1. ज़िंदगी का सफर
ज़िंदगीका सफर कुछ इस कदर काट रहे है,
थक चुके है पर सब में खुशी बाँट रहे है।
हां, हमें पता है यहाँ सब है आस्तिन के साँप,
पर लोग इतना बखूबी धोखा कैसा देते है,
हम यह जाँच रहे है।
2. रकीबो से
कुछ ख़्वाब हम इस कदर सजाय बैठा थे,
चिरागोकी ज़गह हम अपना घर जलाय बैठे थे।
और, सारी उम्र जिसे हम समझते रहे अपना 'निशांत'
वो तो रकीबो से हाथ मिला बैठे थे।
3. आग
सब के दिलों में एक ख़लबली थी,
जब मेरी भी गाड़ी चल पड़ी थी।
ऐसा तो कोई दुश्मनी नहीं मेरी ज़माने से,
पर मैंने देखा, आग चूल्हे से ज़ादा तो उनके सिनोमे लगी थी।
4. ना रुक
आज अँधेरा है तो कल सुबहभी होगी,
तुं अकेला नहीं, माँ की दुवाभी तो होगी।
और, ना रुक अर्ध पंत पे ऐ मुसाफिर,
यहां रेगिस्तान है तो आगे वादियाभी तो होगी।
5. जूठी दिल्लगी
अरे यह दोलते किस कामकी,
अरे यह सोहरते किस कामकी।
अरे यह मनते किस कामकी,
अरे यह जनते किस कामकी।
हमें तो आप बस एक कफ़न दे दो,
ऐ जूठी दिल्लगी हमारे किस कामकी?
6. मजबूत तो बहोत
मजबूत तो बहोत थे हम पर उस वक्त तूट गए,
दिया जिसे खुदाका दर्जा वही हमें लूट गए।
और ज़माने को हराके हमें ऐ मालूम पड़ा,
कुछ अपने थे जो पीछे ही छूट गये।
7. मत!
ज़ख्म देके कहेगा चिलाव मत।
प्यार चाहे जितना भी करो बतलाव मत।
और गम देकर कहेगे अब आंसूभी बहाव मत!
8. साथ है
मेरी खामोशी ही मेरा जवाब है।
तुम क्या समजोगे,
मेरी दोस्ती कितने गमो के साथ है।
और ना लगाएगे हम इल्ज़ाम मोहब्बत पर,
वजा कुछ अपने है जो आज रकीबो के साथ है।
9. चुप रहने दो
रोशनी न मिली हमें चिरागो से,
तूट गए पते शाखोंसे।
और सब कहते है आप बोलते कम हो,
हमें चुप ही रहने दो,
वरना खून निकलेगा आपके कानो से।
10. धोखा खाया
ग़मोका जिंदगी में ऐसा मंज़र आया,
कैसे पिए पानी सामने खारा समंदर आया।
और सब देते है सलाह, खुसी से जियो,
उन्हें कोन बताए, हमने ज्यादा खुश रहनेवालो सेही धोखा खाया।
11. चुप ही रहने
रोशनी न मिली हमें चिरागो से,
तूट गए पते शाखोंसे।
और सब कहते है आप बोलते कम हो,
हमें चुप ही रहने दो,
वरना खून निकलेगा आपके कानो से।
12. घाव है
ना शोख हे हमे उदास रहनेका,
ना दुःख से मेरा कोई लगाव है।
मन करता हे बस रोते रहे,
जिंदगीने दिए ही कुछ ऐसे घाव है।
13. सिखाते है
कुछ ऐसे लोगभी हमें जीवन में मिल जाते है,
खुद धुप में खड़े रहकर हमें छाँव दे जाते है।
और खुद रातभर रो-रो कर पड़े रहते है बिस्तर मैं,
फिर वही सुबह उठकर हमें खुश रहना सिखाते है।
14. रुख्सत दुनिया से
तूफा उठेगा तो थम जायेगा,
आग लगी इतनी हमारे अंदर
की बर्फभी पानी बनकर बह जाएगा।
और भले हो जाये अब हम रुख्सत दुनिया से,
हमारा एक निशान हे जो दुनिया मैं रह जाएगा।
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