The Author Vishnu Dabhi फॉलो Current Read मायावी सम्राट सूर्यसिंग - 12 By Vishnu Dabhi हिंदी फिक्शन कहानी Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books Avengers end game in India जब महाकाल चक्र सक्रिय हुआ, तो भारत की आधी आबादी धूल में बदल... Bhay: The Gaurav Tiwari Mystery Episode 1 – Jaanogey Nahi Toh Maanogey Kaise? Plot:Series ki... पहली नज़र की चुप्पी - 8 कभी-कभी वक्त के सारे जवाब शब्दों में नहीं होते,कभी-कभी वो बस... दिल का रिश्ता - 5 एक नाम, जो प्यार से जन्मा सुबह की हल्की धूप अस्पताल के कमरे... भूत सम्राट - 6 अध्याय 6: कंकाल-गजसमय: रात्रि 08:15 PMअविन की आँखों के सामन... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास Vishnu Dabhi द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी कुल प्रकरण : 13 शेयर करे मायावी सम्राट सूर्यसिंग - 12 (1.2k) 3k 7.9k सूर्यगढ़मे खुशी का माहौल था। सम्राट की शादी होने वाली थी। गांव के लोग कुछ न कुछ सम्राट के लिए लेकर सम्राट की शादी में आए। एक सप्ताह तक सम्राट की शादी पूर्ण हुई और सब अपने अपने घर पर चले गए। गांव वालो का इतना प्यार देख सूर्या के मन में थोड़ा अभिमान और घमंड का संचार हुआ । सम्राट सूर्यसिंग अब अपनी मन मानी करने लगे । लोगो को धमकाना , कभी कभी पिटवा देना ये सब होने लगा । अपनी जादुई शक्तियों का गलत इस्तमाल करने लगा । अब सूर्यगढ़ के सम्राट के मन में छल कपट के बीज निकले। वो छल कपट से चारो और के राज्य को अपने में मिला ने लगा । अब वो शैतानी वृति वाला बनने लगा। एक दिन गांव में सबको पता चला कि अब सम्राट काफी बदल गई है। वो अब सबको पिटने ,धमकाने और अपनी जादुई शक्तियों का गलत इस्तमाल करने लगे है। उतने में सूर्यसिंग को अरूणा से एक पुत्र हुआ। उनको देखने के लिए सम्राट ने गांव में धंधोरा पिटवाया ।परन्तु गांव में से काफी लोग महेल में नहीं आए। ये देख सूर्यसिंग क्रोध से लाल पीला हो गया । अपने सैन्य के साथ वो गांव में गया और वहा जा के सम्राट ने सभी कर को बढ़ा दिया । धीरे धीरे समय बीतता गया। उसी प्रकार गांव वालो के मन में सम्राट के प्रति द्वेष और असंतोष की भावनाएं जन्म लेने लगी। सम्राट अपनी ऐयासी में गांव के दुख और सूर्यगढ़ जितने बड़े साम्राज्य के दुख को मानो भूल ही गया हो। सूर्यसिंग का पुत्र अमरसिंग अब बहुत बड़ा हो गया था ।साथ में सूर्यसिंग भी काफी बूढ़े हो गए थे। अरूणा कवर ने सूर्यसिंग को मशोरा दिया की अब सम्राट को ये सब अमर सिंग को सौप कर उनको आराम करने की जिंदगी लेनी चाहिए। ये सुन कर सूर्यसिंग ने अपनी सारी जादुई शक्तियों अमर सिंग को देदी। ।।।............ राज्याभिषेक........….।।। गांव और पूरे सूर्यगढ़ में धंधोरा पिटवाया गया की सूर्यसिंग के पुत्र, सूर्यगढ़ के होने वाले सम्राट की आने वाली विजयादशमी की राज्याभिषेक है। पूरे सूर्यगढ़ की सेना और वहा से अलग अलग राज्य के सामंत, ओर प्रजा राज्याभिषेक के दिन उपस्थित थी। अमर सिंग का राज्याभिषेक हुआ। वही पर सूर्यगढ़ की सबसे बड़ी दुश्मन नमीना आ पहुंची। सबसे ज्यादा ताकतवर होने की वजह से उनसे कोई भिड़ने की कोशिस नही करता था । सूर्यसिंग बड़े सम्राट होने की वजह से और नमिना के भाई होने की वजह से उन्होंने कहा की आज के दिन आप यहां से चली जाए। पर नमीना ने कुछ सोचे समझे बिना ही अमर सिंग पर आक्रमण कर दिया। अमर सिंग के पास भी अधिक जादुई शक्तियों भी उसी लिए नमीना ओर अमर सिंग पर के बीच में धमासन युद्ध हुआ । इस मल युद्ध में नमीना के साथ सूर्यसिंग दोनो भाई बहन शहीद हो गए। अब सूर्यगढ़ में सुख और शांति का संचार हुआ। बहुत वर्षो तक सम्राट ने सूर्यगढ़ पे राज्य किया बाद में अमर सिंग और बलदेव भानु के साथ हुए युद्ध में सूर्यगढ़ हार गया ओर वहा से सूर्यगढ़ का अंत हुआ। इस कथा में दिए गए पात्र और सभी घटनाएं काल्पनिक है। ‹ पिछला प्रकरणमायावी सम्राट सूर्यसिंग - 11 › अगला प्रकरण मायावी सम्राट सूर्यसिंग - चेप्टर 2 - भाग 1 Download Our App