कहानी अब तक
गट्टू भाई राजा से लड़ने चले। रास्ते में ऑंधी तूफ़ान, वर्षा, चींटी मधु मक्खी एवं धुआँ मिले ।उन सब के अनुरोध पर वह उन सब को भी साथ में लेकर चल दिए ।
अब आगे
गट्टू भाई की गाड़ी आगे बढ़ रही थी उसे अचानक रास्ते में भयानक आग दिखाई दी।
गट्टू भाई— “अरे अग्नि देव किनारे हो जाओ मैं तुमसे लड़ने नहीं आ रहा हूँ, मैं तो जा रहा हूँ राजा से लड़ने; ऐसे तुम क्यों परेशान होकर मेरा रास्ता रोक रहे हो, जाओ।”
आग ने पूछा—“तुम कहाँ जा रहे हो गट्टू भाई?”
गट्टू भाई ने फिर कहा—
“सरकंडा काटकर गाड़ी बनाया,
चूहा जोता जाता है ।
राजा मेरा हल बैल ले गया,
उससे लड़ने जाता है ।”
आग ने कहा— “तुम मुझे भी अपने साथ ले चलो।”
गट्टू भाई ने कहा— “अग्नि देव तुम जाकर क्या करोगे?”
आग— “तुम ले चलो पहले , देखना मैं तुम्हारी कितनी सहायता करता हूँ । बोलो ले चलोगे गट्टू भाई?”
गट्टू भाई— “ठीक है तुम भी चलो ।”
आग ने भी धुआँ के साथ मिल कर कान में अपना स्थान बना लिया ।
अब दोपहर होने वाली थी जब गट्टू भाई की गाड़ी राजमहल के दरवाज़े के पास पहुँच गई । उसकी आकृति और गाड़ी को देख कर कहीं किसी ने भी उसे रोका नहीं ।
जब राजमहल के दरवाज़े के पास पहुँच कर वह अंदर जाने लगा, तब चौकीदार ने उसे रोक दिया और कहा— “तुम्हें पता नहीं है बिना अनुमति के कोई अंदर नहीं जाता ।”
गट्टू भाई— “ठीक है तो मैं नहीं जा रहा हूँ, ऐसा करो तुम राजा को बुला लो बाहर ।”
दरबान— “ऐसे कैसे राजा बाहर आ जायेंगे, तुम काम क्या है बोलो, यदि राजा अनुमति देंगे तो मैं तुम्हें ले चलूँगा।”
गट्टू भाई— “मुझे तुम्हारे राजा की कोई अनुमति नहीं चाहिए, उन्हें बाहर बुलाओ ; मुझे उनसे युद्ध करना है ।”
चौकीदार उसकी बातें सुनकर हँस पड़ा, उसने कहा— “बच्चे तुम्हारी आकृति तुमने देखी है, राजा तो एक बार में तुम्हें उठा कर फेंक देंगे; तुम राजा से युद्ध करोगे ।”
गट्टू भाई— “हॉं मैं राजा से युद्ध करूँगा ।”
दरबान— “मगर क्यों?”
दरबान को ऐसे बात करने में बहुत आनंद आ रहा था ।
गट्टू भाई— “राजा मेरा हल बैल ले आया है, उसे वापस करें या मुझसे युद्ध करें; मैं बिना अपना हल बैल लिए वापस
नहीं जाऊँगा ।”
दरबान— “मुझसे युद्ध करना पड़ेगा पहले , आ जाओ।”
गट्टू भाई— देखो तुम मुझसे युद्ध कर नहीं सकोगे, इस लिए कह रहा हूँ राजा को भेजो, मैं राजा से ही युद्ध करूँगा।”
दरबान— “हम सैनिक है युद्ध करना हमारा धर्म है और तुम्हारी युद्ध करने की इच्छा है तो पहले मुझसे युद्ध करो।”
दरबान ने अपनी तलवार निकाल ली। अचानक मधु मक्खियों के झुंड ने आकर उसे चारों दिशाओं से घेर लिया और डंक मारना शुरू कर दिया ।डंक मार कर सभी दरबारियों को घायल कर दिया । उनमें से एक भाग कर अंदर गया और राजा से सारी बातें कहीं ।
सेना पति ने एक टुकड़ी सेना उसके साथ भेज दी और कहा—
“जैसा बता रहा है एक छोटा अकेला लड़का है, यह क्या युद्ध करेगा । एक टुकड़ी सेना से युद्ध मुश्किल है उसके लिए; अरे! मधु मक्खियों ने ऐसे ही काट लिया होगा ।”
सैनिक सेना के साथ गट्टू भाई के पास पहुँचे और उसे युद्ध के लिए ललकारा परंतु गट्टू भाई गाड़ी में बैठा रहा ।
अचानक ऑंधी और ज़ोरदार तूफ़ान आ गया । अब मूसलाधार बारिश शुरू हो गई, बिजली चमकने लगी ।उसी के साथ मधु मक्खियों ने सैनिकों के डंक मारना शुरू किया।
वह लोग टिक नहीं पाये।
अब सेना पति पूरी सेना लेकर आया । सेना को देखते ही तेज आग की बारिश होने लगी, सभी सेना ने जलते हुए इधर-उधर भागना शुरू कर दिया । पीछे हाथी और घोड़ों पर सैनिक सवार थे । अब वे आगे आये, तभी चींटियाँ हाथी की सूँड़ में प्रवेश कर उन्हें काटने लगीं । हाथी बिलबिला कर भागने लगे । हाथियों के नीचे दबने से राजा के सैनिक घायल होने लगे और मरने लगे ।चारों ओर त्राहि-त्राहि मची हुई थी । राजा तक ख़बर पहुँच गई । राजा आश्चर्य चकित था । कैसा योद्धा है यह, उसकी इतनी बड़ी सेना को अकेला पराजित कर रहा है ?
राजा स्वयं निकल कर अपने मंत्रियों और अन्य सभासदों को साथ लेकर जाकर देखा तो उनकी सेना इधर-उधर गिरी पड़ी थी ।
उनके अपने हाथी के द्वारा ही सैनिक मारे गये थे । हाथियों के प्रहार से घोड़े भी इधर-उधर भाग रहे थे और कई सैनिकों को घायल कर दिया था ।राजा यह सब आश्चर्य से देख रहे थे ।
क्रमशः ✍️
आशा सारस्वत