एक नौजवान युवक ने अपने जीवन यापन हेतु बड़े उत्साह के साथ एक व्यापार की शुरुआत की, परंतु दुर्भाग्यवश कुछ ही समय में किसी बड़े घाटे की वजह से उसका व्यापार बंदी की कगार पर पहुंच गया।
व्यापार की बंदी नौजवान के उदासी का कारण बन गई और काफी समय बीत जाने पर भी उसने कोई और काम नहीं शुरू किया। युवक की इस परेशानी का पता उसके गुरुजन को भी लगा, जो पहले कभी उसे पढ़ा चुके थे। उन्होंने एक दिन युवक को अपने घर बुलाया और पूछा, “क्या बात है आज-कल तुम बहुत परेशान रहते हो और कोई व्यापार भी नहीं करते?”
“बस कुछ नहीं गुरुजी मैंने एक व्यापार प्रारंभ किया था परंतु उस व्यापार में इच्छा अनुसार वृद्धि ना हो सकी और मुझे आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा और मुझे काम बंद करना पड़ा, इसीलिए थोड़ा परेशान रहता हूँ ।” युवक बोला।
गुरुजी बोले, “इसमें इतना घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि व्यापार में इस प्रकार की दुर्घटनाएं तो होती ही रहती है।”
“लेकिन मैंने व्यापार बनाने के लिए कड़ी मेहनत की थी, मैं तन-मन-धन से इस काम में जुटा था, फिर मैं नाकामयाब कैसे हो सकता हूँ।” युवक कुछ झुंझलाते हुए बोला ।
गुरुजी कुछ देर के लिए शांत हो गए, फिर कुछ सोच कर उन्होंने कहा, “बेटा, मेरे पीछे आओ, “टमाटर के इस मरे हुए पौधे को देखो।”
“ये तो बेकार हो चुका है, इसे देखने से क्या फायदा।”, युवक बोला। गुरुजी बोले, “मैंने जब इस पौधे को रोपा था तब मैंने इस पौधे की अन्य पौधों की भांति ही पूरा रखरखाव किया था मैंने इसे समय पर पानी दिया, समय पर खाद डाली, समय पर कीटनाशक का छिड़काव भी किया, परंतु फिर भी यह पौधा ऐसा हो गया।” “तो क्या ?”, युवक बोला।
गुरुजी ने समझाया, “चाहे तुम कितना भी प्रयास क्यों न कर लो, परंतु परिणाम पर हमारा अधिकार नहीं होता। हम उसे तय नहीं कर सकते। बस हम उन्हीं चीजों पर नियंत्रण कर सकते हैं जो हमारे हाथ में हैं, बाकी चीजों को हमें भगवान पर छोड़ देना चाहिए।”
“तो अब मैं क्या करूँ? यदि सफलता की कोई गारंटी नहीं है तो फिर प्रयास करने से क्या फायदा?”,युवक बोला।
“बेटा, बहुत से लोग बस इसी बहाने का सहारा लेकर अपनी जिंदगी में कोई भी बड़ा कार्य करने का साहस नहीं करते कि जब सफलता की निश्चितता ही नहीं है तो फिर प्रयास करने से क्या फायदा !”, गुरुजी बोले।
“हाँ, यदि लोग ऐसा सोचते हैं तो सही ही सोचते हैं। इतनी मेहनत, इतना पैसा, इतना समय देने के बाद भी अगर सफलता केवल एक संयोग मात्र ही है, तो इतना सब कुछ करने से क्या फायदा।”, युवक बाहर निकलते हुए बोला।
“रुको-रुको, जाने से पहले जरा इस दरवाजे को भी खोलकर देखो।” गुरुजी ने एक दरवाजे की तरफ इशारा करते हुए कहा।
युवक ने दरवाजा खोला, सामने बड़े-बड़े लाल टमाटरों का ढेर पड़ा हुआ था। “ये कहाँ से आये ?”, युवक ने आश्चर्य से पूछा।
“बेशक, टमाटर के सभी पौधे नहीं मरे थे। यदि तुम लगातार सही दिशा में प्रयास करते रहो, तो सफलता की संभावनाएं अत्यधिक प्रबल हो जाती है। लेकिन अगर तुम एक-दो प्रयासों के बाद हार मानकर बैठ जाते हो तो तुम्हें जीवन में कोई सफलता प्राप्त नहीं होती।” गुरुजी ने अपनी बात पूरी की।
युवक को अब जीवन में सफलता के रहस्य की बात पूर्ण रुप से समझ आ गई थी। अब वह एक नए जोश और उत्साह के साथ अपने काम में लगने के लिए तैयार था।
सार - जो लोग सफलता प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहते हैं उन्हें आज नहीं तो कल सफलता मिल ही जाती है। याद रखिये कि जीवन की नाकामयाबी ही कामयाबी की तरफ बढ़ता एक कदम होता है।
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