Ahsaas pyar ka khubsurat sa - 66 - last part books and stories free download online pdf in Hindi

एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 66 - अंतिम भाग



पंडित जी की , सुनयना जी से कही बात , अब सच हो चुकी थी । कायरा आरव के जीवन में , अब पूर्णतः शामिल हो चुकी थी , एक अहम हिस्सा बनकर । ऐसा नहीं है , कि ये दोनों एक दूसरे के जीवन में , पहले शामिल नहीं थे । थे...., दोनों ही शामिल थे...., पर न के बराबर । क्योंकि अभी से पहले तक , दोनों ही साथ होकर भी दूर थे , दोस्त होकर भी अजनबी से थे । निगाहों में उमड़ते प्यार के बाद भी , दोनों मुक्कमल प्यार से कोषों दूर थे । पर अब...., शब्दों के दोनों के इज़हार में शामिल होने के बाद , ये दोनों भी एक दूसरे के जीवन में पूर्णतः शामिल हो चुके थे ।

बहुत देर तक दोनों एक दूसरे के गले लगे रहे । और बारिश का तो पूछिए ही मत....., ऐसे बरस रही थी , जैसे हद से ज्यादा खुश हो , इनके दिलों का मिलना देखकर । और मौसम और हालात देख कर , ये बखूबी समझ आ रहा था , जैसे प्रकृति ने इन दोनों को मिलाने के लिए ही , ये सारी प्लानिंग रची थी ।

कुछ देर बाद आरव को अपनी हथेली पर दर्द महसूस होने लगा , क्योंकि अब उसके दिल का दर्द कम हो चुका था , इस लिए अब उसे चोट का दर्द भी महसूस होने लगा था । जब उससे सहा नहीं गया , तो हल्की सी आह निकल गई उसके मुंह से । ये सुन कायरा होश में आई और उसे याद आया, कि आरव के हाथ पर चोट लगी है । वह तुरंत आरव से अलग हुई और उसका हाथ अपनी हथेली में लेकर , उसपर फूंक मारने लगी । और फिर आरव से कहा ।

कायरा - दर्द हो रहा है...???? ( उसके सवाल का कोई जवाब नहीं आया , तो उसने आरव की तरफ देख तुरंत कहा ) दर्द हो रहा है आरव आपके हाथ.....।

फिर एक दम से रुक गई , क्योंकि आरव उसकी आवाज़ से बेखबर , बस उसे ही निहार रहा था । उसे कायरा का उसके प्रति परवाह करना अच्छा लग रहा था, जिसे देख वह कायरा की मासूमियत में एक बार फिर खो गया था । आरव को खुद को निहारते देख , कायरा ने आरव की बांह पर हल्की सी चिमटी काटी । और अपनी बांह पर चिमटी महसूस होते ही , आरव जोर से चिल्लाते हुए दो फुट ऊपर उछलकर खड़ा हो गया और तुरंत कहा ।

आरव - ये क्या कर रही हो तुम...???

उसे ऐसे बंदर की तरह उछलकर खड़े होते देख , कायरा की हंसी छूट गई और वह पेट पकड़ कर जोर - जोर से हंसने लगी । एक पल को तो आरव उसकी इस हंसी में दोबारा खो गया , लेकिन जब उसे महसूस हुआ , कि कायरा उसी पर हंस रही है , तो वह झेंप गया । और मुंह बनाकर उससे बोला ।

आरव - अब ये इतना गला फाड़ - फ़ाड़ कर हंस क्यों रही हो , जोकर देख लिया क्या...??

कायरा ( हंसते हुए मुंह पर हाथ रखकर बोली ) - जोकर नहीं , बंदर देख लिया ।

आरव ( पूरे रूम में देखते हुए ) - कहां देख लिया...??? यहां तो कहीं नहीं है और इतनी रात में बंदर कैसे आएगा , वो भी इतनी बारिश में...???

कायरा ( उसकी तरफ इशारा कर ) - वो...., वो है बंदर । इतना बड़ा , छः फुट छः इंच का बंदर ।

और फिर वह दोबारा हंसने लगी । पहले तो आरव समझ नहीं पाया और वह अपने पीछे देखने लगा , कि कहीं उसके पीछे कोई हो और उसे कह रही हो कायरा । फिर उसे याद आया , उसके और कायरा के अलावा इस पूरे ऑफिस में कोई नहीं है । वह मन ही मन बोला ।

आरव - इसका मतलब ये मुझे बंदर बोल रही है ...!!!! मतलब मैं इसकी नज़र में बंदर हो गया ...!!!???

सेकंड लाइन सोचते ही आरव कायरा को खा जाने वाली नजरों से घूरने लगा । जबकि कायरा को उसका गुस्से से फूला हुआ चेहरा देख अब और ज्यादा हंसी आने लगी । जब कायरा की हंसी बंद ही नहीं हुई , तो आरव ने उसे घूरकर देखते हुए कहा ।

आरव - मैं तुम्हें बंदर कब से लगने लगा...???

कायरा ( तपाक से ) - अभी से..।

आरव - व्हाट डू यू मीन ...., अभी से...????

कायरा ( उसे याद दिलाती है ) - अभी जब मैंने आपको हल्की सी चिमटी काटी , तब आप ऐसे उछले जैसे बंदर हों। इस लिए आप तब से बंदर हो गए ।

आरव ( झेंप कर ) - इतनी जोर से तुमने वो....., वो.....।

कायरा ( उसे याद दिलाती है ) - चिमटी...।

आरव ( उसके पास आकार सोफे पर बैठकर ) - यस...., वो चिमटी ...., इतनी जोर से काटी थी तुमने , कि कोई भी ऐसे ही जंप करता । कहां से सीखा तुमने ये सब..???

कायरा ( उसे देखकर ) - आरव...., आर यू सीरियस.., आपको नहीं पता चिमटी काटने के बारे में..??

आरव - भूल गया था , बचपन में ये सब अंशिका भी खेलती थी और ऐसे ही परेशान करती थी मुझे , पर अब तुम्हारी ये हरकत देखकर याद आ गया ।

कायरा उसकी बात सुनकर दोबारा हंस दी और आरव भी उसे देखकर मुस्कुरा रहा था । फिर वह थोड़ा सा सीरियस हो गया और उसने कायरा का हाथ पकड़ कर , अपनी हथेलियों के बीच रख कर कहा ।

आरव - कायरा...., ( उसे इतना सीरियस तरह से बात करते देख , कायरा शांत हो गई और उसकी तरफ देखने लगी ) क्या सच में अब भी तुम्हारी दादी उस बचपन की झूठी शादी को मानती हैं...??? क्या सच में वो अब भी उस लड़के का वेट करती हैं , जिससे तुम्हारी शादी उन्होंने करवाना चाही थी ।

कायरा ( उसकी हथेली पर हाथ रख रखकर बोली ) - सच सुनना चाहते हैं या फिर बहाना???

आरव - सच...।

कायरा ( उसकी आंखों में देखकर ) - यस आरव...., वो अब भी उस लड़के का वेट करती हैं । जबकि पापा और मम्मा उन्हें कई बार समझा चुके हैं । उस शादी को वे अब भी सच माने बैठी हैं । जबकि बिना समझ के हुई शादी..... , शादी साबित हो ही नहीं सकती । पर मैं खुशनसीब हूं , कि मुझे मम्मा पापा जैसे पैरेंट्स मिले , उन्होंने कभी इस शादी को सच नहीं माना और हमेशा मेरे भले के बारे में सोचा । आई एम डैम श्योर...., वो कभी मेरी खुशी और मेरे उज्जवल भविष्य के आगे ऐसी कोई झूठी शादी और ऐसे रीति रिवाज नहीं मानेंगे , जहां अनजाने में....., नासमझी में मांग में भरा गया सिंदूर , किसी लड़की की जिंदगी का फैसला कर सके ।

आरव ( उसके हाथ को मजबूती से अपने हाथ पर कसते हुए ) - मैं भी ऐसी शादी को नहीं मानता , जो तुम्हारे भविष्य के साथ खिलवाड़ करे और तुम्हें न चाहते हुए भी माननी पड़े ।

आरव की बात सुनकर कायरा के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कुराहट और आखों में पानी आ गया । जब आरव ने ये देखा , तो उसके गालों पर लुढ़के आसूं अपने हाथ से साफ करते हुए बोला ।

आरव - मैं ये नहीं कहूंगा कायरा , कि मैं तुम्हारी आंखों में कभी आसूं नही आने दूंगा , क्योंकि आसूं दो वजहों से आते हैं , एक दुख और दूसरा खुशी । इस लिए जब - जब तुम्हारे आखों में खुशी के आसूं होंगे , मैं कभी उन्हें नहीं रोकूंगा । पर हां...., ये कोशिश हमेशा करूंगा , कि मेरे रहते तुम्हें कभी दुख तकलीफ के आसूं न बहाना पड़े । ये वादा है मेरा तुमसे , क्योंकि अब मैं तुम्हें सिर्फ खुश देखना चाहता हूं , दुखी होकर आसूं बहाते हुए नहीं ।

इतना कहते हुए आरव ने उसके गाल पर हाथ रखा , तो कायरा ने भीगी पलकों से उसका हाथ थाम लिया और बोली ।

कायरा - मैं भी वादा करती हूं आरव , आपकी कोशिश में मैं हमेशा साथ दूंगी ।

इतना कहकर कायरा एक बार फिर उसके सीने से लग गई । और आरव ने उसे अपने सीने में छुपा लिया । कुछ पल बाद कायरा उससे अलग हुई , तो आरव ने कहा ।

आरव - कायरा...., मुझे भूख लगी है ।

कायरा ( मुंह लटकाकर ) - मुझे भी ...।

आरव ( उसे देखकर ) - मतलब तुमने भी पार्टी में डिनर नहीं किया था...???

कायरा ( उसे देखकर ) - और आपने भी नहीं किया था..???

आरव ने न में सिर हिला दिया , फिर दोनों अपनी बेवकूफी पर हंस दिए , कि देखो इतनी बड़ी पार्टी से आ गए , लेकिन पेट पूजा तक नहीं की ।

आरव - तो अब क्या करें..???

कायरा - हमारे पास कैंटीन के किचेन की चाबी हैं..???

आरव - हां...., है तो...। लेकिन अब तुम ये मत कहना , कि हम अब इतनी रात में खाने के लिए कुछ बनाएंगे ।

कायरा - उसके लिए पहले कुछ बनाने लायक होना भी तो चाहिए ।

आरव ( अपने रूम में छोटे किचन की ओर इशारा कर ) - अरे मेरे इस छोटे से किचेन में कुछ तो होगा न खाने को ।

कायरा ( मुंह बनाकर ) - खाली पड़ा है पूरा , पानी के सिवा और कुछ नहीं है ।

आरव ( उसे सवालिया निगाहों से देखकर ) - तुम्हें कैसे पता..????

कायरा - अभी आपके लिए पानी लेने गई थी , तब देखा था । खाली था पूरा ।

आरव - तो अब..???!!!

कायरा - पहले वाला आइडिया ही अपनाते हैं , ( सोफे से उठते हुए ) चलिए...., चाबी दीजिए और मेरे साथ किचन में चलिए , वहीं कुछ देखते हैं , अगर खाने या बनाने लायक कुछ बचा हो तो ।

आरव उठ खड़ा हुआ और चाबी लेकर कायरा के पीछे - पीछे चल दिया , क्योंकि और कोई ऑप्शन तो था नहीं। दोनों ने अपने - अपने फोन उठाए और कैंटीन की तरफ बढ़ गए ।

राजवीर के घर में राजवीर आधी रात को जोर से ठहाके मार - मार कर हंस रहा था । उसकी हंसी किसी जानवर या कहा जाए , शैतान की तरह लग रही थी । सब गहरी नींद में सो रहे थे , इस लिए किसी को उसकी आवाज़ सुनाई नहीं दे रही थी । पार्टी से आने के बाद से राजवीर अपने रूम में ही था । उसके हाथ में उसका मोबाइल था और वह उससे कनेक्ट किए ईयर बर्डस को अपने कानों से लगाए , कुछ सुन रहा था । हंसते हुए उसने खुद से कहा ।

राजवीर - आखिर मेरा प्लान सक्सेस हुआ , कायरा की कमजोरी मेरे पकड़ में आ ही गई ।

ये सोच वो और हंसने लगा । उसे याद आया , पार्टी हॉल में जब वह कायरा से टकायरा था , तब राजवीर ने क्या किया था।

कुछ समय पहले पार्टी हॉल में .......,

राजवीर को उसके वकील दोस्त ( जिसका जिक्र आरव ने रेहान से किया था ) , करण ने ...., बताया था , कि जिस बर्थडे और बिजनेस पार्टी का उसके घर इन्विटेशन आया था , वहां कायरा और आरव का आना तय था । ये सुनते ही राजवीर का दिमाग तेज़ चलने लगा था । पार्टी हॉल में एंटर होते ही उसने सबसे पहले कायरा और आरव को ढूंढा । तब वो दोनों डांस कर रहे थे । ये देख राजवीर के सीने में आंग सुलग गई , जिसे उसने इस वक्त शांत रखना ही बेहतर समझा । तभी आरव जूस कॉर्नर की तरफ चला गया , और कायरा उसके पीछे - पीछे आई । तो जान बूझकर राजवीर उससे टकरा गया । कायरा का फोन गिर गया और वह राजवीर को देख जाने लगी । तभी राजवीर ने कायरा की नजरों से बचकर , कायरा का मोबाइल उठाया और उसमें एक छोटी सी, अपनी शर्ट की जेब से निकालकर, स्पीकर चिप लगाई , जो कि बिना मोबाइल नेटवर्क के भी काम कर सकती थी । उसने जान बूझकर कायरा को आवाज दी और फिर उसे फोन दिया । राजवीर ने ये सब इतनी स्पीड से किया था , कि किसी प्रोफेशनल इंसान के अलावा , कोई उसकी इस हरकत को नोटिस कर ही नहीं सकता था ।

घर आकर उसने अपने मोबाइल से उस चिप को एक्टिवेट कर दिया था । और फिर थोड़ी देर पहले हुई छत पर कायरा और आरव की कन्वर्सेशन छोड़कर , उसने उनके बीच की बाकी सारी कन्वर्सेशन सुन ली थी । जिसमें कायरा का अतीत और दोनों का इजहार भी शामिल था ।

वर्तमान में .....,

राजवीर - क्या सोचा था तुम लोगों ने , राजवीर इतना कच्चा खिलाड़ी है , जो यूं ही शांत बैठ जाएगा , अपनी हार देखकर । नहीं ...., राजवीर ने अगर एक बार कुछ ठान लिया , तो वह तब तक शांत नहीं बैठता , जब तक वह अपने मकसद को अंजाम नहीं दे देता । और अब तो मेरे पास कायरा की बहुत बड़ी , इनफार्मेशन हाथ लगी है । जिसे मैं वक्त आने पर जरूर यूज करूंगा । सॉरी कायरा..., पर तुम्हें तो अब बहुत कुछ झेलना ही होगा । आरव ने तुमसे , तुम्हारी आखों में कभी दुख के आसूं न आने का वादा किया है न , तो सुनो...., एक वादा मैं तुमसे करता हूं...., मैं जब तक जिंदा हूं तब तक तुम्हें और आरव को चैन से नहीं बैठने दूंगा । मेरी इंसल्ट की थी न , तुम दोनों ने मिलकर , अब उसका भुगतान तो तुम दोनों को करना ही पड़ेगा । और आरव , तुम ये तो बहुत अच्छे से जानते हो...., कि राजवीर जब किसी को पाने की चाहत रखता है , तो उसके लिए फिर उसकी चाहत के अलावा और कोई मायने नहीं रखता । खुशी दी से मैं बहुत प्यार करता हूं , उन्हें कभी कोई तकलीफ नहीं पहुंचाऊंगा , लेकिन तुम्हें मेरे रास्ते में आने की सजा जरूर दूंगा , भले ही तुम उनके परिवार के सदस्य ही क्यों न हो । क्योंकि राजवीर अपनी बेज्जती कभी नहीं भूल सकता ...., कभी भी नहीं । और आरव , तुम्हारी कमजोरी कायरा है...., मैं जितना उसे तकलीफ दूंगा , उतनी ही तकलीफ तुम्हें महसूस होगी । इस लिए तुम्हें कुछ नहीं करुंगा , पर तुम्हारी कायरा को जरूर कभी चैन से नहीं रहने दूंगा । तुम दोनों ही अब राजवीर की साजिशों का सामना करोगे , एंड आई बेट यू आरव शर्मा...., कायरा को मैं पा कर रहूंगा , और उसे पाने के लिए मुझे चाहे जो करना पड़े , मैं करूंगा । लेकिन उसे कभी तुम्हारी नहीं बनने दूंगा ...., अपने घर में उसे शो पीस की तरह सजाऊंगा , लेकिन तुम्हारे घर की मर्यादा उसे कभी नहीं बनने दूंगा । भले ही तुमने इज़हार की मंजिल जीत ली हो , लेकिन कायरा को तुम्हारी तो मैं कभी नहीं बनने दूंगा , अगर वो किसी की बनेगी , तो सिर्फ मेरी...., सिर्फ और सिर्फ मेरी ।

इतना कहकर वह फिर से जोर - जोर से हंसने लगा । उसने मोबाइल बेड पर पटक दिया और फिर वहीं हंसते - हंसते सो गया ।

ऑफिस के कैंटीन में कायरा और आरव कैंटीन के किचेन में थे । वहां उन्होंने पूरा कैंटीन छान मारा था , पर उन्हें बना बनाया खाना नसीब नहीं हुआ था । सिर्फ सूखा पोहा , और कुछ पैकेट मैगी और कुछ बेसिक कच्ची सब्जी के अलावा , और कुछ भी नहीं मिला था । ये देख आरव ने कहा ।

आरव - यहां तो कुछ भी नहीं है ।

कायरा ( उसकी तरफ मुस्कुराकर देख बोली ) - बना हुआ फूड नहीं है , बट ( मैगी और बाकी सामान की तरफ इशारा कर ) ये सब तो है । मैं फटाफट इन्हें बना देती हूं ।

आरव - पर इस वक्त ...., इन सबसे पेट भरेगा...????

कायरा - अब इसके अलावा और कोई ऑप्शन भी तो नहीं है हमारे पास..!!!!

आरव - लेकिन तुम बनाओगी कैसे...??? लाइट तो है नहीं , इंडेक्शन कैसे यूज करोगी..???

कायरा ( किचन की तरफ फ्लैश लाइट घुमाते हुए ) - तो क्या गैस सिलेंडर भी नहीं है..???

आरव - ये तो मुझे नहीं पता , आओ देखते हैं ।

दोनों उस तरफ गए , जहां खाना बनाया जाता था । कुछ पल बाद उन्हें गैस चूल्हा मिल गया । और ये देख कायरा और आरव के चेहरे खुशी से खिल गए ।

कायरा - अब आप बाहर टेबल पर बैठिए , मैं आपके लिए ये नाश्ते वाला डिनर तैयार करके लाती हूं ...।

आरव ( मुस्कुराते हुए ) - अच्छा नाम रखा है , लेकिन मैडम ...., मैं कहीं नहीं जाऊंगा , बल्कि तुम्हारी हेल्प कराऊंगा। ।

कायरा - आपसे आता है किचन का काम...???

आरव - हां....., काम चलाऊ आ जाता है ।

कायरा - तो ठीक है , आप यहीं बैठकर ये सब्जियां काट दीजिए ।

आरव ने अदब के साथ उसे उसकी बात मानने का इशारा किया , और वहीं किचन में रखी टेबल पर कुर्सी खिसकाकर बैठ गया । और उसने चाकू उठाई और प्याज पर चलाने लगा । लेकिन हाथ में लगे होने के कारण , वह प्याज काट ही नहीं पा रहा था , क्योंकि चोट वाला हाथ राइट हैंड था , और लेफ्ट हैंड से उससे चाकू चलाते तक नहीं बन रहा था । उसके राइट हैंड से चाकू छूट रही थी और उसे हथेली पर दर्द भी महसूस हो रहा था । कायरा उसे ही देख रही थी । उसने तुरंत आकर आरव से चाकू और सब्जियां ली और कहा।

कायरा - रहने दीजिए , आपसे नहीं होगा ।

आरव - अरे...., लेकिन मैं कर तो रहा हूं ।

कायरा ( उसकी हथेली की तरफ इशारा कर ) - ऐसे...!!!!

आरव ( मुंह बनाकर ) - सॉरी.....।

कायरा ( वापस गैस चूल्हे के पास आकर बोली ) - अपना सॉरी अपने पास रखिए....। जब हाथ में दर्द हो रहा है , तो मुझसे कहा क्यों नहीं …...???? जबरदस्ती के सुपर हीरो बनना है आपको तो ।

आरव ( अपना कॉलर उठाते हुए ) - इसमें बनने की क्या बात है , वो तो मैं ऑलरेडी हूं ।

कायरा ( उसकी तरफ पलटकर ) - अच्छा...???!!!

आरव ( उसे देखकर ) - इसमें कोई शक थोड़े हैं , मैं तो सुपर हीरो हूं ही ।

कायरा ( कढ़ाई में सब्जियां पकाते हुए ) - रहने दीजिए..., अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना अच्छी बात नहीं।

आरव ( उठकर उसके पास आते हुए बोला ) - तुम तो बड़ी अजीब हो , अपनी तारीफ करने में हर्ज कैसा...???

इतना कहते हुए आरव कायरा के करीब आ चुका था , जिसका उसे भी आभास नहीं था । कायरा एक बर्तन में मैगी उबाल कर , आरव को जवाब देने के लिए पीछे पलटी , कि आरव से टकरा गई । और आरव ने उसे संभाल लिया । दोनों की आखें मिली और दोनों एक बार फिर नजरों के इश्क़ में गोते खाने लगे । लेकिन वो दोनों ज्यादा देर तक नजरों के इश्क़ में गोते खाते , उससे पहले ही मैगी का पानी उबलकर गिरने लगा , जिसकी आवाज गैस के बर्नर से पानी के छूने से उनके कानों में आई और कायरा ने झट से आरव से अलग होकर , मैगी वाले बर्नर का रेगुलेटर बंद कर दिया । कायरा ने घूरकर आरव को देखा , तो आरव ने उससे सवाल किया ।

आरव - मैंने क्या किया...????

कायरा ( चिढ़कर ) - आपने....., आपने ....., कुछ नहीं , कुछ नहीं किया आपने , आप जाकर शांति से बैठ जाइए और मुझे अपना काम करने दीजिए ।

आरव ( शरारती मुस्कान के साथ उसे देखकर बोला ) - आर यू श्योर..!!!!

कायरा ( झल्लाकर ) - आरव......!!!!!!

आरव ( हंसते हुए ) - ओके...., ओके.....। मैं जा रहा हूं । अगर कोई भी जरूरत हो , तो बुला लेना ।

इतना कह कर आरव सीधे किचन से ही बाहर चला गया और बाहर आकर टेबल पर बैठ गया । कायरा ने अगले बीस मिनट में ही मैगी और पोहा बना दिया , और साथ में आरव के लिए कॉफ़ी और खुद के लिए चाय भी । उसे फ्रीज में ब्रेड भी मिल गई थी । जिसका उसने चीज़ सेंडविच भी बना लिया था । सारा खाना ट्रे में लेकर वह आरव के पास आई, टेबल पर ट्रे रखी और उसके सामने वाली चेयर पर बैठ कर , आरव की प्लेट में खाना सर्व करने लगी । एक और एक्स्ट्रा डिश देखकर और साथ में कॉफी और चाय देखकर आरव ने कहा ।

आरव - ये तुम्हें कहा से मिला ...???

कायरा ( उसकी प्लेट में बारी - बारी से मैगी , पोहा और सेंडविच सर्व कर बोली ) - फ्रिज में ब्रेड और साथ में चीज रखा था । चाय पत्ती और कॉफी होना तो लाजमी है , जो कि सिंक के ऊपर वाले कबर्ड में था , शक्कर भी वहीं थी । तो बस , बन गया सब ।

आरव - तुम लड़कियों का न यही बढ़िया रहता है, कुछ भी कहीं भी रखा हो , हमेशा तुम लोगों को मिल जाता है ।

कायरा ( कॉफी उसकी तरफ बढ़ाकर ) - और अगर नही भी मिलता है , तो ढूंढ लेते हैं ।

आरव - तभी तो तुम लोग बेस्ट होती है , वरना हम लड़के तो आधे से ज्यादा वक्त सामान खोजने में ही निकाल देते हैं ।

कायरा - पर सब ऐसे नहीं होते , कुछ लड़के भी इन सब मामलों में इंटेलीजेंट होते हैं और उन्हें इतना आइडिया होता है , कि कौन सा सामान कहां रखा मिल सकता है ।

आरव ( मैगी का एक बाइट स्पून में लेकर , टेस्ट करते हुए ) - हां....., हो सकता है ।

ये कहते हुए वह मैगी टेस्ट करता है , फिर पोहा और फिर सेंडविच । और तीनों को टेस्ट करने के बाद , वह आखों में चमक लिए कहता है ।

आरव - दैट इट वेरी टेस्टी एंड यम्मी कायरा ...। कहां से सीखा तुमने ये सब , मतलब तुमने तो हमारे घर के शैफ से भी टेस्टी फूड बनाया है यार ।

कायरा ( आखों में चमक भरते हुए ) - सच में...???? आपको पसंद आया...????

आरव - यस....., तुम्हारे हाथों में तो बिल्कुल मेरी मम्मा जितना टेस्ट है । पर थोड़ी सा चेंज है , जो कि मुझे बहुत अच्छा लगा । कहां से सीखा , बताओ न ...!!!

कायरा ( मुस्कुराकर ) - मम्मा से । आपने कभी मम्मा के हाथ का टेस्टी फूड टेस्ट नहीं किया न ...!!! इस लिए आपके लिए ये टेस्ट नया है ।

आरव - तुम्हारी मम्मा के हाथों में तो जादू है यार, और उनके साथ - साथ तुम्हारे हाथों में भी । उन्होंने कई बार मुझे इन्वाइट किया है , पर मैं बिजी होने के कारण नहीं रुक पाया । बट अब लगता है , किसी दिन टाइम निकाल कर , तुम्हारी मम्मा के हाथ का टेस्टी फूड ही टेस्ट करने आना होगा ।

कायरा ( मुस्कुराकर ) - सिर्फ टेस्ट क्यों करेंगे , भर पेट खाइएगा ।

आरव उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया और फिर हां कहा । दोनों बड़े चाव से भर पेट खाना खाने लगे । खाते हुए कायरा ने कहा ।

कायरा - आपके घर में कौन - कौन है आरव..???

आरव - खाते टाइम बात नहीं करते कायरा और इतना टेस्टी फूड खाते टाइम तो बिल्कुल भी नहीं ।

कायरा - मैं बोर हो जाऊंगी । मेरी आदत इतनी शांति से बैठकर खाने की नहीं है ।

आरव ( उसकी तरफ चेहरा कर ) - ओह...., तो तुम बातूनी भी हो । पर अभी तक अपना ये टैलेंट कहां छुपाकर रखा था...???

कायरा - मैं सबके सामने नहीं बोलती । जिनके साथ मैं कंफर्टेबल होती हूं , उन्हीं के सामने दिल खोलकर बातें करती हूं ।

आरव - अच्छा...., तो मेरे साथ तुम अब कंफर्टेबल हो ।

कायरा ( बेपरवाह सी ) - अफ्कोर्स आरव । अब मैं आपके सामने कंफर्टेबल नहीं होऊंगी , तो किसके सामने होंगी...???!!!

ये कहते हुए कायरा ने उसे देख, अपनी एक आंख विंक कर दी और आरव उसकी हरकत देख मुस्कुरा दिया । उसे अच्छा लगा कायरा की बात सुनकर ।

आरव - अच्छा , तो तुम क्या पूंछ रही थी...???

कायरा - यही...., कि आपके घर पर अंशिका , खुशी भाभी , अरनव भैया , मिस्टर शर्मा और आपकी मम्मी के अलावा और कौन - कौन है ..???

आरव - ये अच्छा क्वेश्चन पूछा तुमने । अब जितनों के अभी तुमने नाम गिनाए , उन सबको तो जानती ही हो । और खुशी भाभी और मम्मी से मैं तुम्हें जन्माष्टमी के दिन मिला दूंगा । इन सबके अलावा भी दो लोग और हैं , जिन्हें हम सीनियर सिटीजन कहते हैं ...।

कायरा ( हैरानी से ) - व्हाट...???? किसी को आप लोग सीनियर सिटीजन कैसे कह सकते हैं..???

आरव - क्योंकि वो लोग सीनियर सिटीजन हैं ।

कायरा - और वो सीनियर सिटीजन लोग कौन हैं ???

आरव - मेरे दादा दादी ।

कायरा ( चौंक कर ) - व्हाट...!!!! आपने और आपके दोस्तों ने कभी उनके बारे में जिक्र क्यों नहीं किया..???

आरव - क्योंकि कभी मौका ही नहीं मिला , तो कैसे करते । और वैसे भी , अभी वो इंडिया में नहीं है ।

कायरा - तो कहां हैं..???

आरव - स्वीजलैंड में ।

कायरा - वहां पर आपका परिवार है क्या , जैसे चाचा चाची या फिर और कोई ...???

आरव - नो...., वो लोग पिछले छः महीने से वहां घूम रहे हैं और ....., और अपना हनी मून मना रहे हैं ।

ये सुनकर कायरा के हाथ से चम्मच छूट गई और उसने आश्चर्य से आरव की तरफ देखा । तो आरव हड़बड़ा कर बोला ।

आरव - सॉरी..., सॉरी कायरा । शायद तुम्हें मेरा ये हनी....., हनी मून शब्द का यूज करने अच्छा नहीं लगा होगा । सॉरी ...... ।

कायरा - आपके ग्रैंड पैरेंट्स .... इस उम्र में हनी मून पर गए हैं...????

आरव - देखो..., अब तुम ही ऐसी बातें कर रही हो , मुझे मत कहना फिर कुछ ।

कायरा - मेरी बात का जवाब दीजिए ।

आरव - हां...., गए हैं ।

कायरा ( आखें फाड़े उसे देखते हुए बोली ) - सच में...!!! और वो भी इस उम्र में..????

आरव - हां....., अब तुम्हें उनके बारे में सोचकर इतना पैनिक होने की जरूरत नहीं है । उन्हें घूमने का बहुत शौक है और वो लोग मूडी होने के साथ - साथ , हर पीढ़ी से कंधे से कंधा मिलाकर चलने वालों में से हैं । उनकी सोच का दायरा हमसे भी ज्यादा खुला हुआ है । हम जहां किसी अजनबी को देखने से कतराते हैं , वहीं हमारे ग्रैंड पैरेंट्स हमें गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रेंड बनाने के लिए कहते हैं । इस उम्र में जहां लोग तीर्थ यात्रा करते हैं , वो दोनों तीर्थ यात्रा की जगह देश विदेश की खूबसूरती देखना पसंद करते हैं , बिल्कुल न्यू कपल की तरह । उन्हें घर में बैठना बिल्कुल पसंद नहीं । जब से भईया की शादी हुई है , तब से मुश्किल से छः महीने ही वे घर में रहे होंगे , बाकी का समय उन्होंने ऐसे ही अब्रॉड घूमने में लगा दिए । वो दोनों हमसे भी ज्यादा एनर्जेटिक हैं और हम लोगों को हमेशा कहते हैं , कि हमेशा खुलकर जियो , हमेशा अपने मन की करो ।

कायरा - बड़े ही अलग कैरेक्टर हैं आपके ग्रैंडपेरेंट्स ।

आरव - हम्मम , वो तो है ।

कायरा - उनकी लव मैरिज हुई थी क्या...???

आरव - नहीं ...., अरेंज ही हुई थी । लेकिन उन्हें देखकर हमेशा यही लगता है , जैसे दोनों ने लव मैरिज की हो ।

कायरा - जन्माष्टमी में तो वो लोग आयेंगे न ..???

आरव - नहीं ..., मम्मी ने उनसे बात की थी , पर उन्होंने कहा कि वे अब सीधे दिवाली पर आयेंगे । क्योंकि जब अरनव भैया और भाभी का बेबी आ जायेगा , तो वे फिर कहीं नहीं जायेंगे ।

कायरा - अरे वाह...., मतलब उन्हें अपने परपोते या पोती से ज्यादा प्यार है ।

आरव - हो सकता हैं।

कायरा - अब तो उनसे मिलना पड़ेगा । लेकिन अफसोस, कि मुझे उनसे मिलने के लिए दिवाली तक का वेट करना होगा ।

आरव - हम्मम , वो तो है। ( फिर कुछ सोचकर ) अच्छा कायरा ....!!!! मुझे तुमसे कुछ पूंछना था ।

कायरा - कहिए न , मैं रेडी हूं जवाब देने के लिए ।

आरव - पक्का...!!!???

कायरा - यस ।

आरव - तुमने उस दिन जब कॉलेज में कॉफी पी थी , तब तुम्हें सच में पता नहीं था , कि वह चाय नहीं बल्कि कॉफी है ..!!!!

आरव के सवाल पर कायरा चुप हो गई और एकदम से चौंक कर बैठी रही । क्योंकि उसे बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी , कि आरव उससे ऐसा कुछ पूछेगा ।

आरव ( उसके चुप रहने पर बोला ) - टेल मी कायरा ..!!!

कायरा ( पानी का घूंट पीकर बोली ) - आरव ...., असल में मुझे पता था , कि वह चाय नहीं बल्कि कॉफी है ।

आरव ( हैरानी से ) - मतलब तुमने जान बूझकर उसे पिया था ..??

कायरा ( नजरें नीची कर ) - मैंने आपको कप एक्सचेंज करते देख लिया था , इस लिए ।

आरव - पर तुमने ऐसा किया क्यों ...???? जबकि तुम जानती थी , कि तुम्हें कॉफी से एलर्जी है ।

कायरा ( उसकी तरफ देखकर ) - हां..., जानती थी । पर आपने कुछ सोचकर ही , बड़े प्यार से , शायद एक खूबसूरत एहसास को महसूस करते हुए वो कप एक्सचेंज किए थे , तो फिर भला मैं उस कप की कॉफी कैसे नहीं पीती ...!!!???

आरव उसकी बात सुनकर चुप हो गया और फिर कुछ पल बाद कायरा की आखों में देखते हुए बोला ।

आरव - तो फिर इसका मतलब क्या समझूं मैं...????

कायरा ( कुछ पल तक चुप रही , फिर धीरे से बोली ) - यही...., यही कि....., कि मैंने इस लिए वो कॉफी पी थी , क्योंकि ...., क्योंकि मैं तब भी आपसे प्यार करती थी । जिसका एहसास मुझे बाद में हुआ ।

आरव ने सुना , तो एक पल को तो वह उसे देखता ही रहा , जबकि कायरा की हिम्मत नहीं हो रही थी उसकी तरफ देखने की ।

आरव - तो इसमें नजरें झुकाकर बात करने की क्या जरूरत है ...??? ये तो अच्छी बात है न ...!!!!

कायरा ( उसकी तरफ देखकर तुरंत बोली ) - क्योंकि आप...., आप कहीं ...... ।

इसके आगे वह कुछ बोल ही नहीं पाई और मुस्कुराकर उसने पलकें नीची कर लीं । आरव उठा और उसको खड़ा कर , उसे एक बार फिर गले से लगा लिया । क्योंकि शायद इस वक्त शब्द कम पड़ रहे थे , इस खुशी वाली फीलिंग्स को एक्सप्रेस करने के लिए । दोनों के चेहरों पर बड़ी वाली मुस्कान थी और दिल में एक असीम सुकून । दोनों ने खाना खत्म कर लिया था और चाय कॉफी भी । आरव ने उससे अलग होकर उसका हाथ थामा और उसे वापस अपने केबिन में ले गया । और उसे सोफे पर बैठाते हुए कहा ।

आरव - तुम तो मुझसे भी ज्यादा तेज़ निकली , जो मुझसे ज्यादा इन एहसासों को और मेरी फीलिंग्स को समझती है । ( कायरा बस मुस्कुरा दी ) तुम्हें पता है , उस दिन मैं कितने टेंशन में था तुम्हें लेकर । वाकई अगर मुझे पता होता , कि तुम्हें कॉफी से एलर्जी है , तो कसम से मैं कभी तुम्हारे सामने कॉफी ही नहीं पीता ।

कायरा ( उसकी तरफ नज़र उठाकर , आखें मटकाते हुए बोली ) - पर अभी तो आपने मेरे ही सामने कॉफी पी है ।

आरव ( तुरंत सीधा खड़ा हो गया और फिर अपने सिर पर हाथ फेरते हुए बोला ) - वो तो तुमने अपने हाथों से बनाई , इस लिए पीनी पड़ी । ( फिर कायरा की तरफ देखकर ) वरना मैंने अब कॉफी पीनी कम कर दी है और चाय पीने लगा हूं ।

कायरा - दिनभर पियुन से आप ही कॉफी की मांग करते रहते हैं ।

आरव ( हड़बड़ा कर ) - हां...., तो वक्त लगता है , किसी भी आदत को छोड़ने में । जहां मैं चाय की तरफ देखता भी नहीं था , अब मैं उसे पीने लगा हूं , ये क्या कम बात है ..!!!??

कायरा ( अपने हाथ बांधकर ) - तो आप ऐसा क्यों करने लगे हैं...??? कॉफी की जगह चाय की फरमाइश क्यों करने लगे हैं ...??

आरव अब बुरी तरह से हड़बड़ा गया । क्या बताता ...., कि "चाय तो उसने कायरा के आने के बाद पीना शुरू की और अब उसे कायरा की तरह ही , चाय से भी इश्क़ हो गया है , और वो इस लिए , क्योंकि कायरा को चाय पसंद है ।"

कायरा - बताइए ... बताइए...!!???

आरव ( बात पलटते हुए बोला ) - रात के दो बज चुके हैं, तुम्हें अब आराम करना चाहिए । क्योंकि तुम्हारे चेहरे पर थकान साफ दिख रही है ।

कायरा ( उसे घूरते हुए ) - बात को घुमा रहे हैं आप ..!!!

आरव ( अपनी डेस्क की ओर बढ़ते हुए ) - सुबह हमें जल्दी उठना है , सो जाओ तुम कायरा ।

कायरा ( झल्लाकर ) - आरव आप....., ( फिर शांत होकर ) अच्छा ठीक है , नहीं पूछती । जब मन करे तब बता दीजिएगा , लेकिन बताइएगा जरूर । ( आरव के होठों पर उसकी बात सुनकर मुस्कान आ गई, तभी कायरा बोली ) लेकिन आप कहां सोएंगे , आपको नींद नहीं आ रही क्या...????

आरव ( उसकी तरफ पलटकर ) - डोंट वरी , तुम सोफे पर सो जाओ , मुझे अभी नींद नहीं आ रही । अगर आयेगी , तो मैं अपनी चेयर पर सो जाऊंगा ।

कायरा - लेकिन आपको उसमें नींद कैसे आएगी , रात भर आप सो नहीं पाएंगे । आप यहां सो जाइए , मैं छोटे वाले सोफे पर अर्जेस्ट कर लूंगी ।

आरव - नहीं..., तुम वहीं सो जाओ । वैसे भी मुझे आदत है , काम करते हुए मैं हमेशा अपनी चेयर पर सो जाता हूं । इस लिए तुम आराम करो , और मेरी टेंशन बिल्कुल भी मत लो ।

कायरा - श्योर...!!!??

आरव ( मुस्कुराकर ) - यस...., श्योर ।

आरव की बात सुनकर कायरा ने अपना फोन छोटे सोफे पर रखा और बड़े सोफे में वह लेट गई । आरव अपनी चेयर पर बैठ गया और उसे देखने लगा । कायरा को लेटते ही नींद आ गई थी , क्योंकि वह बहुत ज्यादा थकी थी और रोने की वजह से उसके सिर में दर्द भी था , जिसे उसने आरव को नहीं बताया था , ताकि कहीं आरव दोबारा परेशान न हो जाए । कायरा के सोते ही आरव अपनी चेयर से उठा और बालकनी की तरफ जाने लगा , तभी उसकी नज़र दोबारा कायरा पर पड़ी । उसने देखा , विंडो और बालकनी के दरवाजे से लगातार ठंडी हवा आने से , कायरा को ठंड लग रही थी । ये देख आरव ने अपने पर्सनल कबर्ड से अपना एक कोर्ट निकाला और उसे लेकर कायरा को ओढ़ा दिया , क्योंकि अब ऑफिस में चादर तो एवलेबल थी नहीं , इस लिए इसी से काम चलाना था । कायरा को भी कोर्ट की वजह से अब ठंड नहीं लग रही थीं, उसके चेहरे पर अब सुकून के भाव झलक रहे थे , जिससे समझ आ रहा था , कि उसे अब ठंड से आराम मिला है । आरव उसे देखने लगा , क्योंकि वह इस वक्त एक मासूम सी बच्ची की तरह लग रही थी । कुछ पल उसे देखने के बाद आरव की आखें छलक आईं , वह तुरंत विंडो की तरफ आ गया । उसने सारी विंडोज बंद की और बालकनी का दरवाज़ा बंद कर वह बालकनी में आ गया और रेलिंग पर हाथ रखकर खड़ा हो गया , वह लगातार बरसते पानी को देखने लगा । पानी तेज़ था और बरसता हुआ पानी सीधे बालकनी में आ रहा था । जिसकी वजह से आरव को एक पल भी नहीं लगा भीगने में । बरसात के साथ - साथ उसके दिल का दर्द भी आसुओं के सहारे बह रहा था , जो कि बरसात के पानी में मिल रहा था । ये दर्द कायरा की तकलीफ जानकर था , जिसे आज उसने कायरा के चेहरे पर तब महसूस किया था , जब कायरा उसे अपना अतीत बता रही थी । क्यों ...... , किस लिए उसकी ही जिंदगी में ये सब लिखा था , ये वो नहीं जनता था। लेकिन आज कायरा की मजबूरियां जानकर , उसे बेहद बुरा फील हो रहा था । बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही थी उसे , कायरा का अतीत जानकर । जिसे वह कायरा से छुपकर यूं इस तरह बरसात के पानी में बहा रहा था । खुद तो भीग ही रहा था , साथ में अपने दर्द ...., अपने तकलीफ को भी भिगो रहा था ।

सुबह पांच बजे आरव केबिन के अंदर आया और आकर अपनी चेयर पर , पीछे सिर टिकाए , आंखें बंद किए बैठ गया । नींद अब भी उसकी आखों से कोसों दूर थी । आरव रात भर बालकनी में खड़े होकर बरसात में भीगता रहा , साथ में कायरा के बारे में सोचता था । आखें उसकी लाल हो चुकी थी और शरीर पूरा ठंडा पड़ चुका था , लेकिन उसे इन सबसे ऊपर कायरा ही दिख रही थी , उसकी तकलीफ ही उसे रह - रहकर सोचने पर मजबूर कर रही थी ।

घड़ी में सुबह के छः बज रहे थे । पानी अब मध्यम हो गया था और सड़कों में भरा पानी भी , अब धीरे - धीरे कम होने लगा था । सुबह के उजाले के साथ ही , पूरे केबिन में सुबह की रोशनी फैल गई थी । तभी कायरा की नींद खुली और अधखुली आंखों से उसने केबिन को देखा और फिर उसकी नज़र आरव पर गई , जो आखें बंद किए चेयर पर बैठा था । कायरा अब उठी और उसने अपना फोन देखा , जिसमें अब नेटवर्क आ चुका था । वह उठकर आरव के पास जा ही रही थी , कि कायरा का फोन बजा । फोन मालती जी का था और फोन की आवाज़ सुनकर आरव ने भी अपनी आखें खोल ली और वह उठकर बैठ गया । सोया तो वह वैसे भी नहीं था । कायरा ने फोन रिसीव किया , तो मालती जी की चिंता भरी आवाज़ गूंज उठी ।

मालती जी - कैसी है बेटा , कब आ रही हो , सड़कों पर पानी कम हुआ...????

कायरा - मैं ठीक हूं मम्मा , अभी ही नींद से उठी हूं । और शायद अब तक सड़कों पर उफनता पानी भी कम हो जाना चाहिए ।

मालती जी - कब आ रही हो..???

कायरा - हालात देख कर, तुरंत ही हम यहां से निकल जायेंगे । मे बी ..... , एक डेढ़ घंटे में पहुंच जायेंगे मम्मा , अगर सड़क साफ हो गई होगी तो ।

मालती जी - ठीक है बेटा , आराम से आना तुम दोनों , हम इंतजार कर रहे हैं तुम दोनों का और आरव से कहना , कि वो यही घर पर नाश्ता करके जायेंगे ।

कायरा ( मुस्कुराकर ) - ठीक है मम्मा ।

इतना कहकर कायरा ने कॉल कट कर दी और आरव की तरफ देखकर बोली ।

कायरा - अरे....., आप उठ गए । सोए तो हैं न आप रात में ..???

आरव ने बस हां में सिर हिला दिया , क्योंकि वह जनता था , वह झूठ बोल रहा है और कायरा से झूठ बोलना उसके लिए वैसे भी तकलीफ देह था । कायरा मुस्कुराकर उसकी तरफ आते हुए बोली ।

कायरा - आपकी वैल्यू तो मुझसे भी ज्यादा बढ़ती जा रही है मेरे घर में । मम्मा ने आपको ब्रेकफास्ट पर इन्वाइट किया है ।

आरव - और क्या कह रहीं थीं आंटी...??

कायरा - यही...., कि आराम से आना ।

आरव - ठीक है फिर ...., चलते हैं । वैसे भी सड़कों पर पानी कम हो गया है । छः वैसे भी बज गए हैं , सात बजे तक हम तुम्हारे घर पहुंच जायेंगे और साढ़े आठ बजे हमारी क्लासेस है । अगर टाइम से निकलेंगे , तो क्लासेस भी अटेंड कर लेंगे ।

कायरा - ठीक कह रहे हैं आप । लेकिन आपकी आखों में काफी स्वेलिंग है आरव । शायद आपकी तबियत ठीक नहीं है, आप आज आराम कर लीजिए अपने घर पर , मैं आपको आज की क्लासेस के नोट्स दे दूंगी ।

आरव ( उठकर , गाड़ी की चाबी उठाते हुए बोला ) - नहीं कायरा , मैं ठीक हूं और टाइम पर कॉलेज भी पहुंच जाऊंगा । और आंटी से कहना , फिर कभी ब्रेकफास्ट कर लूंगा तुम्हारे घर ।

कायरा - लेकिन आप ही तो कह रहे थे कल , कि आपको मम्मा के हाथ का खाना खाना है । अब जब मौका मिल रहा है , तो क्यों मना कर रहे हैं ..???

आरव - मुझे कॉलेज पहुंचने में लेट हो जायेगा , अगर मैं तुम्हारे घर रुका तो । और मम्मी पापा भी परेशान हो रहे होंगे , रात भर मैं घर नही गया हूं । उनसे भी मिलना तो जरूरी है न ।

कायरा - अच्छा ठीक है । पर प्रोमिस कीजिए , अगली बार जब मम्मा आपको खाने पर इन्वाइट करेंगी , तो आप मना नहीं करेंगे ।

इतना कहकर कायरा ने उसकी तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया । तो आरव ने उसके हाथ पर मुस्कुराकर अपनी हथेली रखी और कहा।

आरव - प्रोमिस ।

कायरा खुश हो गई । कायरा ने अपना सामान लिया और फिर दोनों नीचे चले आए । पानी सड़कों से छट चुका था । वॉचमैन भी नीचे आ चुका था । उसने जब इन दोनों को देखा , तो हैरान रह गया । वह कुछ बोलने को हुआ , उसके पहले ही आरव ने उसे चाबी थमाई और पूरा पार्किंग एरिया और मेन गेट के सामने का पूरा क्राइटेरिया साफ करवाने को कहा और फिर दोनों कार में बैठकर कायरा के घर की तरफ बढ़ गए । कायरा को उसके घर के सामने छोड़कर आरव अपने घर निकल गया । कायरा ने बेल बजाई , तो मालती जी ने दरवाजा खोला । और तुरंत कायरा को गले लगा लिया । उनकी आखों से आसूं बहने लगे । तो कायरा ने उनसे अलग होकर उनके आसूं साफ किए और कहा ।

कायरा - यहीं थी मम्मा , इसी शहर में मैं और आप इतने में ही रो दीं । अभी तो न जाने कैसी - कैसी सिचुएशन का सामना करना पड़े मुझे भविष्य में , फिर आप ऐसे परेशान होंगी , तो कैसे चलेगा ...????

मालती जी ( मुस्कुराकर ) - समझदार हो गई है मेरी बच्ची । ( फिर उसे ऊपर से नीचे तक देख कर ) तुम इन कपड़ों में....., साड़ी कहां गई , जिसे पहनाकर मैंने तुम्हें भेजा था ।

कायरा - बरसात में भीग गई थी मैं मम्मा, जिसमें मेरे कपड़े भी गीले हो गए थे । इस लिए वहीं ऑफिस की ही ड्रेस पहन ली ।

मालती जी - कोई बात नहीं । अब रेडी हो जाओ , मैं नाश्ता लगा देती हूं ।

कायरा - हां मम्मा.... , मुझे भी कॉलेज जाना है । आती हूं रेडी होकर मैं ।

मालती जी - अरे..... , अभी तो आई हो और अब फिर से जाना है ।

कायरा - कॉलेज और ऑफिस दोनों जरूरी है मम्मा । वैसे भी कल हॉलीडे है , कल तो दिनभर घर में ही रहूंगी । मैं आती हूं , आप तब तक मेरे लिए अच्छी कड़क अदरक वाली चाय बना दीजिए , प्लीज ।

मालती जी - अच्छा ठीक है , जाओ ।

कायरा फटाफट से रूम में चली गई । वह आज काफी खुश थी , जो कि उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी । दस मिनिट में कायरा रेडी होकर आ गई । तब तक साढ़े सात बज चुके थे । कायरा ने मालती जी के हाथ की कड़क अदरक वाली चाय पी । और जाने लगी , कि मालती जी ने उसे रोका ।

मालती जी - नाश्ता तो कर ले , अभी तो पन्द्रह मिनट टाइम है ।

कायरा - अभी भूख नहीं है मम्मा ।

मालती जी - तो टिफिन लेकर जाओ । ( जल्दी - जल्दी उसका टिफिन रेडी करते हुए ) ये देखो , मैंने रेडी भी कर दिया है । लेकर जाओ , वरना आज पनिश करूंगी तुम्हें , बचपन की तरह ।

मालती जी की बात सुनकर कायरा भागी - भागी उनके पास आई और उन्हें गले लगाकर , उनके गाल में किस किया और बोली ।

कायरा - आपकी पनिशमेंट भी मंजूर हैं मम्मा । क्योंकि आप तो अब मुझे डांटती भी नहीं हो । इसी बहाने मुझे आपसे एक्स्ट्रा प्यार भी मिल जायेगा ।

इतना कहकर उसने टिफिन उठाया और भाग गई । मालती जी उसे जाते देखते हुए हंस कर बोली ।

मालती जी - पागल लड़की ....।

कॉलेज पहुंचकर कायरा सीधे अपनी क्लास गई । क्लास चालू हो चुकी थी । वह अपनी सीट पर जाकर बैठ गई और चारों तरफ नज़र घुमाई , आरव अभी तक नहीं आया था । साढ़े आठ से ज्यादा टाइम हो चुका था , पर वह क्लास से नदारद था, बाकी के दोस्त भी गायब थे । दो घंटे बाद कायरा कॉलेज कैंटिन पहुंची । जहां इस वक्त नील और शिवानी बैठे थे । नील शिवानी को मनाने में लगा था और शिवानी अब भी भाव खा रही थी । कायरा वहां पहुंची और उसने दोनों को हाए कहा । कायरा को देख दोनों मुस्कुरा दिए । और फिर नील ने शिवानी को कुछ इशारा किया, तो शिवानी ने कायरा की तरफ नज़रें घुमाई और कहा ।

शिवानी - वैसे कायरा...., आज तुम काफी खुश लग रही हो । क्या बात है...???

कायरा ने उसकी बात सुनकर जवाब कुछ नहीं दिया , लेकिन उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक जरूर आ चुकी थी । वहीं आरव भी कैंटिन की तरफ ही आ रहा था , लेकिन शिवानी की बात सुनकर वह कायरा से दस कदम की दूरी पर ही रुक गया । शिवानी ने कायरा को जब ब्लश करते देखा , तो कहा ।

शिवानी - बताओ भी कायरा..., तुम्हारा चेहरा आज इतना ब्लश क्यों कर रहा है । लॉटरी लगी है क्या..???

कायरा ने न में सिर हिला दिया । तो नील ने कहा ।

नील - प्रमोशन हो गया है तुम्हारा ऑफिस में..????

कायरा ने फिर से न में सिर हिलाया , तो शिवानी ने कहा ।

शिवानी - किसी कॉम्पिटेट एग्जाम में सिलेक्शन हुआ है क्या..??

कायरा - नहीं ।

नील ( तपाक से ) - आरव ने तुम्हें प्रपोज किया है ।

कायरा ने तुरंत हां में सिर हिला दिया और फिर शर्मा गई । नील और शिवानी तुरंत जोर - जोर से हूटिंग करने लगे । तब तक आरव भी वहां आ गया । कैंटिन में उपस्थित बाकी लोगों ने उन्हें घूरा , तो दोनों शांत हो गए । शिवानी ने खुशी के मारे कायरा को गले लगा लिया और खूब सारी बधाई दी । आरव को देखते ही नील ने भी भागकर उसे गले लगा लिया और उसके ऊपर चढ़ गया । आरव...., बेचारे ने बड़ी मुश्किल से उसे संभाला और नीचे उतरने के लिए कहा । दोनों अब कायरा और शिवानी के पास आ गए । तो शिवानी बोली ।

शिवानी - आज मैं बहुत ज्यादा खुश हूं । आखिर तुम लोगों ने हमारे मन की कर दी । जाने कब से इंतजार था हमें इस दिन का । और साथ में तुम्हें चाहने वालों को ( पाठकों को ) भी तुम्हारे इजहार का बेसब्री से इंतजार था । तुम दोनों ने उनके मन की मुराद पूरी कर दी । येईईईईईई......, आई एम सो हैप्पी ।

नील - मैं भी आज बहुत खुश हूं। आज तो पार्टी होगी । वो भी ग्रैंड वाली । अच्छा शिवानी, अब हम दोनों इनके नाम क्या रखें ।

आरव और कायरा ( दोनों एक साथ नासमझ होकर बोले ) - नाम...!!!! कैसा नाम...???

शिवानी - अरे तुम दोनों का नाम आपस में मिलाकर , एक नया नाम देंगे हम तुम दोनों को । जैसे बाकी कपल्स का होता है । आखिर तुम दोनों हम सबके फेवरेट कपल जो हो ।

आरव और कायरा एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुरा दिए । नील ने सोचते हुए कहा ।

नील - क्या नाम रखें । आरव और कायरा......, ( फिर आखों में चमक लाकर ) कायरव.....।

शिवानी - ये नाम अच्छा है , लेकिन आज कल हर जगह यही नाम सुनने मिलता है । कुछ हटकर.... , यूनीक टाइप नाम होना चाहिए इनका ।

नील ने उसकी बात का समर्थन किया और फिर कुछ पल सोचने के बाद शिवानी ने उछलकर कहा ।

शिवानी - हां...., हां....., एक नाम है , जो यूनिक भी है और प्यारा भी ।

नील - क्या है , बताओ ।

आरव और कायरा भी उसकी तरफ देखने लगे और शिवानी कायरा के पास आई और दोनों को देखकर बोली ।

शिवानी - आरव का ' ए(A) ' वर्ड , हमारी कायरा का
' वाई(Y) ' वर्ड और दोनों के नाम का कॉमन ' आर(R) ' वर्ड मिलाकर , इन्हें नाम देंगे ......., " आयरा " । है न यूनीक नेम...!!!!???

कायरा और आरव अपना नया नाम सुनकर एक दूसरे को देखने लगे और मुस्कुराने लगे। जबकि नील ने शिवानी को गले लगा लिया और कहा।

नील - तुमने तो सबसे बेस्ट नाम सज्जेस्ट किया है । आई लव यू ...., आई लव यू सो मच ।

नील इतना सब कह गया , जबकि वह भूल गया था , कि उसका और शिवानी का झगड़ा चल रहा है और इस वक्त वो दोनों कहां हैं । तभी शिवानी ने उसे घूरकर देखा और उसे खुद से अलग किया । बेचारे नील को अब समझ आया ...., कि उसने अभी - अभी सबके सामने क्या कर दिया । वो दोनों भी अब शर्मा गए और फिर एक दूसरे को देखने लगे .......।

समाप्त


समाप्त शब्द सुनकर आप सब उदास मत होइए । ये तो पहला सीजन था , इस उपन्यास के समाप्त होने के पन्द्रह दिनों बाद इसका दूसरा सीजन आएगा । और टोटल ये उपन्यास तीन सीजन में डिवाइड रहेगा ।


धन्यवाद 🙏🏻😊



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