मौत का खेल - भाग-17 Kumar Rahman द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मौत का खेल - भाग-17

रूमाल


होटल सिनेरियो के सुइट में अबीर सोफे पर बैठा हुआ था और रायना उस पर बुरी तरह से बिफरी हुई थी। वह उसके सामने खड़ी कह रही थी, “तुम्हें क्या जरूरत थी यह सब करने की। अगर तुम पकड़े जाते तो जानते हो तुम्हारा क्या हस्र होता। मेजर विश्वजीत बेहिचक तुम्हें गोली मार देता। साथ ही रिपोर्ट लिखवा देता कि तुम उसके यहां उसका कत्ल करने आए थे।”

“कत्ल तो मैं करूंगा एक दिन उस हरामजादे का।” अबीर ने गुस्से में कहा।

“इतना तैश में आने की जरूरत नहीं है। तुम्हारा और उसका रास्ता अलग अलग है।” रायना ने सख्त लहजे में कहा।

“लेकिन तुम इतने दावे से कैसे कह सकती हो कि मैं वहां मौजूद था?” अबीर ने मजबूत लहजे में उससे पूछा।

“इसलिए कि मुझे वहां से तुम्हारे परफ्यूम की खुश्बू आ रही थी। हमारे वहां पहुंचने से कुछ पहले ही तुम वहां से भाग गए थे।” रायना ने जवाब दिया।

“एक जैसा परफ्यूम तो हजारों लोग लगाते हैं।” अबीर ने सफाई दी।

“मैं जानती थी। तुम नहीं मानोगे... इसलिए मैं मौके से तुम्हारा यह रूमाल उठा लाई हूं।” रायना ने पर्स से रूमाल निकालते हुए कहा, “वह तो कहो इसे किसी ने देखा नहीं... क्योंकि मेरी ही नजर सबसे पहले इस रूमाल पर पड़ी थी और मैं इसी पर जा कर खड़ी हो गई थी। यह देखो इस रूमाल पर तुम्हारा सिग्नेचर स्टाइल भी है। अब भी तुम्हें इनकार है।” रायना ने उसे घूरते हुए कहा।

“हां डार्लिंग मैं वहां गया था। वह हरामजादा अपनी पार्टी में सिर्फ तुम्हें बुलाता है मुझे नहीं। इसलिए मैं पुतला गिरा कर उसे खौफजदा करना चाहता था।”

“बकवास मत करो। वह खौफजदा होने वालों में से नहीं है। तुम्हारे जैसे सैकड़ों उसकी जेब में पड़े रहते हैं।” रायना का लहजा अब भी गुस्से से भरा हुआ था।

“तुम तो ऐसे उसकी तरफदारी कर रही, जैसे मुझ से नहीं तुम्हें उससे इश्क हो!” अबीर ने नाराजगी जताए हुए कहा।

“हर रिश्ते का मतलब इश्क नहीं होता है। वह मेरा फैन है और मैं उसकी कद्र करती हूं।” रायना ने कहा।

“चलो छोड़ो इसे... तुम भी कौन सी बातें ले बैठीं।” अबीर ने रायना का हाथ खींच कर उसे अपने बगल बैठाते हुए कहा।

“वादा करो अब तुम ऐसी कोई हरकत नहीं करोगे।” रायना ने प्यार से उसका हाथ थामते हुए कहा।

“वादा करता हूं।” अबीर ने कहा। कुछ देर की खामोशी के बाद अबीर ने उसकी आंखों में प्यार से देखते हुए कहा, “डार्लिंग! अब हमें जल्दी से जल्दी शादी कर लेनी चाहिए।”

“जब तक डॉ. वीरानी के केस की फाइल क्लोज नहीं हो जाती। हमें शादी नहीं करनी चाहिए। वरना हम फंस जाएंगे।” रायना ने उसे समझाते हुए कहा।

“मैं अब तुम्हारे साथ रहना चाहता हूं। यह दो घंटे की मुलाकात से मुझे खुशी नहीं मिलती।” अबीर ने कहा।

“मजबूरी भी समझा करो।” रायना ने कहा और उठ कर वाशरूम की तरफ चली गई।

डीएनए रिपोर्ट


“क्या नतीजा निकला छापेमारी का।” इंस्पेक्टर कुमार सोहराब ने कोतवाली इंचार्ज मनीष की तरफ देखते हुए पूछा।

“सारी बातें आप के कहने के मुताबिक ही निकलीं।” मनीष ने कॉफी मग को टेबल पर रखते हुए कहा, “31 दिसंबर की रात को शरबतिया हाउस के पास के फार्म हाउस पर भी पार्टी थी। वहीं से कुछ लोग रात के अंधेरे में शरबतिया हाउस की दीवार फांद कर अंदर घुस आए थे। उन्होंने एक हिरन का शिकार किया था और उसे लेकर अपने फार्म हाउस पर चले गए थे। फार्म हाउस से हिरन की खाल बरामद हो गई है। कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है।”

“क्या उन्होंने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है?” इंस्पेक्टर सोहराब ने पूछा।

“पहले तो इनकार करते रहे। उसके बाद जब वहां से खाल और हड्डियां बरामद हो गईं तों उनके पास इनकार का रास्ता नहीं बचा।” मनीष ने कहा।

इंस्पेक्टर सोहराब ने मोबाइल में मेल पढ़ते हुए कहा, “ब्लड सैंपल की रिपोर्ट भी कुछ देर पहले आ गई है। शरबतिया हाउस में मिला खून किसी जानवर का ही था।”

“मुझे क्या करना है।” कोतवाली इंचार्ज मनीष ने पूछा।

“हिरन के शिकार का केस आप अपने हिसाब से हैंडल कीजिए। उसका खुफिया विभाग से सरोकार नहीं है। अगर जरूरत पड़ी तो मैं तुमसे रिपोर्ट ले लूंगा।” इंस्पेक्टर सोहराब ने कहा।

इसके बाद मनीष उठ खड़ा हुआ। उसने इंस्पेक्टर सोहराब और सार्जेंट सलीम से हाथ मिलाया और वहां से रवाना हो गया।

सार्जेंट सलीम ने जेब से पाइप निकाला और उससें वान गॉग तंबाकू भरने लगा। तंबाकू की खुश्बू आसपास फैल गई थी। विन्सेंट वान गॉग नीदरलैंड के मशहूर पेंटर थे। उनके नाम पर ही इस तंबाकू का नाम पड़ा है। यह पाइप में पीने वाली खुश्बूदार तंबाकू होती है। खास बात यह है कि इस तंबाकू के हर पाउच पर वान गॉग की कोई न कोई पेंटिंग की तस्वीर जरूर होती है। ‘सूरजमुखी’ और ‘द स्टारी नाइट’ को वान गॉग की बेहतरीन पेंटिंग माना जाता है।

लाइटर से पाइप सुलगाने के बाद सार्जेंट सलीम ने कहा, “अगर लाश डॉ. वीरानी की निकली तो केस नब्बे फीसदी हल ही हो गया।”

उसकी इस बात का सोहराब ने कोई जवाब नहीं दिया। इससे सलीम बुरी तरह खीझ गया। उसने तुंरत ही अपनी खीझ भी जाहिर कर दी, “इस बंदे को भी केस के बारे में कुछ जानकारी मुहैया करा दी जाए तो यह भी कारआमद हो सकता है।”

“क्या जानना चाहते हो?” इंस्पेक्टर सोहराब ने गंभीरता से पूछा। वह गहरी सोच में डूबा हुआ था।

“क्या आपको यकीन है कि लाश घर में मिला शव डॉ. वरुण वीरानी का ही है?” सार्जेंट सलीम ने कहा।

“शक तो ऐसा ही है।” सोहराब ने जवाब दिया।

“इस शक की कोई वजह भी तो होगी?” सार्जेंट सलीम ने पूछा।

“लाश के कान को देख कर। उनके बाएं कान की लौ कटी हुई थी।” सोहराब ने कहा।

“मैं समझा नहीं आपकी बात।” सार्जेंट सलीम ने पूछा।

“उन पर एक बार जानलेवा हमला हुआ था। तब गोली उनके कान को छूते हुए निकल गई थी।” इंस्पेक्टर सोहराब ने बताया, “इसकी वजह से उनके बाएं कान की लौट कट गई थी, लेकिन उन पर हमला करने वाला कभी पकड़ा नहीं जा सका।”

“इस बार वह बहुत आसानी से शिकार बना लिए गए।” सार्जेंट सलीम ने चिंता भरे स्वर में पूछा, “वह एक साइंटिस्ट थे। उन्हें सिक्योरिटी नहीं दी गई थी क्या?”

“दी गई थी। उनके पास दो कमांडो थे। जो उनके साथ ही लगातार रहते थे, लेकिन प्राइवेट पार्टियों में जाते वक्त वह उन्हें साथ नहीं ले जाते थे।” सोहराब ने बताया।

“जब आपको इतना सब पता है तो यह भी जानते होंगे कि उन्हें क्यों कत्ल किया गया है?” सलीम ने इंस्पेक्टर सोहराब को टटोलने वाली नजरों से देखते हुए पूछा।

उसकी बात का इंस्पेक्टर सोहराब ने कोई जवाब नहीं दिया। उसके मुंह में सिगार फंसी हुई थी और वह लाइटर से उसे जला रहा था। सिगार जला चुकने के बाद सार्जेंट सलीम ने अपना सवाल फिर से दोहरा दिया। इस पर सोहराब ने कहा, “वक्त आने पर सब बता दूंगा। अभी केस की कई सारी कड़ियां जुड़ना बाकी हैं।”

अभी यह बात हो ही रही थी कि सोहराब के फोन पर मैसेज की टोन बजी। उसने मेल बॉक्स खोल लिया और बहुत ध्यान से अभी आई मेल को पढ़ने लगा। पढ़ चुकने के बाद उसके चेहर पर कुछ देर के लिए एक चमक आई उसके बाद वह गहरी चिंता में डूब गया। वह कुछ देर यूं ही बैठा रहा। सलीम उसके चेहरे के उतार चढ़ाव को बहुत ध्यान से देख रहा था।

सोहराब कुछ देर यूं ही बैठा रहा। उसके बाद उसने कोतवाली इंचार्ज मनीष को फोन मिलाया। दूसरी तरफ से फोन रिसीव होते ही सोहराब ने कहा, “लाश घर में एक शव रखा है। उसका चेहरा तेजाब से झुलसा हुआ है। इस बारे में लाश घर इंचार्ज से तस्दीक कर लेना। तुम लाश ले कर ड्यूटी में लगे दोनों सिपाहियों के साथ तुरंत शरबतिया हाउस पहुंचो।”

सोहराब ने फोन काट दिया। उसके बाद उसने राजेश शरबतिया को फोन मिला दिया। राजेश शरबतिया की आवाज आते ही सोहराब ने कहा, “आप शरबतिया हाउस पहुंचिए। अब से ठीक आधे घंटे बाद रायना को भी फोन करके वहीं बुला लीजिएगा।”

इसके बाद सोहराब ने फोन काट दिया। वह सोफे से उठ कर मेकअप रूम की तरफ चला गया। कुछ देर बाद जब वह निकला तो उसका हुलिया बदला हुआ था। वह मजदूर के गेटअप में था। सार्जेंट सलीम उसे बहुत ध्यान से देख रहा था। मगर उसने कुछ पूछा नहीं।

सोहराब ने आते ही सार्जेंट सलीम से कहा, “आओ चलते हैं।”

“लेकिन कहां?” सलीम ने पूछा।

“शरबतिया हाउस।” इंस्पेक्टर सोहराब ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया।

सलीम उठ कर खड़ा हो गया। वह पार्किंग की तरफ चल दिया। वहां पहुंच कर उसने घोस्ट का गेट खोला और स्टेयरिंग संभाल ली। घोस्ट को स्टार्ट किया और लॉन के पास आकर रुक गया। इंस्पेक्टर सोहराब उसके बगल आ कर बैठ गया। घोस्ट तेजी से आगे बढ़ गई।

रात हो चुकी थी और घोस्ट तेज रफ्तार से भागी चली जा रही थी। यहां से शरबतिया हाउस तकरीबन 170 किलोमीटर दूर था।

“हमें यह सफर हर हाल में डेढ़ घंटे में पूरा करना है।” इंस्पेक्टर सोहराब ने सलीम से कहा।

“आखिर माजरा क्या है?” सार्जेंट सलीम ने पूछा।

“डीएनए रिपोर्ट आ गई है। वह लाश डॉ. वरुण वीरानी की ही है।” सोहराब ने कहा।

*** * ***


आखिर सोहराब शरबतिया हाउस क्यों जा रहा था?
क्या रायना अपने पति की कातिल थी?
इन सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़िए कुमार रहमान का जासूसी उपन्यास ‘मौत का खेल’ का अगला भाग...