अपमान मत करना नारियोंं का,
इनके बल पर जग चलता है
पुरूष जन्म लेकर तो
इन्ही के गोद में पलता है
आज हमारा देश गणतंत्र है, देश मे लिखित संविधान भी है, स
मस्त कार्य संविधान में संग्रहित नियमों के हिसाब से ही संचालित होता है।
संविधान में समस्त नागरिको को विचार अभिव्यक्ति और अपने हिसाब से रहने की स्वतंत्रता है ,पर हमारे समाज में नारियों के लिए यह मान्यता नही है आज भी हमारे समाज में पितृसत्ता और घर का प्रमुख आदमी ही होता है। नारी समाज का अभिन्न अंग है, कहते हैं जिस स्थान पर नारी का सम्मान होता है वहा के वातावरण में देवी देवताओ का निवास होता है जिससे व्यक्ति के अन्दर सकारात्मकता भी बनी रहती है ।
:-वर्तमान समय में ऐसा कोई स्थान नही जहाँ नारियो ने अपना परचम न लहराया हो। देश से लेकर विदेशो तक पुरूषो की भाति उन्होने अपने देश को उच्चस्तरीय तक प्रदर्शित कर दिखाया है,
शिक्षा, राजनीति, व्यापार, खेल, अंतरिक्ष हर क्षेत्र में समान प्रतिभागी है। वे कुशल डॉक्टर, इंजीनियर, आई.ए. एस. अफसर तथा पुलिस की बड़ी नोकरियो एवं सेना में काम कर रही है ।
व्यवसाय एवं व्यापार जैसे पुरुष एकाधिकार वाले क्षेत्र में जिस प्रकार महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है वो काबिले तारीफ है, इस परिपेछ्य में इंदिरा नूई , चंदा कोच्चर, चित्रा रामाकृष्णन, अनीता कपूर, अरुंधति भट्टाचार्या, आशु सुयश आदि के नाम प्रसिद्ध हैं।
प्राचीनकाल में नारी की शक्ति की पहचान अपाला, घोषा जैसी विदुषी महिलाओं से होती है ये सभी सिर्फ अपने ज्ञान के चलते ऋषिकाओ के नाम से जानी गयी, क्या करू वर्णन नारी शक्ति इतना साहस इतनी सहनशीलता रानी लक्ष्मीबाई की वीरता के बारे में कौन नहीं जानता जिस ने सिर्फ अपने साहस के बल पर अंग्रेजो के दांत खट्टे कर दिए।
इतना सबके बावजूद भी आज हमारे देश में महिलाए सुरक्षित नहीं ,दिन प्रतिदिन महिला से छेडछाड़ ,अभद्रता की खबर आती रहती है । जिस देश में देवियो की आराधना होती है उसी देश में हर एक दिन दुष्कर्म की खबर आती है।
ये हमारी निकृष्ट सोच को प्रदर्शित करता है कि किस तरह हम नारियो को भोग विलास की वस्तु समझते है। आज की नारी घर के कामकाज के अलावा पढ़ लिख कर दोहरी जिम्मेदारी निभा रही है घर के कामकाज ओर नोकरी करना नारी के लिए दाएं हाथ का काम है। फिर पुरुष क्यों नहीं समझता कि जो नारी अपने घर अपन बच्चेे ओर अपने परिवार के लिए अपना पूरा जीवन दे देती है। तो उसका सम्मान करे ना की अपमान ! छोटी बच्चियों जो कि देवी का रूप होती है। तो उसे उसी रूप में स्वीकारे। ना कि अपनी मानसिकता को गिरा कर ऐसे काम करे कि बाद में न्याय और माफी की कोई गुंजाइश ही ना बचे ऐसे गिरे हुए लोगो को अपनी मानसिकता बदलनी होगी।
2:- सभी महिलाओं की स्थिति सही नही है , हमारे देश की कुल जनसंख्या का 48% महिलाओ की संख्या हैं ,लगभग 66 crore । लेकिन शिक्षित महिलाओं की संख्या 36-38 crore ।और इन शिक्षित महिलाओं में से मात्र 14 crore ऐसे हैं जो बेरोजगार नही हैं। इसी कारण नारियों को जगह - जगह दबाया जाता है, अपमान किया जाता है ,दासियो की तरह व्यवहार किया जाता है, और नारी इसे चुपचाप सहन कर लेती है । इसका मुख्य कारण अशिक्षा ही है । हमारे देश में महिला साक्षरता 60 % ।
अतः हमारा कर्तव्य बनता है कि हम अपनी सोच बदले, सभी महिलाओं को समान अधिकार और कन्धे से कन्धा मिलाकर चलने का मौका दे ।
महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने के लिए सरकार तरह-तरह के प्रयास कर रही है. एक तरफ जहां विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उन्हें स्वावलंबी बनाया जा रहा है, तो दूसरी तरफ विभिन्न तरह के पुरस्कार प्रदान कर उन्हें सराहनीय कार्यों के प्रेरित और प्रोत्साहित किया जा रहा है. नारी शक्ति पुरस्कार भी एक ऐसा ही पुरस्कार है