Ahsaas pyar ka khubsurat sa - 34 books and stories free download online pdf in Hindi

एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 34




रात के दस बज चुके थे। मालती जी , देवेश जी और अंश लिविंग रूम में बैठे, बार - बार दरवाज़े की ओर देख रहे थे । राधा जी अब तक अपने कमरे में सो चुकी थी ........., चार बातें कायरा के बारे में सभी को सुना कर । अंश बार - बार कायरा को फोन कर रहा था , पर कायरा फोन नहीं उठा रही थी । उठाती भी कैसे ??? फोन बैग में रखा हुआ तब, और वो भी साइलेंट मोड पर । और कायरा का दिमाग , बस आरव और राजवीर की लड़ाई में अटका हुआ था । उसे उनके अलावा , किसी और चीज की अभी, फ़िक्र ही नहीं थी । जबकि आरव, सिर्फ शांति से कार ड्राइव कर रहा था । गुस्सा तो उसका अभी भी नहीं उतरा था , पर कायरा के कारण वह गुस्सा दिखा कर , बात को और बढ़ाना नहीं चाहता था। और सच बात तो ये थी , कि वह कायरा की गुस्से से भरी आंखें देख कर , मन ही मन डरने के साथ ही , घबरा भी रहा था।

इधर राहुल ने , रूही पर नज़र रखने वाले , रूही के पापा के आदमी को , चमका देकर , खुद रूही को उसके घर तक ड्रॉप किया था , और फिर उसके बाद वह अपने घर आ चुका था। रूही के घर , उसके लेट आने के कारण, बात आगे बढ़ती , उससे पहले ही रूही की मां सा ने , सब संभाल लिया था । पर एक चीज जरूर स्टार्ट हो गई थी , वो थी रूही और राहुल कि अब फोन पर बात - चीत ।

यहां पर नील , कार ड्राइव कर रहा था , और शिवानी उसे बस एक टक देखे जा रही थी । नील ये बात जानता था, पर वह सोच रहा था , कि शिवानी ही बात स्टार्ट करे । पर शिवानी तो बुत बनी बैठी , बस नील को देखे ही जा रही थी । नील से जब बर्दाश्त नहीं हुआ , तो उसने कार साइड में खड़ी की , और शिवानी की तरफ पलट कर कहा ।

नील - बस ऐसे देखती ही रहोगी , या फिर कुछ बोलोगी भी...।

नील की बात सुनकर , शिवानी झेंप गई । उससे कुछ बोलते ही नहीं बन रहा था , तो नील ने उसके चेहरे को देखते हुए कहा।

नील - शिवानी , आर यू ओके..!!!!!

शिवानी ( धीमी आवाज़ में ) - हम्ममम।

नील - तो फिर इतनी शांत क्यों बैठी हुई हो । ( मुस्कुराते हुए ) वैसे भी आज हम दोनों ने एक दूसरे को अपने दिल की बात कह ही दी है । फिर तो मेरे हिसाब से...., शांत रहने की और बात ना करने की , कोई वजह ही नहीं है ।

शिवानी ( नील की आंखों में देख कर ) - क्या वाकई इतने से ही , प्यार का इज़हार हो जाता है ???

नील ( मुस्कुराकर ) - हां....., हो तो जाता है ...। पर शायद जो बात , पूरी फीलिंग्स के साथ , अपने जबान से, शब्दों का रस घोल कर कही जाती है , उसका मज़ा कुछ अलग ही होता है । साथ ही वह एक हिसाब से सबूत भी होता है हम इन्सानों के लिए । और उसके अलावा शब्दों के द्वारा किया गया इज़हार , सीधे दिल में उतरता है ।

शिवानी ( नील की आंखों को ताकते हुए ) - और मैं यही चाहती हूं नील ।

नील ( शिवानी की ओर देख कर ) - मैं समझ गया था, कि तुम ऐसा ही कुछ चाहती हो। ( अपनी कार से नीचे उतर कर , शिवानी के साइड आकर , उसके साइड का गेट ओपन कर , शिवानी के सामने अपना हाथ आगे कर कहता है ) तो फिर बाहर आओ.....!!!!

शिवानी ( हैरानी से ) - पर क्यों ????? क्या करना चाहते हो तुम????

नील ( मुस्कुराकर ) - जब तक तुम बाहर आओगी नहीं , तब तक तुम्हें कैसे पता चलेगा , कि मैं तुम्हें क्यों कार से बाहर बुला रहा हूं...!!!!!

शिवानी ने उसकी बात सुनी , तो वह बिना कुछ कहे , नील का हाथ थाम कर कार से नीचे उतर गई । नील ने उसका हाथ थामे ही , उसे कार के सामने खड़ा किया । उसके बाद , उसने अपना एक घुटना , नीचे जमीन पर टिका दिया और दूसरे घुटने को मोड़ कर , वह जमीन में हल्का सा बैठ गया। जब शिवानी ने उसे ऐसे बैठे हुए देखा , तो वह बहुत खुश हुई , और अब नील क्या कहेगा , यही सोचकर उसे प्यार भरी निगाहों से देखते हुए , सोचने लगी । नील ने अपना दाहिना हाथ , शिवानी के सामने किया और आंखों में बेहिसाब प्यार लिए शिवानी की आंखों की ओर देख कर कहा ।

नील - मैंने इस दिन का , जाने कितने सालों से इंतजार किया है , कि कब मैं तुम्हें इस तरह , अपने दिल की बात बताऊं और तुम मुझे ऐसे ही , बस प्यार भरी नजरों से देखती रहो । मैंने तुमसे ये बात कहने की कई बार कोशिश की , पर मैं हर बार असफल रहा। क्योंकि या तो हिम्मत नहीं होती थी , और जब किसी तरह मैं हिम्मत जुटा कर , तुमसे ये कहने की कोशिश करता था , तब मेरे शब्द और हालत दोनों ही मेरा साथ छोड़ देते थे । फिर धीरे - धीरे मुझे मालूम हुआ , कि तुम शायद ये सब पसंद ही नहीं करती हो । तब मैंने वो कोशिशें भी बंद कर दी , ये सोचकर कि कहीं तुम बुरा न मान जाओ । पर कुछ दिनों से तुम्हारे बदले हुए बिहेव को देख कर , मेरे दिल में ये उम्मीद जगी थी , कि शायद तुम एक दिन मेरे प्यार को जरूर समझोगी । पर वो दिन आज ही होगा , ये मैंने नहीं सोचा था। वैसे तो हमने एक दूसरे से पहले ही इज़हार कर दिया है , पर जो बात शब्दों से पिरोए हुए लफ़्ज़ों में होती है , शायद वह सिर्फ आंखों से कही जाए , तो अधूरी सी लगती है । इस लिए शिवानी , मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं । आज से नहीं , बल्कि पिछले दो सालों से मैं तुम्हें चाहता हूं । शिवानी ....!!! क्या तुम मेरे दिल की उस जगह को भरोगी , जो जाने कब से तुम्हारे लिए ही खाली रखी है मैंने ....। क्या तुम मेरे मोहब्बत के इजहार को स्वीकार कर , मेरी ज़िन्दगी का महत्वपूर्ण हिस्सा बनना स्वीकार करोगी??? क्या तुम मेरा लव ( प्यार ) बनोगी...??????

शिवानी ने जब नील का इस तरह से उसके लिए इज़हार सुना , तो उसकी आंखें भर आयी । उसके जुबान से शब्द तो नहीं निकल रहे थे , पर होठों पर हजारों वाली मुस्कान जरूर आ गई थीं, जिसका साथ उसके आसूं भी बखूबी दे रहे थे । शिवानी ने नील की बात पर , हौले से सिर हां में हिला दिया । तो नील का तो दिल , बाहर आने को होने लगा । इतनी खुशी हुई उसे , कि वह कैसे एक्सप्रेस करे , उसे समझ ही नहीं आ रहा था । उसने तुरंत उठकर , शिवानी को अपने सीने से लगा लिया । शिवानी भी , उसके सीने में अपना सिर छुपाए , खुशी के आसूं रोने लगी । नील ने , उससे हौले से खुद से अलग किया , जिससे शिवानी के बाल नील के चेहरे से जा लगे । नील ने उसकी आंखों में देखकर , उसके बाल उसके कानों के पीछे किए , और उसके आसुओं को , अपने होठों से पी लिया । जिससे शिवानी ने अपनी आखें बंद कर ली । उसके बाद नील ने शिवानी का चेहरा अपने हाथों से पकड़ा और उसकी आंखों में देखते हुए शिवानी के होठों की ओर बढ़ने लगा । जबकि शिवानी ने अपनी आंखें खोली , और नील की आंखों में देखने लगी । नील ने अपने होठ शिवानी के एक दम करीब किए , और वह जैसे ही उसके होठों को अपने होठों से छू पाता , वैसे ही पीछे से किसी के उसकी, गाड़ी को ठोकने की आवाज़ आयी । आवाज़ सुनकर , दोनों चौंक गए , और हैरानी से एक दूसरे को देखने लगे। नील शिवानी से अलग हुआ , और अपनी कार के पीछे साइड आया , शिवानी भी उसके पीछे - पीछे आयी। वहां का नज़ारा देख कर , दोनों को बहुत गुस्सा आया । नील के कार की पीछे की लाइट्स टूट कर, चकना चूर हो चुकी थी । साथ ही डिग्गी भी हल्की से चपटी हो गई थी । नील ने अपनी कार की हालत देखी , तो जिस कार वाले ने उसकी गाड़ी की ये हालत की थी , उसके पास आया । उसने उससे गुस्से से आगबबूला होकर कहा ।

नील - ये क्या किया तुमने ???? गाड़ी ड्राइव करने नहीं आती क्या तुमको ???? मेरी गाड़ी ठोक दी , और वो भी तब, जब मेरी गाड़ी रोड के साइड पर खड़ी थी । ( कार से बाहर की ओर आने का इशारा कर ) बाहर निकलो तुम गाड़ी से .....। उतरो तुम अभी के अभी ....., बताता हूं फिर तुम्हें ।

गाड़ी वाला आदमी ( शराब के नशे में धुत लड़खड़ाती हुई जबान से ) - अरे कौन है बे, जो मुझे गाड़ी से उतरने को कह रहा है .......!!!!???? फालतू मेरा टाइम खोटी कर रहा है। अबे तू जानता नहीं है मैं कौन हूं .....।

उसके बोलने से नील को महसूस हुआ कि उस आदमी ने खूब शराब पी रखी है, इस बात पर उसे और गुस्सा आया । उसने फिर से उस आदमी से कहा ।

नील - तू बाहर निकल ....., फिर बताता हूं मैं तुझे , कि तू कौन है, और मैं कौन हूं ....।

शिवानी ( नील से ) - नील रहने दो , वो शराब के नशे में धुत है । उससे इस वक्त कोई भी बात करना , बेमतलब है । क्योंकि हम कुछ भी कहेंगे , उसे समझ नहीं आने वाला है । इस लिए चलो , और उसे उसके हाल पर छोड़ दो ।

नील - नहीं शिवानी , इसने मेरी गाड़ी ठोंकी है , और तो और शराब पीकर गाड़ी ड्राइव कर रहा है , इसकी तो ....।

शिवानी नील का हाथ पकड़ कर , उसे वापस कार की फ्रंट साइड लाते हुए उससे बोली ।

शिवानी - जाने दो ना नील । इस समय वो अपने होश में नहीं है । तुम कुछ भी कहोगे , इस बात से उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। और बिना मतलब के बात बढ़ेगी । इस लिए तुम चलो यहां से , वैसे भी हमें घर पहुंचने में लेट हो रहा है ।

नील शिवानी की बात सुन , गुस्से में अपनी कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ गया। और शिवानी भी उसके बगल की सीट पर आकर बैठ गई । नील ने गाड़ी स्टार्ट कर कहा ।

नील - अगर ये इंसान होश में होता , तो बताता मैं इसे । मेरी गाड़ी ठोकने का हर्जाना तो लेता ही , साथ ही पुलिस में इसकी कंप्लेन करता , वो अलग । तब समझ आता इसे , कि मैं कौन हूं 😠😡।

इतना कह कर वह , अपनी कार सड़कों पर दौड़ा देता है । इधर कायरा और आरव , कायरा के घर पहुंचे । कायरा आरव से बिना कुछ कहे , कार से उतरी और सीधे अपने घर के दरवाज़े पर जाकर , डोर बैल बजाई । दरवाज़ा मालती जी ने खोला , कायरा बिना कुछ कहे घर के अंदर आ गई । यहां मालती जी ने जैसे ही दरवाज़ा बंद करना चाहा , वैसे ही आरव दरवाज़े पर आकर खड़ा हो गया । तभी लिविंग रूम से, अपनी नजरें झुकाए अपने रूम में जा रही कायरा को रोक कर देवेश जी ने , सोफे से उठकर कहा ।

देवेश जी - इतना लेट कैसे हो गया आपको बेटा ??? हम कबसे आपका इंतजार कर रहे हैं । ये कोई वक्त है बेटा , घर आने का ????

कायरा के कुछ कहने से पहले ही , आरव घर के अंदर आया और देवेश जी से बोला ।

आरव ( हाथ जोड़ते हुए ) - नमस्ते अंकल जी ।

देवेश जी - नमस्ते ...!!! पर आप .......??? माफ कीजिएगा ....., पहचान नहीं हमने ।

मालती जी ( देवेश जी के पास आकर ) - ये ही हैं आरव , कायरा के ऑफिस के बॉस और इसके साथ पढ़ने वाले इसके दोस्त ।

देवेश जी ( मुस्कुराकर ) - ओह....., माफ कीजिएगा । मैंने आपको कभी ऐसे फेस टू फेस देखा नहीं था । इस लिए पहचान नहीं पाया ।

आरव ( मुस्कुराकर ) - कोई बात नहीं अंकल जी । ( कुछ पल रुक कर ) सॉरी अंकल जी .....।

देवेश जी ( हैरानी से ) - पर क्यों बेटा .....????

आरव ( कायरा की ओर देख कर ) - वो इस लिए अंकल जी !!! क्योंकि कायरा मेरी वजह से लेट हुई है । ( उसके इतना कहते ही कायरा ने हैरानी से उसकी ओर देखा , जबकि आरव ने उसे इग्नोर कर आगे कहा ) ये पहले ही आना चाहती थी , पर मुझे कुछ काम था , इस लिए मैंने ही इसे रुकने के लिए कहा । साथ ही अंधेरा हो चुका था , इस लिए मैं इसे अकेले आने नहीं दे सकता था। क्योंकि आप भी जानते होंगे , कॉलेज साइड की रोड रात के वक्त सूनसान हो जाती है । और उस वक्त कायरा को अकेले भेजना , मुझे ठीक नहीं लगा । इस वजह से मेरा जब काम खत्म हुआ , तब मैं इसे घर छोड़ने आया । इसमें इसकी नहीं बल्कि मेरी गलती है अंकल जी । ( वापस से हाथ जोड़ते हुए ) प्लीज....., इसके लिए मुझे माफ़ कर दीजिए ।

आरव के इतना कहने से, कायरा एक टक आरव को देख रही थी । जबकि देवेश जी आरव के पास आए , और उसके हाथों को अपनी हथेलियों से पकड़ कर कहा ।

देवेश जी - आपने सही कहा बेटा !!!! कायरा का रात के वक्त , उस सड़क से अकेले आना ठीक नहीं होता । और आप माफी मत मांगिए , क्योंकि आपने तो हमारी बेटी को सही सलामत घर पहुंचा दिया है । जिसके लिए मैं तहे दिल से आपका शुक्रगुजार हूं ।

आरव - ये मेरा फ़र्ज़ था अंकल जी । अच्छा अब मैं चलता हूं ।

देवेश जी - अरे ऐसे कैसे बेटा ...!!!! डिनर का वक्त हो गया है , खाना खा कर जाइए , हमारे साथ । मालती जी , खाना लगाइए आरव जी के लिए ।

आरव - फिर कभी अंकल जी , अभी रात बहुत हो चुकी है । घर पर सभी मेरा , डिनर पर वेट कर रहे होंगे । अगर मैं नहीं पहुंचूंगा, तो खामाखा सब परेशान होंगे । इस लिए मैं आज आपके साथ , डिनर नहीं कर पाऊंगा । पर अगली बार जब आऊंगा , तो पक्का करूंगा ।

मालती जी ( शिकायती लहजे में ) - आपने पिछली बार भी यही कहा था बेटा .....!!!!! और आज जब आए हैं , तो जल्दी जाने की रट लगाए हुए हैं ।

आरव - सॉरी आंटी जी ....!!! अगर लेट ना हो रहा होता , तो जरूर आपकी बात मानता । पर इस वक्त मेरा घर पहुंचना ज्यादा इंपोर्टेंट है ।

देवेश जी - कोई बात नहीं बेटा , इस बार नहीं तो अगली बार सही । वैसे भी , परिवार से बढ़ कर कुछ नहीं होता। आप जाइए , क्योंकि हो सकता है कि सच में आपके घर वाले , आपको लेकर परेशान हो जाएं । पर बेटा अच्छा लगा आपसे मिलकर , मालती जी ने जैसा आपके बारे में बताया था , आप उससे भी अच्छे है । आते रहीयेगा अब , और इसे अपना ही घर समझिएगा ।

आरव ( कायरा की ओर देखकर ) - जी अंकल जी...... । कायरा की स्कूटी कुछ देर में , यहां पहुंच जाएगी । मेरा आदमी लेकर आता है ही होगा । अच्छा अंकल जी , आंटी जी !!! अब मैं चलता हूं । गुड नाईट .....।

देवेश जी और मालती जी ( एक साथ ) - गुड नाईट ।

आरव दोनों के इतना कहते ही चला गया । और अपनी गाड़ी में बैठ कर , शर्मा मेंशन की ओर अपनी कार बढ़ा दी । इधर आरव के जाते ही कायरा भी अपने रूम की ओर बढ़ गई । वह जैसे ही सीढ़ियों पर पहुंची , कि पीछे से मालती जी ने उसे आवाज़ दी ।

मालती जी - कायरा बेटा...!!!! डिनर तैयार है , मुंह हाथ धोकर आजा। सब साथ में बैठ कर , डिनर करेंगे ।

मालती जी की आवाज़ सुन, कायरा रुक गई , और उनकी ओर पलट कर कहा ।

कायरा - मम्मा मुझे भूख नहीं है । इस लिए आप लोग डिनर कर लीजिए ।

इतना कह कर कायरा जाने लगी , तो मालती जी ने दुबारा कहना चाहा।

मालती जी - पर बेटा.......!!!!

कायरा ने कोई जवाब नहीं दिया , और वह आगे बढ़ने लगी , तभी देवेश जी ने उससे कहा।

देवेश जी - बेटा !!!! क्यों भूख नहीं है तुम्हें ????

कायरा देवेश जी की आवाज़ सुन, रुक गई और पलट कर, उनकी ओर देखकर, उनसे कहा ।

कायरा - पापा मैंने शाम को , फ्रेंड्स के साथ , कैंटीन में नाश्ता कर लिया था । इस लिए अब मेरी कुछ भी खाने की इक्छा नहीं है ।

देवेश जी - बेटा !!!! हम तीनों , आपका ही इंतेज़ार रहे थे खाने पर... । अब क्या आप हमारे साथ बैठकर, थोड़ी सा खाना भी नहीं खायेंगी ????

देवेश जी ने इतने प्यार से कहा , कि कायरा मना नहीं कर पाई । उसने मालती जी से कहा ।

कायरा - मैं फ्रेश होकर आती हूं मम्मा ।

उसकी बात सुन मालती जी , देवेश जी और अंश खुश हुए । कायरा तुरंत चेंज करके आ गई और डाइनिंग टेबल पर अपनी चेयर पर बैठ गई । मालती जी ने उसे खाना परोसा । कायरा ने बड़ी ही मुश्किल से , एक रोटी खाई । क्योंकि उसके गले से खाना नीचे ही नहीं उतर रहा था । और उसने अपनी प्लेट में खाना अधूरा छोड़ कर, मालती जी से कहा ।

कायरा - मम्मा मेरा हो गया । मैं थक गई हूं , इस लिए सोने जा रही हूं । गुड नाईट ....।

कोई कुछ कह पाता , उससे पहले ही कायरा बिना किसी का जवाब सुने , तेज़ क़दमों से अपने रूम की ओर बढ़ गई । उसे जाते देख अंश ने कहा।

अंश - ये दी को आज क्या हो गया है ???? इन्होंने ना ही ढंग से खाना खाया और ना ही कॉलेज से आने के बाद , किसी से भी नॉर्मली बात की । हुआ क्या है दी को ???

मालती जी - थक गई होगी बेटा । इसी लिए शायद ऐसा व्यवहार कर रही है ।

अंश - हम्मम ।

तीनों ने बातें करते हुए खाना खाया और अपने - अपने कमरे में चले गए। इधर कायरा अपने रूम में आयी और बिस्तर में बैठ कर , राजवीर और आरव की हुई लड़ाई के बारे में सोचते हुए खुद से कहा।

कायरा - क्या जरूरत थी आरव आपको , राजवीर से उलझने की ??? मैं हैंडल कर लेती उसे । और अगर नहीं भी कर पाती , तब भी आपको राजवीर से उलझना नहीं चाहिए था। इस तरह से मुझे राजवीर से बचाकर आपने, मेरा शक पक्का कर दिया है, कि आपके दिल में मेरे लिए जज्बात हैं। वरना आप आज राजवीर से नहीं उलझते और उसे इस कदर तो बिल्कुल भी नहीं मारते , कि वह अधमरा हो जाये । जहां तक मैं राजवीर को जान पाई हूं , उस हिसाब से राजवीर जैसा इन्सान , शांत तो बिल्कुल भी नहीं बैठेगा । वह इसके बदले आपको नुकसान जरूर पहुंचाएगा । ( थोड़ी देर रुक कर ) क्यों आरव ....!!! क्यों...???? क्यों नहीं समझते आप , कि ये सब करके आप मेरी और अपनी , दोनों की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। और मेरे लिए बेहिसाब परेशानियां खड़ी कर रहे हैं । मत कीजिएगा आरव मेरे लिए इतना सब , क्योंकि आप जो मुझसे एक्सपेक्ट कर रहे हैं , वह मैं कभी पूरा नहीं कर पाऊंगी । ( खिड़की से बाहर , आसमान की ओर ताकते हुए ) प्लीज भगवान ......, प्लीज.....!!!! मेरे लिए परेशानियों का अंबार मत खड़ा कीजिए । मेरे कुछ कहने से पहले ही , आरव को मेरी ओर कदम बढ़ाने से रोक लीजिए । वरना शायद मैं ये सब, संभाल नहीं पाऊंगी , और मेरे हाथों से सब कुछ, रेत की भांती फिसल जाएगा । प्लीज भगवान ....., हेल्प कीजिए मेरी ।

यही सब सोच कर कहते हुए , कायरा के आंखों से आसूं निकलने लगे । तभी कायरा को किसी के आने की आहट हुई । उस आहट को सुन, कायरा तुरंत बेड पर लेट गई , और अपने ऊपर चादर ओढ़ कर , उसने अपनी आंखें भींच ली । तभी मालती जी , हाथों में हल्दी वाले दूध कर गिलास लेकर कायरा के रूम में आयी और कहा ।

मालती जी - कायरा ...., बेटा......!!!! लो दूध पी लो , थकान कम हो जाएगी तुम्हारी ।

कायरा उनकी बात सुनने के बाद भी नहीं उठी , तो मालती जी को लगा कि वह सो गई है । उन्होंने बेड के बगल में रखी टेबल पर, दूध कर गिलास रखा और कायरा के सिर से चादर उठा कर , उसे अच्छे से चादर ओढ़ाई और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा ।

मालती जी - लगता है, सो गई.... मेरी बच्ची । सच में आज शायद कुछ ज्यादा ही थक गई है , वरना बिना दूध पिए तो कभी नहीं सोती मेरी बेटी। पर भगवान करे , इसके चेहरे पर जो परेशानी हम सभी देख रहे हैं , वह सिर्फ हमारा वहम हो । क्योंकि आज कल मेरी बच्ची तो, मुझे कुछ बताती ही नहीं है । पता नहीं कुछ दिनों से किस दुनिया में गुम है । हे राम जी...! मेरी बच्ची की सारी परेशानियां दूर कर, उसे हमेशा खुश रखीएगा । और हमेशा उसके चेहरे पर मुस्कुराहट बना कर रखिएगा, क्योंकि इसकी मुस्कान से ही तो मेरा और इसके पापा का दिन शुरू होता है और इसकी मुस्कान पर ही खत्म ।

इतना कह कर उन्होंने वापस दूध का गिलास उठाया और रूम की लाइट्स ऑफ कर , कायरा के रूम से बाहर चली गईं । कायरा को जब उनके जाने की आहट मिली, तो उसने तुरंत अपने चेहरे से चादर हटाई और रूम में चारो ओर अपनी नजरें दौड़ाई । पर मालती जी सच में जा चुकी है, ये बात जब उसे कन्फर्म हुई । तो वह अपने बेड से उठी , और अपने रूम के दरवाज़े से बाहर बनी, रेलिंग के पास आकर उसने किचेन कि ओर, और लिविंग रूम में देखा , तो उसे नीचे मालती जी हाथों में पानी का जग लिए , अपने रूम में जाते हुए दिखीं । उसे ये देख कर संतुष्टि मिली और वह अपने रूम के अंदर आयी । उसने दरवाज़े को बिना आवाज़ किए धीरे से बंद किया और अपने बेड के बगल की टेबल पर रखे टेबल लैंप को ऑन किया और वह अपने बेड पर बाईं ओर करवट लेकर लेट गई और खुद से कहा।

कायरा - कैसे बताऊं मैं आपको मम्मा , कि मैं किस परेशानी में हूं । अगर मैंने बता भी दिया , तो आप मेरी कोई भी हेल्प नहीं कर पाएंगी, और तो और खुद टेंशन लेकर अपनी तबीयत भी खराब कर लेंगी ।

यही सोच कर कायरा रात भर करवट बदलती रही , पर उसे रात भर नींद नहीं आयी । इधर आरव का गुस्सा कुछ देर को शांत जरूर हुआ था , कायरा के साथ होने की वजह से । पर कार में बैठते ही उसे वो सब याद आने लगा , जो राजवीर ने उससे कहा था । वही सब सोच कर उसका गुस्सा, पल - पल बस बढ़ता ही जा रहा था। कुछ ही देर में वह शर्मा मेंशन पहुंच गया और नौकर को गाड़ी पार्किंग में लगाने का कहकर , घर के अंदर आया । उसके आते ही सुनयना जी ने उसे डिनर के लिए कहा , पर आरव ने उनसे उसका खाना रूम में ही भेजने का कह कर , अपने रूम की ओर बढ़ गया । खाना खाकर , आरव बेड पर लेटा और सो गया ।

एक बहुत लंबे और मुश्किल से भरे दिन के बाद , आखिरकार अगली सुबह हो ही चुकी थी । कायरा को बड़ी मुश्किल से , सुबह के छः बजे नींद आयी । इस लिए वह देर तक सो रही थी । आज कॉलेज की छुट्टी थी , सोचकर मालती जी ने भी उसे नहीं उठाया था । दस बजे के करीब कायरा का मोबाइल बार - बार बज कर बंद हुआ जा रहा था। सुबह ही सोने की वजह से , कायरा गहरी नींद में थी । इस लिए उसे फोन की आवाज़ सुनाई नहीं दे रही थी । तभी एक बार फिर उसका फोन बजा, तो कायरा ने अपनी आंखें मली और अधखुली आखों से ही टेबल पर रखा अपना फोन उठाया और बिना स्क्रीन देखे नींद में ही कहा ।

कायरा - हैलो ....!!!!!

आदित्य ( फोन की दूसरी ओर से ) - इस वक्त कहां हो तुम कायरा ।

कायरा - घर पर हूं , सो रही थी ।

आदित्य ( हैरानी से ) - सो रही थी ...!!!! कायरा दस बज चुके हैं , और तुम अभी तक सो रही हो ।

कायरा - हां...., सुबह - सुबह ही मेरी नींद पड़ी है , इस लिए सो रही हूं । तुम बताओ क्यों कॉल किया तुमने मुझे???

आदित्य - ये बताने के लिए, कि अपनी नींद से जाग जाओ मैडम । आपके ऑफिस के बॉस , जाने कब से आपको याद कर रहे हैं । और वो भी गुस्से से तेज़ आवाज़ में चिल्ला - चिल्ला कर ।

कायरा ने जब ये सुना , तो तुरंत बेड पर से उठ कर बैठ गई और उसने हैरानी से आदित्य से फोन पर, अपनी आखें बड़ी - बड़ी करते हुए कहा ।

कायरा - पर आदित्य , कॉलेज और ऑफिस की तो आज छुट्टी है ना ...!!!???

आदित्य - कॉलेज की छुट्टी है, पर ऑफिस की नहीं है । इस लिए जल्दी से ऑफिस में प्रकट हो जाओ , वरना आरव का गुस्सा आज किसी को नहीं बक्सेगा ।

कायरा कल रात का सारा ड्रामा, उठते ही साथ भूल चुकी थी इस लिए उसने बेपरवाही से कहा।

कायरा - ये क्या बात हुई भला ...!!! एक दिन अगर हॉलीडे दे देते, तो क्या चला जाता आरव का । आखिर हम लोग भी तो इन्सान है , कल की थकावट उतर नहीं रही है और आरव को अपना गुस्सा उतारना है हम सभी के ऊपर । ये तो फेअर नहीं हुआ ना आदित्य ।

आदित्य - मैडम ....!!!! कल आलरेडी आरव ने हॉलीडे दिया हुआ था और ये ऑफिस है , बिना वजह यहां पर डेली - डेली हॉलीडे नहीं दिया जा सकता ।

कायरा - लेकिन अगर एक दिन का और दे देते तो क्या हो जाता ।

आदित्य - ये तो तुम अपने बॉस, आरव सर से पूछना। वैसे भी उसका कल का गुस्सा अभी उतरा नहीं है । और वह मिस्टर पाठक की डील वाली फाइल ढूंढ रहा है । जिसे हम सबने मिलकर पूरे ऑफिस में ढूंढ लिया , पर हमें फाइल तो क्या , उसका एक पन्ना तक नहीं मिला । वैसे वो फाइल मैंने परसों तुम्हें दी थी....... ।

कायर को अब आदित्य के कहने से, आरव का गुस्सा, कल रात का ड्रामा और फाइल तीनों की याद आ जाती है । वह फाइल के बारे में याद कर कहती है ।

कायरा - हां.....!!! वो फाइल तो मेरे पास है । उसमें कुछ वर्क करने के लिए बचा था, इस लिए मैं घर ले आयी थी ।

आदित्य - तो मिस कायरा गर्ग !!!!! वैसे भी आप अभी तक ऑफिस नहीं पहुंची हैं , और आरव भी अच्छी तरह से भड़का हुआ है और फाइल भी नहीं मिल रही है । इस लिए तुम अगले एक घंटे में ऑफिस में अपने कदम रखो , वरना आरव तुम्हारे घर पहुंच जाएगा , तुम्हें ऑफिस लाने के लिए । आगे तुम उसके गुस्से से वाकिफ हो ......, और समझदार भी हो। इस लिए फटाफट ऑफिस पहुंचो, वरना आरव के गुस्से के आगे, आज तुम्हारे साथ - साथ हम सब की भी बली चढ़ जाएगी ।

कायरा ( तुरंत बेड से उतर कर , कबर्ड से अपने कपड़े निकालते हुए कहती है ) - प्लीज ...., प्लीज ......आदित्य ! तुम कुछ देर के लिए बस संभाल लो । मैं कुछ ही मिनटों में वहां पहुंच रही हूं । बाय.......।

इतना कह कर कायरा ने आदित्य की आगे की बात सुने बिना ही , तुरंत फोन कट कर दिया , और सीधे बाथरूम की ओर भागी । कुछ ही मिनटों में रेडी होकर उसने , बैग में फाइल, चार्जर और सारा जरूरी सामान डाला और तुरंत अपने रूम से नीचे की ओर आयी और बाहर की ओर भागने लगी । उसे ऐसे हड़बड़ाहट में भागते हुए देख कर, मालती जी ने उससे कहा ।

मालती जी - कहां जा रही हो कायरा ????

कायरा - ऑफिस जा रही हूं मम्मा ।

मालती जी - पर आज तो छुट्टी है ना ।

कायरा ( अपना हेलमेट लेते हुए ) - नहीं मम्मा ! आज कोई छुट्टी नहीं है , मुझे गलतफहमी हो गई थी । इस लिए मैं जा रही हूं , बाय...।

मालती जी - बेटा दो मिनट रुक , मैं तेरा टिफिन पैक कर देती हूं ।

कायरा ( दरवाज़े के बाहर से ही तेज़ आवाज़ में चिल्ला कर ) - नहीं मम्मा ....!!!! रहने दीजिए । मुझे आलरेडी काफी लेट हो चुका है । अगर मैं अब टाइम पर नहीं पहुंची , तो आफत आ जायेगी आज , हमारे घर पर ।

इतना कह कर कायरा स्कूटी स्टार्ट कर, ऑफिस के लिए निकल गई । जबकि मालती जी उसके कहे गए शब्दों का, अर्थ समझने की कोशिश कर रही थीं ।

इधर आरव का गुस्सा अभी भी शांत नहीं हुआ था। कल की बात को लेकर तो वह परेशान था ही और अब उसे फाइल भी नहीं मिल रही थी , जिससे उसके गुस्से में अब और ज्यादा इजाफा हो गया था । फोन पर कायरा से बात कर आदित्य, आरव के केबिन में आया , जहां पर आरव अभी भी फाइल ढूढने में लगा हुआ था । आदित्य ने उससे कहा ।

आदित्य - फाइल मिल गई है आरव । कायरा के पास है ।

आरव ( आदित्य को घूरते हुए ) - और वो अब तक ऑफिस नहीं आयी है ।

आदित्य - तू गुस्सा मत हो । मैंने उसे कॉल किया था , वह बस एक घंटे में पहुंच जाएगी ।

आरव ( टेबल पर, हाथों में पकड़े हुए कागजों को पटकता है और कहता है ) - राजवीर की कोई खबर ...?????

आदित्य ( चेयर पर बैठते हुए ) - कल रात बारह बजे के लगभग उसे, उसके घर पर ड्रॉप करके आए थे मैं और रेहान । उसके बाद से उसके बारे में मुझे कुछ नहीं पता।

आरव - उसके घरवालों ने कोई रिएक्शन नहीं दिया ????

आदित्य - शायद मिस्टर तिवारी घर पर नहीं थे । और राजवीर की मॉम ने उससे पूछा था , तब तक उसे होश भी आ चुका था । पर राजवीर ने उनकी बात पर, कोई रिएक्शन नहीं दिया । हम दोनों भी उसे उसकी मॉम के पास छोड़ कर , उसके घर से बाहर आ गए । रात के एक बजे हम दोनों अपने घर पहुंचे थे । ( कुछ सोच कर ) पर मुझे एक बात समझ नहीं आयी, राजवीर ने अपनी मॉम से कुछ कहा क्यों नहीं ...????

आरव ( अपनी चेयर पर बैठते हुए ) - कोई बड़ी बात नहीं है आदित्य । उसने तुम लोगों के जाने के बाद , अपनी मॉम को अपने हिसाब से कहानी बना कर बताया होगा।

आदित्य - यू आर राइट आरव , ऐसा हो सकता है । लेकिन राजवीर ने अब तक, किसी भी तरह की पुलिस कंप्लेन क्यों नहीं की तेरे खिलाफ । जबकि तूने उसे मार - मार कर अधमरा कर दिया था। उस हिसाब से तो सॉलिड केस बनता है और उसे अब तक कंप्लेन भी कर देनी चाहिए थी उसे । पर उसने अभी तक ऐसा किया क्यों नहीं .....!!!!

आरव ( चेयर से उठ कर , अपनी वर्किंग टेबल पर दोनों हाथ पटक कर गुस्से में ) - यही सोच - सोच कर तो मेरे दिमाग की नसें फटी जा रही हैं । क्योंकि जहां तक मैं उसे जानता हूं , वो इस बात का फायदा उठाना, अच्छे से जानता है। और इस हिसाब से, अभी तक मुझे वो जेल की सलाखों के पीछे भिजवा चुका होता । और इससे निकलने के लिए मैंने, अपनी तैयारी भी कर रखी है । पर उसने अभी तक ना ही कंप्लेन की है और ना ही अभी तक उसके घर वालों की तरफ से कोई भी रिएक्शन आया है । वरना अब तक हमारे घर में हंगामा चालू हो गया होता ।

आदित्य - शायद वो तेरे खिलाफ कुछ बड़ा प्लान कर रहा है।

आरव - वही तो ....., वही तो मैं पता नहीं लगा पा रहा हूं, कि वो मेरे खिलाफ क्या प्लानिंग कर रहा है । अगर वो यहां ऑफिस में होता , तो उसकी हर प्लानिंग की हमें खबर होती । पर इस वक्त वो ऑफिस में नहीं है , इस लिए हमारे लिए प्रॉब्लम्स और ज्यादा बढ़ गई है ।

आदित्य - डोंट वरी आरव ! उसे डॉक्टर ने कम से कम चार दिन के लिए बेड टेस्ट के लिए कहा है। उस हिसाब से शायद वो ये सब छोड़ कर , अभी आराम कर रहा होगा ।

आरव - ऐसा तुझे लगता है आदि, पर मुझे नहीं । वह जरूर कुछ ऐसा करने वाला है , जिससे मुझे संभलने का मौका तक ना मिले और उसका काम भी हो जाए। ( इसके बाद उसने राजवीर की कल रात में उससे कहीं हुई सारी बातें आदित्य को बताई और फिर कहा ) पर मैं भी आरव हूं । मैं उसे हर खेल में हराऊंगा , और वो भी बिना अपना कुछ खोए ।

आदित्य - उसने जो कुछ भी कल तुझसे कहा है , इससे ये तो साफ है , कि वह शांत बैठने वालों में से नहीं है । पर मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है। तू उसे , उसी के खेल में जरूर मात देगा ।

आरव ने उसकी बात पर कुछ नहीं कहा और खिड़की के पास चला गया । आदित्य भी अपनी बात कहकर केबिन से बाहर आ गया । आरव खिड़की के पास खड़ा , कुछ सोच रहा था। तभी उसकी नजर पार्किंग एरिया में, अपनी स्कूटी पार्क कर रही कायरा पर पड़ी । उसने उसे देख कर गुस्से में खुद से कहा।

आरव - आ गई मैडम !!! एक तो वैसे ही मेरा सिर दर्द से फटा जा रहा है । ऊपर से इसकी हरकतें मुझे, और सिर दर्द करवा रही हैं । आने दो मैडम को मेरे केबिन में , बताता हूं आज इसे । यहां मैं इसकी चिंता में सूखी भिंडी की तरह सूखा जा रहा हूं और ये मैडम जब चाहे तब ऑफिस में अपने कदम रख रही हैं । हर्जाना तो आज तुमको भरना ही पड़ेगा , ऑफिस टाइम पर ना आने का ..... , मिस कायरा गर्ग ।

इतना कह कर आरव अपनी चेयर के पास आकर खड़ा हो जाता है और फाइल्स देखने लगता है । तभी कायरा भागते हुए उसके केबिन में आती है । और सीधे " मे आय कम इन " कहती है । आरव पहले तो उसे एक नज़र गुस्से से घूरता है और फिर उसे अन्दर आने को कहता है । कायरा की वर्किंग टेबल के पास आकर , उसपर मिस्टर पाठक की फाइल रखती है । और आरव को गुड मॉर्निंग विश करती है । बदले में आरव मिस्टर पाठक की फाइल ओपन कर , फाइल में नजरें गड़ाए हुए ही कहता है ।

आरव - बड़ी जल्दी आ गई आप....... , मिस कायरा गर्ग । ( वॉल वॉच की ओर इशारा कर ) टाइम देख लीजिए घड़ी में , बारह बज चुके हैं । पूरे डेढ़ घंटे लेट आयी हैं आप । क्या मैं आपके लेट आने का रीजन जान सकता हूं ।

कायरा ( अपना सिर झुका कर , जमीन की ओर ताकते हुए ) - वो सर...!!! सुबह - सुबह आंख लगने के कारण , मेरी नींद लेट से खुली । इस लिए मुझे आज, ऑफिस आने में लेट हो गया ।

आरव ( कायरा को घूरते हुए ) - बहाना अच्छा है....... , पर मेरे सामने नहीं चलेगा ।

कायरा ने उसकी बात सुनी तो गुस्से में उसे देख कर बोली ।

कायरा - बहाना नहीं बना रही हूं , सच कह रही हूं । और वैसे भी, ये सब आपके कारण हुआ है। ना ही आप कल रात राजवीर से उलझते और ना ही मेरी नींद सुबह छः बजे पड़ती। ना ही मैं लेट से उठती और ना ही मैं ऑफिस आने के लिए लेट होती । सारा किया धरा आपका ही है, इसमें मेरी कोई गलती नहीं है ।

कायरा ने गुस्से - गुस्से में अपने मन की भड़ास निकाल दी थी , आरव के ऊपर । आरव ने जब कायरा की बात सुनी , तो उसका गुस्सा और ज्यादा बढ़ गया । उसने गुस्से से, फाइल को टेबल पर पटक कर , अपने दांत पीसते हुए कहा ।

आरव - अपनी गलतियों का ठीकरा , मेरे ऊपर मत फोड़ों कायरा ......। गलती तुम्हारी है , मेरी नहीं .......।

कायरा ने उसकी बात सुनी , तो अब उसका गुस्सा भी आसमान छूने लगा । और उसने आरव के अंदाज़ में ही, गुस्से से भर कर कहा ..........।

क्रमशः

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