांड की ही सिगरेट थी।

“जी बताइए हमारी कैसे याद आ गई।” मेजर विश्वजीत ने सोहराब से पूछा।

“कुछ खास नहीं। बस आप से कुछ बातें समझना चाहता था। पहले सोचा आपसे ऑफिस में मिल लूं, लेकिन शाम को इधर आना हो गया तो वापसी में सोचा मिलता चलूं।” सोहराब ने कहा।

“सही वक्त पर आए हैं। चलिए हमारे साथ पार्टी इंज्वाय कीजिए।” मेजर विश्वजीत ने कहा।

“जी शुक्रिया, आपकी पार्टी में एक अजनबी के अचानक पहुंचने से खलल पड़ेगा।” सोहराब ने टालते हुए कहा।

“कोई बात नहीं। अगली पार्टी के लिए आप हमारे स्पेशल गेस्ट होंगे। आप को इन्विटेशन मिला जाएगा।” मेजर विश्वजीत ने कहा।

सोहराब मेजर विश्वजीत की जिंदादिली से काफी मुतास्सिर हुआ। इस उम्र में भी उसमें गजब का जोश और हौसला था।

“किस बारे में बात करना चाहते हैं आप?”

“डॉ. वरुण वीरानी के बारे में।” सोहराब ने कहा और गौर से उसके चेहरे के उतार-चढ़ाओ को पढ़ने की कोशिश करने लगा।

“बहुत नेक और शरीफ आदमी था वीरानी। मेरा अच्छा यार था।” मेजर विश्वजीत ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा।

“आपको क्या लगता है, यह महज हादसा था या फिर...!” सोहराब ने जानबूझ कर बात अधूरी छोड़ दी और मेजर के चेहरे के भाव पढ़ने की कोशिश करने लगा।

“क्या कहा जा सकता है! क्योंकि पार्टी में कोई किसी का दुश्मन नहीं था। हम सभी बरसों से पार्टी में शामिल होते रहे हैं।”

“कहीं ऐसा तो नहीं है कि मौत का खेल के बहाने डॉ. वीरानी को टार्गटे किया गया हो?” सोहराब सीधे मुद्दे पर आ गया।

“देखिए मिस्टर सोहराब! मौत का खेल की तजवीज तो मैंने ही पेश की थी, लेकिन ऐसा कोई हादसा हो जाएगा इस बात का यकीन तो मुझे क्या किसी को भी नहीं था।” मेजर विश्वजीत ने कहा। उसने तुरंत ही चौंकते हुए कहा, “जहां तक मुझे याद आ रहा है, उस पार्टी में आप भी तो शामिल थे।”

“जी मैं भी शामिल हुआ था, लेकिन खेल में शरीक नहीं था। मेरी तबयत कुछ ठीक नहीं थी।” सोहराब ने कहा।

“आपकी तहकीकात किस नतीजे पर पहुंची है? आप को क्या लगता है कि डॉ. वीरानी कत्ल किए गए हैं या यह सिर्फ ये एक हादसा भर है?” मेजर विश्वजीत ने पूछा।

“अभी इन्विस्टिगेशन किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है।” सोहराब ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया।

“रायना के डॉ. वीरानी से कैसे ताल्लुकात थे?” सोहराब ने पूछा।

“देखो प्यारे, रायना खुले मिजाज की है। वो जिस सोसायटी को रिप्रजेंट करती है, वहां कुछ भी वर्जित नहीं है। वो डॉ. वीरानी की जिंदगी में भी ऐसे ही जीती थी। उन्हें कभी कोई एतराज नहीं रहा।”

“अबीर रायना से शादी करना चाहता है। कहीं इसके पीछे उसका हाथ तो नहीं?” सोहराब ने सीधा निशाना साधा।

“ये सच है कि अबीर मुझे पसंद नहीं है, लेकिन दोनों की अपनी लाइफ है। जैसा चाहें जिंये। जहां तक अबीर के हाथ का सवाल है। ये मेरे कहने की बात नहीं है। यह आप इन्वेस्टिगेट कीजिए।” मेजर विश्वजीत ने दो टूक कहा।

“सहयोग के लिए शुक्रिया आपका। आपसे मिल कर यकीनन अच्छा लगा।” सोहराब ने उठते हुए कहा।

मेजर विश्वजीत भी उठ खड़ा हुआ और उसने सोहराब से हाथ मिलाया। सोहराब हाथ मिलाते हुए उसके गले लग गया और कहने लगा, “आपकी जिंदादिली और जोश को सलाम मेजर साहब।!”

इस बीच सोहराब ने बहुत फुर्ती से मेजर के कोट पर गिरे एक बाल को उठाकर जेब में रख लिया। इसके बाद वह वहां से विदा हो गया।


*** * ***


मेजर से बातचीत के सोहराब ने क्या नतीजे निकाले?
राजेश शरबतिया की डीएनए रिपोर्ट में क्या निकला?

इन सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़िए कुमार रहमान का जासूसी उपन्यास ‘मौत का खेल’ का अगला भाग...