The Author Vishnu Dabhi फॉलो Current Read मायावी सम्राट सूर्यसिंग - 11 By Vishnu Dabhi हिंदी फिक्शन कहानी Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books द्वारावती - 71 71संध्या आरती सम्पन्न कर जब गुल लौटी तो उत्सव आ चुका था। गुल... आई कैन सी यू - 39 अब तक हम ने पढ़ा की सुहागरात को कमेला तो नही आई थी लेकिन जब... आखेट महल - 4 चारगौरांबर को आज तीसरा दिन था इसी तरह से भटकते हुए। वह रात क... जंगल - भाग 8 अंजली कभी माधुरी, लिखने मे गलती माफ़ होंगी,... My Devil Hubby Rebirth Love - 51 अब आगे मैं यहां पर किसी का वेट कर रहा हूं तुम्हें पता है ना... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास Vishnu Dabhi द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी कुल प्रकरण : 13 शेयर करे मायावी सम्राट सूर्यसिंग - 11 (3) 2k 6.8k इस और राक्षस राजा अपनी मोज में जुट गया था। वो युद्ध की तैयारी छोड़ ऐयासी में डूब गया। ओर वो युद्ध को भूल ही गया था । अब राक्षस राजा की सेना उनसे घ्रेणा करने लगी थी की थोड़े दिनों बाद होने वाले युद्ध की राजा को कोई परवा नहीं है। ओर इस और सूर्यगढ़ में सभी सेना पति और सैनिकों की जोर शोरो से युद्ध की तैयारी देख कर लगता था की वो अब ये जीत कर ही मानेंगे। धर्मदेव और सुल्ताना–ए– सूर्यगढ़ मित्रा के पुत्र सूर्यसिंग को अब एक सेना के साथ तैयार हो गई । ।।।............… महायुद्ध.............. ।।। चिल द्वारा राक्षस राजा को संदेशा कहलवाया कि तुम्हारी पूरी सेना के साथ तैयार हो जाओ अब होनेवाला है युद्ध । ये सुन कर राक्षस राजा ने अपने सेनापति द्वारा सूर्यसिंग संदेशा कहलवाया कि तुम और तुम्हारी पूरी सेना हमारे सामने टिक नहीं पाएगी। हम तुम सबको चिटिकी तरह मसल कर रख देंगे। ये सब बाते वाते पूर्ण होने के बाद दोनो ओर से पांच आक्षोहिनी सेना युद्धे चढ़ी। महायुद्ध का पारंभ हुआ उसमे सूर्या का विकराल रूप राक्षस राजा के सेना का सहार कर रहा था । सूर्या अपनी जादुई शक्तियों से बिजली छोड़ रहा था उसमे राक्षसों का वध हो रहा था । चारो ओर राक्षसों के सब गिर रहे थे । बहुत दिनों की तैयारी ने अब अपना रंग दिखाना शुरू किया था। एक दिन पूरा हुआ ।दूसरा,तीसरा और ऐसे करके पंदर दिन तक युद्ध चलता रहा आखिर में सूर्या का विजय हुआ किंतु इस युद्ध में बोतल का जिन शहीद हुए। युद्ध के परिणाम और सर्त मुताबित राक्षस राजा का राज्य सूर्या को मिला । सबको पता चला कि सूर्या और कोई नहीं परन्तु अपने ही राज्य का होने वाला राजा है ।ये समाचार हवा की तरह पूरे सूर्यगढ़ में फेल गया । दूसरे दिन सूर्या का राज्याभिषेक होने वाला था। राज्याभिषेक के समय पर सब गांव वासी उपस्थित थे । लोगो ने धूम धाम से सूर्या का राज्याभिषेक किया । अब सूर्या सूर्या में से मायावी सम्राट सूर्यसिंग बन गया था। सूर्यगढ़ में शुभ अवसर के साथ सुख और शांति आने लगी । अब सूर्यगढ़ के सम्राट की शादी की बात होने लगी। दूर दूर से अच्छी अच्छी लड़किया के मांगे आने लगे। एक दिन सम्राट आखेट पर निकले वो मुर्ग के पीछे दौड़ते दौड़ते कब सूर्यगढ़ की सीमा से बाहर निकल गई उसका पता खुद को ही नही चला । वो दौड़ते दौड़ते एक बगीचे में पहुंच गए। अब सूर्यसिंग को प्यास लगी वो चारो ओर पानी खोजने लगे वही पर वहा की शहजादी अरूणा कवर पोधो को पानी पिला रही थी। सम्राट ने वहा से पानी पिया । साथ में वो शहजादी के रूप में मोहित हो गई। सम्राट काफी थके हुए थे । अपने प्राण के लिए उन्होंने अपनी पहचान छुपा दी। एक दिन रुक ने के बाद वो फिर से अपने राज्य वापस आए । ओर सबको अरूणा कवर के बारेमे बताया। सूर्यगढ़ के मंत्री अपनी टुकड़ी के साथ मगदबाद पहुंचे । ओर वहा के राजा को पूरे परिवार के साथ सूर्यगढ़ में बुलाया गया। सूर्यगढ़ में पहुंचते ही अरूणा कवर स्तंभ सी रह गई। उन्होंने देखा की इतने बड़े सूर्यगढ़ के सम्राट और कोई नहीं परन्तु जिसको उन्होंने पानी पिलाया था वही है। बाद में अली खान ने अरूणा के पिता से बात की ओर सूर्यसिंग का रिश्ता पक्का किया । ‹ पिछला प्रकरणमायावी सम्राट सूर्यसिंग - 10 › अगला प्रकरण मायावी सम्राट सूर्यसिंग - 12 Download Our App