आर्ट ऑफ वर्किंग Chandrakant Pawar द्वारा मनोविज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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आर्ट ऑफ वर्किंग

अआर्ट वर्किंग श्रम शक्ति को बनाने की युक्ति प्रदान करता है ।जो मनुष्य को सामाजिक गरीमा का सम्मान करने के लिए होती है। स्वयं के दर्शन का प्रसाद श्रमोलित है। वास्तव में पूरी दुनिया उस दर्शन का एक सदस्य है। श्रम की पूजा कठोर या सरल तरीके से की जा सकती है। इसका लाभ आम जनता तक पहुंचाया जाता है। आर्ट ऑफ वर्किंग सिद्धांत का सहयोग माना जाता है। श्रम का पहला कदम पृथ्वी पर पड़ा तब से हाथों से श्रम किया जा रहे हैं। मन और शरीर से होने जा रहे हैं। इसे पैर से भी किया जा सकता है। वह महाशक्ति दुनिया को काम आती है लेकिन श्रम का विद्रोह कई लोगों की जान बचाता है ।श्रम एक ताजा बात है।श्रम संस्कृति दायक चाहिए। यह सभी को जीवन विश्वास दिलाता है।
जीवन और मानव श्रम के माध्यम से पृथ्वी विकास में आसानी से शामिल है। इसका कारण निरंतर मानव वृद्धि है। मानव पहल स्वयं एक मरणोपरांत उदाहरण है। श्रमप्रभाव हर देश पर है और वह कमियों को दूर करता है।
श्रम राष्ट्र दुनिया को प्रेरित करता है और आगे बढ़ाने के लिए विकसित तरीका प्रदान करता है ।लेकिन प्रगति में स्वचालित रूप से ऐसा नहीं होता। यह मनुष्य का हाथ का काम है ।जब एक श्रम शक्ति पूरी तरह से जीवन के अधीन होती है ।तो भविष्य पूरी तरह से जाग जाता है और उसे श्रमानंद प्रदान करता है।
एक युवा पीढ़ी श्रम से आगे बढ़ती है। उसके बाद श्रम चलने लगते हैं। ऐसी स्थिति में देश भर में और दुनिया के नागरिकों पर श्रम हावी हो जाता है। उनके पास उच्च श्रममानक है जो दुनिया को बेहतर और बेहतर बनाने के लिए उनके श्रम का विश्व स्तर पर उपयोग करते हैं।
जीवन के नुस्खे श्रम उद्देश्य में सहायक होती हैं ।लेकिन शरीर वास्तविक जीवन का मित्र है और विश्वास से जीवन में रचना बदली जा सकती है।
दुनिया का प्रभाव हमेशा श्रमायुक्त होता है। इस दुनिया में श्रम सर्वोच्च है और शरीर कई गुणों से भरा है। हाथ, पैर ,मस्तिष्क ,बुद्धि यह सब श्रमावयव शरीर सहायक है।
हर उम्र में श्रम दोहराए जाते हैं क्योंकि जीवो के जीवन काल में मनुष्य का विस्तार होता है। मनुष्य की गरिमा के लिए श्रम की स्थापना है। एक काम करने के लिए श्रम प्रतिष्ठा और श्रम अस्मिता एक दूसरे का सहारा लेती है।
श्रम मुक्ति जीवन भुक्ति के लिए लाभदायक है। शरीर की ताकत श्रम है ।शरीर में श्रम शक्ति होती है। वह लगातार काम कर रही है और मौजूद भी है ।मुक्ति ही वास्तविक समृद्धि और शांति है। आलस्य से छुटकारा पाने के लिए जीवन की भक्ति सबसे अच्छा तरीका है ।स्वार्थ मुक्ति के लिए एक बड़ी बाधा है। सत्य और जीवन का साक्षात्कार के माध्यम से प्राप्त ज्ञान है।
श्रम राष्ट्र कौशल पर आधारित शक्ति है ।वह भुखमरी से कभी मरने नहीं देती और दूसरों को सुख पहुंचाती हैं। श्रम राष्ट्र निर्माण में बहुत बड़ा योगदान करता है।
दुनिया में कहीं भी ,कभी भी श्रम हो सकते हैं। यह ऊर्जा के लिए आवश्यक शक्ति प्रदान करते हैं। यही तो शरीर की पहचान है ।
राष्ट्र में कुछ नया करने की कोशिश करने के लिए श्रमशक्ति का निर्धारण किया जा सकता है।