एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 55 ARUANDHATEE GARG मीठी द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 55











कायरा को पंखे की हवा के नीचे बैठने के और ठंडी हवा के मिलने के बाद काफी अच्छा महसूस हो रहा था । उसकी नज़र अब वॉल घड़ी पर गई , तो उसे पता चला कि वो लगभग पंद्रह मिनट से वहीं बैठी हुई है । समय का आभास होते ही कायरा झट से उठ गई । साथ ही एसी और पंखे को बंद कर , अपने बैग को कंधे पर टांगते हुए , रूम से बाहर निकलकर, चलते हुए खुद से बोली ।

कायरा - चल कायरा , जल्दी से दोस्तों के पास जा । क्योंकि आज सुबह से उन लोगों ने तुझे देखा तक नहीं है । मैं भी उनसे कल के बाद से अभी तक नहीं मिली हूं । वो सब तेरे बारे में सोच - सोच कर कुछ ज्यादा ही चिंता करें , उससे पहले ही तू उनके पास पहुंच जा ।

यही सब सोचते हुए कायरा , कैंटीन की ओर बढ़ गई । इधर अंशिका सभी के पास आकर , चेयर पर बैठी , जो रेहान ने पहले ही दूसरी टेबल से खिसकाकर अपने बगल पर रखी थी , पर जब सभी की नजरें उसने खुद की ओर ताड़ते देखी , तो तुरंत सकपकाते हुए वो चेयर आरव के बगल में रख दी । जिसमें इस वक्त अंशिका बैठ चुकी थी । सभी अब दबी हंसी हंस रहे थे , रेहान को देखकर । पर आरव रेहान की ये हरकत देखकर , किसी और ही सोच में गुम था । अंशिका ने जब सबको दबी हंसी हंसते हुए देखा , तो तुरंत कहा ।

अंशिका - क्या बात है, किस बारे में बात चल रही थी , जो मुझे देखते ही आप सबने बंद कर दी और अब ऐसे शर्माए टाइप से हंस रहे हो ।

राहुल - नहीं स्वीटी , ऐसा कुछ नहीं है । हम तो बस.....।

इतना कहते हुए राहुल ने , आरव को इशारा किया । राहुल की बात पूरी होने से पहले ही , उसका इशारा पाकर आरव बोला ।

आरव - अरे अंशू......, मैं तो इन सभी से जन्माष्टमी के बारे में बात कर रहा था । तुझे तो पता है न , मम्मी ने सभी को इन्वाइट किया है , आने वाली जन्माष्टमी पर ।

अंशिका - पक्का न भाई....!!!! क्योंकि आप मुझे अंशू तभी बुलाते हो , जब आपको मुझसे कोई काम सबसे छुपकर करवाना हो या फिर आप मुझसे कोई बात छुपा रहे हों । अब आप सीधे - सीधे बता दो , इन दोनों में से बात क्या है , जो आपने मुझे आज अंशू कहा ।

अंशिका की बात सुनते ही , आरव के साथ - साथ बाकी सब भी टेंशन में आ गए । पर आरव ने अपने चेहरे पर टेंशन उभरने नहीं दी और वो मुस्कुराते हुए बोला ।

आरव - अरे नहीं मेरी प्यारी बहन । दोनो में से ऐसी कोई भी बात नहीं है ।

अंशिका ( आंखें मटकाते हुए ) - तो आपने मुझे अंशू क्यों बोला....????

आरव ( हल्की नाराजगी से ) - अब क्या मैं अपनी बहन को , प्यार से अंशू भी नहीं बोल सकता ....??? अब मेरी एक ही तो बहन है , उसे भी अगर प्यार से नहीं बुलाऊंगा , तो किसे बुलाऊंगा । बता भला.....????

आंशिक ( आरव की बात में आ गई और तुरंत बोली ) - नहीं भाई , ऐसा नहीं है । मैं तो बस बात क्लियर कर रही थी । और मैं तो आपकी लाड़ली और इकलौती बहन हूं न , तो क्या आप मेरे मजाक को भी सीरियस लोगे...???

आरव ( अंशिका की तरफ देखकर ) - तू पक्का मजाक कर रही थी ....???

आंशिक ( आरव को साइड से गले लगाते हुए बोली ) - हां भाई , मैं मजाक ही कर रही थी । ( अब अपने दोनों हाथ , टेबल पर रखकर बोली ) अब बताइए , जन्माष्टमी के इन्विटेशन की बात कहां तक पहुंची । और हां , आदि भाई और कायरा दी कहां है ????

नील - आदि , किसी ऑफिस वर्क से गया है । और कायरा यहीं कहीं होगी , आती ही होगी ।

अंशिका ( झूठा गुस्सा दिखाते हुए ) - ये क्या बात हुई भला , सबके हाथों में कॉफी के कप हैं और मेरे लिए किसी ने, न ही कॉफी मंगाई और न ही किसी ने मुझसे पूछा , कि मैं ठंडा लूंगी या गरम .....।

अंशिका की इस गुस्से से भरी मासूमियत पर , सभी के साथ - साथ सौम्या भी मुस्कुरा दी । और रेहान तो उसके इस मासूमियत भरे लहजे को देखकर , उसे एकटक देखता ही रह गया । अंशिका , रेड क्रॉप टॉप और नेवी ब्लू जींस में लग भी एकदम बाला की खूबसूरत रही थी । ऊपर से बालों की पोनी टेल बंधे होने के बाद भी , उसके गालों के पास हवा से खेलती , वो घुंघराली बालों की लटें, रेहान को मंत्रमुग्ध करने के लिए काफी थी । रेहान अंशिका से नजरें नहीं हटा पा रहा था और अंशिका अपनी नौटंकी को सबके सामने जारी रखे हुए थी , जिसे देखकर सभी को उस पर प्यार भी आ रहा था और हंसी भी । तंग आकर आखिरकार नील ने उससे कहा ।

नील - बस कर स्वीटी , इतनी नौटंकी तो हमने तेरी एक हफ्ते में नहीं देखी , जितना तू यहां बैठकर दिखा रही है । नकली आंसू ही बहने बाकी हैं तेरे अब बस .....। और तू नकली आंसू बहाना चालू करे , उससे पहले ही राहुल भाई इसके लिए इसकी फेवरेट कॉफी और साथ में इसका फेवरेट चीज़ सेंडविच मंगा दे । वरना इंपोर्टेंट बातें तो बाद में होगी , लेकिन इसकी नौटंकी के और अनगिनत कारनामे पहले चालू हो जायेंगे ।

अपनी फेवरेट डिशेज को मंगाने की बात सुनकर , अंशिका ने अपनी नौटंकी छोड़ दी और नील को देखने लगी । राहुल ने अंशिका के लिए , एक कोल्ड कॉफी और साथ में एक चीज़ सेंडविच मंगा दिया । नील ने जब अंशिका को खुद को देखते देखा , तो बोला ।

नील - मुझे ऐसे क्या देख रही है स्वीटी , मैंने कुछ गलत कहा ...????

अंशिका ( मुस्कुराकर बोली ) - ताने के साथ ही सही , पर आपको मेरी कितनी फिक्र है , ये आप अपनी हरकतों से बता ही देते हो । और सच्ची कहूं , मेरे फेवरेट भाई आप ही हो , क्योंकि मेरी सारी फेवरेट चीजें आपको ही पता रहती हैं और आप ही उसे पूरा भी करते हो ।

राहुल और आरव अंशिका की बात सुनकर , एकदूसरे को और फिर अंशिका को देखने लगे । अगले ही पल वो दोनों अंशिका को घूरने लगे । और राहुल ने कह ही दिया ।

राहुल ( अंशिका से ) - मतलब हम भंगारी के दुकान के आलू हैं , जिनकी कोई कीमत नहीं ...!!!! हैं न...????

आरव ( अंशिका से ) - तेरे कहने का मतलब है , कि हम तेरा खयाल नहीं रखते । तेरी फेवरेट चीज़ों के बारे में हम नहीं जानते । या फिर तू साफ - साफ कह रही है , कि नील के अलावा तेरे बाकी भाई तुझसे प्यार नहीं करते ।

अंशिका ( मुंह बनाकर ) - मैंने ऐसा कब कहा ....????

राहुल - तूने जो कहा है न स्वीटी , उसका यही मतलब है ।

अंशिका ( नील को आंख मारकर बोली ) - अरे , मैं तो मजाक कर रही थी । मेरे लिए तो मेरे सारे भाई बराबर हैं। सब मेरा खयाल रखते हैं और मेरी फेवरेट चीजें भी दिलवाते हैं ।

अंशिका को नील को देखकर आंख मरते हुए , आरव और राहुल के अलावा सभी ने देख लिया था और सभी अब चुपके - चुपके हंस रहे थे । राहुल और आरव ने अंशिका की बात सुनी , तो रिलेक्स होकर कहा ।

राहुल और आरव ( एक साथ ) - अगर ऐसा है , तो ठीक है ।

सभी उनके बुध्दु बनने के अंदाज से , हंसने लगे । लेकिन राहुल और आरव से छुपकर , क्योंकि अगर उन दोनो को भनक लग जाती, कि अंशिका ने उन दोनो का मजाक बनाया और झूठ कहा , तो अंशिका के साथ - साथ बाकियों की भी बैंड बजती । तभी अंशिका की फेवरेट कोल्ड कॉफी , विथ एक्स्ट्रा चॉकलेट सिरम और एक चीज़ वाला सेंडविच आ गया । और अब उसने खाते - खाते ही बात करना स्टार्ट किया ।

अंशिका - तो बताइए भाई ....., क्या प्लान है ...????

आरव - प्लान तो कुछ नहीं है । पर हां , तू आ ही गई है तो अब साथ में ही इन सभी को आने के लिए कह देते हैं ।

अंशिका - तो कुछ पल पहले तक आप लोग क्या बात कर रहे थे , क्योंकि आपने तो कहा है , कि आप लोग जन्माष्टमी की बात कर रहे थे ।

आरव ( बातें बनाते हुए ) - मैं तुम्हारा वेट कर रहा था , और अभी कायरा भी तो नहीं है यहां ।

अंशिका - कायरा दी को मैं कह दूंगी । अब आप बाकी सबसे कहो , वो भी जल्दी । क्लास है मेरी आधे घंटे बाद ।

आरव - ओके.....। ( सभी से ) अच्छा सभी सुनो ....।

सभी आरव और अंशिका की तरफ देखने लगते हैं , जो कुछ पल के लिए अपनी - अपनी बातों में बिजी हो गए थे ।

नील - हां बोल ना भाई....।

आरव - तुम लोगों को तो पता है न , हमारे यहां हर साल जन्माष्टमी का बहुत बड़ा प्रोग्राम होता है । ( सभी ने हां में सिर हिलाया , तो आरव आगे बोला ) तो इस साल भी , आने वाली जन्माष्टमी पर , बड़ी पूजा होगी और साथ में जन्माष्टमी पार्टी भी । और मम्मी ने मुझे तुम लोगों को स्पेशली इन्वाइट करने के लिए कहा है , और स्ट्रिक्ट होकर कहा है , कि अगर एक भी दोस्त नहीं आया , तो फिर मम्मी तुम सबको उसके बदले डांट लगाएंगी । अब मम्मी की डांट से तो तुम सभी वाकिफ हो ।

आरव सभी से कह ही रहा था , कि तभी कायरा भी वहां आ गई और बगल की टेबल से एक चेयर खींच कर , रूही के बगल में चेयर लगाकर बैठ गई । कायरा को देखते ही अंशिका बोली ।

अंशिका - लीजिए , कायरा दी भी आ गईं, भाई ....।

कायरा का नाम सुनकर , आरव ने कायर की तरफ देखा । जो उसे बोलते देख , शांति से बैठी उसकी लास्ट की बातें सुन रही थी । आरव ने जब कायरा की तरफ देखा , उसे कायरा का चेहरा काफी उतरा हुआ दिखा । जिससे आरव को थोड़ा अजीब लगा , ये सोचकर कि अभी कुछ देर पहले तक तो ये ठीक थी , अब अचानक से इसे क्या हो गया । कायरा को वहां काफी गर्मी भी लग रही थी, इस लिए वह अपने कॉटन के दुपट्टे के सहारे, बार - बार अपने चेहरे पर आ रहीं पसीने की बूंदें पोंछ रही थी । आरव को उसकी ये हरकतें देखकर , मन ही मन अंदेशा हुआ , जैसे कायरा की तबीयत ठीक नहीं है । उसने आखों के इशारे से ही कायरा से पूछा ।

आरव ( नजरों के इशारे से ) - आर यू ओके....????

कायरा ने उसका जवाब देने की जगह , आरव से गुस्से में नजरें फेर लीं । जो कि आरव को नागवार सी गुजरी और उसे बेहद बुरा भी लगा , कि ऐसा भी क्या गुस्सा , कि हाल चाल पूछने पर भी मुंह फेर लिया , जैसे मेरे मुंह में कांटे लगे हों । बिना बात के इतनी बेरुखी क्यों दिखाई जा रही है मुझे....????, ये सब रूही देख रही थी, और उसे भी कायरा की ये हरकत अच्छी नहीं लगी । क्योंकि आरव तो उससे सिर्फ उसकी तबीयत ही पूछ रहा था , फिर ये लड़की ऐसा बिहेव क्यों कर रही है । कायरा के व्यवहार पर , आरव मन ही मन झल्लाते हुए खुद से बोला ।

आरव -

बेरुखी की वजह तक बताना न जरूरी समझा तुमने,
और मुंह तो ऐसे फेर लिया , जैसे हम अनजान हों ।

आरव आगे कुछ सोच पाता , उससे पहले ही रूही ने सब बातों को इग्नोर करके कायरा को गले लगा लिया , और उसके कान के पास आकर धीरे से बोली ।

रूही - तुम ठीक हो न...???? हमें बताया सभी ने , कल के बारे में । आई एम् सॉरी यार , जब तुम्हें हमारी ...., अपनी दोस्त की सबसे ज्यादा जरूरत थी , तब ही हम तुम्हारे पास नहीं थे , तुम्हें प्रॉब्लम से निकालने के लिए ।

कायरा - तू खुद को दोष मत दे रूही , अगर तुझे पता होता , तो शायद तू मुझे अकेला भी नहीं छोड़ती । खैर ये सब तो ठीक है , पर तू मुझसे इतने धीरे बात क्यों कर रही है और वो भी इस तरह छुपकर ।

रूही - आरव ने अंशिका को इस बारे में भनक लगने से भी मना किया है , इस लिए हम तुमसे ऐसे बात कर रहे हैं । सभी ने तुम्हें भी , इस बात कर जिक्र अंशिका के सामने करने से मना किया है , इस लिए हम इस तरह से तुमसे ये सब कह रहे हैं ।

कायरा रूही के कहते ही समझ गई , कि ऐसा सबने और आरव ने रूही से क्यों कहा । क्योंकि ये बात तो वो भी जानती थी , कि खुशी से ये बात छुपाकर रखनी है । और वो समझ गई , कि इसी लिए अंशिका के सामने ये बात करने से मना की गई है, ताकि अंशिका के जरिए खुशी को राजवीर की हरकतें पता न लगे । कायरा ने तुरंत रूही से कहा ।

कायरा - हम्मम, मैं ध्यान रखूंगी इस बात का ।

रूही - पर हमें तुम्हारी बहुत टेंशन हो रही है ...।

कायरा - तू टेंशन मत ले रूही , मैं ठीक हूं । और जब तक तुम जैसे दोस्त मेरे साथ हैं और स्पेशली आरव मेरे साथ हैं , तब तक कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता । और मैं खुद क्या किसी को अपना कुछ बिगाड़ने दूंगी...?????

रूही ( मुस्कुराकर ) - बिल्कुल नहीं । तुम तो हमारी बहादुर दोस्त हो , न ही खुद पर आंच आने दोगी और न ही अपने दोस्तों और परिवार वालों पर ।

इतना कह कर रूही मुस्कुराते हुए उससे अलग हुई और बदले में कायरा भी मुस्कुरा दी । आरव उनकी लिप्सिंग को देखकर , सारी बातें समझ गया था , कि दोनो ने क्या बात की और उसे खुशी भी थी , कि कायरा ने उसकी बात समझी । जबकि अंशिका उन लोगों को , खूब देर तक गले लगने के बाद अलग होते हुए देखकर तुरंत बोली ।

अंशिका - आप लोग ऐसी क्या बात कर रहे थें, जो इतनी देर तक एक दूसरे को हग किया....????

रूही - कुछ खास नहीं अंशिका , वो हमारी कुछ पर्सनल बातें है ।

अंशिका - ओह्ह्ह.....।

कायरा ( बात का रुख मोड़ते हुए बोली ) - वैसे किस बारे में बात कर रहे थे आप सभी...????

शिवानी - गुरुवार को जन्माष्टमी है न , तो उसी की बातें हो रही थी ।

कायरा - जैसे....???!!!!

नील - आरव के यहां , हर साल जन्माष्टमी बड़े धूम - धाम से मनाई जाती है । अगर हम ये कहें, कि सबसे बड़ी जन्माष्टमी पार्टी शर्मा मेंशन में होती हैं, तो ये कहना गलत नहीं होगा । उसी के लिए आरव और अंशिका हमें इन्वाइट कर रहे थे ।

कायरा ने आरव की तरफ देखा, तो उसने आखों के इशारे से ही हां कहा । कायरा अब सोच में पड़ गई और साथ में रूही , राहुल और रेहान भी । रेहान कुछ सोचकर बोला ।

रेहान - वो सब तो ठीक है आरव । पर उस दिन मेरे घर में भी जन्माष्टमी की पूजा होती है , जिसकी तैयारी लगभग मुझे ही करनी होती है ।

नील - अब तू ये मत कहना रेहान , कि तू इस बार भी इस पार्टी में नहीं आएगा ।

रेहान ( उदास होकर ) - सॉरी गाइस, पर मैं शायद नहीं आ पाऊंगा । घर में मेरे अलावा कोई नहीं है , घर की पूजा की व्यवस्था देखने वाला ।

आरव - कब होगी तेरे यहां पूजा , आई मीन किस टाइम पर...????

रेहान - शाम को....।

आरव - उसके बाद, तू क्या करने वाला है..????

रेहान - फ्री हूं...।

आरव ( आरव ने मुस्कुराकर अंशिका की तरफ देखा और फिर रेहान से कहा ) - रेहान त्रिपाठी जी , हमारे यहां पूजा रात के बारह बजे होगी , ठीक उसी समय जिस समय मथुरा में श्री कृष्ण का जन्म होता है । तो तुम शाम की पूजा खत्म कर, आंटी जी के साथ , हमारे यहां आ सकते हो ।

रेहान - पर फिर भी.....।

अंशिका ( टेबल पर रखे हुए रेहान के हाथों में, अपना हाथ रखकर बोली ) - रेहान ....., अगर इस बार आप हमारे यहां , जन्माष्टमी पार्टी में आयेंगे , तो भाई के साथ - साथ मुझे भी अच्छा लगेगा । आफ्टर ऑल, अब आप मेरे भी तो फ्रेंड हैं , अब क्या आप अपनी इस नई फ्रेंड के लिए इतना नहीं करेंगे , या फिर आप हमारे साथ जन्माष्टमी मनाना ही नहीं चाहते ।

रेहान तो अंशिका का स्पर्श पाते ही जम सा गया था , ऊपर से उसकी ये मीठी - मीठी बातें । ये सब रेहान को किसी सपने से कम नहीं लग रहा था । उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था , कि अंशिका ने उसके हाथ पर हाथ रखा हुआ है और वो खुद रेहान को अपने घर बुला रही है । रेहान तो जैसे सपनों की दुनिया में खो सा गया था , और शायद कुछ देर और खोया रहता , अगर नील और राहुल उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे ये एहसास न करवाते , कि वो इस वक्त कहां है और और किससे बातें कर रहा है । राहुल और नील के द्वारा कधों पर हाथ रखकर , रेहान को हिलाने से जब रेहान होश में आया , तो एक दम से सकपका गया और उसने तुरंत अंशिका के हाथ के नीचे से अपना हाथ हटा लिया । अंशिका को तो इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ा , लेकिन आरव को रेहान की ये हरकत बड़ी अजीब सी लगी । पर वो इस वक्त किसी से कुछ बोल नहीं पाया, क्योंकि वहां सभी बैठे थे , साथ में अंशिका भी । तभी शिवानी ने रेहान से कहा ।

शिवानी - रेहान , अंशिका कुछ कह रही है ।

रेहान ( तुरंत बोला ) - हां...., सुन रहा हूं । असल में आरव , मां भी उस दिन उपवास रहती है । उनकी तबियत भी अब ठीक नहीं रहती , लेकिन मेरे मना करने के बाद भी, वो जिद करके कोई न कोई व्रत रख ही लेती हैं । इस लिए मुझे पूजा के साथ - साथ, मां का भी ध्यान रखना होता है ।

आरव उसकी बात पर कुछ कहने को हुआ , कि तभी अंशिका तपाक से बोल पड़ी ।

अंशिका - तो मां को अपने साथ ले आइएगा , वो भी हम सभी से मिलेंगी , तो उन्हें अच्छा लगेगा । और फिर हम सभी तो हैं हीं , उनका खयाल रखने के लिए ।

अब रेहान धर्मसंकट में पड़ गया । असल में वो अंशिका के सामने आने से हर बार बचता था । उसे डर था , कि गलती से अगर उसने अंशिका को भावनाओं में बहकर कुछ ऐसा कह दिया , जिसका सेंस अंशिका समझ न पाई , या फिर अंशिका उसकी बात को गलत समझ बैठी , तो कहीं सब कुछ स्टार्ट होने से पहले ही खत्म न हो जाए । इस वजह से वो शर्मा मेंशन नहीं जाना चाहता था , लेकिन अंशिका के इतने प्यार से कहने के कारण , वो उसे मना भी नहीं कर पा रहा था । जब सभी ने देखा , कि रेहान कुछ नहीं कह रहा है , तो आरव , अंशिका , नील , शिवानी और राहुल , लग गए रेहान को मनाने । और अंततः उनकी ये मेहनत रंग लाई और रेहान ने सभी से कहा।

रेहान - ठीक है , हमारे घर की पूजा खत्म होने के बाद , मैं पूरी कोशिश करूंगा आने की ।

आरव - मुझे कोशिश नहीं चाहिए रेहान । बल्कि इस बार तू मुझे उस दिन अपने घर में , अपनी आखों के सामने चाहिए ।

आंशिक - हां रेहान....., भूलिए मत , इस बार आपको सिर्फ आपके एक दोस्त नहीं , बल्कि दूसरी दोस्त भी अपने घर बुला रही है । आपको अब आना ही होगा , बिना किसी बहाने के ।

रेहान - ओके , मैं आऊंगा ।

सभी रेहान की बात सुनकर , खुश हो गए । तभी आरव की नजरें एक बार फिर सौम्या की तरफ घूम गई । जो अगर मुस्कुरा भी रही थी , तो ऐसे , जैसे किसी ने उसे मुस्कान उधार में दी हो । और जब से वह यहां आया था , उसने सौम्या की आवाज़ सुनी तक नहीं थी । सौम्या को इतना शांत देखकर , आरव को ताज्जुब हुआ और उसने सौम्या से कहा ।

आरव - क्या हुआ सौम्या , तुम आज इतनी शांत - शांत कैसे हो ....????

सौम्या - कुछ नहीं आरव , बस आज मन नहीं है कुछ कहने का ।

आरव समझ गया , कि सौम्या आदित्य को बहुत ज्यादा मिस कर रही है , इस लिए वो आज यहां होकर भी नहीं है और बार - बार आदित्य के आने की आस लिए बैठी है । असल में ये सच था । सौम्या इस लिए आज आदित्य को मिस कर रही थी , क्योंकि ये शायद पहली बार था , जब सभी साथ थे , लेकिन सिर्फ आदित्य ही गायब था । कल विनय की बात के बाद से , सौम्या और आदित्य की बात तक नहीं हुई थी । रात में आदित्य लेट से घर पहुंचा था , तो उसने ये सोचकर सौम्या को कॉल नहीं किया था , कि वो अब तक सो चुकी होगी । जबकि सौम्या आदित्य के कॉल का, रात भर वेट करती रही । उसे लग रहा था , कि आदित्य उससे अभी भी गुस्सा है । जबकि ऐसा कुछ भी नहीं था । सुबह भी , आदित्य आरव के आने से , कुछ मिनट पहले ही कॉलेज आया था और एक क्लास अटेंड करने के बाद चला गया था। इस वजह से सौम्या ये सोच - सोचकर टेंस्ड थी , कि आखिर उससे कहां और किस मोड़ पर गलती हो गई , कि आदित्य उसे टाइम नहीं दे रहा , उससे बात नहीं कर रहा । कल पार्क में हुई बात के बाद सौम्य को लगा था , कि आदित्य अब उसे अपना पूरा न सही , पर कुछ टाइम तो देगा । लेकिन हुआ उसका उल्टा , आदित्य पार्क से आने के बाद से उससे फोन पर बात तक नहीं कर पा रहा था । इसकी असली वजह थी , आदित्य का काम , जो कि आरव और उसकी खुद की कंपनी से रिलेटेड था , जिसमें आदित्य बुरी तरह से उलझा हुआ था , पर सौम्या को लग रहा था , कि आदित्य ये सब जान बूझकर उसके साथ कर रहा था । गलत यहां सौम्या भी नहीं थी , क्योंकि इतने वक्त के रिलेशनशिप में , ऐसा कभी नहीं हुआ था । पर अब हो रहा था , जो कि सौम्या के दिल और दिमाग में गलत - गलत खयाल भर रहा था । आरव सौम्या और उसके व्यवहार को बखूबी नोटिस कर रहा था । उसने अब सौम्या से कहा , जो अब भी कैंटीन के दरवाजे को देख रही थी ।

आरव - वो नहीं आएगा सौम्या । बिजी है वो सुबह से ।

सौम्या ( परेशान सी आरव को देखकर बोली ) - क्या मुझसे भी ज्यादा इंपोर्टेंट , अब उसके लिए काम हो गया है आरव , कि वो एक बार मुझसे बात तक नहीं करना चाहता , मेरी एक बार सुनना तक नहीं चाहता ...???? क्या गलती कर दी मैंने आरव , अपने रिलेशनशिप के इस मोड़ पर आकर , जब कुछ ही दिनों में हमारी एगेंजमेंट की डेट निकलने वाली है । हमारे इस तीन साल के रिलेशनशिप में , ये सब पहली बार हो रहा है आरव । और ये सब सिर्फ कुछ दिन का नहीं है , बाकी ये तो पिछले कुछ वक्त पहले से चल रहा है और अब आलम ये है , कि ये सब वक्त के साथ बढ़ता ही जा रहा है । ऐसा लग है मुझे , जैसे हमारा ये लव रिलेशनशिप , मेरे हाथों से फिसल रहा है ।

ये कहते हुए , सौम्या की आखों में नमी उतर आई थी । सौम्या की बात सुनकर , सभी टेंशन में आ गए थे और अब उन्हें एक बार फिर सौम्या और आदित्य की चिंता होने लगी थी । इसके उलट आरव सौम्य की स्थिति और आदित्य की स्थिति , दोनों को समझ रहा था । इस लिए उसने सौम्या की तरफ पानी का गिलास बढ़ाया और उसे पीने को कहा और फिर उसकी तरफ टिशू पेपर बढ़ाया और फिर शांत लहज़े में सौम्या को समझाते हुए बोला ।

आरव - देखो सौम्या , जिंदगी में हर वक्त हालात एक जैसे नहीं होते। कल तक आदित्य फ्री था , इस लिए वो अपना पूरा समय तुम्हें देता था। लेकिन आज के समय में , आदित्य के पास इतना भी टाइम नहीं रहता , कि वो बिना किसी स्ट्रेस के चैन की नींद सो सके । वो इस वक्त सिर्फ हमारी कंपनी का काम नहीं संभालता , बल्कि वो अब अपने पापा के बिजनेस में भी हाथ बटाने लगा है , जो कि उसके और उसकी फैमली के लिए जरूरी भी है । मैं ये नहीं कहता , कि तुम गलत हो और आदि सही । पर मैं ये भी नहीं कहूंगा , कि जो भी चल रहा है वो सही है । अगर आदित्य तुमसे बात नहीं कर पा रहा है , तो तुम कर लो । और अगर तुम नहीं कर पा रही हो , तो आदित्य तुमसे बात कर ले । कल आदि कितना ज्यादा बिजी था , हम सभी के साथ , ये तो तुम अच्छे से जानती हो । कल हम पांचों भी अपने घर बहुत देर से पहुंचे । हो सकता है आदि तुम्हें थके होने की वजह से सो गई हो, ये समझ रहा हो । और तुम ये समझ रही हो , कि आदि अभी तक फ्री ही नहीं हुआ , इस लिए तुमने कॉल न किया हो । दोनों ही अपनी जगह सही हो , अगर गलत हैं, तो सिर्फ और सिर्फ हालात हैं । इन हालातों की वजह से, तुम आदि को गलत और आदि तुम्हें गलत ठहराए , ये तो सही नहीं होगा न । मानता हूं , कल आदि ने प्रॉमिस किया था तुमसे , कि वो तुम्हें वक्त देगा । लेकिन जिस इंसान के पास खुद ही वक्त नहीं हैं, वो तुम्हें क्या वक्त दे । मैं ये भी जानता हूं , कि तुम हमेशा आदि से बात करने के लिए , उसकी आवाज़ सुनने के लिए तड़पती होगी , और ये चीज़ रिलेशनशिप में सभी के साथ होती है । लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं , कि हम अपने पार्टनर की सुने बिना ही तय कर लें , कि हमारा पार्टनर हमारे साथ गलत कर रहा है । वह जान बूझकर अपना वादा नहीं निभा रहा है और जानबूझकर हमें वक्त नहीं दे रहा है । किसी भी रिलेशनशिप में , जानबूझकर कुछ भी नहीं होता है सौम्या । बस वक्त और हालात हमसे वो सब करवा देते हैं , जो हम नहीं करना चाहते । आदि के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है । वो भी तुमसे बात करना चाहता है , तुम्हारे साथ बैठकर अपने सुख - दुख बांटना चाहता है , लेकिन उसके पास आजकल इतना समय ही नहीं रहता , कि वो अपने सपने, प्रेजेंट में तुम्हें लेकर जो वो देख रहा है , उसे पूरे कर सके । मैं ये नहीं कहता , कि वो सही है या गलत । या फिर तुम सही हो या गलत । मैं बस इतना ही कहना चाहता हूं , कि कभी - कभी हमें अपने पार्टनर को समझना चाहिए । जानना चाहिए, कि वो ऐसा क्यों कर रहा है । और अगर वो अपनी सफाई नहीं दे पा रहा हैं, तो हमें इंतजार करना चाहिए उस वक्त का , जब वो हमें अपनी सफाई दे । बताए , कि आखिर ये सब वो क्यों कर रहा है । इससे रिलेशनशिप बिगड़ता नहीं है सौम्या , बल्कि और मजबूत बनता है । और धैर्य रखने की क्षमता भी बढ़ती है । मैं तुमसे ये सब इस लिए नहीं कह रहा , कि तुम एक लड़की हो , इस लिए तुम ही ये सब समझो । अगर तुम आदि की जगह होती और आदि तुम्हारी जगह होता , तो मैं उसे भी ऐसे ही समझता, जैसे आज तुम्हें समझा रहा हूं । आशा करता हूं, कि तुम मेरी बात अब तक समझ चुकी होगी और आदि की सिचुएशन भी तुम्हें अब तक समझ आ चुकी होगी ।

सौम्या ने कुछ भी नहीं कहा , बस हां में अपना सिर हिला दिया और अपने आसूं पोंछने लगी । अब उसे बुरा लग रहा था , कि उसने आदित्य को गलत समझा । इसके उलट आरव सौम्य का जवाब पाकर खुश हुआ। वहीं कायरा आरव के इस रूप को देखकर सोचने लगी , कि एक भी कमी नहीं है आपमें आरव , हर रिश्ते को कैसे निभाना है , ये कोई आपसे सीखे । काश कि मैं आपको भी , हमारे बीच का रिश्ता निभाने दे पाती , तो शायद हमारी जिंदगी भी आज कितनी खूबसूरत होती । कायरा ये सब सोच ही रही थी , कि तभी आरव ने सभी से मुस्कुराते हुए कहा ।

आरव - वैसे मैंने सौम्या की इस प्रॉब्लम का सॉल्यूशन ढूंढ लिया है , अगर सौम्या मेरी बात माने , तो चीज़ें आसान हो जाएंगी , सौम्या के साथ - साथ हमारी जिंदगी में भी ।

सौम्या - और वो क्या है ...????

आरव ( मुस्कुराकर ) - मैं तुम्हें अपनी कंपनी के , हमारे और स्पेशली आदि के साथ काम करने का मौका देना चाहता हूं । या तुम ये समझ लो , कि तुम्हें आदि के साथ पूरे दिन रहने का ऑफर दे रहा हूं ।

सौम्या ( खुश होकर बोली ) - वाओ...., ये आइडिया तुम्हें कब आया ?

आरव - कल रात , सोने से पहले ।

सौम्या - लेकिन क्या आदि इस बारे में मनेगा...????

आरव - उसकी टेंशन तुम मुझपर छोड़ दो , तुम अपनी बताओ ।

सौम्या - मुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं हैं, बस एक बार घर में बात करनी पड़ेगी । क्योंकि खुद के घर का इतना बड़ा बिजनेस एम्पायर होने के बाद , उनकी बेटी कहीं और जॉब करे , इसकी इजाजत मुझे मिलेगी या नहीं , इस बारे में मैं श्योर नहीं हूं ।

शिवानी - तू ज्यादा सोच रही है सौम्या । तेरे घर वाले बहुत ही खुली सोच रखने वाले हैं , या ये कहूं कि आज के टाइम की थिंकिंग रखते हैं । और उन्हें ये भी पता हैं, कि आदि भी वहीं काम करता है। इस लिए तुम लोगों को कुछ वक्त साथ में देने के लिए , वे आसानी से मान जायेंगे ।

सौम्या - ठीक है , मैं रेडी हूं फिर ।

आरव - शिवानी , तुम्हारा क्या खयाल है इस बारे में ....????

आरव की बात सुनते ही नील को खांसी आने लगी और वो जोर - जोर से खांसने लगा। राहुल ने उसे पानी दिया और शिवानी उसे हैरानी से देखने लगी , कि इसे अचानक से क्या हुआ...????

जबकि नील पानी पीते हुए आरव को इशारे में न ....., न....., कहने लगा । और आरव समझ गया , कि नील क्या कहना चाहता है । उसने पूरी तरह से नील को इग्नोर किया और शिवानी से दोबारा कहा ।

आरव - बताओ शिवानी , तुम्हारा इस बारे में क्या खयाल है ...????

शिवानी ( नासमझ सी बोली ) - तुम कहना क्या चाहते हो , मैं कुछ समझी नहीं ।

आरव - क्या तुम नील के साथ काम नहीं करना चाहती , उसके साथ वक्त नहीं बिताना चाहती ...????

नील ( गिलास टेबल पर रखकर मन ही मन कहने लगा ) - यहां का वक्त क्या काम पड़ जाता है , जो अब ऑफिस में भी वॉट लगवाने में तुला है ये लड़का । अब तो ऑफिस में भी फ्लर्ट करने नहीं मिलेगा , क्योंकि अगर शिवानी वहां आ गई, तो हो गया फिर तो मेरा बंटा धार । आरव ...., बता रहा हूं तुझे , तू दोस्त नहीं दुश्मन है मेरा । अपने दोस्त की फीलिंग नहीं समझ रहा , कि राधा और बाकी की गोपियां एक साथ एक छत के नीचे नहीं रह सकती ।

शिवानी - सोच तो मैं भी कुछ ऐसा ही रही थी , लेकिन कह नहीं पाई ।

सौम्या - तो अब कह दे , अपन दोनों दोस्त इन दोनों दोस्तों की मिलकर बैंड बजाएंगे ।

शिवानी ( मुस्कुराकर ) - मुझे मंजूर है । मैं भी सौम्या के साथ , ऑफिस ज्वाइन करना चाहती हूं । और घर वालों का टेंशन नहीं है मुझे , वो आसानी से मुझे जॉब करने देंगे । इनफेक्ट वो तो चाहते ही थे , कि मैं जॉब करूं , क्योंकि मेरा घर में रहना , उनके लिए टॉर्चर सहने के बराबर है ।

नील ( मन में ) - चौबीसों घंटे , फोन और टीवी में चिपकी रहेगी और फ्री होने पर अपनी बातों से सबका भेजा खाली करेगी , तो घर वालों के लिए, ये सब, टॉर्चर सहने के बराबर ही तो होगा न ।

शिवानी की बात सुनकर सभी हंस दिए और शिवानी ने उन्हें हंसते देखकर मुंह बना लिया । जबकि नील आरव को खा जाने वाली नजरों से देख रहा था । आरव अब रूही की तरफ मुड़ा और उससे कहा ।

आरव - तुम्हारा इस बारे में क्या खयाल है रूही...????

आरव की बात सुनकर रूही परेशान सी राहुल की तरफ देखने लगी । राहुल भी एक पल के लिए परेशान हो गया , फिर आखों के इशारे से उसे बहाना बनाने के लिए कहा । उसका इशारा पाकर रूही ने खुद को संभालते हुए कहा ।

रूही - करना तो हम भी चाहते हैं जॉब , पर हमारे पास वक्त की थोड़ी सी कमी रहती है । आधे से ज्यादा समय कॉलेज में निकल जाता है और बचे हुए समय में, हम अपनी स्टडीज पर ध्यान देते हैं । तुम लोग तो जानते हो , हम पढ़ाई में ज्यादा अच्छे नहीं हैं । इस लिए हम अपने एमबीए के , पूरे दो साल अपनी पढ़ाई में लगाना चाहते हैं । ताकि हम भी तुम लोगों की तरह, अच्छे मास्क लाकर पास हो सकें । अगर हम जॉब करेंगे , तो अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाएंगे ।

शिवानी - लेकिन ये हाल तो हमारे भी हैं , और रही स्टडीज की बात , तो हम हेल्प करेंगे न तुम्हारी , स्टडीज कवर अप करने में ।

राहुल - रहने देते हैं न शिवानी , अगर रूही का मन नहीं है, तो क्यों उसे जबरदस्ती फोर्स करना ।

शिवानी - पर......।

आरव ( राहुल और रूही की इशारों भरी बातों का मतलब समझते हुए बोला ) - रहने दो शिवानी । राहुल ठीक कह रहा है और रूही भी । अगर रूही अपना टाइम अपनी स्टडीज पर लगाना चाहती है , तो इसमें कोई बुराई नहीं है ।

सभी ने सिर्फ ठीक है कहा । तो आरव ने सभी से कहा।

आरव - तो तय रहा, कि सौम्या और शिवानी भी कल से हमारे साथ ऑफिस जाएंगी ।

रेहान - अंशिका , तुम भी अपने भाई की कंपनी में जॉब क्यों नहीं कर लेती । वैसे भी , वो कंपनी तो तुम्हारी ही है ।

इस बात पर रूही , रेहान और कायरा को छोड़ कर, सभी ने एक दूसरे का मुंह देखा और जोर से हंस दिए । नील हंसते हुए बोला।

नील - ये क्या बात कर दी भाई तूने...??? एक बार को सूरज पश्चिम से उग सकता है , पर ये स्वीटी मैडम....., बिजनेस की लाइन में अपने शुभ चरण नहीं रख सकती ।

रूही ( हैरानी से ) - पर क्यों...????

अंशिका - क्योंकि मुझे डॉक्टर बनना है , इस लिए मुझे बिजनेस में कोई इंट्रेस्ट नहीं है ।

अंशिका की बात सुनकर रेहान शांत हो गया , और सोचने लगा , कि इसकी तो ये आदत भी मुझसे नहीं मिलती । फिर प्यार कैसे होगा इसे मुझसे और कभी होगा भी या नहीं । तभी शिवानी ने कायरा से कहा ।

शिवानी - अरे कायरा....., बातों - बातों में तो हम भूल ही गए , कि तुमने खुद के लिए चाय वगेरह कुछ नहीं मंगाया और हम भी नहीं मंगा पाए । अच्छा चलो बताओ , चाय के साथ क्या लोगी...????

कायरा - नहीं......, मुझे कुछ नहीं चाहिए ।

राहुल - अच्छा तुम्हारे लिए तुम्हारी फेवरेट मसाला चाय मंगा देते हैं ।

कायरा - नहीं राहुल , मत मंगाओ । मन नहीं है मेरा ।

इतना कहकर कायरा टेबल से पानी उठाकर पीने लगी , क्योंकि उसे अभी भी बहुत गर्मी लग रही थी । रूही ने जब उसे पसीने से तरबतर देखा , तो कहा।

रूही - तुम ठीक तो हो न कायरा..???? तुम्हें कितना पसीना आ रहा है ।

कायरा - हां , मैं ठीक हूं । बस आज गर्मी थोड़ा ज्यादा लग रही है ।

इसके बाद रूही ने कुछ नहीं कहा । लेकिन अब राहुल, रूही और कायरा , जन्माष्टमी के बारे में सोचने लगे ......।


क्रमशः