रिस्की लव - 55 Ashish Kumar Trivedi द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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रिस्की लव - 55



(55)

निर्भय बहुत गुस्से में था। उसे लग रहा था कि अजय मोहते ने अपना काम बड़ी चालाकी से निकलवा लिया। अब जब उसकी बारी आई तो इत्मीनान से बैठ गया। उसे अपनी बेवकूफी पर भी गुस्सा आ रहा था। उस दिन उसने अजय मोहते का नंबर भी नहीं लिया था। लोकेश कुमार के फोन से ही उसने अजय मोहते से बात की थी।‌
उसने तो यह सोचकर अंजन के बारे में बता दिया था कि अजय मोहते उसके दुश्मन को सज़ा देगा। साथ में इस केस से बाहर निकलने में अजय मोहते की मदद भी मिल जाएगी। लेकिन दोनों ही काम नहीं हुए। उसकी इतनी सटीक खबर के बावजूद भी अजय मोहते अंजन का कुछ नहीं कर पाया। वह तो पुलिस से भी बचकर भाग निकला। अब जब उसकी मदद करने की बारी आई है तो अजय मोहते से संपर्क भी नहीं हो सकता। लोकेश कुमार का नंबर भी स्विचऑफ बता रहा था।
वह उठकर गार्डन में जाकर टहलने लगा। कुछ देर बाद मानवी भी वहाँ आ गई। दोनों गार्डन में ही बैठकर बातें करने लगे। मानवी ने कहा,
"अजय मोहते से कोई मदद मिलने की उम्मीद नज़र नहीं आती है। अब हमें अपनी तरफ से ही कुछ करना है। पैसों की कोई चिंता नहीं है। मैंने लंदन फोन करके कुछ पैसे ट्रांसफर करने को कहा है। पर इंस्पेक्टर कौशल सावंत हमारे खिलाफ सबूत इकट्ठे कर चुका है। हमें एक ऐसे वकील की ज़रूरत पड़ेगी जो बहुत चालाक हो।"
निर्भय कुछ क्षण शांत रहने के बाद बोला,
"अजय मोहते यहीं काम आ सकता था। वह मंत्री है। अपने राजनैतिक प्रभाव का इस्तेमाल करके केस कमज़ोर करवा सकता था। लेकिन उसने तो धोखा दे दिया।"
निर्भय और मानवी दोनों ही चुप हो गए। दोनों के मन में बहुत सी बातें चल रही थीं। निर्भय को लग रहा था कि ‌मौत के मुंह से निकल कर उसने जो बिज़नेस खड़ा किया था वह बेकार हो गया। वह बस किसी भी तरह से इस सब झंझट से निकल कर अपने बिज़नेस पर ध्यान देना चाहता था। मानवी के मन में भी कुछ ऐसी ही बातें चल रही थीं। उसने निर्भय से कहा,
"कल रात देर तक बिस्तर पर पड़ी सोचती रही कि हम दोनों से ही बहुत गलत निर्णय हो गया। हमारी जिंदगी में इतना उथल पुथल होने के बावजूद हम दोनों ने अपनी राह पा ली थी। अंजन को सज़ा देने के जुनून ने सब बर्बाद कर दिया। अगर हमें उसे मारना ही था तो किसी और के ज़रिए भी यह काम करवा सकते थे।"
"मानवी....समय की बात होती है। आज हम जैसे सोच रहे हैं तब वैसे नहीं सोच पाए। अंजन से बदला लेने का जुनून इस कदर हावी था कि खुद उस पर हमला करने की गलती कर बैठे। लेकिन आज हम जिसे बेवकूफी समझ रहे हैं तब हमारे लिए वही सही था। हमने बेवकूफी की। यह तो हमारे सामने है। लेकिन अब उसका कोई लाभ नहीं है। अब जैसे भी हो हमें इससे निकलने का प्रयास करना है।"
यह कहकर निर्भय उठकर खड़ा हो गया। वह मानवी से बोला,
"चलकर थोड़ी देर बीच पर टहल कर आते हैं। मन बदल जाएगा। फिर सोचते हैं कि आगे क्या करना है।"
मानवी को उसकी बात सही लगी। दोनों बीच पर टहलने चले गए।

संजय मेहरा मीरा को एक घर में ले गया। वहाँ उसके रहने की सही व्यवस्था थी। एक नर्स उसकी देखभाल के लिए थी। मीरा सोच रही थी कि यह संजय मेहरा बहुत भला आदमी है। अंजन इतनी मुश्किल में है फिर भी दोस्ती निभा रहा है।
वह संजय मेहरा से कुछ पूँछ नहीं पाई थी। उसे यहाँ छोड़कर वह यह कहकर चला गया था कि बाद में आकर उससे मिलेगा। मीरा चाहती थी कि एक बार अंजन को फोन करके यह बता दे कि संजय मेहरा उसकी मदद के लिए पहुँच गया था। लेकिन उसने अपना सामान कई बार देखा। उसे अपना फोन नहीं मिल रहा था।
मीरा परेशान हो गई। सोचने लगी कि आखिरी बार उसने अपना फोन कब इस्तेमाल किया था। उसे याद आया कि कीमियोथेरेपी से पहले हॉस्पिटल से उसने अंजन से वीडियो कॉल पर बात की थी। उसके बाद उसे कीमियोथैरेपी के लिए ले जाया गया था। उसे लगा कि शायद उसका फोन हॉस्पिटल में ही छूट गया है। उसने अपने बेड में लगी बेल को दबाया। कुछ समय बाद नर्स कमरे में आकर बोली,
"क्या चाहिए मैम ?"
"लगता है कि मेरा मोबाइल हॉस्पिटल में ही छूट गया। आप प्लीज़ मिस्टर संजय मेहरा को फोन करके बता दीजिए।"
"सॉरी मैम.... मुझे निर्देश मिला है कि मैं आपकी देखभाल करूँ। इसके अलावा मैं आपकी कोई मदद नहीं कर सकती हूँ।"
नर्स ने बड़ी रुखाई से उसे जवाब दिया था। मीरा को अच्छा नहीं लगा। उसने कहा,
"ठीक है....घर में कोई नौकर हो तो उसे भेज दीजिए।"
"इस समय आपके और मेरे अलावा यहाँ कोई नहीं है।"
"यहाँ कोई फोन होगा। मैं खुद बात कर लूँगी। आप बस मिस्टर संजय मेहरा का नंबर दे दीजिए।"
"यहाँ कोई फोन नहीं है। अगर आपको इसके अलावा कोई काम हो तो बताइए।"
उसका रुखा व्यवहार मीरा के लिए असहनीय हो रहा था। उसने खीझकर कहा,
"आप मेरी कोई मदद नहीं कर सकती हैं। आप जाइए।"
नर्स चली गई। मीरा सोच में पड़ गई। क्या उसने यहाँ आकर ठीक किया ? फिर उसके मन में आया कि संजय मेहरा अंजन का दोस्त है। बीमारी में उसकी मदद कर रहा है। इसमें उसका कोई स्वार्थ तो हो नहीं सकता है। ज़रूर यह नर्स बद्तमीज़ है। संजय मेहरा के आने पर वह उसकी शिकायत करेगी। यह सोचकर वह चुपचाप बिस्तर पर लेट गई।
उसके मन में आ रहा था। आजकल वह बहुत कमज़ोर हो गई है। अगर पहले जैसी होती तो बिस्तर से उठकर उस नर्स को उसकी रुखाई पर थप्पड़ मार देती। खुद हॉस्पिटल जाकर अपना फोन ले आती। यह सोचते हुए उसकी आँखों में आंसू आ गए। पहले जैसा कुछ बचा कहाँ था।‌ सबकुछ तो उलट पलट हो गया था।‌ पहले जैसा होता तो वह अपनी ज़िंदगी के दिन ना गिन रही होती। उसकी आँखों से आंसू की धारा बहने लगी।

अजय मोहते का आदमी बहुत समय तक अंजन के घर पर उसके आने की राह देखता रहा। जैसा अजय मोहते ने सोचा था अंजन लौटकर घर नहीं आया। अजय मोहते के आदमी ने उसे फोन किया तो उसने उससे कहा कि वह वहाँ से निकल जाए।

अजय मोहते ने लंदन फोन मिलाया। उसने अपने एक आदमी दिनकर प्रधान को फोन किया था। दिनकर प्रधान ही मीरा को संजय मेहरा बनकर मिला था। दिनकर प्रधान ने फोन उठाया तो अजय मोहते ने कहा,
"उसे पहुँचा दिया।"
"हाँ.... हॉस्पिटल से उस घर में पहुँचा दिया है। मुझे तो लगा था कि सवाल जवाब करेगी। पर अंजन का नाम सुनते ही मान गई। वैसे इस समय बहुत कमज़ोर और टूटी हुई है। इसलिए इतनी आसानी से यकीन कर लिया।"
"हाँ मैंने पता किया था। धोखा खाने के बाद भी अंजन उसे बहुत चाहता है। उसके लिए अपने दोस्त सागर खत्री का भी दुश्मन बन गया। सागर खत्री की रखैल अलीशिया ने इसके लिए अंजन की दीवानगी के बारे में बताया था। इसलिए उसे किडनैप किया है। अब अंजन को धमकी दूँगा कि अगर पुलिस के हाथ पड़ भी जाए तो मेरे बारे में कुछ ना बताए।"
"लेकिन सर उस लड़की को कैंसर है। बहुत बीमार है। अधिक समय ज़िंदा नहीं रहेगी।"
"कोई बात नहीं.... मैं अंजन को ढूंढ़ कर मार दूँ तब तक ज़िंदा रहे। अगर बीच में मर भी गई तो अंजन को इसकी खबर नहीं लगने देंगे। तुम्हारे पास उसका फोन है ना।"
"हाँ सर मैंने उसके सामान से निकाल लिया था।"
"तो जैसा मैंने कहा था वैसा करो।"
अजय मोहते ने फोन काट दिया। उसके चेहरे पर मुस्कान थी। लंदन में उसे सागर खत्री की गर्लफ्रेंड अलीशिया का पता चला। उसने अपने आदमियों के ज़रिए उसे उठवा लिया। उसने सबकुछ बता दिया। उसके बाद अजय मोहते ने दिनकर प्रधान को संजय मेहरा बनकर जाने के लिए कहा। वह मीरा से मिला और उसे उस मकान में रख दिया।
अजय मोहते जानता था कि मीरा कहीं भाग सके इस हालत में नहीं है। इसलिए उस मकान में कोई और नहीं था। उसने मीरा पर नज़र रखने के लिए पामेला नाम की एक औरत को नर्स बनाकर रखा था। पामेला को पुलिस विभाग से उसके गलत आचरण के कारण निकाल दिया गया था। वह पैसों के लिए कोई भी गैरकानूनी काम करने से नहीं हिचकती थी।

दिनकर प्रधान उसी मकान के ऊपरी हिस्से में था। पामेला ने जाकर उसे सारी बात बताई कि कैसे मीरा अपने फोन के लिए परेशान हो रही थी। सब सुनकर दिनकर प्रधान ने पामेला को कुछ आदेश दिया।
पामेला ने मीरा को जूस में नींद की दवा मिलाकर पिला दिया। इसके कारण मीरा सो रही थी। पामेला ने मीरा के फोन से एक वीडियो बनाया। उसके बाद ऊपर बैठे दिनकर प्रधान के पास गई। दिनकर ने मीरा के फोन से वह वीडियो अंजन को भेज दिया। साथ में एक मैसेज भी था।

अंजन उस फ्लैट में बैठा अपनी स्थिति के बारे में सोचकर परेशान हो रहा था। उसने अपने लिए एक और पैग बनाया और पीने लगा। उसके फोन पर बीप हुई। उसने देखा कि मीरा ने एक वीडियो भेजा था। साथ में एक टेक्स्ट भी था।