Ahsaas pyar ka khubsurat sa - 64 books and stories free download online pdf in Hindi

एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 64

कांच की आवाज़ सुनकर सभी हड़बड़ा गए और सभी का ध्यान कायरा पर चला गया । गनीमत ये थी , कि म्यूजिक थोड़ा लाउड था , इस लिए उसकी आवाज सिर्फ वहां खड़े लोगों के कानो तक ही पहुंची , दूर डांस कर रहे लोगों , मिस्टर मेहरा और मिसेज मेहरा तक ये आवाज़ नहीं पहुंच पाई ।

आरव और कायरा अपनी सीट से उठ गए और आरव गुस्से से सौम्या की तरफ बढ़ा और उसने कहा ।

आरव - व्हाट इज दिस सौम्या...???? मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी । लग जाती अभी कायरा या किसी और को तो...., क्या कर लेती फिर तुम..???

सौम्या बस नजरें झुकाए खड़ी रही और राहुल उसके पास आकर बोला, जो कि वहीं पास में खड़ा था और कांच की आवाज़ सुनकर इन लोगों के पास आ गया था ।

राहुल - कामडाउन आरव...., सौम्या ने ये सब जानबूझकर नहीं किया होगा और अगर किया भी है , तो उसके पीछे जरूर कोई रीजन होगा । तू खुद को शांत रख ......।

तब तक नील , शिवानी और आदित्य भी वहां आ गए । अनिकेत दूर से ही ये सारा तमाशा देख रहा था । राहुल की बात पर आरव ने कहा ।

आरव - मुझे ये सब नहीं पता राहुल , लेकिन अगर किसी को भी वो कांच लग जाता , तो शायद आज सौम्या और मेरी बात खत्म हो जाती , हमेशा - हमेशा के लिए ।

कायरा ( परेशान होकर ) - प्लीज आरव...., आप बिना बात के इतना इशू क्रिएट कर रहे हैं । सब ठीक है । गलती से गिर गया ग्लास , बस...., इससे ज्यादा और कुछ नहीं हुआ है ....।

आरव गुस्से से उसकी ओर पलटा और कुछ कहने ही वाला था , कि मिशा तुरंत बोली ।

मिशा - कैसे कुछ नहीं हुआ है कायरा...!!! मेरी ड्रेस का नुकसान हो गया , अगर उस ग्लास का कांच मुझे लग जाता तो ...???

मिशा की बात सुनकर सभी ने मिशा की तरफ देखा और सौम्या जलती हुई नजरों से उसे देखने लगी । मिशा आरव के सामने आकर ड्रामा करते हुए बोली ।

मिशा - देखो आरव...., इसकी गलती की वजह से मेरी सारी ड्रेस खराब हो गई , अब मैं क्या करूं ..., कैसे घर जाऊंगी और ऐसे मैं यहां भी नहीं रुक सकती ।

सौम्या ( तुरंत बोली ) - ये तुम्हारे फ्रेंड का घर है न...!!!! बेस्ट फ्रेंड का...!!! तो क्यों इतना ड्रामा कर रही हो , ईजिली तुम तो यहां रुक भी सकती हो और चेंज भी कर सकती हो...!!!!

आरव ( गुस्से से ) - सौम्या.....!!!!! से सॉरी टू हर ....।

सौम्या - नो....., नेवर ।

आरव - सौम्या...., तुम ऐसा क्यों कर रही हो ..???

मिशा ( बीच में ही ) - हां..., सौम्या ...!! क्यों कर रही हो तुम ऐसा..????

इस बात पर सौम्या उसके थोड़ा नजदीक आई और उसे गुस्से से देखते हुए धीरे से बोली ।

सौम्या - अपना ये ढोंग बंद कर दो मिशा , वरना अभी तो सिर्फ जूस गिरा है तुम्हारे ऊपर , अगली बार पूरी कांच की बॉटल तुम्हारे सिर पर फोड़ दूंगी ।

मिशा ( गुस्से से ) - यू....!!!?

सौम्या ( उसे टोकते हुए ) - अभी जो भी किया है तुमने , अगर वो सब मैंने यहां उपस्थित सारे लोगों को बता दिया , तो तुम्हारा क्या होगा सोचा है..????

मिशा - तुम्हारी बातों पर यकीन कौन करेगा..???

सौम्या - सीसीटीवी फुटेज नाम की चीज आजकल बहुत प्रचलन में हैं , न हो ट्रस्ट तो नज़र उठाकर देख लो इस वेन्यू की सारी दीवारों और खम्बो में , साथ में वीडियो शूटिंग भी हो रही है । रीविल करवाऊं सारी चीजें, तुम्हारे खिलाफ...????

सौम्या की बात सुनकर मिशा शांत पड़ गई और अब वह गुस्से से दांत भींचने लगी । आरव ने उन्हें बातें करते देखा , तो कहा ।

आरव - हो गई तुम लोगों की बातें..??? सौम्या ...!! से सॉरी टू हर , क्विकली ।

आरव की बात पर सौम्या ने मिशा की तरफ देखा , तो वह तुरंत बोली ।

मिशा - फॉरगेट दिस आरव , आई एम ओके । जरूरत नहीं है उसे सॉरी कहने की ।

आरव ( हैरानी से ) - लेकिन अभी तो तुम खुद सवाल कर रही थी उससे..???

मिशा - जाने दो न आरव , जो हुआ उसे सौम्या की गलती समझ कर माफ कर देते हैं इसे और भूल जाते हैं । बेवजह पार्टी का माहौल खराब हो रहा है , फॉरगेट इट .....।

आरव ने अब कुछ नहीं कहा और सभी अब पार्टी इंजॉय करने लगे । सारे दोस्त वहां से जाने लगे , और साथ में कायरा भी आरव का मूड ठीक करने के लिए वहां से उसे ले जाने लगी , और वह मिशा के सामने से निकली , कि तभी मिशा ने उसके सामने आते ही उसकी साड़ी पर अपना पैर रख दिया और अगले ही पल कायरा की साड़ी कमर से थोड़ा खुल गई । कायरा रुक गई और उसने अपनी कमर की साड़ी पकड़ ली । मिशा तुरंत शरारती मुस्कान लिए वहां से चली गई और दूर से मिशा की हरकतें देख रहा अनिकेत भी मुस्कुरा दिया । कायरा के रुकते ही आरव रुक गया और उसने तुरंत कायरा से कहा ।

आरव - क्या हुआ कायरा..??? तुम रुक क्यों गई ..??

कायरा परेशान सी नजरें जमीन में गड़ाए खड़ी रही । क्या कहे आरव से , क्या न कहे..., उसे समझ नहीं आ रहा था । उसे बहुत ज्यादा बेज्जती महसूस हो रही थी, वह बस साड़ी के पल्लू से अपनी कमर छुपाए खड़ी थी । आरव की बात सुनकर बाकी के दोस्त भी रुक गए । आरव कायरा के पास आया और उसे परेशान सा देखा , तो बोला ।

आरव - क्या हुआ कायरा..??? तुम इतनी परेशान क्यों हो ...???? जवाब दो....!!!

कायरा ( नजरें जमीन में गड़ाए अटक - अटक कर बोली ) - आरव वो..., वो....!!!

आरव - वो ....., वो .......क्या कर रही हो , साफ - साफ बताओ न ।

कायरा ( अपनी नजरें भींच कर दबी हुई आवाज़ में बोली ) - मेरी साड़ी ......।

आगे वह बोल ही नहीं पाई । और आरव ने उसकी तरफ ध्यान से देखा , तो उसे माजरा समझ में आया । उसने तुरंत अपना पहना हुआ ब्लेजर उतारा और कायरा के ऊपर डाल दिया , जो कि उसकी कमर तक आया और उसकी कमर ब्लेजर के कारण ढक गई । सारे दोस्त भी माजरा समझ गए थे । अब आगे क्या होने वाला है , उसका अंदाजा सारे दोस्तों को हो चुका था । सभी ने एक दूसरे की तरफ देखा , और आखों ही आंखों में कुछ इशारा किया । आरव ने पलटकर सारे दोस्तों की तरफ देखा और फिर सौम्या और शिवानी को कायरा को ले जाने का इशारा किया । तो सौम्या ने तुरंत आदित्य से रुआसी होने का नाटक करते हुए कहा ।

सौम्या - आजके तमाशे के बाद , मेरा यहां रुकना ठीक नहीं हैं। प्लीज मुझे घर छोड़ दो ।

आदित्य - ठीक है , चलो .....।

दोनों बाकी दोस्तों को इशारा करते हुए हॉल से बाहर चले गए । आरव ने शिवानी की तरफ देखा , तो वह तुरंत हड़बड़ाते हुए बोली ।

शिवानी ( नील से ) - नील...., मुझे भी घर छोड़ दो , आते वक्त मौसम कुछ ठीक नहीं लग रहा था । कहीं अगर पानी चालू हो गया , तो मेरा घर पहुंचना मुश्किल हो जायेगा । तुम्हें तो पता है , कितना दूर पड़ता है इस वेन्यू से मेरा घर ।

नील ने बेचारगी से आरव की तरफ देखा , तो उसने उसे जाने का इशारा किया । उनके जाते ही राहुल भी नजरें बचा कर चला गया । ये सारे दोस्तों का प्लान था , ताकि आगे जो उन्होंने सोचा है, वो हो सके । इसकी वजह से आदित्य को अलग से दिमाग लगाने की भी जरूरत नहीं होगी ।

आरव अब परेशान हो गया । और कोई उसकी पहचान का था नहीं । मिशा पहले ही चली गई थी और मिसेज मेहरा से हेल्प लेने में उसे संकोच हो रहा था । कायरा को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था । आरव ने वहां के एक वेटर से एक रूम के बारे में पूछा , ताकि कायरा वहां अपनी साड़ी ठीक कर सके । उसने वही रूम सजेस्ट किया , जो मिशा और अनिकेत ने डिसाइड किया था । आरव कायरा को लेकर उस ओर बढ़ गया । कायरा धीरे - धीरे अपनी साड़ी संभाले आरव के साथ चल दी ।

इधर सारे दोस्त पार्किंग एरिया में आकर एक जगह जमा हो गए और सभी हंसने लगे । ये सोचकर कि उन्हें अब ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी । दोनों अकेले होंगे और सौम्या शिवानी जानती थी , कि कायरा को साड़ी पहननी नहीं आती , इस लिए उन्हें उम्मीद थी कि दोनों साथ होंगे तो शायद अपने दिल की बात कह दें । सभी शांत हुए , फिर सबने सौम्या से ग्लास वाली बात पूंछी, तो उसने बताया ।

सौम्या - बहुत देर तक तुम चारों मुझे पार्टी में कहीं नज़र नहीं आए, तो मैं तुम लोगों को पार्टी हॉल में सब जगह ढूंढने लगी । जब मैं तुम लोगों को ढूंढने के लिए उस ओर गई , तब..........।

कुछ समय पहले .........,

जब मिशा ऑरेंज जूस में कुछ मिला रही थी , उसी वक्त सौम्या वहां पहुंची । उसकी नजर जब मिशा पर गई , और उसने ऑरेंज जूस में मिशा को कुछ मिलाते देखा , तो उसके कदम ठिठक गए । उसके दिमाग में ये चलने लगा , कि " ये क्या मिला रही है और किसके लिए ...???? " , तभी जूस काउंटर का आदमी , वो जूस मिशा से ले गया और उसे ले जाकर कायरा और आरव के सामने रख दिया । ये देखकर सौम्या को आभास हुआ , कि हो न हो ये सब कायरा के लिए किया गया है । तभी कायरा द्वारा ग्लास को अपने होठों के करीब लाते देख, सौम्या सहम गई । उसने तुरंत फुर्ती दिखाई और बिना सोचे - समझे ग्लास झटक दिया , जिससे ग्लास नीचे गिरकर टूट गया । और कायरा जूस नहीं पी पाई ।

जब सौम्या कायरा की तरफ भागी , तब उसे मिशा ने देख लिया । उसे इस तरह हड़बड़ी में कायरा की ओर बढ़ते देख मिशा समझ गई थी , कि सौम्या जान गई है कि उसने कायरा के जूस में कुछ मिलाया है । वह भी तुरंत इन तीनो के पास गई , और जैसे ही वह वहां पहुंचकर खड़ी हुई वैसे ही सौम्या के झटके हुए ग्लास का जूस मिशा की ड्रेस पर गिर गया और ग्लास उनसे दूर जाकर गिरा ।

वर्तमान समय.......,

सौम्या - यही वजह थी कि आरव मुझे ब्लेम कर रहा था , लेकिन उसे असलियत तो पता ही नहीं थी ।

आदित्य ( सौम्या को साइड हग करके बोला ) - आज तुमने बहुत कुछ बुरा होने से बचा लिया । कायरा की जान बचा ली तुमने , थैंक्स सौम्या ।

राहुल - हां सौम्या...!!!! पता नहीं क्या मिलाया था मिशा ने उसमें और क्यों , लेकिन तुमने उसे बचा लिया ।

शिवानी - आरव गुस्से में था और सच्चाई उसे दिखी नहीं , इस लिए वो भड़क गया । वरना वो ऐसा नहीं है, उसे जो दिखा वह उसने कह दिया ।

नील - छोड़ो ये सारी बातें और ये ध्यान रखो , कि सौम्या ने आज बहुत अच्छा काम किया है । चलो इसी बात पर आज ट्रीट हो जाए ।

सौम्या - ऐसा भी कोई खास काम नहीं किया है मैंने और ट्रीट तो मैं ऐसे भी दे सकती हूं , क्या खाओगे बस वो बता दो । लेकिन आरव और कायरा अंदर अकेले हैं , उन्हें छोड़ कर हम कैसे ट्रीट पर जा सकते हैं ।

नील - डोंट वरी , दोनों बच्चे नहीं है और मुझे लगता है कि दोनों को अभी टाइम लगेगा । और हम यहीं कहीं आस पास ही चलेंगे , जिससे जल्दी आ सकें ।

राहुल - हां ये सही रहेगा । लेकिन हम सब डिनर तो कर चुके हैं , अंदर पार्टी में , तो अब क्या खायेंगे..???

शिवानी ( अपने होठों पर जीभ फिराते हुए ) - आइस क्रीम ...!!!!

आदित्य - लेकिन ट्रीट मेरी तरफ से होगी ।

सौम्या - भला वो क्यों..???

आदित्य ( प्यार से सौम्या की तरफ देखकर ) - आखिर तुमने इतना बड़ा कारनामा किया है आज , वो भी मिशा से बिना माफी मांगे । और तुम हो मेरी , तो तुम्हारे हिस्से की ट्रीट देना तो बनाता है न .....।

आदित्य की बात सुनकर सौम्या ने शर्माकर नजरें नीची कर लीं और बाकी तीनों जोर - जोर से हूटिंग करने लगे , जिससे आदित्य झेंप गया । फिर पांचों , पास के ही आइस क्रीम पार्लर में, आइस क्रीम खाने पैदल ही चले गए ।आइस क्रीम खाते हुए शिवानी ने पूछा ।

शिवानी - बाकी सब तो ठीक है , पर क्या लगता है तुम सबको ..??? क्या कायरा और आरव एक रूम में अकेले होंगे और सबसे बड़ी बात , दोनों लव कन्फेशन कर पाएंगे...???

राहुल - उससे भी बड़ी बात ये , जब दोनों पार्टी से बाहर आएंगे , हमें और हमारी गाड़ी को पार्किंग में देखेंगे , तो क्या सोचेंगे ...???

सौम्या - कहीं आरव इस बात के लिए भी नाराज़ न हो जाए....???!!!

नील और आदित्य ने कुछ कहा तो नहीं , लेकिन तीनों की बात सुनकर दोनों अपने मुंह में चम्मच दबाए एक दूसरे को देखने लगे । अगले ही पल सभी आइस क्रीम खाना छोड़ , अपना - अपना दिमाग चलाने लगे , कि आरव और कायरा को क्या सफाई देंगे , जब दोनों पार्टी से वापिस आयेंगे ।

इधर मिशा और अनिकेत खुश थे , कि उनका प्लान काफी हद तक सक्सेस हो रहा था । दोनों ही कायरा और आरव को जाते हुए देख रहे थे । रूम के बाहर पहुंच कर आरव ने कायरा से कहा ।

आरव - तुम अंदर जाओ और अपनी साड़ी ठीक कर लो , मैं यहीं बाहर खड़ा हूं , किसी भी तरह की हेल्प की जरूरत हो तो बुला लेना ।

कायरा चुप - चाप अंदर चली गई और आरव रूम के बाहर खड़ा हो गया । ये देख मिशा और अनिकेत की त्यौरियां चढ़ गई और अनिकेत ने बार टेबल में अपना हाथ पटकते हुए गुस्से से कहा ।

अनिकेत - फिर....., एक बार फिर फेल हो गए हम ।

मिशा ( उसकी तरफ पलटकर ) - डोंट डू दिस अनिकेत ..!! कई लोग है यहां , जो हमें फॉलो कर रहे हैं। ( मिशा का आशय आस पास खड़े, उन्हें घूर रहे लोगों से था ) और हम तब तक हार नहीं मान सकते , जब तक कायरा रूम से बाहर नहीं आ जाती । मुझे पूरा ट्रस्ट है अपने प्लान पर , जो वर्क जरूर करेगा , भले ही देर से ही सही ।

अनिकेत - तुम कह रही हो तो मान लेता हूं ।

दोनों दोबारा उसी ओर देखने लगे और ऊपर कॉरिडोर पर खड़ा आरव बेसब्री से कायरा का इंतजार कर रहा था । बीस मिनट से ज्यादा हो चुके थे , पर न ही कायरा अब तक बाहर आई थी और न उसका कोई रिस्पॉन्स । आरव ने आवाज़ देना चाहा, लेकिन फिर उसे आभाष हुआ कि पार्टी में म्यूजिक का वॉल्यूम कम हो चुका है , अगर आरव तेज़ आवाज़ में चिल्लाया तो जरूर नीचे पार्टी में लोगों को उसकी आवाज़ सुनाई दे जाएगी और अगर नहीं चिल्लाया , तो कायरा को उसकी आवाज़ ही मालूम नहीं पड़ेगी । आरव ने बहुत सोचा, पर उसे कोई आइडिया नहीं सूझा । फिर उसने एक गहरी सांस ली और दरवाजा ओपन कर रूम में इंटर हो गया । उसे देखते ही कायरा तुरंत पलट गई और उसकी तरफ पीठ कर खड़ी हो गई । आरव ने जब उसे देखा , तो पाया कि वह अभी भी वैसे ही खड़ी है , जैसे उसे आरव ने भेजा था । बस ब्लेजर रूम के बेड पर पड़ा है । आरव ने दरवाजा लॉक किया । और उसे रूम के अंदर जाते देख , मिशा और अनिकेत फटाफट उस रूम में चले गए, जहां पर सारे सीसीटीवी कैमरे को ऑपरेट किया जाता है ।

आरव को दरवाज़ा लॉक करते देख , न जाने क्यों कायरा ने अपना सिर घुमाकर अजीब निगाहों से उसे देखा , तो आरव ने झट से लॉक दरवाजे को अनलॉक कर दिया और दरवाज़ा बंद तो रहा , लेकिन अंदर से लॉक नहीं । न जाने क्यों आज आरव की धड़कन तेज़ चल रही थी । उसने बड़ी हिम्मत की और पलटी हुई कायरा को देख कहा ।

आरव - तुमने अब तक अपने कपड़े ठीक नहीं किए..!!!???

इधर मिशा और अनिकेत ऑपरेटर रूम में पहुंच चुके थे और वो उन दोनों को देखने के साथ ही सुन भी सकते थे । कायरा ने जब आरव का सवाल सुना , तो उससे कुछ कहते ही नहीं बना । क्या कहे आरव से , ये बात दिमाग में उसके एक बार फिर घूमने लगी । उसे खामोश देख आरव ने कहा ।

आरव - कुछ पूछ रहा हूं तुमसे कायरा , जवाब दो प्लीज । हम ऐसे ही रात भर यहां नहीं रह सकते । घर भी जाना है हमें ।

कायरा ( हिचकिचाते हुए बोली ) - मुझसे......, मुझसे साड़ी पहननी नहीं आती आरव ।

आरव ( भौचक्का सा ) - ये बात तुमने पहले क्यों नहीं कही ...??? अब कैसे तुम्हारी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन निकलेगा ...???? सौम्या और शिवानी भी अब तक जा चुके होंगे ।

कायरा - आई एम सॉरी आरव .....। उस वक्त मेरे दिमाग में ये आया ही नहीं । और अब मैं ट्राय कर रही हूं , तो बन नहीं रहा । नेट पर भी मैंने सर्च किया , साड़ी पहनने की वीडियो देखे और खुद से ट्राय भी किया , लेकिन तब भी मुझसे ये नहीं बन रहा ।

आरव - तुम्हें साड़ी पहनाई किसने...????

कायरा ( मासूमियत से ) - मम्मा ने ...!!!! मैंने उनसे कहा था , मैं नहीं संभाल पाऊंगी , लेकिन उन्होंने तब भी पहना दी , क्योंकि उन्हें मैं इस साड़ी में अच्छी दिख रही थी ।

आरव ( मुस्कुराकर ) - अच्छी तो तुम दिख रही हो इस साड़ी में आज...। ( कायरा ने सवालिया निगाह उस पर डाली , तो आरव तुरंत हड़बड़ा गया और अपनी बात संभालते हुए बोला ) ये....., ये साड़ी काफी अच्छी है , बहुत प्यारी है । लेकिन अब क्या करोगी तुम , कैसे पहनोगी …??

कायरा ( सिर पर हाथ रखकर ) - यही मुझे समझ नहीं आ रहा ।

आरव को कुछ समझ नहीं आ रहा था , कि इस साड़ी वाली प्रॉब्लम से कैसे निकला जाए , ऊपर से एक पोजिशन में बहुत देर से हील्स में खड़े होने के कारण कायरा के पैर भी दुखने लगे थे । उसे तो इस सिचुएशन में कुछ सूझ ही नहीं रहा था । सारे दोस्त जा चुके हैं , सोचकर उन्हें हेल्प के लिए भी नहीं बुलाया जा सकता था । तभी आरव ने कायरा की इजाजत से उसका मोबाइल लिया और साड़ी कैसे पहनते हैं और पहनाते हैं , दोनों के तीन चार वीडियो नेट पर उसने देखे । फिर मोबाइल साइड में रखकर उसने सहमे और झिझक भरे शब्दों में कहा ।

आरव - अगर तुम कहो तो , मैं तुम्हारी हेल्प कर दूं...??? ( कायरा ने उसकी तरफ देखा , तो उसने अपने शब्दों को सही तरह से जमाते हुए कहा ) नहीं....., मेरा मतलब था कि इस वक्त कोई नहीं है तुम्हारी हेल्प करने के लिए और मैं ही हूं एक जो कुछ मदद कर सकता हूं इस वक्त तुम्हारी ( कायरा ने उसे गुस्से से घूरा ) नहीं...., बार - बार सिर को पीछे कर मुझे मत देखो , वरना गर्दन की नस खिंच जायेगी , फिर तुम्हें इस प्रॉब्लम के साथ - साथ नेक की प्रॉब्लम भी फेस करनी पड़ेगी ( आरव की बात सुनकर कायरा ने उसकी तरफ देखना बंद कर दिया और आरव मन ही मन खुद से बोला ) और मुझे डर भी लग रहा है तुम्हारे ऐसे देखने से , ओह गॉड...., प्लीज हेल्प । ( फिर कायरा से ) देखो कायरा....., तुम मुझे गलत मत समझना । मैं सिर्फ तुम्हारी हेल्प करूंगा , विडियोज देखकर मुझे थोड़ा - थोड़ा समझ आ गया है , कि साड़ी कैसे पहनाते हैं । एटलिस्ट मैं ट्राय तो कर ही सकता हूं , तुम्हें इस प्रॉब्लम से बाहर निकालने के लिए । अगर तुम मुझे इजाजत दो , तब ही मैं तुम्हारी हेल्प करूंगा । नहीं तो......!!!!

कायरा ( बिना उसे देखे ) - नहीं तो.....?????

आरव ( गर्दन में हाथ रखकर ) - नहीं तो तुम्हें ऐसे ही खड़े रहना पड़ेगा , जब तक कोई हेल्प के लिए नहीं आ जाता ।

आरव की बात सुनकर कायरा का मुंह उतर गया , जिसे आरव ने महसूस तो किया पर देख नहीं पाया । कायरा वैसे ही आरव की तरफ पीठ किए , उसकी कही बात के बारे में सोचने लगी । अगर वो ऐसे ही खड़ी रही , तो डेफिनेटली उसके पैर काम करना बंद कर देंगे और फिर उसे घर भी तो जाना है , और कायरा ये भी जानती थी , जब तक उसकी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन नहीं निकलता , तब तक आरव भी यहां से कहीं नहीं जायेगा , उसकी देखभाल के लिए यहीं खड़ा रहेगा । इस वक्त कायरा को कुछ समझ नहीं आ रहा था । बहुत सोचने के बाद उसने बिना पीछे मुड़े आरव से कहा ।

कायरा - आपको जो ठीक लगे आप कीजिए , क्योंकि इस वक्त आपकी बात मानने के अलावा मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं है ।

कायरा की बात सुनकर आरव ने कुछ नहीं कहा , और उसने मोबाइल उठाकर दोबारा वीडियो देखा और फिर उसने कायरा की तरफ कदम बढ़ाए । दिल में एक घबराहट सी हो रही थी और हाथ कांप रहे थे उसके । लेकिन इस वक्त कोई और रास्ता नहीं बचा था उसके और कायरा के पास , इस लिए उसे ये करना था । आरव ने एक कदम और कायरा की तरफ बढ़ाया , साथ में अपना हाथ भी , तभी अचानक से लाइट चली गई और चारों तरफ अंधेरा छा गया । कमरे में कहीं से भी रोशनी नहीं आ रही थी और ये देख कायरा घबरा गई और हल्की सी उसकी चीख निकल गई , साथ में वह लड़खड़ाई हिल्स की वजह से , पर फिर खुद को संभाल लिया ।

इधर लाइट जाते ही मिशा गुस्से से जोर सी चीखी और उसने की - बोर्ड में तेज़ आवाज़ के साथ अपना हाथ पटक दिया , जिससे की - बोर्ड जमीन में गिरकर टूट गया । उसके गुस्से से ऑपरेटर रूम में उपस्थित सभी लोग डर गए और सहमे हुए से अपनी जगह पर ऐसे चिपक गए , जैसे कोई फेविकोल से चिपका स्टेच्यू हो । मिशा को जब आभास हुआ , कि सब वहीं है , तो उसने जोर से चीख कर कहा ।

मिशा - खड़े - खड़े मेरा मुंह क्या ताक रहे हो , जाकर फ्यूज चेक करो , जेनरेटर चालू करो....., बास्टर्ड कहीं के ।

मिशा की बात सुनकर सभी अपने - अपने मोबाइल की टॉर्च ऑन कर , फ्यूज चेक करने चले गए । अनिकेत ने उसे गुस्से से उबलते देखा , तो कहा ।

अनिकेत - रिलेक्स मिशा , लाइट आ जायेगी ।

मिशा ( गुस्से से उसे उंगली दिखाकर ) - तुम तो चुप ही रहो । कितना घटिया अरेंजमेंट किया है तुमने । तुम तो आज की पार्टी की शान कहलाने के लायक भी नहीं रहे अनिकेत मेहरा , उर्फ बर्थडे ब्वॉय ।

इतना कहकर उसने अनिकेत को हिराकत भरी नजरों से देखा और रूम से बाहर चली गई । जबकि अनिकेत वहीं जम गया था , उसके कानों में अब भी मिशा की कही बात किसी घटिया संगीत की तरह गूंज रही थी ।

कायरा के चींखते ही , आरव ने उसके सामने आकर उसके होठों पर अपनी उंगली रख दी और तुरंत कहा ।

आरव - स्टॉप...., मैं हूं कायरा यहां । तुम्हें मुझपर भरोसा है न ...???

कायरा ( दबी सी आवाज़ में ) - हम्मम ।

आरव - तो ये भरोसा मुझपर बनाए रखो और प्लीज....., न ही डरना और न ही अब शाउट करना । हमें तुम्हारी प्रॉब्लम सॉल्व कर जल्दी ही यहां से निकलना है , रात गहरी हो रही है , वक्त पर निकलेंगे तो वक्त पर घर पहुंच भी जायेंगे । और अपनी हील्स उतार दो , वरना दोबारा लड़खड़ा जाओगी ।

कायरा ( दबी आवाज़ में ) - मुझसे नहीं बनेगी..., फंस कर गिर जाऊंगी मैं ।

आरव - ओके..., मैं उतार देता हूं हील्स ।

कायरा ने सहमी हुई आवाज़ में " हम्मम " कहा और फिर आरव ने लाइट की रोशनी जलानी चाही , तो कायरा ने न जाने क्या सोचकर मना कर दिया । आरव ने भी कुछ नहीं कहा और धीरे से जमीन की तरफ झुका और सबसे पहले हल्के हाथों से कायरा के पैर से हील्स निकाली, जिससे कायरा अपने पैरों पर उसके हाथ का स्पर्श महसूस कर पा रही थी और इस सिचुएशन को फेस करना उसे बहुत अजीब लग रहा था । फिर आरव ने अंदाजे से कायरा की बिखरी हुई साड़ी को उठा लिया । इन सबमें आरव कब कायरा के सामने आ गया था , इसका आभाष दोनों को ही नहीं था । आरव के हाथ बुरी तरह कांप रहे थे और कायरा बस चुप - चाप इस वक्त के जल्दी से जल्दी कट जाने की राह देख रही थी । लाइट अभी भी नहीं आई थी । आरव साड़ी पकड़ कर खड़ा हुआ और वीडियो में बताए अनुसार साड़ी की प्लेट्स बनाने लगा , इन सबमें आरव ने अपनी आंखें बंद कर रखी थी , जबकि उस कमरे में अंधेरा था , पर खुद को शायद श्योर करने के लिए उसने आखों को भींचा हुआ था । सामने से प्लेट्स बनाने में आरव को कठिनाई जा रही थी , जिसका आभास कायरा को भी हो रहा था । आरव से जब नहीं बना , तो उसने कांपती आवाज़ में कहा ।

आरव - कायरा मुझसे ये ऐसे सामने से नहीं बन रहा है , क्या तुम ......।

आरव की बात खत्म होने से पहले ही कायरा पलट गई , और आरव के हाथ में पकड़ी हुई साड़ी , दोबारा छूट गई । आरव परेशान हो गया । लेकिन उसने अपने आपको शांत किया और कायरा से साड़ी उसके हाथ में पकड़ाने को कहा । कायरा ने साड़ी उसके हाथ में पकड़ा दी और आरव धीरे से पीछे से कायरा के करीब आया , लेकिन उसने कायरा से एक उचित दूरी बनाए रखी , पर धड़कने अब दोनों की सामान्य से तेज़ चलने लगी थी । साथ में आरव की सांसें कायरा को अपने कंधे पर महसूस हो रही थी , जिससे वह पिघली जा रही थी । उसने खुद को बड़ी मुश्किल से संभाला हुआ था , आरव का भी कुछ ऐसा ही हाल था । आरव ने जब साड़ी को दोनों हाथों से पकड़ा , तो आरव का बायां हाथ कायरा की बांह से जा लगा । आरव ने अपना हाथ खींच लिया । कुछ पल बाद उसने हिम्मत करके दोबारा , दोनों हाथो से साड़ी पकड़ी और नेट में देखी वीडियो क्लिप याद करके वह साड़ी की प्लेट्स बनाता गया । कुछ पल बाद साड़ी की प्लेट्स बन गई , तो आरव ने उसे कायरा के हाथो मे पकड़ा दिया , जिससे एक बार फिर दोनों की हथेली और उंगलियां आपस में छू गई । कायरा ने तुरंत साड़ी अपने हाथ में थामी और आरव उससे तुरंत दूर हो गया । कायरा ने साड़ी पहन ली और आरव ने कुछ पल बाद आंखें बंद किए ही कायरा से पूछा ।

आरव - हो गया क्या कायरा...?? मैं आइस ओपन कर लूं ।

कायरा ( धीमी आवाज में बोली ) - हम्मम ।

आरव ने आखें खोली और कुछ पल बाद लाइट भी आ गई । शायद ये भगवान का कारनामा था , दोनों को लोगों की साजिशों से बचाने के लिए । लाइट आई देख , कायरा ने राहत की सांस ली और आरव ने उसकी तरफ देखा , तो कायरा अब भी उसकी तरफ पीठ किए खड़ी थी , बस फर्क इतना था अब कायरा दरवाजे के पास थी और आरव दरवाजे से दूर । आरव ने जैसे ही कायरा की तरफ नजरें की , कायरा की कमर में बंधी हुई साड़ी से ऊपर की, खुली हुई कमर पर, उसकी नज़र पड़ी और उसने तुरंत अपनी नजरें नीची की और कायरा के थोड़ा करीब आकर, उसके पल्लू को एक हाथ से पकड़कर उसके दूसरे कंधे पर डालते हुए कहा ।

आरव - अब हमें चलना चाहिए ।

इतना कहकर वह रूम से बाहर निकल गया , और कायरा बस उसकी पहनाई हुई साड़ी को देखती ही रही और उसके अभी - अभी पल्लू को कंधे पर रखने के स्पर्श को महसूस करती रही । जब उसे होश आया , तो उसने अपनी हील्स पहनी , फोन उठाया और नजरें उसकी बेड पर चली गई, जहां आरव का ब्लेजर रखा था। आरव ले जाना भूल गया था । उसने ब्लेजर उठाया और अपनी साड़ी संभाले वह रूम से बाहर आ गई ।

यहां लाइट आ जाने की बात सुनकर मिशा वापस ऑपरेटर रूम में आ चुकी थी , लेकिन जब तब कैमरा और कंप्यूटर की स्क्रीन ऑन हुई , तब तक आरव और कायरा उस रूम से जा चुके थे । मिशा ने घूरकर अनिकेत को देखा , अनिकेत ने अपना सिर झुका लिया । मिशा पैर पटकते हुए वहां से चली गई और बिना किसी को इनफॉर्म किए वह सीधे अपनी कार में बैठी और उसने अपनी कार अपने घर की तरफ मोड़ दी । दोबारा उसके फेल हुए प्लान का असर, बखूबी उसकी हरकतों में नज़र आ रहा था ।

आरव और कायरा नीचे आ चुके थे । आरव जब कायरा को कुछ कदमों की दूरी पर दिखा , तो उसने उसे रोका और आरव को उसका ब्लेजर लौटाया । बदले में आरव ने उसे थैंक्स कहा और ब्लेजर पहन लिया । आरव और कायरा मिस्टर और मिसेज मेहरा से मिले , फिर एग्जिट गेट की तरफ बढ़ गए । अच्छी बात ये थी, कि मीडिया अब तक जा चुकी थी और बस कुछ ही छोटे - मोटे पत्रकार बचे थे , जिन्हें बॉडीगार्ड्स ने अलग जगह रोक रखा था । गेट से बाहर निकलते वक्त आरव का फोन बजा , फोन नील का था । आरव ने कॉल पिक की , तो नील ने पूछा ।

नील - कहां हो तुम लोग....????

आरव - हम पार्किंग साइड जा रहे हैं ।

नील - हम सब तुम दोनों का वहीं वेट कर रहे हैं...???

आरव ( हैरानी से ) - पर क्यों...????

नील ( बाकी चारों के साइड देखते हुए ) - सौम्या का मूड कुछ ज्यादा ही ऑफ था , इस लिए हम उसका मूड ठीक करने , उसे सामने बने आइस क्रीम पार्लर लेकर गए थे ।

आरव - जब तुम सब यहीं आस - पास थे , तो हम दोनों में से किसी को बताया क्यों नहीं.????

आदित्य ( नील से फोन लेकर तुरंत बोला ) - तू पहले यहां आ जा , फिर बात करेंगे हम ।

आरव ने फोन कट कर दिया , और कायरा की तरफ देखा , तो उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी । तभी आरव ने आस पास देखा , तो अधिकतर लोगों की नजरें कायरा पर टिकी महसूस हुई उसे । उसने तुरंत कायरा से कहा ।

आरव - तुम आगे चलो , मैं तुम्हारे पीछे - पीछे चलूंगा ।

कायरा ( बिना उसे देखे ) - इससे लोगों की नजरें मुझपर पड़ना बंद हो जाएगी क्या...???

आरव ( उसे नासमझ सा देखकर ) - इजक्यूस मी ......???? टेल अगेन....!!!!!

कायरा ( उसकी तरफ देख मुस्कुराकर बोली ) - नथिंग इज इंपोर्टेंट ....।

और फिर वह उसी तरह चलने लगी , जैसे आरव ने उससे कहा था । आरव पता नहीं ऐसा करके क्या करना चाहता था , शायद वो कायरा को लोगों की बुरी नजरों से बचाना चाहता था । हां..., पर उसे ऐसा करते देखकर कायरा को पता नहीं क्यों , एक अजीब सा सुकून महसूस हो रहा था , जैसे वो आरव के आस - पास रहने पर खुद को महफूज़ महसूस करती हो । आरव इन सब में छुप - छुप कर कायरा को भी देख लेता था , और उसकी हरकतें महसूस कर कायरा मन ही मन खुद से बोली ।

कायरा - ये कुछ हसरतों की कलम का तकाज़ा है
जो तेरे नजरों का पीछा हमसे छिप गया

दोनों पार्किंग एरिया में पहुंच चुके थे और वहां उन्हें पांचों दोस्त इंतजार करते हुए मिल गए । उन्हें देखते ही आरव ने कहा ।

आरव - बताओ अब , क्यों इनफॉर्म नहीं किया तुम सबने ...????

शिवानी ( तुरंत सौम्या की तरफ इशारा कर बोली ) - इसका उखड़ा हुआ मूड देखकर हम सब भूल ही गए तुम लोगों को इनफॉर्म करना ।

आरव ( पांचों को घूरकर ) - अच्छी बात है , किसी दिन हम दोनों को किसी रूम में लॉक कर देना और फिर भूल जाना , कि हम किसी रूम में बंद भी हैं ।

ये सुनकर पांचों ने एक दूसरे को देखा और आंखें चमकाई , जैसे कह रहे हों " काश ये कोइंसिडेंस कभी हो ही जाए और हमारे हाथों चाबी खो जाए " । आरव ने एक बार फिर सबको घूरा, तो राहुल ने कहा ।

राहुल - अब तुझे क्लास लगानी है हम सबकी , तो कल कॉलेज में या ऑफिस में लगा लेना । अभी के लिए सब घर चलते हैं । मौसम बदल रहा है , कब तेज़ बारिश का आगाज़ हो जाए, भरोसा नहीं ।

राहुल की बात पर सबने सहमति जताई , और आरव के कहने पर सब अपनी - अपनी कार की तरफ बढ़ गए । सबसे पहले कायरा आरव की कार पर बैठी , और बाकी सब सिर्फ आदित्य की कार के पास तक पहुंचे बस थे , और नील को फोर्स कर रहे थे आरव के पास जाने को । नील ने बड़ी हिम्मत की और आरव की तरफ बढ़ गया । आरव तब ड्राइवर साइड का गेट ओपन कर , कार के अंदर ही बैठने जा रहा था , कि नील आ धमका ।

नील - आरव...., मुझे कुछ पूछना था तुझसे ।

आरव ( कार के गेट को पकड़ कर खड़ा हो गया और उसे सवालिया नजरों से देखते हुए बोला ) - पूछ.....!!!

नील - यहां नहीं , थोड़ा साइड में आ न..!!!!

आरव ( कार का गेट वापस बंद करते हुए कार से थोड़ी दूर खड़े होकर बोला ) - ऐसा क्या पूछना है तुझे, जो तू ऐसे आने बोल रहा है ।

नील ( शब्दों को मन ही मन जमाते हुए ) - हमारे जाने के बाद कायरा की प्रॉब्लम सॉल्व हुई ।

आरव ( असमंजस की स्थिति में ) - ये पूछना है तुझे..???

नील ( खीझते हुए ) - जितना पूछा है उतने का जवाब दे न ।

आरव ( नजरें इधर - उधर घुमाते हुए ) - हां, सॉल्व हो गई ।

नील ( आरव का चेहरा पढ़ने की कोशिश करते हुए बोला ) - तुम दोनों कहां थे इतने वक्त तक..?? मेरा मतलब अकेले....अकेले थे...??

आरव ( नील को देखकर ) - ये कैसा सवाल हुआ...???

नील ( थूक गटकते हुए ) - मेरे भाई...., मेरा मतलब है तुम दोनों के बीच कुछ बात - चीत हुई...., ( फुसफुसाते हुए ) आई मीन कुछ पर्सनल बात - चीत ।

आरव ( उसे घूरते हुए ) - कैसी पर्सनल बात चीत , और ये तू इतना धीरे क्यों बोल रहा है...??? तेरा मतलब क्या है , किस तरह की पर्सनल बात होनी चाहिए हमारे बीच ।

नील ( सहम कर अटकते हुए ) - तुम...., तुम दोनों एक रूम में..., अकेले...., कुछ पर्सनल टॉक...., प्राइवेट बातें ......, ल.......।

आरव को उसकी बातों का अर्थ समझ में नहीं आ रहा था , तो उसने नील को धकियाते हुए कहा ।

आरव - पहले सोच ले , तुझे क्या बोलना है और कैसे बोलना है , उसके बाद बताना मुझे । अब चल निकल , रात भर हम लोग गरबा नहीं करने वाले हैं यहां और न ही मैं तुम लोगों को रात भर ड्रिंक पार्टी देने वाला हूं , चल जा .....।

इतना कह कर आरव अपनी कार की तरफ बढ़ गया और नील मिनमिनाता सा उसका नाम ही पुकारता रह गया । आरव ने कार स्टार्ट की और सड़क पर दौड़ा दी ।

नील सारे दोस्तों के पास गया , तो उन्होंने उससे आरव और उसके बीच क्या बात हुई पूछा । तो बेचारा मासूम सी शकल बना कर बोला ।

नील - हमेशा मुझे ही फसाना तुम लोग , किसी दिन वो मुझे पिटेगा भी और मुंह से आवाज़ भी नहीं निकलने देगा ।

आदित्य ( उसके पीठ पर जोरदार मुक्का जमाते हुए बोला ) - चुप - चाप पते की बात बता , वरना आज यहीं पर तेरी शोभा यात्रा निकालेगें हम चारों ।

नील ( मिनमिनाया सा , शिवानी से बोला ) - तुम तो कम से मेरी हालत समझो ।

शिवानी ( उसे घूरते हुए ) - जितना पूछा है उतना जवाब दो , तुम्हारी हालत जानने के लिए पूरी जिंदगी पड़ी है ।

नील ( चारों पर खुन्नस निकालते हुए बोला ) - डूब मरो सालों तुम सब , चुल्लू भर पानी में ।

राहुल ( नील को गर्दन से पकड़ कर मुक्का दिखाते हुए ) - बताता है तू , कि आज तेरी यहीं रबड़ी बनाएं...????

नील ( उसे रोकते हुए ) - रुक...., बताता हूं । ( खुद में बड़बड़ाते हुए ) भलाई का तो जमाना ही नहीं है , काम करो इनके और धुलाई भी खाओ इन्हीं लोगों से । ( सबने उसे घूरा , तो उसने तुरंत कहा ) मुझे नहीं लगता , दोनों के बीच लव कन्फेशन हुआ होगा । अगर होता , तो मेरे इतना कहने पर तो आरव समझ जाता , कि मैं किस बारे में बात कर रहा हूं । वो तो उलटा नासमझ सा बिहेव कर रहा था ।

इतना कहकर , उसने कुछ पल पहले हुई आरव से बात , चारों को बता दी । चारों ने अपना माथा पीट लिया । शिवानी ने कहा ।

शिवानी ( परेशान होकर ) - अब क्या करेंगे...???

सौम्या ( कुछ सोच कर आदित्य से ) - आदि...!!!! तुमने कहा था न , कि तुम्हारे पास एक प्लान है ।

आदित्य - हां, कहा तो था । लेकिन प्रोमिस करो , तुम चारों पिछली बार की तरह रिस्पॉन्स नहीं दोगे ।

चारों ने हामी भरी , तो आदित्य ने उन्हें एक प्लान बताया । चारों ने बहुत सोचने के बाद , आदित्य के प्लान को डन कर दिया । दोस्तों का पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिलते ही आदित्य ने आरव को कॉल किया ।

इधर आरव और कायरा इस वक्त शांत थे । दोनों कुछ समय पहले रूम में हुए वाकिए के बारे में सोच रहे थे और अपनी बढ़ी हुई धड़कनों को काबू में करने की कोशिश कर रहे थे , जो कि अभी भी वो वक्त याद कर तेज़ हो गई थीं ।दोनों इस बारे में सोच ही रहे थे , कि आरव का फोन बजने लगा । आरव ने आदित्य की कॉल देखी तो कॉल रिसीव कर लिया और ब्लूटूथ से कनेक्ट कर कान में इयरबड्स लगा कर बोला ।

आरव - क्या हुआ आदि ...????

आदित्य - आरव ...!!!! तुझे याद है कल हमारी दो बजे एक मीटिंग है , क्लाइंट के साथ ...।

आरव - हम्मम, याद है ।

आदित्य - उसकी फाइल मैंने रेडी कर दी है , पर आज तुझे दिखाना भूल गया । तू एक काम करेगा ...????

आरव - हम्मम...., बता ।

आदित्य - तू ऑफिस जाकर वो फाइल लेले , मेरे केबिन में मेरी डेस्क के सेकंड ड्रॉर में रखी है । उसे अपने साथ घर ले जा और उसे चेक कर , साइन करके कल ले आना । हम दोनों का काम भी आसान हो जाएगा , और कल की झंझट भी खत्म ।

आरव - यू आर राइट , तेरे केबिन की...., की ( चाबी ) कहां रखी होगी ..????

आदित्य - मेरे केबिन की, की वॉचमैन के पास होगी । मैं अक्सर उसे ही दे देता हूं अपने केबिन की सेकंड की । तू उससे ले लेना ।

आरव - ओके...., मैं ले लूंगा ।

आरव ने कॉल कट कर दिया । और कायरा की तरफ देखा , जो उसे ही देख रही थी । आरव ने उससे कहा ।

आरव - घर पहुंचने में अगर थोड़ा लेट होगा , तो तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं होगी न ...????

कायरा - पर हम घर लेट क्यों जायेंगे...???

आरव - एक फाइल ऑफिस से लेनी है , जो आदित्य के केबिन में रखी है । उसे चेक करना है और उस पर मेरे सिग्नेचर जरूरी हैं , कल मीटिंग है उसी की फाइल है वो । इस लिए हमें घर पहुंचने में थोड़ा और वक्त लगेगा । अगर तुम्हें प्रॉब्लम हो , तो मैं तुम्हें पहले घर ड्रॉप कर देता हूं , फिर वापस आकर फाइल ले लूंगा ।

कायरा ( सोचने के बाद बोली ) - रहने दीजिए आरव , बहुत टाइम लग जायेगा आपको फिर अपने घर पहुंचने में । वैसे भी यहां से ऑफिस पास पड़ेगा और मेरा घर दूर । खामखां आपका बहुत सारा वक्त जाया होगा । आप फाइल ले लीजिए , फिर मुझे घर ड्रॉप कर दीजिएगा ।

आरव को कायरा की बात ठीक लगी और उसने ऑफिस के रास्ते की तरफ अपनी कार मोड़ दी । इधर आरव से बात करने के बाद आदित्य ने कहा ।

आदित्य - वो मान गया है ऑफिस जाने के लिए ।

सौम्या - सच में तुम्हारी फाइल पर आरव के सिग्नेचर जरूरी हैं , या फिर तुमने बहाना बनाया..??

आदित्य - फाइल में सिग्नेचर जरूरी हैं और कल उसी फाइल के साथ क्लाइंट से मीटिंग भी है , जिसमें क्लाइंट उसको अप्रूव करेगा तभी डील पक्की मानी जायेगी । आज के बिजी सेड्यूल के चलते मैंने सोचा था , कल सुबह आरव को वो फाइल दिखा दूंगा और उसके साइन ले लूंगा । लेकिन जब पार्टी में तुम सबने अपना प्लान बताया , तो दोनों को इसी बहाने से वक्त देना मुझे ठीक लगा । पहले वो दोनों ऑफिस जायेंगे फिर घर , तो उन्हें काफी वक्त मिलेगा अकेले साथ टाइम स्पेंड करने को ।

शिवानी ( आसमान की तरफ देखते हुए ) - भगवान करे , हमारी अब ये वाली प्लानिंग सक्सेस हो जाए ।

सौम्या ( उसी की तरह हाथ जोड़ कर प्रार्थना करते हुए ) - हां भगवान , प्लीज । हमारी ये विनती सुन लीजिए , प्लीज आज दोनों से, उनके प्यार का इजहार करवा दीजिएगा । इतनी प्लानिंग तो हम सबने खुद के लिए भी कभी नहीं की , जितनी उनके लिए कर रहे हैं । प्लीज भगवान , सफल कर दीजियेगा हमारी ये प्लानिंग ।

बाकी तीनों ने भी मन ही मन भगवान से यही प्रार्थना की और फिर सौम्या आदित्य के साथ, शिवानी नील के साथ और राहुल अपनी कार में , अपने घर चले गए ।

आरव और कायरा ऑफिस पहुंच चुके थे । आरव ने कार पार्किंग एरिया की जगह , ऑफिस बिल्डिंग के सामने ही खड़ी कर दी थी , क्योंकि उसे फाइल लेकर तुरंत निकलना था , पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने फिर उसे वापस बाहर लाने में बहुत वक्त लगता । दोनों मेन गेट से अंदर की तरफ आए, तो उन्हें वॉचमैन मिल गया । आरव ने उससे आदित्य के केबिन की चाबी ली और दोनों लिफ्ट की ओर बढ़ गए । तभी वॉचमैन ने उन्हें बताया , कि लिफ्ट आज खराब हो चुकी है । कल उसे बनवाया जायेगा । तो आरव ने परेशानी से कायरा की तरफ देखा । तो उसने कहा ।

कायरा - कोई बात नहीं , हम सीढ़ियों से चले जायेंगे ।

आरव - इतनी ऊपर , तुम्हें पता है न अब हम सब दोस्तों का केबिन टेंथ फ्लोर पर शिफ्ट हो गया है । इतनी सीढियां चढ़कर हम कैसे जायेंगे ।

कायरा ( दो सीढियां चढ़कर बोली ) - ऐसे....।

आरव ( उसकी तरफ आकर बोला ) - एक काम करो , तुम यहीं रुको, मैं लेकर आता हूं । फालतू इतनी सीढियां चढ़कर तुम थक जाओगी ।

कायरा - नहीं थकूंगी । मेरे लिए इतना चढ़ना नॉर्मल है । और वैसे भी आपको टाइम लगेगा , तब तक मैं यहां बोर हो जाऊंगी । इस लिए मैं भी आपके साथ चलूंगी ।

आरव ने उसे मना करने की दोबारा कोशिश की , पर कायरा नहीं मानी । उसका यहां आरव का घंटों तक वेट करना , उसकी एक पक्की नींद लेने बराबर था । अब यहां ग्राउंड फ्लोर पर अकेले , तो वह सो नहीं सकती थी । क्योंकि वॉचमैन तो थोड़ी देर में मेन गेट की तरफ चला जाता , इस लिए उसने ये खयाल त्याग कर आरव के साथ जाना ही ठीक समझा । थक कर आरव ने उसकी जिद मान ली । और दोनों सीढ़ियों से ऊपर की ओर बढ़ गए । हील्स में कायरा से चला नहीं जा रहा था , तो उसने अपनी हील्स पैरों से उतारकर हाथ में ले ली , और फिर आरव से भी तेज़ स्पीड में सीढियां चढ़ने लगी । आरव तो उसकी इस हरकत और फुर्ती को बस देखता ही रह गया । उसे तो चिंता थी , कि कायरा इतनी सीढियां चढ़ पायेगी या नहीं , इसी लिए वो उसे ऊपर जाने से मना कर रहा था । लेकिन कायरा की फुर्ती देखकर तो वो खुद जल्दी - जल्दी सीढियां चढ़ने लगा था । लगभग बीस मिनट बाद दोनों अपने टेंथ फ्लोर पर थे, जहां सारे दोस्तों का केबिन था । आरव ने कायरा से कहा ।

आरव - तुम यहां चेयर पर बैठो , मैं फाइल लेकर आता हूं ।

कायरा ने हामी भर दी , और वहीं एक डेस्क की चेयर पर बैठ गई । आरव आदित्य के केबिन की ओर बढ़ गया । उसने केबिन की लाइट ऑन की और आदित्य के बताए अनुसार सेकंड ड्रॉर में फाइल देखने लगा। लेकिन उसे वहां फाइल नहीं मिली । शायद आदित्य ने गलती से उसे गलत जगह बता दी थी , जिसका आभास खुद आदित्य को भी नहीं था । आरव ने सारी डेस्क छान मारी , लेकिन उसे फाइल नहीं मिली । इन सबमें उसे काफी वक्त लगने लगा ।

यहां कायरा बैठे - बैठे बोर हो रही थी । अभी तक आरव को न आया देख, उसे लगा कि आरव को अभी और वक्त लगेगा । उसने अपना मोबाइल और क्लच ( हैंड पर्स ) वहीं डेस्क पर रखा , और बिना हील्स के वो टेरेस की तरफ बढ़ गई । मौसम आज काफी खुशनुमा सा था , जिसे उसने मेहरा मेंशन से निकलते वक्त महसूस किया था । टेरेस चार फ्लोर ऊपर था , पंद्रवें माले पर । कायरा ने टेरेस का डोर ओपन किया , आज किस्मत से डोर पर लॉक नहीं लगा था , इस लिए कायरा को कोई परेशानी नहीं हुई और उसकी मौसम की ठंडी हवा महसूस करने की मुराद भी पूरी हो गई । कायरा टेरेस पर आ गई , और फिर किनारे पर आकर रेलिंग पर हाथ रखकर वो सब ओर देखने लगी , कितना सुंदर नज़ारा था , बड़ी - बड़ी बिल्डिंग्स थी और साथ में उनमें जगमगाती लाइट्स । नीचे देखने पर लोग चीटी बराबर मालूम पड़ रहे थे , और नीचे सड़क की रोड लाइट्स और साथ में सड़क के किनारे लगे पेड़ और उनपर लगी लाइट्स , उस सड़क की शोभा बढ़ा रहे थे । कायरा पहली बार इतनी ऊंची बिल्डिंग की टेरेस पर आई थी और इतने ऊंचे से पहली बार वह आस - पास का नज़ारा देख रही थी । मौसम में ठंडक थी , क्योंकि कहीं आस - पास पानी बरस रहा था और साथ ही बिजली भी कड़क रही थी । कायरा ने अपने हाथ फैला दिए और ठंडी - ठंडी हवा को मुस्कुराते हुए महसूस करने लगी । उसे यहां बहुत अच्छा लग रहा था । हवा के साथ - साथ कभी - कभी हल्की सी पानी की बौछार भी शुरू हो जाती थी और फिर तुरंत बंद भी , कायरा को तो ये मौसम आज जन्नत से कम नहीं लग रहा था । बहुत खुश थी आज कायरा । तभी उसे कुछ देर पहले आरव और उसके रूम में अकेले होने और वहां जो कुछ भी हुआ , सब याद आया । तो उसने अपने हाथ नीचे कर लिए और उसने महसूस किया कि उसकी धड़कने फिर से सामान्य से तेज़ होने लगी हैं । वह उसी के बारे में सोचने लगी , कैसे आरव ने उसकी मर्यादा और उसके ऊपर आने वाली मुसीबत का ध्यान रखा और उसे उस मुसीबत से निकाल भी दिया । न ही आरव ने अपनी मर्यादा लांघी और न ही आरव ने उस बंद कमरे में उसका फायदा उठाने का इरादा रखा । वरना आजकल तो मदद के नाम पर लोग लड़कियों के साथ बंद अकेले कमरे में क्या करते हैं , ये बात कायरा अच्छे से जानती थी । उसे हर बार आरव में एक समझदार , मेच्योर और हमेशा कायरा की हर इच्छा का खयाल रखने वाला इंसान दिखा । कायरा जब भी कुछ सोचती या करना चाहती या फिर किसी परेशानी में होती, तो आरव हमेशा उसकी मदद करने पहुंच जाता और कभी आरव ने कायरा को नुकसान पहुंचाने के बारे में नहीं सोचा , बल्कि हमेशा उसे हर परेशानी से दूर रखने का ही इरादा रहा है उसका । ये सब सोचते हुए कायरा महसूस कर रही थी , कि आरव वाकई में बहुत अच्छा इंसान है और वह जिसका भी लाइफ पार्टनर बनेगा , वह लड़की कितना खुश रहेगी उसके साथ । क्योंकि उसे लाखों में नहीं..., करोड़ों में नहीं...., बल्कि अरबों में एक वर मिलेगा, जो हर तरह से परफेक्ट होगा । कायरा ये सब सोचकर मुस्कुरा रही थी । लेकिन अचानक आरव को किसी और लड़की के साथ इमेजिन कर कायरा को अच्छा नहीं लगा , उसे उस लड़की से जलन का आभास होने लगा । जबकि वो लड़की कौन होगी , ये भी कायरा नहीं जानती थी , लेकिन तब भी उसे आरव के साथ इमेजिन कर कायरा को जलन होने लगी थी । कुछ पल तक कायरा उस जलन में कुढ़ती रही । लेकिन फिर अचानक से बादलों में तेज़ गड़गड़ाहट हुई , और कायरा उस आवाज़ को सुनकर सहम सी गई । जैसे ये गड़गड़ाहड़ उसे चेतावनी देने के लिए हो, कि जो वह महसूस कर रही है , वैसा हो पाना मुमकिन नहीं है । इसका आभास होते ही कायरा एकबार फिर टेरेस के दूसरे छोर के किनारे पर आ गई और रेलिंग के पास हाथ बांध कर खड़ी हो गई । और एक बार फिर उसे समझ आने लगा , कि इस जलन का कोई मोल नहीं है, क्योंकि उसे तो आरव के साथ कभी जीवन बिताने का मौका मिलेगा ही नहीं । उसके तो भाग्य में ही नहीं है ये , कि जिससे उसने प्यार किया , जिसे उसने मन ही मन अपने दिल में जगह दी, जिसे उसने अपनी आखों में बसाया..... , वो उसका जीवन साथी बन सके । धीरे - धीरे ही वह उस वजह के बारे में भी सोचने लगी , जिसकी वजह से उसने आरव से दूरी बना रखी थी , कभी भी उसकी आखों में उभरे खुद के लिए प्यार को उसने आरव के सामने एक्सेप्ट नहीं किया , इनफेक्ट उसकी इस बारे में उठती नजरों को हमेशा कायरा ने इग्नोर किया है , सिर्फ इसी एक वजह से । कायरा की आखों में अब आसूं भर आए थे और कुछ पल बाद आंखों से बहने भी लगे । हर बार कायरा इन आसुओं को बहने से रोक लेती थी , लेकिन यहां वह अकेली है कोई नहीं है जो उसे रोते देखेगा , सोचकर उसने अपने आंसुओं को आज बह जाने दिया । शायद एक भी दिन ऐसा नहीं निकलता था , जब कायरा इस वजह के बारे में न सोचती रही हो । आरव के इतने पास होकर भी , वो न चाहते हुए भी आरव से इतनी दूर थी , इसका गिल्ट उसे हर वक्त कचोटता था ।

आरव ने फाइल हर जगह ढूंढी , पर उसे कहीं नहीं मिली । आरव ने चाबी के गुच्छे में , कुछ चाबी और देखी , जो कि आदित्य के डेस्क की तो नहीं थी, क्योंकि अभी तो उसने सारे ड्रॉर इन्हीं चाबियों से ओपन किए थे । तभी उसकी नज़र, केबिन के एक दम साइड में रखे कबर्ड पर गई । उसने तुरंत दिमाग लगाया , और कबर्ड की ओर बढ़ गया । उसने बाकी बची हुई चाबियां ट्राय की और कबर्ड ओपन किया । फिर उसने वहां छान - बीन की, तो उसे कुछ नॉर्मल कवर पेज फाइलों के नीचे दबी वो फाइल मिल गई, जिसका जिक्र आदित्य ने किया था । उसने चैन की सांस ली और फाइल निकाल कर उसे चेक कर, कि ये वही फाइल है या नहीं, देखने के लिए खुद को श्योर किया , फिर कबर्ड लॉक किया और फिर केबिन लॉक कर वो बाहर आ गया । बाहर आकर वो उस तरफ बढ़ गया , जहां उसने कायरा को छोड़ा था । डेस्क के पास पहुंच कर जब उसने कायरा को वहां से गायब देखा , तो हैरान होकर खुद से कहा ।

आरव - ये कहां चली गई..???? ( तभी उसे मोबाइल, क्लच और हील्स दिखी , उसने खुद से कहा ) और ये क्या, सारी चीज़ें यहीं छोड़ कर गई है । कहीं अपने केबिन में तो नहीं गई । ( ये सोचते हुए वो कायरा के केबिन की तरफ चला गया , लेकिक केबिन को बाहर से लॉक देख कर वह परेशान हो गया ) आखिर ये लड़की गई कहां और बताया भी नहीं इसने जाने से पहले ।

उसने चारों तरफ नज़र दौड़ाई , सब तरफ उसे बाहर से लॉक केबिन ही दिखे । उसने फाइल वहीं डेस्क पर रखी और वह अनायास ही , इलेवंथ फ्लोर पर चला गया , और फिर जब वहां भी कायरा नहीं दिखी , तो उसने ऊपर के सारे बचे हुए फ्लोर भी छान मारे, ये सोचकर कि अगर वो नीचे जाती, तो अपना सामान इस तरह डेस्क पर छोड़ कर नहीं जाती । आरव फोर्टिन्थ फ्लोर पर जब सब जगह देख कर थक गया, तो उसे अब गुस्सा आने लगा और खीझ भी होने लगी , कि कायरा उसे बता कर क्यों नहीं गई । तभी उसे टेरेस साइड का डोर ओपन दिखा , तो वह सीढियों की तरफ आ गया । और तुरंत वह टेरेस में चढ़ गया । जब वहां उसने नज़र घुमाई और उसे कायरा एक कोने में खड़ी दिखी , तो उसकी जान में जान आई । लेकिन आरव उसके करीब जाता, उससे पहले ही वो खोने सा लगा था उसमें । क्योंकि चमचमाती बिजली , शहर की लाइट्स और चलती ठंडी हवा की अंधेरी रात के बीच , खड़ी वहां कायरा पीछे से बहुत खूबसूरत लग रही थी । उस वक्त वो कायरा है ये पहचानना मुश्किल जरूर था, क्योंकि उसका चेहरा नहीं दिख रहा था, लेकिन वो दृश्य जरूर बहुत सुंदर लग रहा था । शायद अगर वहां कोई कैमरा पर्सन या फिर कोई पेंटर होता , तो जरूर उसे तस्वीर के रूप में उतारता । आरव वहीं से बोलते हुए कायरा की तरफ बढ़ा ।

आरव - यहां क्या कर रही हो कायरा तुम...???? और वो भी ऐसे बिगड़े मौसम में , अकेले .....।

आरव की आवाज सुनकर कायरा चौंक गई, फिर उसने तुरंत आरव से छिप कर अपने आसूं साफ किए और आरव से बोली ।

कायरा - कुछ खास नहीं , बस मन किया आज ठंडी हवा में आने का , तो आ गई ।

इतना कहते हुए वह आरव की तरफ मुड़ी , तो पाया आरव उसे ही देख रहा था। कायरा खुद के जज्बातों को संभाल नहीं पाई और न ही वह अपनी नजरें आरव से हटा पाई । शहर में बिखरी लाइट्स की हल्की रोशनी में दोनों को एक दूसरे का चेहरा , काली - घनेरी रात में किसी चमकते हुए चांद सा प्रतीत हो रहा था । दोनों अपने - अपने चांद में खोए , एक टक एक दूसरे को देख रहे थे । एक तरह से कहें , तो आज असल खूबसूरती दोनों को डिम लाइट्स में एक दूसरे की नज़र आ रही थी , मन की भी और शायद तन की भी । तभी अचानक से बादल गरजे और तेज़ बारिश शुरू हो गई । या ये कहें, मूसलाधार बारिश शुरू हो गई । बगल की बिल्डिंग में गाने चल रहे थे , शायद कोई पार्टी चल रही थी वहां , या फिर कोई आज इन्ही की तरह प्यार में डूबा, शायद अकेले ही किसी को याद कर गाने सुन रहा था । गानों की कतार में , अब फिर से एक गाने ने धुन और सुर पकड़ लिए, और वो गाना दोनों के कानों से होते हुए सीधे दिल के जज्बातों में मिलने लगा , या यूं कहूं दिल के कोने में पनपी मोहब्बत में घर करने लगा । शायद आज सैलाब ही लाना चाहता था, ये गाना और उसपर जोरों की होती ये मूसलाधार बारिश । दोनों को एक दूसरे की खूबसूरती और आखों के सिवा कुछ दिख ही नहीं रहा था , और सुनाई दे रहा था तो बस , पानी की झिमझिमाती बौछार के साथ, उसकी आवाज़ में घुल कर हर तरफ शोर मचाते गाने के अल्फाज़ ।

दोनों काफी ज्यादा भीग गए थे , लेकिन नजरें अब भी एक दूसरे से नहीं हटी थीं । कायरा के चेहरे को भिगोती हुई पानी की बूंदे, आज आरव को चांद के आस - पास बिखरे तारों सी लग रही थी और आरव के गिले बालों के माथे पर आ जाने के कारण , वो बहुत क्यूट लग रहा था , जिसे कायरा अपलक देख रही थी । आरव ने कायरा को देखते हुए, अपना एक कदम कायरा की ओर बढ़ा दिया, तो कायरा ने भी उसे देखते हुए अपना एक कदम पीछे ले लिया । आरव ने अपना अगला कदम बढ़ाया, तो कायरा ने दोबारा अपना कदम पीछे ले लिया । कुछ कदमों के फासलों के दरमियान में बंधे दोनों के मन में, एक अलग एहसास , एक अलग ही समा बंधा हुआ था । आरव जितने कदम कायरा की ओर बढ़ाता, कायरा उतने कदम पीछे ले लेती । अंत में एक पल ऐसा आया, जब कायरा के पीछे टेरेस की रेलिंग आ गई , और अब उसके कदम खुद ही रुक गए, और कायरा को किनारे में देख आरव के कदम भी रुक गए । कुछ पल बाद आरव कायरा के करीब आया , और उसने कायरा को देखते हुए ही अपने दोनों हाथों को रेलिंग से टिका दिया और उन हाथों के बीच में कायरा थी । दोनों की धड़कने तेज़ थी और शोर कर रही थी, लेकिन बारिश और गाने के शोर में धड़कनों की आवाज़ दब गई थी ।

कहना ही क्या ये नैन एक अन्जान से जो मिले
चलने लगे, मोहब्बत के जैसे ये सिलसिले
अरमां नये ऐसे दिल में खिले जिनको कभी मैं ना जानूं
वो हमसे, हम उनसे कभी ना मिले कैसे मिले दिल ना जानूं
अब क्या करें, क्या नाम लें कैसे उन्हे मैं पुकारूं
कहना ही क्या ये नैन एक अन्जान से जो मिले
चलने लगे, मोहब्बत के जैसे ये सिलसिले

कायरा ने अपनी सांसों को काबू में करने के लिए, आरव को हल्का सा धक्का दिया , जिससे आरव उससे दूर हो गया , और टेरेस के दरवाजे की बगल वाली दीवाल के पास जाकर खड़ी हो गई, साथ ही तेज़ - तेज़ सांसें लेने लगी । आरव कुछ पल तो खड़ा उसे निहारता रहा , और फिर कुछ पल बाद वह कायरा की ओर बढ़ा । जब आरव कायरा के नजदीक आ गया , तो कायरा को इसका आभास हुआ और वह पलटी, कि लड़खड़ा गई , लेकिन आरव ने अपनी मजबूत बाहों में उसे संभाल लिया और दीवाल से टिका दिया और उसके चेहरे को बड़े प्यार से निहारने लगा । कायरा को आरव की खुद के चेहरे पर डूबी हुई नजरें देख, मन में एक अजीब सा लेकिन मीठा सा एहसास हो रहा था । वह आरव से अब नजरें नहीं मिला पा रही थी, क्योंकि आरव की नजरों की कशिश आज जोरों पर थी । तो वह आरव की बाहों की पकड़ से आदाज़ होकर , टेरेस के बीचों बीच जाने लगी, लेकिन तभी उसे अपनी साड़ी का पल्लू खिंचा हुआ सा महसूस हुआ। उसे लगा कि आरव ने उसकी साड़ी का पल्लू पकड़ा हुआ है, तो वह नजरें नीची कर पलटी और हल्की सी नजरें उठाकर उसने आरव की तरफ देखा, तो आरव ने अपना दाहिना हाथ उठा दिया , जिसकी कलाई में बंधी घड़ी में कायरा की साड़ी का पल्लू अटक गया था । ये देख कायरा को खुद की अल्हड़ पन की सोच पर हंसी आई और वह उसकी कलाई से पल्लू निकालने के लिए बढ़ने लगी । लेकिन कायरा आरव की तरफ बढ़ती , उससे पहले ही आरव ने उसी दाहिने हाथ से कायरा का पल्लू अपनी हथेली में पकड़ लिया और धीरे - धीरे वह उसे समेटते हुए और नजरें कायरा पर जमाए हुए , उसकी ओर बढ़ने लगा । अपनी ओर आरव को आता देख, कायरा की नजरें एक बार फिर उस पर टिक गई । आरव कायरा के करीब आया , और उसने कायरा की कमर को अपनी हथेली की पकड़ में शामिल किया और उसे अपने करीब खीच लिया । कायरा की तो सांसें ही अटक गई, जो कुछ पल पहले तक तेज़ रफ्तार से चल रही थी । शरीर में एक सिहरन की लहर दौड़ने लगी उसके , उसने अपनी पलकें बंद कर लीं और दोनों एक दूसरे के चेहरे पर पानी की तेज़ बूंदों के साथ, एक दूसरे की सांसें महसूस कर पा रहे थे । आरव ने कायरा के दाहिने गाल पर हाथ रख दिया, तो कायरा ने भी अपने बाएं हाथ से उसके दाहिने हाथ पर हाथ रख दिया , और उसने दूसरे हाथ से आरव के कंधे को जकड़ लिया । आरव ने उसे आहिस्ता से घुमाया , और उसकी पीठ अपनी ओर कर ली । एक तेज़ हवा का झोखा दोनों को छूकर निकल गया , जिससे दोनों सिहर उठे थे । कायरा तो बस खोई सी उसकी सांसें खुद की गर्दन पर महसूस करने लगी और आरव कायरा की खुशबू में खोया हुआ था ।

पहली ही नजर में कुछ हम, कुछ तुम हो जातें हैं यूं गुम
नैनों से बरसे रिम-झिम, रिम-झिम हमपे प्यार का सावन
शर्म थोड़ी-थोड़ी हमको आये तो नज़रें झुक जाएँ
सितम थोड़ा-थोड़ा हमपे झोख हवा भी कर जाये
ऐसे चले, आँचल उड़े दिल में एक तूफ़ान उठे
हम तो लुट गये खड़े ही खड़े
चलने लगे, मोहब्बत के जैसे ये सिलसिले

तभी एक जोरदार , भयानक बिजली कड़की । और बिजली कड़कने की इतनी तेज आवाज सुनकर कायरा बुरी तरह से डर गई , और वह तुरंत पलटकर आरव के सीने से जोरों से लिपट गई , उसने अपनी आंखें जोरों से बंद कर रखी थी। अचानक हुए इस वाकिये से आरव भी हैरान था , और कड़कती बिजली के शोर ने उसके कानों को कुछ पल के लिए शून्य अवस्था में कर दिया । जब उसे प्रॉपर सुनाई देने लगा , तो उसे कायरा खुद से जोरों से लिपटी मिली । अब बारी थी आरव की सांसें अटकने की, जो कि वकाई अटक चुकी थी । अपनी पीठ पर कायरा की पकड़ महसूस कर आरव की धड़कन बहुत जोरों से चल रही थी , जिसकी आवाज कायरा के कानों तक भी पहुंच रही थी । लेकिन वह इस वक्त इतनी डरी , सहमी हुई थी , कि उसका ध्यान इस पर ढंग से गया ही नहीं । कायरा को डर से कांपते देख आरव ने भी उसे अपनी बाहों में भर लिया । आरव का स्पर्श पाकर कायरा को एक अनजाना सा सुकून मिला और आरव को भी उसके गले लगे होने से राहत पहुंच रही थी, जैसे बरसों से तपते रेगिस्तान पर किसी ने बारिश कर दी हो । आरव की बाहों में कायरा अपने आपको महफूज़ महसूस कर रही थी । आरव अपने एक हाथ से कायरा के बाल सहलाने लगा , और बिल्कुल बच्चों की तरह उसे शांत रहने और न डरने के लिए कहने लगा , जैसे कायरा कोई छोटी सी बच्ची हो । ये सब देखकर , कायरा को उसकी बाहों में एक अपनापन सा महसूस होने लगा । उसे ये भी याद आया, कि कैसे बचपन में उसके पिता ऐसे ही किसी चीज़ से कायरा के डरने पर , उसे शांत कराया करते थे । आरव के इस तरह शांत कराने के अंदाज में उसे अपने पिता की छवि दिखने लगी । कुछ पल तक दोनों ऐसे ही भीगते पानी में खड़े रहे । कुछ समय बाद कायरा आरव से अलग हुई और उसने अपनी नजरें नीची कर ली , और दोबारा वो उसी दीवाल की तरफ भाग गई , जहां वह कुछ देर पहले आरव के साथ खड़ी थी । कायरा का पल्लू आरव की घड़ी में बंधे होने के कारण , अनायास ही वो भी उसकी तरफ खिंचता चला गया और दोनों ही दीवाल के पास आकर रुके । इस बार कायरा को आभास नहीं था, कि उसका पल्लू आरव की घड़ी से बंधा है । आरव को अपने सामने देखकर कायरा उसे दोबारा देखने लगी । तो आरव ने उसकी पीठ दीवाल से टिका दी और अपने हाथ की घड़ी से उसने कायरा के साड़ी का पल्लू निकाला । उसे कमर से पकड़कर दोबारा अपने करीब खींचा , तो कायरा आरव के सीने से आ लगी । कायरा अब आरव की आंखों में देखने लगी और आरव ने कायरा के साड़ी का पल्लू अपने दोनों हाथों में लिया , और उसके सिर पर ओढ़ा दिया । और उसे दोबारा दीवाल से टिकाकर, उसने अपना एक हाथ दीवाल में और एक हाथ कायरा की कमर पर रख लिया । दूध से सफेद गोरे चेहरे पर , पानी की बूंदों के साथ उढ़ाया हुआ काली साड़ी का पल्लू , चांद को ओढ़ाए हुए काले आसमान के आवरण सा लग रहा था । कायरा उसमें बहुत ही ज्यादा प्यारी लग रही थी और आरव उसे एक टक उसकी इस प्यारी सी खुबसूरती को अपलक देखते हुए , अपनी आंखों में बसा रहा था । कुछ पल उसे निहारने के बाद आरव ने कायरा की तरफ अपने होठ बढ़ाए , तो कायरा ने दोबारा अपनी पलकें भींच ली । आरव ने उसे ऐसा करते देख, मुस्कुराकर उसके माथे पर अपने प्रेम , अपने होठों की छाप छोड़ दी और फिर दोबारा उसे निहारने लगा । कायरा बस पलकें बंद किए इस एहसास को महसूस कर रही थी, क्योंकि ये आरव के होठों का पहला स्पर्श था जो उसके शरीर पर अंकित हुए था और वो भी खूबसूरत लम्हें के रूप में । वो इस एहसास को अपने दिल में समा लेना चाहती थी । कुछ पल बाद आरव ने उसके गाल पर हाथ रख दिया और दूसरा हाथ अपने आप ही आरव का कायरा के होठों पर चला गया । आरव हल्के हाथों से कायरा के होठों को स्पर्श करने लगा , और कायरा थी कि अपने होठों पर आरव के हाथों का स्पर्श महसूस करते ही दीवाल में गड़ी जा रही थी । उसका बस चलता , तो शायद दीवाल को तोड़कर उसमें आज समा जाती । कुछ पल बाद उसे अपने चेहरे पर तेज़ सांसें महसूस होने लगी, जो कि आरव की थी । उसने तेज़ी से अपनी मुट्ठी और आंखें दोनों भींच ली और आरव के होठ , उसके होठों के करीब पहुंच चुके थे ।

इन होंठों ने माँगा सरगम, सरगम तू और तेरा ही प्यार है
आंखें ढूंढे हैं जिसको हर दम, हर दम तू और तेरा ही प्यार है
महफ़िल में भी तन्हां है दिल ऐसे, दिल ऐसे
तुझको खोना दे, डरता है ये ऐसे, ये ऐसे
आज मिली, ऐसी खुशी झूम उठी दुनिया ये मेरी
तुमको पाया तो पाई ज़िन्दगी
कहना ही क्या ये नैन एक अन्जान से जो मिले
चलने लगे, मोहब्बत के जैसे ये सिलसिले
कहना ही क्या .........।

आरव के होठ कायरा के होठों से हल्के से ही छुए होंगे , कि कायरा ने तुरंत अपनी मुट्ठी खोली और झट से आरव के सीने से लिपट गई । उसने आरव को अपनी बाहों में बहुत जोर से कस लिया, साथ में अपनी आंखें बंद रखी और आरव ने भी उसी तरह उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके कंधे पर अपना सिर रखकर , उसके बालों पर हाथ फेरने लगा । उसने भी अपनी आखें भींच ली थी ।दोनों को एक अजीब सा सुकून, अजीब सी तृप्ति, एक अजीब सी खुशी मिल रही थी इस वक्त ।

भाद्रपद का महीना और उस पर जन्माष्टमी के आस - पास की बारिश होना शुभ माना जाती है । साथ ही ये एक तरह से अंतिम बारिश भी मानी जाती है । माना कि मुंबई में बिन मौसम बरसात का प्रचलन है, लेकिज इस अंतिम बारिश से कभी मुंबई भी पीछे नहीं रहा है । ऊपर से हो रही ये तेज़ बूंदों की बारिश, मानो लग रहा था जैसे आज जान बूझकर भगवान इतनी तेज़ बारिश करवा रहे थे । उसपर इन दोनों का ये आज अपनी धड़कनों को चीरता हुआ प्यार । अगल ही कहानी लिख रहा था । लेकिन क्या इतना ही काफी था, या फिर इस इज़हार को अमान्य भी माना जा सकता है, इन दोनों के द्वारा ..???? क्या ये दोनों मुकर जायेंगे, अभी हुए इनके दो दिलों के इज़हार से , या फिर इसे आज ये दोनों सहर्ष स्वीकार कर लेंगे । क्या इसके बाद भी शब्दों का होना , जरूरी है...??? इनके प्रेम को अभिव्यक्त करने के लिए, या फिर ये इशारा ही काफी है , कि दोनों एक दूसरे से अटूट प्रेम करते हैं । क्या ये जो प्यार के खूबसूरत एहसास अभी दोनों ने महसूस किए, ये काफी नहीं है इनकी प्रेम की पराकाष्ठा जताने के लिए । खैर......, इन सवालों के जवाब तो वक्त ही देगा , या फिर ये दोनों ।

दोनों एक दूसरे में खोए से खड़े थे, कि तभी उन्हें कदमों की आहट की आवाज़ आई । दोनों ने आंखें खोली और जैसे ही अपने आपको एक दूसरे से लिपटे पाया, तुरंत अलग हो गए । कायरा अपनी साड़ी का पल्लू अपने कंधे पर संभाले टेरेस के किनारे पर जाकर खड़ी हो गई और आरव टेरेस के दरवाजे के पास कायरा से दस कदम की दूरी पर खड़ा हो गया , अब तक उसने अपनी धड़कनों को थोड़ा काबू का लिया था । तभी उसे वॉचमैन की आवाज़ सुनाई दी, जो सीढ़ियों से ऊपर आते हुए उसे देखकर कह रहा था ।

वॉचमैन - अरे सर....., आप तो बहुत बुरी तरह से बारिश में भीग गए ( फिर टेरेस पर आकर कायरा को देखते हुए बोला ) और मैम भी ....। इतनी तेज़ बारिश में आप दोनों यहां क्या कर रहे हैं और मैम वहां किनारे पर क्यों खड़ी हैं ..???? ( आरव ने कोई जवाब नहीं दिया , कोई कुछ कहता उससे पहले ही वॉचमैन आरव को चाबी पकड़ाते हुए बोला ) सर बारिश बहुत उफान पर है, नीचे पार्किंग एरिया पर थोड़ा - थोड़ा पानी जमा हो गया है । मुझे लगता है आप दोनों को भी कपड़े चेंज कर जल्दी ही घर के लिए निकल जाना चाहिए । बारिश बहुत तेज़ हैं, कहीं अगर सड़कों पर जाम लग गया , तो आप दोनों फंस जायेंगे । मैंने सभी जगह लॉक लगा दिया है, सिर्फ आपके फ्लोर का स्विच ऑन है, ये रही बिल्डिंग के मेन गेट और आपके फ्लोर की चाबियां । मैं अगर यहां रहा , तो पानी में फंस जाऊंगा और ऐसे में मेरे बीबी बच्चे परेशान हो रहे होंगे । ऐसी स्थिति में घर में अक्सर पानी भर जाता है , इस लिए उनकी देख रेख़ के लिए मुझे जाना होगा ।

आरव ( उससे चाबियां लेकर ) - ठीक है, तुम जाओ । ध्यान से जाना , और अगर कोई प्रॉब्लम आए , तो बता देना । हम भी कुछ देर में निकलेंगे ।

वॉचमैन - आपने मदद के लिए कहा, इतना ही काफी है साहब । मैं निकलता हूं ।

इतना कहकर वो चला गया । और इधर आरव बरसते पानी में टेरेस के दूसरे छोर में आ गया और उसने अपना हाथ रेलिंग में दे मारा और गुस्से से झुंझलाते हुए मन ही मन खुद से कहा ।

आरव - ये मैंने आज क्या कर दिया...??? इतना क्लोज .., वो भी बिना इकरार के , बिना उसकी सहमति जाने मैं ऐसा कैसे कर गया ये । क्या सोच रही होगी वो मेरे बारे में । आरव...., ये तूने आज क्या कर दिया । कैसे तू आज अपने जज्बातों को कंट्रोल नहीं कर पाया । कैसे तू बहक गया , कैसे...????

इधर कायरा रेलिंग के पास खड़ी , खुद पर गुस्सा कर रही थी । वह मन ही मन खुद को सुना रही थी ।

कायरा - आज तुमने ये क्या कर दिया कायरा..??? खुद पर काबू क्यों नहीं रखा ......??!!! तुमने तो आज ये साबित कर दिया आरव की नजरों में , कि तुम उससे प्यार करती हो । अब भला इतना सब होने के बाद तुम उन्हें कैसे झुठलाओगी..???? उनके सवालों का सामान कैसे करोगी तुम ....???? अब तक तो उन्हें शक था , कि मैं उन्हें पसंद करती हूं , फील करती हूं बहुत कुछ उनके लिए , लेकिन अब तो उनका शक यकीन में बदल गया होगा । ये सब होने के बाद तेरे लिए समस्या और बढ़ने वाली है कायरा, तू कैसे सामना करेगी अब आरव का ...??

आरव ( मन ही मन ) - माना कि उसने विरोध नहीं किया, लेकिन पहल भी तो उसने नहीं की थी , तूने ही की थी । तूने ये गलत किया , उसकी चुप्पी को देख तुझे अपने कदम रोकने चाहिए थे , न कि बढ़ाने चाहिए थे । ( तभी वह कुछ सोचते हुए खुद से मन ही मन बोला ) लेकिन कायरा ने विरोध क्यों नहीं किया ....??? उस दिन राजवीर के उसके हाथ भर पकड़ लेने से उसने उसे करारा तमाचा जड़ दिया था । फिर आज...., इतना सब होने के बाद भी उसने एक शब्द नहीं कहा । जहां तक मुझे पता है, कोई भी लड़की ऐसे ही किसी लड़के के करीब नहीं जाती । और जितना मैं जानता हूं , कायरा उन लड़कियों में से बिल्कुल भी नहीं है जो लड़कों का फायदा उठाए या फिर गलत इरादा रखे । कायरा तो एकदम साफ दिल की सीधी और समझदार लड़की है । फिर उसने विरोध क्यों नहीं किया...??? उसने सारे हक उस वक्त मुझे क्यों दिए...??? पार्टी में भी उसने वो हक मुझे दिया था , जो कि कोई भी लड़की उसे ही देती है जिस पर वो ट्रस्ट करती है । चलो अगर इतना भी है , तो भी कोई बड़ी बात नहीं , क्योंकि इतना हक तो एक दोस्त को भी मिल सकता है , क्योंकि भरोसा तो दोस्त पर भी होता है , और वो तो एक नॉर्मल सा डांस बस था । लेकिन अभी जो हुआ वो...., वो सब नॉर्मल नही था । क्या मेरा शक सही था , कायरा भी मेरे लिए वही फील करती है जो मैं उसके लिए करता हूं । हां......, करती है वो मेरे लिए फील तभी तो आज उसकी आंखें हमेशा की तरह सच बयां कर रही थी । और अभी जो कुछ वक्त पहले हमारे बीच हुआ , उसे देखकर तो साफ है कि मैं आज गलत नही हूं । लेकिन फिर कायरा ने कभी कुछ कहा क्यों नहीं ...???? क्या वो ये चाहती है , कि पहल मैं करूं अपने प्यार की ..???? क्या उसे भी बाकी लड़कियों की तरह ये लगता है , कि हमेशा इस मामले में पहल लड़के को ही करनी चाहिए । लेकिन हमारा प्यार तो बराबरी का है , तो फिर पहले वो करे या मैं इससे उसे या मुझे फर्क तो नहीं पड़ना चाहिए । अगर ऐसा है तो मुझे कायरा से बात करनी होगी , और अगर वो ऐसा चाहती है तो मैं पहल करने को तैयार हूं । और अगर इसके अलावा बात कुछ और है , तो मुझे जननी होगी । मुझे जल्द से जल्द जानना होगा , कायरा ऐसा क्यों कर रही है । क्यों सब कुछ जानते समझते हुए भी वह चुप है ।

सोचते हुए आरव जैसे ही पलटा , उसे दरवाजे के पास कायरा खड़ी नजर आई । वह उसकी तरफ बढ़ गया । कायरा ने नजरें नीची किए ही आरव से कहा।

कायरा - मुझे लगता है हमें चलना चाहिए , हवा बहुत तेज है और बारिश भी ।

आरव कायरा की आवाज में कंपन महसूस कर रहा था और उसने ध्यान से कायरा को देखा , तो बारिश के साथ चल रही तेज़ हवा के कारण वह ठिठुर रही थी । कायरा को ठंड न लग जाए , सोचकर उसने हामी भरी और सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया । उसके पीछे - पीछे कायरा भी चल पड़ी । आरव ने टेरेस का डोर लॉक किया और नीचे आने लगा । तीन चार सीढ़ी नीचे उतरने के बाद कायरा के पैरों में फिसलन होने लगी , क्योंकि एक तो गिले कपड़े और उसपर गीले नंगे पैर , साथ में चिकनी टाइल्स होने के कारण उसके पैर फिसल रहे थे । कायरा लड़खड़ाई , पर उसने रेलिंग पर हाथ रख लिया और खुद को गिरने से बचा लिया । आरव ने जब ये देखा , तो वह कायरा की तरफ आया । कायरा कुछ समझ पाती , उससे पहले ही आरव ने उसे अपनी बाहों में उठाया और सीढियां उतरने लगा । कायरा बस हैरान सी उसे देखती रह गई । वह उसे एक टक देख रही थी , पर आरव ने उसे एक बार भी नहीं देखा । वह शायद ऑब्जर्व कर रहा था कायरा को , और उसे अपने सवालों के जवाब भी तो चाहिए थे । दोनों अपने फ्लोर पर आए । आरव ने कायरा को नीचे उतारा और कहा ।

आरव - कपड़े चेंज कर लो , डिजाइन रूम में तुम्हारे पहनने लायक कपड़े मिल जायेंगे , उन्ही में से कुछ पहन लो , जो तुम्हें कंफर्टेबल लगे ।

कायरा - हमें काफी लेट हो चुका है आरव , मैं घर जाकर चेंज वगेरह कर लूंगी । अभी अगर यहां ये सब किया , तो और वक्त बर्बाद होगा । अभी हमें घर चलना चाहिए ।

आरव - तुम जिस तरह से भीगी हो और ठंड से कांप रही हो , उसके बाद भी अगर तुमने ये गीले कपड़े अगर पांच मिनट भी एक्स्ट्रा पहने तो तुम्हें ठंड लग जायेगी , बीमार पड़ जाओगी तुम । और ऐसा मैं चाहता नहीं हूं ।

कायरा - लेकिन आरव हम और लेट हो जाए.....।

आरव - कपड़े चेंज कर लो कायरा । मैं भी अपने केबिन में कपड़े चेंज करने जा रहा हूं । ऐसी हालत में मैं तुम्हें अब एक मिनट भी नहीं देख सकता । अगर तबियत बिगड़ी तुम्हारी , तो हमें इस वक्त कोई क्लिनिक भी खुला मिल जाए तुम्हारे इलाज के लिए , ये भी बहुत बड़ी बात होगी ।

कायरा ने बिना कुछ कहे उसके आगे हाथ बढ़ाया , तो आरव ने चाबी के गुच्छे में से अपने केबिन की चाबी निकाल ली और बाकी की चाबियां उसे पकड़ा दी । कायरा उन्हें लेकर डिजाइनर रूम में चली गई । आरव भी अपने केबिन में चला गया । और उसने अपने पर्सनल कबर्ड में से अपने कपड़े निकाले , जो वह हमेशा तीन से चार जोड़ी जरूरत पड़ने पर काम आने के लिए रखता था , उन्हें लिया और वाशरूम में चला गया । कायरा डिजाइनर रूम के अंदर आई , उसने वहां बहुत से कपड़े देखे , पर वे सारे कपड़े कायरा के पहनावे से उलट थे । जो सूट वगेरह भी थे अगर , तो वे सब भी या तो टाइट या फिर ढीले थे । इस वक्त उन्हें फिट करना बड़ा मुश्किल था , क्योंकि उसमें बहुत वक्त लगता । तभी उसे कुछ साड़ियां दिखी । उन्हें देख कर कायरा ने उदास सा चेहरा बना किया । वह क्या करे उसे समझ नहीं आ रहा था । उसने आगे बढ़कर साड़ियों के ब्लाउज ट्राय किए , तो एक ब्लाउस उसे फिट आ गया । अब टेंशन ये कि वह पहने कैसे । उसने याद किया , कि आरव ने कैसे उसे साड़ी पहनाई थी और मालती जी ने भी कैसे बताया था उसे । वीडियो में कई बार देखा था उसने , वो सब याद किया । उसने एक बार फिर पूरे रूम को देखा , जहां महंगी महंगी गाउन रखी थी , लेकिन बिना फिटिंग की या फिर जो कल डिलीवर होने वाली थी , उन्हें भला वो कैसे पहनती । उसने मजबूरन एक लाइट क्रीम से कलर की साड़ी उठाई और उसे जैसे तैसे करके लपेट लिया । उससे साड़ी की प्लेट्स बनाते तो नहीं बनी , पर उसने इतना तक तो उसे लपेट ही लिया था , कि कम से कम वह उसमें घर पहुंच सके । वह रूम को लॉक कर किसी तरह साड़ी संभाले बाहर आई ।

अब तक कायरा आरव को ऑफिस में आए काफी वक्त हो चुका था, और रात भी गहराने लगी थी । आरव वाशरूम से बाहर आया , उसने लाइट पिंक शर्ट और व्हाइट पेंट पहना हुआ था । वह बालकनी की तरफ ये देखने आया , कि शायद बारिश थोड़ी कम हो गई हो , तो उसे गाड़ी ड्राइव करने में आसानी होगी । लेकिन बालकनी में आकर जब उसने नीचे नजरें घुमाई , तो हैरान रह गया । वह तुरंत केबिन से बाहर आया । बाहर आते ही उसकी नज़र जब कायरा पर पड़ी , तो उसने उसे कुछ पल देखा और फिर अगले ही पल जोर - जोर से हंसने लगा । ये देख कायरा चिढ़ गई और फिर उदास सा चेहरा बनाकर उसने आरव से मुंह मोड़ लिया । ये देख आरव बोला ।

आरव - अच्छा सॉरी ...., सॉरी । लेकिन तुमसे जब ये पहनते नहीं बनती , तो पहना क्यों...?? और भी कपड़े होंगे रूम में , उन्हें वियर कर लेती ।

कायरा ( उसकी तरफ पलट कर उसे घूरते हुए बोली ) - अगर मेरे लायक कपड़े होते , तो पहन लेती । लेकिन नहीं है , और जो हैं वो या तो फिटिंग में नहीं है या फिर कल डिलेवर होने वाले हैं ।

आरव - तो उन्हें ही पहन लेती , क्लाइंट को एक दिन बाद वो ड्रेस डिलीवर हो जाती , आखिर एक ही ड्रेस की तो बात है ।

कायरा - नहीं ...., वैसे भी मैंने इसे वियर कर लिया है , ठीक है जैसी भी है ।

आरव - अरे तुम मेरे साथ चलो, मैं तुम्हें तुम्हारे लायक ड्रेस ढूंढ कर देता हूं ।

कायरा - नहीं , रहने दीजिए , यही ठीक है ।

आरव - तो मैं तुम्हारी इस साड़ी को अच्छे से वियर करने में मदद कर देता हूं ।

कायरा ( खीझकर ) - रहने दीजिए न आरव । हमें देर हो रही है । मैं घर पहुंचते तक संभाल लूंगी इसे कैसे भी करके । आप प्लीज यहां से चलिए , लेट हो रहा है । हमें घर पहुंचने में अब और देर नहीं करनी चाहिए ।

आरव - सॉरी ...., लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकता ।

कायरा ( उसकी तरफ देखकर ) - नहीं हो सकता से क्या मतलब है आपका..????

आरव - नीचे घुटनों तक पानी भरा हुआ है , ऐसे में हम कैसे जायेंगे ...???

कायरा ( भौचक्की सी ) - क्या....????

आरव ने हां में सिर हिला दिया , तो वह उसी फ्लोर पर बनी बालकनी में आ गई , जहां से बिल्डिंग का फ्रंट क्राइटेरिया दिखाई देता था । उसने नीचे देखा , तो आरव की आधी कार पानी में डूबी हुई थी । शुक्र था , कि ऑफिस एरिया का फ्रंट गेट बंद था , वरना कार नाव की तरह तैरते हुए अब तक सड़क पर आ जाती । पानी अब भी तेज़ था और पानी को इतना तेज़ बरसते हुए काफी वक्त हो गया था , इसलिए अब जगह - जगह पानी उफान पर था , और अब पानी के भराव जैसी स्थिति हो गई थी , अगर ऐसे ही पानी अगले चौबीस घंटे बरसा तो पक्का वहां बाढ़ की संभावना बन सकती है । ये देख कायरा का सर चकराने लगा और सबसे पहला खयाल उसे अपने घर वालों का आया । वह भाग कर अंदर आई और उसने डेस्क पर रखा अपना फोन उठाया , तो देखा उसमें रूही , देवेश जी , मालती जी और अंश के मिलाकर पैंतीस मिस्ड कॉल्स पड़े हैं । उसने तुरंत मालती जी को कॉल किया और अब उसे बहुत डर लग रहा था और घबराहट हो रही थी , कि वह क्या करे ....., कैसे घर जाए ............।

क्रमशः

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