Nidar - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

निडर - 1



यह कहानी बहुत छोटी है, परंतु इससे सीख बहुत बड़ी मिलती है ।

आत्मविश्वास एवं कर्मठता की सीख मिलती है, निडरता की सीख मिलती है और साथ में यह भी सीख मिलती है कि असंभव कुछ भी नहीं है ।शारीरिक रूप से कमजोर होने के बावजूद बुद्धि और साहस से कोई भी काम किया जा सकता है ।

हालांकि इस कहानी में बहुत सी बातें अस्वाभाविक हैं,परंतु बचपन में जब मैंने यह कहानी अपनी नानी से सुनी तो बहुत अच्छी लगी थी ।यही कहानी जब मैंने अपने नन्हे बेटे को सुनाई तो उसे भी बहुत आनंद आया । वह तो उछल-कूद कर अपनी प्रतिक्रिया भी व्यक्त कर रहा था ।अगले दिन फिर उसने अपने दोस्तों को सुनाई , उसकी प्रतिक्रिया देखकर मुझे लगा यह कहानी आपके साथ भी शेयर की जाये।

बाल कहानी — निडर (1)

प्राचीन समय की बात है जब राजे रजवाड़ों का समय हुआ करता था । एक गॉंव में एक किसान था लंबी बीमारी के बाद उसका निधन हो गया । किसान के बाद घर में पत्नी और उसका बेटा रह गये । विधवा (कृषक की पत्नी)अपने बेटे के साथ रहते हुए खेती करके अपना और बेटे का गुज़ारा करती थी ।

बेटे की उम्र लगभग चौदह वर्ष थी , लेकिन वह प्रकृति के अन्याय का शिकार था। उस की आयु तो बढ़ रही थी, परंतु लंबाई नहीं बढ़ रही थी । वह लगभग डेढ़ फुट का ही था ,इसलिए उसे कोई डेढ़ फुटा कहता कोई गट्टू भाईं कहता ।
उसे सब गट्टू भाई , गट्टू भाई कहते , तो उसका नाम गट्टू भाई पड़ गया ।उसे सब गट्टू भाई कहकर चिड़ाते।

गट्टू भाई को बहुत ग़ुस्सा आता जब कोई उसे गट्टू भाई कहता ।

एक बार की बात है बारिश नहीं हुई थी तो खेतों में अनाज भी नहीं उपज पाया और कृषक राजा को देनेवाले सालाना टैक्स नहीं चुका पाये। टैक्स न चुका पाने पर राज कर्मचारी गॉंव में जाकर टैक्स वसूलने लगे।

गट्टू भाई के गॉंव में भी टैक्स वसूलने लगे । जिसने दिया वह भी फटकार सुन रहा था, समय पर नहीं देने के लिए ।
जिसके पास कुछ नहीं था देने को , उसकी गाय , बैल , घोड़ा, बकरियाँ, भेड़ आदि जानवर तक खोलकर ले जा रहे थे, टैक्स के रूप में । राज्य कर्मचारी जो भी क़ीमती वस्तु देख रहे थे, वहीं ले जा रहे थे ।

उस समय गट्टू भाई घर में नहीं था, वह कुछ दिनों के लिए अपने मामा के घर गया था । मामा -मामी उसे बहुत प्यार करते उसे वहॉं बहुत अच्छा लगता अपने ममेरे भाई-बहिन के साथ वह खेलता । उसे कोई चिढ़ाता भी नहीं था,सब उसे प्यार करते उसे बहुत अच्छा लगता ।जब वह मामा के घर था तो गॉंव में उसके घर सिर्फ़ मॉं थी ।

उसके घर पर भी राज कर्मचारियों ने टैक्स माँगा, गट्टू की मॉं गरीब के पास देने को कुछ नहीं था । क्रोध में राज कर्मचारियों ने ऑंगन में बंधे हुए बैल और हल ले लिए ।
वह गरीब महिला अपने हल बैल छोड़ देने की गुहार लगाती रही लेकिन राज कर्मचारियों ने एक नहीं सुनी, उसके हल बैल लेकर वे चले गए ।

जब गट्टू भाई घर लौट कर आया तो उसने अपने ऑंगन में बैलों को न देख कर मॉं से बैलों के संबंध में पूछा, तो मॉं ने राज कर्मचारियों के द्वारा टैक्स के रूप में हल- बैल ले जाने की सारी बातें बता दी।

गट्टू भाई ने मॉं से कहा—“ आपने उन्हें रोका नहीं, अब हम लोग खेती कैसे करेंगे?”

मॉं — “बेटा मैंने बहुत रोका, मैं बहुत गिड़गिड़ाई उनके समक्ष परंतु उन्होंने एक नहीं सुनी ।”

गट्टू भाई—“ठीक है मॉं आप चिंता मत करो, मैं जाऊँगा राजा से अपने हल- बैल लेने ।”

मॉं— “बेटा , जो काम बड़े-बड़े नहीं कर सके, तू कैसे करेगा । पूरा गॉंव उनके सामने रोता रहा, रहम की भीख माँगता गिड़गिड़ाता रहा; लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी।
वो तेरी क्या सुनेंगे, तू तो वैसे भी इतना छोटा है मेरे लाल ।
मुझे डर लग रहा है, तू मत जा ; कहीं तुझे कुछ हो गया तो मैं क्या करूँगी ।”

गट्टू भाई— “मॉं आप चिंता क्यों करती हो । मेरे साथ आप का आशीर्वाद है, मुझे कुछ नहीं होगा । मैं जा रहा हूँ जाने की व्यवस्था करने , आप मेरे रास्ते के लिए भोजन बांधकर दे देना; देखना— मैं राजा के पास ज़रूर जाऊँगा और अपने हल -बैल लेकर वापस आऊँगा ।

क्रमशः ✍️

आशा सारस्वत


अन्य रसप्रद विकल्प

शेयर करे

NEW REALESED