Chandrika ek nanhi jadugarni - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

चंद्रिका एक नन्हीं जादूगरनी - 1

ये कहानी शुरू होती हैं कंचनापुर से चंद्रिका को उसके भाई नीलेश ने एक गुप्त स्थान पर छुपा रखा है ताकि भावी जादूगरनी को कोई नुक़सान न पहुॅंचा सके।
चंद्रिका नादान सी इन सब बातो से अनजान कि क्या हो रहा है।वो तो अपने फागु /ऊरू के साथ जो की दो बौने है खेल मे रहती थी पर उसके भाई को यही चिंता रहती कही जादुगरनी गजमोहीनी (चंद्रिका की जान की दुश्मन) उसे न ढुंढ ले ।
मौहानी जिसे चंद्रिका कि देखभाल के लिए रखा गया था
जब भी निलेश बाहर जाया करता है मौहानी ही चंद्रिका की जादुगरनी गजमोहीनी से सुरक्षा करती हैं।
एक दिन अचानक निलेश किसी अजनवी लड़की को लेकर आता है मौहानी इसके बारे मे पुछती है पर वो कुछ नही बताता मौहानी को शक होता है
और उसका शक सही जब निकलता है जब चंद्रिका उसके पास आकर कहती हैं मौहानी दीदी भाई न आज उसे डाटा
मौहानी को समझ आ गया कि निलेश गजमोहीनी के वश मे है
गजमोहीनी चंद्रिका तक पहुँचना चाहती है मौहानी ने भी बाजी पलट दी उसने भ्रमजाल बिछाया और चंद्रिका की छाया बना दी और चंद्रिका को एक गुप्त स्थान पर छुपा दिया।अगले दिन निलेश चंद्रिका को घर में न पाकर परेशांन हो जाता है तब मौहानी उसे बताती है कि गजमोहीनी चंद्रिका को ले गयी निलेश गजमोहीनी को खत्म करने की ठानता है लेकिन मौहानी उसे रोक लेती है और रात की सब घटना बताती है और निलेश को समझाती है कि वो खुद पर किसी को हावि न होने दे ।
इसका उपाय खोजने के लिए वो अमिरा गुफा जाता है (जहाँ जादुगरनी कंचना है ये इनकी मां है जोकि सबकी नजरो में मर चुकी है )और मदद मांगता है कंचना उसे एक ताबीज़ देती हैं और वो जगह खाली करके यमार पहाडी पर जाने को कहा ।
निलेश वापस आता है और मौहानी से जगह बदलने के लिए कहता है मौहानी उसे आज की बात बताती है कि चंद्रिका घर से बाहर जाने की जिद्द कर रही थी ।निलेश चंद्रिका को समझाता है वो घर से बाहर नही जा सकती इसपर चंद्रिका कारण पुछती है कि आख़िर सब बाहर जाकर खेलते हैं पर वो क्यु नही जा सकती क्युं क्यु?
निलेश बिना कुछ बोले कमरे मे चला जाता है और चंद्रिका प्रश्न चिन्ह सी खड़ीं रह जाती है मौहानी उसे समझाती है कि समय आने पर उसे सबकुछ बता देंगें ।चंद्रिका मान तो जाती है पर सवाल उसके मन में रह घुमता रहता है ये उथलपुथल जब शांत होता है जब संचिया आती है संचिता निलेश की दोस्त है जिससे चंद्रिका खुश रहती ।
निलेश संचिता को कहता है कि वो सही समय पर आई है वो ये जगह खाली करके यमार पहाड़ी जा रहे हैं क्यूँकि चंद्रिका यहाँ सुरक्षित नही है तुम भी हमारे साथ चल सकती हो
संचिता हा कहती है और उनके साथ चलने के लिए राजि हो जाती हैं
लेकिन चंद्रिका मना करती है जाने के लिए तब निलेश उसे समझाता है कि वो वहां बाहर घुम सकती है चंद्रिका खुश हो जाती हैं
सब यमार पहाड़ी पहुंचते है
जहाँ शुरू होती हैं उनकी असली जंग


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