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आधुनिक शिक्षा में शैक्षिक तकनीकी

परिवर्तन ही जीवन है और मानव व्यवहार में परिवर्तन का श्रेय शिक्षा को जाता है शिक्षा जनित परिवर्तनों के कारण ही आज मनुष्य सभ्यता के ऊंचे शिखर पर पहुंच गया है सभ्यता की इस दौड़ में आज हम 21वीं सदी के दूर तक पहुंच चुके हैं जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में बड़ी तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं जो मानव सविता की प्रगति और विकास के सूचक हैं शिक्षा जो स्वयं परिवर्तन की जन्म दात्री है आज शिक्षा के क्षेत्र में भी आमूलचूल परिवर्तन दृष्टिगोचर होते हैं
शिक्षा का सीधा संबंध जीवन की अनंतता से हैं इसीलिए मानव का जीवन दर्शन शिक्षा के मूलभूत तथ्यों को प्रभावित किए बिना नहीं रहता निरंतर परिवर्तित होते हुए जीवन दर्शन के कारण ही शिक्षा के उद्देश्य पाठ्यक्रम विधियों एवं साधनों में भी बड़ी तेजी से परिवर्तन हुए हैं वर्तमान युग विज्ञान का युग है जीवन के प्रत्येक पहलू को हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखना परखना चाहते हैं वैज्ञानिक और दार्शनिक दृष्टिकोण के परिणाम स्वरूप ही शिक्षा के क्षेत्र में तकनीकी का प्रयोग संभव हो सका

शैक्षिक तकनीकी का अर्थ मीनिंग ऑफ एजुकेशनल टेक्नोलॉजी (meaning of educational technology)


सामान्यतः तकनीकी का अर्थ शिल्प तथा कला विज्ञान से है इसका संबंध कौशल स्किल(skills)तथा दक्षता(experties)से है शैक्षिक तकनीकी शैक्षिक प्रक्रिया को उन्नत करने का क्रमबद्ध प्रयत्न है यह एक ऐसा विज्ञान है जिसके द्वारा शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यक्रम विधि, सहायक सामग्री मूल्यांकन आदि को विकसित एवं उन्नत किया जाता है दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि--- "शैक्षिक तकनीकी सीखने और सिखाने की दिशाओं में वैज्ञानिक ज्ञान का प्रयोग है जिसके द्वारा शिक्षण एवं प्रशिक्षण की प्रभावपूर्णता तथा दक्षता में सुधार लाया जाता है"

वास्तव में देखा जाए तो शिक्षण के उद्देश्य निर्धारित हो जाने के पश्चात ही शैक्षिक तकनीकी अस्तित्व में आती है शैक्षिक तकनीकी एक ऐसा विज्ञान है जिसके आधार पर शिक्षण के निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न विधियों(methods and techniques. ) का निर्माण एवं विकास किया जाता है यह निरंतर विकास शील प्रगतिशील एवं प्रभाव उत्पादक विधि है शैक्षिक तकनीकी के द्वारा ही शिक्षा के क्षेत्र में अभिक्रमित अध्ययन (programmed learning)सूक्ष्म विश्लेषण माइक्रो टीचिंग, सीमेंलेटेड टीचिंग अंतः क्रिया विश्लेषण इंटरेक्शन एनालिसिस श्रव्य दृश्य सामग्री ऑडियो विजुअल ऐड्स वीडियो टेप टेप रिकॉर्डर प्रोजेक्टर तथा कंप्यूटर आदि नवीन अवधारणाओं का जन्म हुआ


शैक्षिक तकनीकी का महत्व एवं उपयोगिता( importance and utility of educational technology)


आज के वैज्ञानिक युग में शैक्षिक तकनीकी के महत्व को देखते हुए ही संपूर्ण विश्व की शैक्षिक व्यवस्था में इसे महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है शिक्षा के क्षेत्र में निम्नांकित महत्वपूर्ण बिंदुओं के माध्यम से शैक्षिक तकनीकी के महत्व एवं उपयोगिता को आंका जा सकता है


1 शैक्षिक तकनीकी के माध्यम से जनसाधारण के शिक्षा का प्रावधान किया जा सकता है

नंबर दो
शिक्षा के क्षेत्र में चलाए जाने वाले अनेक कार्यक्रमों जैसे अनवरत शिक्षा ,प्रौढ़ शिक्षा, सीखो सिखाओ कार्यक्रम, प्राथमिक शिक्षकों का विशेष उन्मुखीकरण कार्यक्रम, औपचारिकेत्तर शिक्षा आदि का सफलतापूर्वक प्रसार व विकास किया जा सकता है

3
शैक्षिक तकनीकी द्वारा सीखने की प्रक्रिया को सरल सार्थक और प्रभावी बनाया जा सकता है

4
शैक्षिक तकनीकी के प्रयोग द्वारा शिक्षण सिद्धांतों का प्रतिपादन एवं शिक्षण की नवीन विधियों प्रविधियों तथा शिक्षण प्रतिमानों का विकास कर शिक्षण अधिगम को नया रूप प्रदान किया जा सकता है

5
शैक्षिक तकनीकी के नवीन शिक्षण उपकरणों तथा मशीनों के प्रयोग से शिक्षण को व्यावहारिक रोचक एवं प्रभावोत्पादक बनाया जा सकता है

6
शैक्षिक तकनीकी द्वारा शिक्षण कार्य में वैज्ञानिकता का समावेश हो सकेगा

7
शैक्षिक तकनीकी द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा का स्तर ऊंचा हो सकेगा

8
शैक्षिक तकनीकी द्वारा शिक्षक की कार कुशलता में वृद्धि हो सकेगी
9
शैक्षिक तकनीकी द्वारा छात्रों के एक बड़े समूह को कम समय तथा अल्प व्यय मैं प्रभावी शिक्षा प्रदान की जा सकती है

10
शैक्षिक तकनीकी द्वारा सीखने की उपलब्धि को बढ़ाया जा सकता है

11
जन शिक्षा के प्रचार प्रसार में रेडियो टेलीविजन कंप्यूटर प्रोजेक्टर आदि के प्रयोग अत्यधिक सहयोगी सिद्ध हुए हैं

12
शैक्षिक तकनीकी द्वारा छात्रों में स्व अध्ययन की प्रवृत्ति का विकास किया जा सकता है

13
शैक्षिक तकनीकी मानव संसाधन की कमी को पूरा करने में सहायक सिद्ध हुई है

14
शैक्षिक तकनीकी में अभिक्रमित अध्ययन ( programmed learning) द्वारा व्यक्तिगत भिन्नता की समस्या का समाधान किया जा सकता है

15
शैक्षिक तकनीकी द्वारा शिक्षक का दृष्टिकोण वैज्ञानिक तथा मनोवैज्ञानिक हो सकेगा

16
शिक्षक एवं छात्रों के व्यवहार में वांछनीय परिवर्तन लाया जा सकेगा

17
शैक्षिक तकनीकी द्वारा शिक्षा के संगठन प्रशासन एवं प्रबंध संबंधी समस्याओं का वैज्ञानिक विश्लेषण एवं समाधान किया जा सकता है

18
शैक्षिक तकनीकी सृजनात्मकता को उभारने मैं भी सहायक सिद्ध हुई है

अंततः संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि शैक्षिक तकनीकी, शिक्षण की उपादेयता को बढ़ाती है शिक्षण विधियों को प्रभावशाली बनाती है एवं ज्ञान के संचयन तथा शिक्षा के प्रचार-प्रसार एवं विकास हेतु अत्यंत उपयोगी है भारत जैसे विकासशील देश के लिए जन शिक्षा के एक सशक्त माध्यम के रूप में शैक्षिक तकनीकी वरदान सिद्ध हुई है


शैक्षिक तकनीकी के प्रमुख पक्ष(main aspects of educational technology)

औद्योगिकरण के वर्तमान युग में मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के समान ही शिक्षा को भी एक उद्योग माना जाने लगा है जिस प्रकार किसी उद्योग में कच्चे माल की प्रक्रिया द्वारा उत्पादन के रूप में परिणीति करते हैं उसी प्रकार शैक्षिक तकनीकी बेत्ता शिक्षा को भी औद्योगिक दृष्टिकोण से परखने का प्रयास कर रहे हैं जिसमें शिक्षक एक प्रबंध का कार्य करता है इस दृष्टि से शैक्षिक तकनीकी के भी तीन प्रमुख पक्ष कहे जा सकते हैं


एक अदा /लागत(input)

इसके अंतर्गत छात्रों का पूर्व ज्ञान सम्मिलित किया जा सकता है इसके साथ ही पाठ्यवस्तु का नियोजन कार्य विश्लेषण उद्देश्य व शिक्षण बिंदुओं का चयन विधियों प्रविधियां युक्तियों तथा नीतियों का चयन आदि सीखने सिखाने की संपूर्ण परिस्थितियां सम्मिलित हैं इतना ही नहीं लागत में पढ़ाने के कमरे फर्नीचर दृश्य श्रव्य सामग्री आदि को भी सम्मिलित किया जा सकता है


दो प्रक्रिया(process)


प्रक्रिया से तात्पर्य पाठ्यवस्तु के विषय में शिक्षक व छात्रों के मध्य होने वाली अंतः क्रिया से हैं इसे शिक्षण की वास्तविक स्थिति कहा जा सकता है इसमें शिक्षक द्वारा युक्तियों का प्रभावशाली ढंग से प्रयोग करना अभिप्रेरणा की समुचित प्र विधियों का प्रयोग संप्रेषण विधियो, communication strategy का उपयोग करना शिक्षक एवं छात्रों के बीच परस्पर प्रश्न पूछना व उत्तर देना तथा उनके शाब्दिक और अशाब्दिक व्यवहार आदि सम्मिलित है

3 प्रदा/उत्पादन (output)


प्रदा या उत्पादन का तात्पर्य शैक्षिक प्रक्रिया द्वारा प्राप्त उपलब्धि से होता है शिक्षण संबंधी संपूर्ण प्रक्रिया से छात्र को कितनी उपलब्धि हुई उसके व्यवहार में कोई परिवर्तन हुआ अथवा नहीं इसका पता मूल्यांकन द्वारा किया जाता है मापन की विधियों का चयन कर मानदंड परीक्षा की रचना की जाती है इसके पश्चात मूल्यांकन द्वारा ज्ञात उपलब्धि के आधार पर आगे का शिक्षण कार्य नियोजित किया जाता है इस प्रकार शैक्षिक तकनीकी के यह तीनों पक्ष मिलकर शिक्षा के किसी भी अंग को सुदृढ़ एवं अधिक प्रभावपूर्ण बनाते हैं


शैक्षिक तकनीकी के विभिन्न रूप( types of ET)


शैक्षिक प्रक्रिया के दो प्रमुख पक्ष होते हैं नंबर 1 शिक्षण और नंबर दो अधिगम शिक्षण एक कला है और अधिगम एक विज्ञान है शैक्षिक तकनीकी का प्रमुख कार्य शिक्षण की कला तथा अधिगम के विज्ञान में समन्वय स्थापित करना है कला और विज्ञान में सामंजस्य स्थापित करने की दृष्टि से शैक्षिक तकनीकी को तीन रूप में प्रयुक्त किया जाता है

नंबर 1 हार्डवेयर उपागम( hardware approach)

इस उपागम में शिक्षण सामग्री को विशेष महत्व दिया जाता है इसका प्रमुख उद्देश्य कम से कम समय में तथा कम से कम खर्च द्वारा अधिकाधिक छात्रों को प्रभावशाली ढंग से शिक्षित करना है वर्तमान में शिक्षण प्रक्रिया का मशीनीकरण हो रहा है और शिक्षण मशीन ही एकमात्र सहायक सामग्री है जिसका प्रयोग शिक्षण प्रक्रिया में विशिष्ट रूप से किया जाता है शिक्षण प्रशिक्षण में अन्य सहायक सामग्री के रूप में रेडियो टेलीविजन चलचित्र ग्रामोफोन टेप रिकॉर्डर प्रोजेक्टर कंप्यूटर बंद सर्किट टेलीविजन इलेक्ट्रॉनिक वीडियो टेप तथा भाषा प्रयोगशाला आदि का प्रयोग किया जाने लगा है



नंबर दो सॉफ्टवेयर उपागम (software approach)

इसके अंतर्गत अनुदेशन तकनीकी( instructional technology )इंस्ट्रक्शनल टेक्नोलॉजी शिक्षण तकनीकी ( teaching technology)टीचिंग टेक्नोलॉजी एवं व्यवहार तकनीकी (behavioral technology) को सम्मिलित किया गया है इसमें मशीनों का प्रयोग नहीं किया जाता अपितु शिक्षण तथा सीखने के लिए मनोवज्ञानिक सिद्धांतों का प्रयोग किया जाता है जिससे छात्रों के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन लाया जा सके शिक्षण में निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु शिक्षक सीखने सिखाने के लिए उचित वातावरण निर्मित कर विभिन्न प्रकार की मनोवज्ञानिक विधियों प्रविधियां नीतियां तथा युक्तियों का प्रयोग कर छात्रों को सीखने के अनुभव प्रदान करता है जिससे कि उनके व्यवहार में वांछनीय परिवर्तन हो सके इस तकनीकी में पुनर्बलन( reinforcement) प्रश्ठ पोषण की युक्तियां (feedback devices) तथा मूल्यांकन पर भी ध्यान दिया जाता है इसमें अदा इनपुट प्रक्रिया प्रोसेस तथा प्रदा आउटपुट शिक्षण के तीनों पक्षों को विकसित करने का प्रयास किया जाता है

3 प्रणाली विश्लेषण(system analysis)

इस तकनीकी का प्रयोग शिक्षा के अंतर्गत शैक्षिक प्रशासन एवं प्रबंध की समानताओ शैक्षिक संगठन एवं निर्देशन की समस्याओं का वैज्ञानिक ढंग से विश्लेषण एवं समाधान हेतु किया जाता है इसके प्रयोग से शैक्षिक प्रणाली एवं शैक्षिक प्रशासन को प्रभावशाली एवं कम खर्चीला बनाया जा सकता है। यह प्रणाली विश्लेषण, मशीन तकनीकी एवं व्यवहार तकनीकी दोनों का समन्वित रूप कहां जा सकता है


उन्नतशील शैक्षिक तकनीकी का शिक्षा में प्रयोग


शैक्षिक तकनीकी विज्ञान का व्यावहारिक पक्ष है। उन्नति शील शैक्षिक तकनीकी का आज शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न रूपों में प्रयोग किया जा रहा है। इसका प्रयोग क्यों प्रारंभ हुआ इसके उत्तर में कविकुलगुरु कालिदास की पंक्तियां हमारा पथ प्रदर्शन करती हैं वे कहते हैं


पुराण मित्यव न साधु सर्वं
ना चपि काव्यम नव मित्त्यवध्यम
संत: परीक्षयान्य तरद भजन ते
मूढ परम प्रत्यय नेय बुद्धि 1

अर्थात जो प्राचीन है वही श्रेष्ठ है ऐसा नहीं है जो नवीन है अतः वह उप्रेक्षणीय है ऐसा भी नहीं है विद्वान लोग पुरातन और नवीन में से जो उचित है उसी को ग्रहण करते हैं इसीलिए शैक्षिक तकनीकी के महत्व को समझ कर ही संपूर्ण विश्व के शिक्षाविदो एवं वैज्ञानिक ने इसका प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में करना प्रारंभ कर दिया है


नंबर 1 जनसंचार माध्यम के रूप में

जनसंचार के बिना आधुनिक सभ्यता का अस्तित्व ही नगणय हो जाता है शिक्षा के क्षेत्र में भी शैक्षिक तकनीकी के कठोर साधनों के माध्यम से कम से कम समय में तथा कम खर्च द्वारा अधिकाधिक छात्रों को प्रभावशाली ढंग से सूचित किया जा सकता है मानवीय ज्ञान के 3 पक्ष होते हैं इन तीनों ही पक्षों के विकास में तकनीकी साधन सहायक होते हैं


ए ज्ञान का संचय (preservation of knowledge)

छापने की मशीनों द्वारा पुस्तकों के रूप में ज्ञान सचित किया जाता है,टेप रिकॉर्डर तथा फिल्मों द्वारा भी बहुत सा ज्ञान संचित किया जाता है कंप्यूटर में भी अनेक प्रकार के ज्ञान का संचय किया जा स

B ज्ञान का हस्तांतरण (transfer of knowledge)


ज्ञान के प्रसार में रेडियो टेलीविजन प्रोजेक्टर टेप रिकॉर्डर शिक्षण मशीन क्लोज सर्किट टेलीविजन बुलेटिन बोर्ड आदि अनेक प्रकार के कठोर व कोमल साधनों का प्रयोग किया जाता है टेलीविजन पर दिखाए जाने वाले यूजीसी कार्यक्रम क्विज सामान्य ज्ञान क्विज साक्षरता कार्यक्रम आदि अनेक शैक्षिक कार्यक्रम ज्ञान के प्रसार में सहायक से होते हैं

C ज्ञान का विकास (development of knowledge)


ज्ञान के विकास हेतु नवीन शोध कार्यों की व्यवस्था की जाती है शोध कार्यों में प्रदत्त के संकलन एवं उनके विश्लेषण हेतु शिक्षण मशीन तथा कंप्यूटर आदि का प्रयोग किया जाता है

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 का लक्ष्य है कि आधुनिक शैक्षिक तकनीकी के माध्यम से शिक्षा का प्रचार व प्रसार किया जाए भारत की सामाजिक आर्थिक भौगोलिक तथा भाषा की स्थिति के परिप्रेक्ष्य मैं रेडियो जनसंचार का एक सशक्त माध्यम है रेडियो द्वारा तथ्यात्मक ज्ञान नवीन शब्दावली एवं उसका प्रयोग विचार तथा बौध शक्ति का विकास विचारों की व्यापकता एवं तर्कशीलता का आविर्भाव होता है इससे केवल छात्र ही नहीं अपितु शिक्षा जगत से संबंधित अनेकों व्यक्ति रेडियो द्वारा प्रसारित सूचनाओं व कार्यक्रमों का लाभ उठाते हैं इसके साथ ही रेडियो द्वारा शैक्षिक कार्यक्रम भी प्रसारित किए जाते हैं

जन संचार के साधनों में दूरदर्शन सर्वाधिक सशक्त माध्यम है दूरदर्शन के माध्यम से सांस्कृतिक कार्यक्रम स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम सामान्य ज्ञान एवं जीवन स्तर के विकास से संबंधित कार्यक्रम भी प्रसारित किए जाते हैं शैक्षिक दूरदर्शन क्लोज सर्किट दूरदर्शन एवं खुला दूरदर्शन प्रसारण सभी जन संचार में सहयोगी है इसी प्रकार उपग्रह निर्देशन दूरदर्शन स्लाइड, प्रोजेक्टर फिल्म स्ट्रिप ,प्रोजेक्टर ओवरहेड प्रोजेक्टर, टेप रिकॉर्डर आदि भी जनसंचार के सशक्त माध्यम कहीं जा सकते हैं


नंबर दो जन जागृति के रूप में ग्रेटर अवेयरनेस(greater awareness)


शैक्षिक तकनीकी की महानतम उपलब्धि समाज में महान जनजागृति के रूप में दिखाई देती है अज्ञानता रूढ़िवादिता प्रांतीयता सामाजिक असुरक्षा भ्रष्टाचार आदि बंधनों से मुक्ति दिलाने में शैक्षिक तकनीकी ने जनजागृति द्वारा परिवर्तन कर दिखाया है वह प्रशंसनीय है। सामाजिक जागरूकता स्वास्थ्य के प्रति चेतना तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण जागृत करने का श्रेय शैक्षिक तकनीकी को ही है इस कार्य हेतु प्रसारित किए जाने वाले प्रौढ़ शिक्षा के कार्यक्रम जनसंख्या शिक्षा के कार्यक्रम साक्षरता कार्यक्रम स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम आदि जनजागृति के प्रमुख आधार कहीं जा सकते हैं


नंबर 3 अधिगम का (reinforcement of learning)

रेडियो व टेलीविजन पर प्रसारित शैक्षिक कार्यक्रम अधिगम के पुनर्बलन में सहयोगी सिद्ध होते हैं कक्षा शिक्षण के अतिरिक्त जब छात्र दूरदर्शन व रेडियो पर शैक्षिक कार्यक्रम देखता व सुनता है तो यह कार्यक्रम उसके अधिगम में पुनर्भरण का कार्य करते हैं जिससे बालक का ज्ञान अधिक स्थाई और व्यवहारिक रूप ले लेता है जैसे यूजीसी कार्यक्रम भाषाई कार्यक्रम साक्षरता कार्यक्रम आदि

4 प्रशिक्षण कार्यक्रमों के रूप में ट्रेनिंग प्रोग्राम(training programm)


शैक्षिक तकनीकी शिक्षक व प्रशिक्षणार्थियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में भी सहयोगी सिद्ध हुई है प्राथमिक शिक्षकों का विशिष्ट उन्मुखीकरण कार्यक्रम( एस ओ पी टी )मैं भी कठोर साधनों का प्रयोग किया जा कर उसे सुलभ व रुचिकर बनाया जा रहा है दूरदर्शन द्वारा भी अनेक प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं

5 सहयोगी प्रक्रिया के रूप में सपोर्ट सिस्टम(support system)


अमेरिका, रूस जैसे विकसित देशों में शैक्षिक तकनीकी सपोर्ट सिस्टम के रूप में सहायक सिद्ध हुई है भारत जैसे प्रगतिशील देश में भी शैक्षिक तकनीकी छात्र की शिक्षा में सहयोगी प्रक्रिया का काम कर रही है

6 व्यवहार परिवर्तन हेतु चेंज आप बिहेवियर(change of behavior)


व्यवहार में परिवर्तन लाना ही शिक्षा का प्रमुख लक्ष्य है बालक ने कितना सीखा इसका ज्ञान उसके व्यवहार परिवर्तन से ही होता है वर्तमान युग में बालक के व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु शैक्षिक तकनीकी कक्षा शिक्षण की अपेक्षा कहीं अधिक सफल सिद्ध हुई है मानव में जितनी अधिक चेतना जागृति व सूझ तथा समझ उत्पन्न होगी उसी गति से उसके व्यवहार में भी परिवर्तन आना स्वाभाविक है और यह सब कार्य आधुनिक युग में शैक्षिक तकनीकी की मनोवैज्ञानिक विधियों प्रविधियां युक्तियों आदि के द्वारा ही संभव है


7 स्वता अध्ययन हेतु सेल्फ लर्निंग,self learning


शिक्षित करने के कठोर साधनो द्वारा बालक में स्वत: अधिगम की प्रवृत्ति विकसित की जा सकती है बालक शिक्षक और विद्यालयों पर ही निर्भर नहीं रहता उसमें स्वअधिगम हेतु जिज्ञासा जागृत हो जाती है

8 अधिगम संवेषट के रूप में लर्निंग पैकेज, learning package


अंततः हम कह सकते हैं कि 21वीं सदी में वह दिन दूर नहीं जब शैक्षिक तकनीकी अधिगम संवेषट के रूप में पूर्णता को प्राप्त कर लेगी

इति

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