मुझे बचाओ !! - 3 - अंतिम भाग Brijmohan sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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मुझे बचाओ !! - 3 - अंतिम भाग

(3)

विचित्र बारात

धन्ना व उसके रिष्तेदारों ने उनका स्वागत किया । सत्या (दूल्हे का मामा) ने धन्ना से कहा,” दूल्हे की सवारी के लिए घोड़ी का इंतजार कीजिए । “

धन्ना बोला, “यहां दूर दूर तक घोड़ी नहीं मिल रही है । आप पैदल ही बाना निकाल लो । “

इस पर सत्या ने कहा, “ आपको घोड़ी का इंतजाम तो करना ही पड़ेगा,अन्यथा बाना नहीं निकलेगा । “

इस पर धन्ना के मित्र ने उसके कान में कुछ कहा और वे घोड़ी लेने चले गए ।

कुछ देर में वे एक घोड़ी लेकर लौटे । वह नाटी थी व पूरी तरह सुंदर कपड़ों से सजी हुई थी । उसे अच्छी तरह सुन्दर कपडों से सजाया हुआ था ।

कुमार उस पर चढ़ गया । वह चिल्लाया, “ अरे यह घोड़ी बहुत छोटी है ।

मेरे पैर जमीन से टकरा रहे हैं । “

उसके पिता किशन ने कहा, “ थोड़ी देर की बात है तकलीफ सहन करले बेटा । यह छोटा गांव है । यहां यह घोड़ी मिल गई,यही बहुत है । “

बारात चल पड़ी । आगे आगे एक आदमी एक पीतल की थाली बजाता हुआ चल रहा था । वह ग्रामीण बैंड था । उसके पीछे कुछ युवक नाचते गाते चल रहे थे । सभी लोग बारात का नजारा देखने अपने घरों से बाहर निकल आए थे । अपने मुंह पर घूंघट डाले व साड़ी से पूरी तरह ढकी ग्रामीण औरतें दूर से सुंदर दूल्हे की बलैयां ले रही थी ।

इनमें बूढ़ी औरते अपने पोपले बिना दांत के मुंह से एक्शन करके दूर से दूल्हे का मुंह चूमने में सबसे आगे थी ।

बारात बड़ी शान से आगे बढ़ती जा रही थी ।

थोड़ी देर में बारात के मार्ग में एक बड़ा गढ्ढा आया ।

घोड़ी उसे पार करने में हिचकती दिखाई दी । कुमार ने उसकी पीठ पर जोर से मारा । इस पर उसने छलांग लगा दी । किन्तु तभी घोड़ी व दूल्हा दोनों औंधे मुंह जमीन पर गिर पड़े ।

वह जोर से रेंकने लगी । सब यह देखकर सन्न रह गए कि जिसे सब घोड़ी समझ रहे थे वह घोड़ी नहीं वरन एक गधी थी ।

आसपास के युवक व बच्चे जोर जोर से हंसने लगे ।

किसी ने कहा

“ अरे दूल्हा तो गधे पर सवार है । ’

कुमार व कुछ बाराती धन्ना को सबक सिखाने की चेतावनी देने लगे । वहां बड़ा बखेड़ा खड़ा हो गया ।

सत्या ने कहा,” अरे कुमार आगे पैदल ही जल्दी चलो । हम पहले ही लेट हो चूके हें । शादी का शुभ मुहुर्त निकलने वाला है । धन्ना से हम बाद में निपटेंगे । “

इस तरह दूल्हा कुछ दूर पैदल ही चलकर दुल्हन के मंडप तक पहुंचा ।

वहां दुल्हन की मां ने दूल्हे का स्वागत किया । उसने घोड़ी की व दूल्हे की पूजा की ।

दूल्हे ने तोरण मारा व मंडप पर चढ़ गया ।

तभी एक गंभीर समस्या आ खड़ी हुई ।

धन्ना को गांव की जाति के अध्यक्ष का ग्रामसभा मे उपस्थित होने का समन मिला । उस पर जातिच्युत दूल्हे से अपनी लड़की के विवाह का आरोप लगाया गया । इस पर कुमार के पिता, मामा व अन्य सगे संबंधियों की गवाही हुई । जाति पंचायत को जब खात्रि हो गई कि दूल्हा उन्ही की जाति का है तो वे सब शांत हो गऐ । फिर भी धन्ना पर पूरे गांव को भोज में शामिल करने का मामूली दंड लगाया गया ।

वैसे भी धन्ना को पूरे गांव को भोज तो देना ही था ।

गांव में विवाह समारोह में पूरे गांव को भोज देने की प्रथा थी ।

उसने साहूकार से पठानी ब्याज पर रूपये उधार ले रखे थे । गांव में कर्ज लेना सामान्य घटना थी ।

आधी रात को विवाह सम्पन्न हुआ ।

 
गप्पें
विवाह सम्पन्न होने के बाद हर व्यक्ति अपनी दास्तान सुना रहा था ।

ऐक बूढ़े आदमी ने बड़ी मनोरंजक कहानी सुनाई ।

वह कहने लगा,

यह बड़ी पुरानी सच्ची कहानी है ।

एक दिन गांव का पटेल ऐक बड़ा शानदार घोड़ा लाया ।

वह बड़ा सरपट दौड़ता था ।

ऐक दिन वह घोड़ा बिगड़ गया । जो भी उसके नजदीक जाता, उसे वह दुलत्तियों से मारने लगता । लोगों ने उसकी शिकायत पटेल से की । घोड़ा भी वहीं आ गया । उस समय पटेल खुले में कुए पर नहा रहा था । उसके बदन पर सिर्फ टावेल लपेटा हुआ था ।

लेागों की शिकायत सुनने पर पटेल तिलमिलाता हुआ उसी स्थिति में घोडे पर सवार होगया ।

अपने स्वामी को सवार देख घोड़ा सरपट भाग चला । कुछ देर में पटेल का टावेल हवा में उड़ गया I पटेल पूरा नंगा हो गया । बेकाबू घोड़े ने नंगे पटेल के साथ गांव के सात चक्कर लगाए । गांव के लोग उस घटना को याद कर कई दिन तक हंसते रहे ।

ऐक दूसरे ग्रामीण ने भी एक मजेदार किस्सा सुनाया ।

वह कहने लगा,

अपने गांव की सबसे बूढी माँ मनोरमा पहली बार ट्रेन मे बैठी I

उसे महाकाल के दर्शन करने उज्जैन जाना था I

उसने अपनी गठरी अपने सिर पर रख ली । अनेक लोगों ने मनोरमा को बहुत समझाया किन्तु उसने कहा कि ‘‘ भैया, गाड़ी के साथ म्हारी गठरी आगे चली जावेगी ।’’

सब लोग हँसते हँसते लोटपोट हो गए I

तब एक तीसरे वृद्ध ने एक मनोरंजक किस्सा सुनते हुए कहा,

“ वो अपना रामू को ब्याव हुयो, वो दोडी ने म्हारे पास आयो अन केने लग्यो “ दादा सुहागरात के दन कई होवे

मै बोल्यो अरे रामू वन दिन थारी नवरा ने साष्टांग दंडवत करनों, फिर नारयल फोडनो, न पाणी उ पर डाल देनो,

उका बाद उको पूरो मुंडो जबान से चाट्नो “I

अरे कई बताऊँ भई होण, उने वोई कियो I उकी बहू “ अरे बचाव रे, म्हारे तो पागल बाँध से पर्णा दियो “

उने चिल्ला चिल्ला के गावं इकट्ठो कर लियो  बड़ी मुश्किल से उके उकी सास जेठानी ने समझायो I

सब हँसते हंसते लोट पॉट हो गए I

 

विदाई
विवाह सम्पन्न होने के बाद बारातियों के स्वागत में कुछ विशेष कार्यक्रम हुए ।

दूसरे दिन सुबह बारातियों के स्वागत में कुछ गाली भरे गीतों का आयोजन हुआ ।

उसमें से एक गीत की बानगी इस प्रकार थी:

“ म्हारो दूल्हो दीवानों

उरो बाप है मंगतो

अन काको तो लंगड़ो

मामो है चोट्टो

दुल्हा की माय रंगीली

उका यार भी घणा“

इत्यादि गालियों भरे गीत दूल्हे के सभी सगे संबंधियों को दिए गए ।

इन गालियों कोई बुरा नहीं मानता था ।

 

बैलगाड़ी प्रतियोगिता
फिर ऐक बैलगाड़ी प्रतियोगता आयोजित हुई ।

कुछ बैलगाड़ियों में ऐक ओर बाराती सवार थे तो दुल्हन के रिश्तेदार दूसरी गाड़ियों मे बैठे हुऐ थे ।

दोनो पक्षों की बैलगाड़ियों की रेस प्रतियोगिता आयोजित हुई ।

वे गाड़ियां गांव से दूर दोनों ओर हरे भरे वन्य प्रदेश व पहाड़ों के बीच होकर हवा के वेग से भाग रही थी । दोनों और के लोग एक दूसरे से आगे निकलने के लिए जोरों से चिल्ला रहे थे I उस रास्ते के एक ओर कलकल करती नदी बह रही थी तो दूसरी ओर सुन्दर पहाड़ियां थीं । अंत में दुल्हन पक्ष की विजय हुई I ये सुंदर नजारे व्यक्ति को जीवन भर याद रहते हैं ।

अंत में बारात सुंदर दुल्हन को लेकर कुमार के घर लौट आई ।

 

 

विकट समस्या
दुल्हन के घर मे आने के बाद श्यामा के घर में रौनक छा गई । मीना पूरे घर में पायल बजाते हुए छमछम करती घूमती ।

किन्तु श्यामा ने देखा कि मीना बहुत दिनों से उदास दिखाई दे रही थी ।

उसने मीना से पूछा ‘ बहू क्या बात है ? तुम उदास दिख रही हो ।’

तब मीना ने रोते हुए कहा ‘ मैं एक अभागन वधू हूं । मेरे पति मुझसे बात तक नहीं करते ।’

श्यामा बड़ी चिंतित होगई । उसे तरह तरह के बुरे खयाल आने लगे ।

कहीं कुमार नामर्द तो नहीं । वह अपनी पत्नि से बात क्यों नहीं करता ?

क्या मीना उसे नापसंद है ? फिर उसने चुपके से मीना के कान में एक गुप्त योजना बताई ।

उसे सुनकर वधू की आंखों में एक नई्र चमक आ गई ।

उस रात कुमार ने अपने कमरे में प्रवेश किया ।

उसने मीना को रोते हुए देखा । कुमार को मीना पर बड़ी दया आई ।

उसने कहा ‘ मीना तुम क्यों रो रही हो ? तुमसे किसी ने कुछ कहा ? ’

इस पर मीना फफक फफक रो पड़ी ।

उसने कहा,

‘ आप मुझे पसंद नहीं करते । मुझसे अलग बिस्तर पर सोते हो । मुझसे बात तक नहीं करते । ’

कुमार ने कहा ‘ मैं तुम्हें नापसंद कतई नहीं करता । मेरी किसी से बात करने की आदत ही नही है ।

मैं हमेशा ही ऐकाकी रहता हूं । ’

मीना ने कहा ‘ एक उपकार मुझ पर कीजिए, मुझे अपने बिस्तर पर साथ सोने दीजिए । ’

कुमार ने मीना का प्रस्ताव सहर्ष स्वीकार कर लिया । मीना वहां से कुछ देर के लिए चली गई I वह एक महीन पारदर्शक साड़ी पहन कर आई । उसके गदराये यौवन को देख कुमार की आंखें फटी रह गई । मीना ने कुमार को गर्म दूध पीने को दिया व बिस्तर में उसके साथ लेट गई । कुछ ही देर में दूध मे घुला उत्तेजक रसायन अपना कमाल बताने लगा ।

वे दोनों उद्दाम कावासना के वशीभूत होकर लज्जा के सारे बंधन भूल चुके थे । उस दिन के बाद कुमार मीना का जिंदगी भरके लिए गुलाम बन गया ।

 
लेखक के प्रकाशित अन्य ग्रन्थ
 

केडीपी अमेज़न पर प्रकाशित ग्रन्थ (जिन्हें अभी लेखक ने वहां से हटा लिया है )

1 The Highest Bliss (English)

2 परम आनंद (हिंदी)

3 Freedom Struggle in Village इंडिया (An अनटोल्ड स्टोरी, English)

४ द रेबेल वुमन

गुजरात की प्रसिद् साहित्यिक संस्था “मात्रभारती.कॉम “ ने निम्न उपन्यास व कहानियों को किश्तों में प्रकाशित किया है

१ विद्रोहिणी ( एक अकेली अबला गरीब महिला का नैतिकता का नकाब ओढ़े रुढ़िवादी जातिवादी समाज से रोमांचक संघर्ष की दास्तान)

२ ग्रामीण भारत में स्वतंत्रता आंदोलन (एक अनकही दास्तान) (गांधीजी के सभी प्रमुख आंदोलनों का जिवंत वर्णन)

३ पागल ( मानसिक रोगियों के साथ किए जा रहे क्रूर व्यवहार की रोमांचक दास्तान )

इसके अतिरिक्त अनेक नावेल कहानियां अंग्रेजी में विश्व प्रसिद्ध प्रकाशन संस्था “books2read” व instamojo आदि अनेक प्रसिद्ध प्लेटफार्म पर प्रकाशित होकर वर्ल्ड प्रसिद्ध बुक स्टोर्स पर विक्रय हेतु उपलब्ध है :

द रेबेल वूमन, The Gambler(film producer), The Golden Deception, The Ever young Herb etc.,The greatest Meditations of World and many more

ये सभी दिल दिमाग को झकझोर देने वाली रचनाए हिंदी में शीघ्र ही पाठको के हाथ में होंगी )

 

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