पक्षीराज - अनोखी लव स्टोरी - 2 Pooja Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पक्षीराज - अनोखी लव स्टोरी - 2

"मुझे माफ करना मेरा ध्यान कही और था "धीरे अधिराज ने कहा
" कहॉं देखकर चल रहे थे मिस्टर सारी दवाई गिरा दी "उस लड़की ने कहा
" मैं अभी उठा देता हूँ अपनी बहन को ढुंढने के चक्कर में आपसे टक्करा गया माफ करना "
"कोई बात नही "
इतना कहकर वो चली जाती हैं तभी शशांक ने अधिराज से कहा
"कहां खो गये पक्षीराज रांजीकी को नही ढुंढना "
"ह हां।चलो शशांक यही आसपास ही मुझे रांजी के होने का आभास हो रहा है मुझे लगता है मेरी बहन यही आसपास है चलो"
"हां!चलो जल्दी राजमाता परेशान हो रही होंगी "
काफी समय ढुंढने के बाद दोनो एक घर में जाते है
"आप कौन ?"
"माफ कीजियेगा मैं एक लड़की को ढुंढ रहा हूँ जो मतलब जिसने पक्षी जैसे कपड़े पहने हैं "
"हां-हां!लेकिन तुम कौन हो?"
"मैं उसका भाई हुं"
"अच्छा !मां उस लड़की के भाई आऐ है "
"आओ बेटा !सुचेता इन्हे पानी वानी दो आओ बैठो "
"उसकी जरुरत नही है आप मेरी बहन को भेज दो मां परेशान हो रही हैं"
"हां!ले तो जा सकते हो लेकिन मेरी बेटी के आने के बाद उसने ही तुम्हारी बहन को ठीक किया है "
"कहां है ?आपकी बेटी "
"बस आती होगी"
"ठीक है
" लो आ गयी "
अधिराज उसे देखकर हैरान रह जाता ये वही लड़की है जो अधिराज के मन भायी
"तुम यहां" हैरानी से उसने कहा
"हां!मैं अपनी बहन को ढुंढते हुऐ यहां तक आया हूँ"
"तुम इसे जानती हो बेटा "
"नही !मम्मी ये रास्ते में टक्करा गया था जो दवाई मैं रांजीकी के लिए लेकर आ रही थी इसने गिरा दी थी"
"अच्छा !आप मेरी बहन के लिए ही दवा लेकर जा रही थी"
"भैय्या !इन्होने ही मेरा ध्यान रखा है"
"आप सबका ध्न्यवाद इसका ध्यान रखने के लिए"
तभी अधिराज कुछ देता है
"ये क्या है"
"मेरी बहन का ध्यान रखने के लिए एक छोटा सा उपहार "
"इसकी जरूरत नही है हमने इसकी देखभाल इसलिए नही की कोई हमें गिफ्ट वगैरह दे इसे टाइम से दवाई दे देना बस यही कहना है मुझे"
"ठीक है चलो रांजी "
तीनो चले जाते है
"भैय्या इंसानी दुनिया के लोग अच्छे हैं आज मैं उन्ही की वजह से ठीक हूंँ"
"कुछ लोग अच्छे हो सकते है सभी तो नही "
"क्या पता?"
"चलो पहूँच गये पक्षीराज अब तुम अपने असली रूप में आ जाओ "
"हां!"
तीनो महल पहुंचते है
"मां !रांजीकी मिल गयी "
"रांजी !कहां चली गयीं थीं मेरी बच्ची "
"मां !कालाशौंक के सैनिको ने हम पर हमला किया था उनसे बचते बचते मैं चोटील हालत में इंसानी दुनिया में पहुंच गयी थी वहां पर एक लड़की ने ही हमे ठीक किया था"
"इस कालाशौंक को तो सबक सिखाना पड़ेगा लगता है पहले का सबक भुल गया है" गुस्से से अधिराज ने कहा
"अब तुम सब आराम कर लो थक गये होगे "
सब अपने कमरे में चले जाते हैं पर अधिराज को अब चैन कहा अपने कमरे में जाकर उसे ध्यान आया
"अरे! हमने तो उसका परिचय पुछा ही नही ...ऐ! मेरे नील दर्पण मुझे उस लड़की को दिखा जिससे मैं सुबह मिला था"
नील दर्पण उसे दिखा देता है
"इस लड़की में जरूर कोई बात है जिसने मुझे एक बार में अपनी तरफ आकर्षित कर लिया इससे तो मिलना चाहिए
पर क्या ये मुझे मिलेगी?"
यही सोचते हुए अधिराज सो जाता है