अनोखा जुर्म - भाग- 6 Kumar Rahman द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अनोखा जुर्म - भाग- 6

कॉकरोच


शाम को सलीम ऑफिस से निकल कर सीधे गीतिका के घर के सामने वाले चायखाने पर ही आ कर रुका था। गीतिका के दरवाजे पर ताला नहीं लटक रहा था। इस का मतलब यह था कि वह अंदर मौजूद है। सलीम कुछ देर तक चायखाने पर बैठा रहा। इस बीच उसे कोई खास बात नजर नहीं आई। उस ने चायखाने पर एक चाय पी और उठ कर घर की तरफ चल दिया।

जब वह घर पहुंचा तो वहां सोहराब नहीं था। नौकर से पता चला कि वह सुबह से ही नहीं लौटा है। सलीम को डिनर भी अकेले ही करना पड़ा। दिन भर मेहनत की वजह से वह थक कर चूर हो गया था। खाना खाते ही उसे नींद आने लगी और वह चुपचाप जा कर सो गया।

सुबह नाश्ते पर उस की मुलाकात सोहराब से हो सकी। उसने सोहराब को गीतिका के ऑफिस पहुंचने वाली बात बता दी। साथ उस के बदले व्यवहार के बारे में भी सोहराब को उस ने बता दिया। पूरी बात सुनने के बाद सोहराब सोच में पड़ गया। कुछ देर बाद उस ने कहा, “बहुत ही अजीब बात है।”

उस के बाद दोनों खामोशी से नाश्ता करते रहे। दोनों में से किसी ने कुछ नहीं कहा। नाश्ता खत्म करने के बाद सलीम ने सोहराब और अपने लिए काफी बना वी। सोहराब ने कॉफी का पहला सिप लेने के बाद कहा, “आज तुम हाशना से मिलो और उस से गीतिका के बारे में कुछ मालूमात हासिल करने की कोशिश करो।”

“क्या चपरासी की नौकरी से छुट्टी?” सलीम ने खुश होते हुए पूछा।

“फिलहाल तो यही समझ लो।” सोहराब ने कहा और उठ कर लाइब्रेरी की तरफ चला गया।

सलीम भी कॉफी खत्म करने के बाद अपने कमरे में आ गया। वहां पहुंच कर उस ने हाशना को फोन मिला दिया। कुछ देर बाद दूसरी तरफ से उसे हाशना की आवाज सुनाई दी। सलीम ने उसे किंगफिशर कैफे पहुंचने के लिए कहा और फोन काट कर जेब में रख लिया।

कमरे से निकल कर सार्जेंट सलीम पार्किंग की तरफ गया और मिनी पर सवार हो कर बाहर आ गया। अभी उस की कार सड़क पर कुछ ही दूर गई होगी कि उस का पीछा शुरू हो गया। सलीम हमेशा की तरह इस बात से बेखबर था। अलबत्ता सोहराब उसे कई बार टोक चुका था कि वह पीछा करने वाली कारों के बारे में बेखबर रहता है।

लाल रंग की एक कार लगातार उस के पीछे लगी हुई थी। सलीम पूरी मस्ती से कार ड्राइव कर रहा था। कुछ देर बाद उस की कार किंगफिशर कैफे पहुंच गई। पीछा करने वाली कार तेजी से आगे गुजर गई। कुछ दूर जाने के बाद उस में से एक आदमी उतर पड़ा। कार फिर आगे बढ़ गई। कार से उतरने वाले आदमी ने पीले कलर की टी शर्ट पहन रखी थी। उस के चेहरे पर नाक के दाहिनी तरफ जख्म का एक गहरा निशान था। यह निशान यह बताने के लिए काफी था कि वह अच्छे किरदार का आदमी नहीं है।

सार्जेंट सलीम ने कार पार्क की और कैफे के अंदर चला गया। वहां हाशना उस का इंतजार करती हुई मिली। सार्जेंट सलीम को ऐसी लड़कियां बहुत पसंद आती थीं, जो उस से इंतजार नहीं कराती थीं।

सलीम ने कुर्सी पर बैठते हुए हाशना से पूछा, “बहुत इंतजार तो नहीं करना पड़ा?”

“नहीं बस अभी कुछ देर पहले आई हूं।” हाशना ने उस से हाथ मिलाते हुए कहा।

चूंकि हाशना और सलीम के आसपास की सारी मेजें फुल थीं, इसलिए पीछा करने वाला आदमी उन से कुछ दूरी पर बैठ गया। वह दोनों की बातें सुनने की पूरी कोशिश कर रहा था।

वेटर ने आ कर सार्जेंट सलीम और हाशना से ऑर्डर लिया और चला गया। सलीम ने फिश सैंडविच और कॉफी मंगाई थी। सलीम घर से नाश्ता कर के निकला था, लेकिन उसे फिश सैंडविच पहुत पसंद थी। इंग्लैंड, अमेरिका समेत कई अन्य देशों में फिश सैंडविच लोग बहुत शौक से खाते हैं। वहां इस के लिए आम तौर पर सैल्मन या टूना फिश इस्तेमाल में लाते हैं। यह दोनों ही मछलियां अपनी खूबियों की वजह से बहुत महंगी बिकती हैं।

“जी बताइए... कैसे याद किया?” हाशना ने पूछा।

“गीतिका के बारे में कुछ बातें करनी थीं।” सलीम ने सीधे मुद्दे पर आते हुए कहा।

“क्या हुआ... कुछ पता चला आप को?” हाशना ने पूछा।

“नहीं सब कुछ नार्मल है। गीतिका को कोई गललफहमी हुई है।” सार्जेंट सलीम ने जवाब दिया।

“और वह पीछा करने वाली बात?” हाशना ने पूछा।

“वह भी गीतिका का भ्रम है।” सार्जेंट सलीम ने कहा।

“ऐसा कैसे हो सकता है?” हाशना ने आश्चर्य से कहा।

“मैं आप की बात का मतलब नहीं समझा।” सार्जेंट सलीम ने कहा।

“हमारे पास सबूत है कि एक आदमी गीतिका का पीछा करता रहा है।” हाशना ने कहा।

“कैसा सुबूत?” सार्जेंट सलीम ने आश्चर्य से पूछा।

“आप से मिलने के बाद हम ने एक प्राइवेट डिटेक्टिव भी हायर किया था। उस ने हमें कुछ फोटोग्राफ और वीडियो भेजे हैं। इस में एक आदमी को गीतिका का पीछा करते हुए दिखाया गया है।” हाशना ने कहा।

“क्या मैं वह तस्वीर और वीडियो देख सकता हूं।” सलीम की आवाज में उतावलापन था।

हाशना ने पर्स से एक लिफाफा निकाल कर सलीम की तरफ बढ़ा दिया। सलीम ने निफाफा खोल कर फोटो निकाल लिए। उन फोटोग्राफ पर नजर पड़ते ही उस का दिमाग कलाबाजियां खाने लगा। उसे अपने आप पर भी बड़ी शर्म आई। यकबैक उसे समझ में नहीं आया कि वह हाशना को क्या जवाब दे।

फोटोग्राफ में नजर आने वाला शख्स वह खुद ही था। यह उस वक्त की तस्वीर है जब वह गीतिका के घर के सामने के चायखाने पर बैठ कर उस के घर की निगरानी किया करता था। सलीम का मन हुआ कि वह उस प्राइवेट डिटेक्टिव को तलाश कर उस का मुंह तोड़ दे। सार्जेंट सलीम को बड़ी शर्म आई कि उसे प्राइवेट डिटेक्टिव ने ट्रेस कर लिया था।

सलीम ने जल्दी से तस्वीरें लिफाफे में रख दीं और उसे हाशना को पकड़ा दिया। हाशना उसे अपने मोबाइल में वीडियो दिखाने लगी। सलीम ने झेंपते हुए जवाब दिया, “फोटो और वीडियो वाला आदमी हमारा है। हम ने ही गीतिका की निगरानी के लिए लगाया था। आप का प्राइवेट डिटेक्टिव डफर है।”

उस की इस बात पर हाशना ने कोई जवाब नहीं दिया। कुछ देर की खामोशी के बाद सलीम ने पूछा, “आप गीतिका को कैसे जानती हैं?”

“यूनिवर्सिटी में हम साथ पढ़ते थे। तभी से दोस्ती है।” हाशना ने जवाब दिया।

वेटर कॉफी और सैंडविच रख कर चला गया। हाशना सलीम और अपने लिए कॉफी बनाने लगी।

“क्या हाशना को किसी तरह का पर्सनाल्टी डिसआर्डर है?” सलीम ने सीधा सवाल करना बेहतर समझा।

“मैं मतलब नहीं समझी आप का।” हाशना ने पूछा।

“मतलब... क्या उसे किसी चीज से बेवजह भय लगता है?”

“जिस तरह के समाज में हम रहते हैं... वहां लड़कियों को डर तो लगता ही है।” हाशना ने कहा।

“मेरा मतलब है कि वह किसी बात से खौफजदा तो नहीं रहती थी, कॉलेज टाइम में?” सलीम ने पूछा।

“नहीं ऐसा नहीं है। वह काफी संजीदा लड़की है, इसलिए किसी भी बात को बहुत गंभीरती से लेती है। बस इतनी सी बात है।” हाशना ने कहा।

“और कोई खास बात?” सलीम ने पूछा।

हाशना कुछ देर सोचती रही। उस के बाद उस ने कहा, “उसे कॉकरोच से बहुत डर लगता है। कॉलेज में एक बार एक लड़के ने उस के सर पर कॉकरोच रख दिया था तो गीतिका बेहोश हो गई थी। इस वजह से उस लड़के को कॉलेज से सस्पेंड कर दिया गया था।”

“फिर क्या हुआ था?” सलीम ने पूछा।

“गीतिका ने अपनी कंपलेन वापस ले ली थी, लेकिन फिर कभी वह लड़का यूनिवर्सिटी में नजर नहीं आया।”

“हालफिलहाल कभी वह लड़का दिखा आप को या गीतिका को?” सलीम ने पूछा।

“नहीं। हम ने उसे दोबारा कभी नहीं देखा। बल्कि कुछ दिनों बाद ही हम सबके एग्जाम शुरू होने वाले थे। इस वजह से प्रिप्रेशन लीव शुरू हो गईं थीं कुछ दिनों बाद ही। उस के बाद एग्जाम होने लगे और किसी को याद भी नहीं रहा यह सब।” हाशना ने बताया।

“उस लड़के का कोई नाम, पता, ठिकाना?” सार्जेंट सलीम ने पूछा।

“चार साल पुरानी बात हो गई। अब तो नाम भी याद नहीं है। वैसे भी वह लड़का हमारी फ्रैंड सर्कल में नहीं था। जिस वक्त यह घटना हुई थी, हम सब कैंटीन में बैठे मौजमस्ती कर रहे थे। तभी उस ने कहा था कि गीतिका के सर पर कॉकरोच बैठा है। उस के बाद गीतिका एक चीख मार कर बेहोश हो गई थी।”

“यह कैसे पता चला कि कॉकरोच उसी लड़के ने रखा था?”

“देखा तो किसी ने नहीं था।” हाशना ने कहा।

“यह भी तो हो सकता है कि वह कहीं से उड़ कर आ गया हो।” सलीम ने कहा, “खामखा एक लड़के का करियर खराब कर दिया आप लोगों ने।”

सलीम की बात पर हाशना सोच में पड़ गई। कुछ देर बाद उसने कहा, “किसी को इस बारे में ख्याल ही नहीं किया। सब को लगा कि उस ने ही गीतिका के सर पर वह कॉकरोच रखा था।”

तभी सलीम का पीछा करने वाला आदमी उठा और बाहर की तरफ चला गया।


*** * ***


सलीम का पीछा क्यों किया जा रहा था?
गीतिका के सर पर कॉकरोच रखने वाले लड़का का कुछ पता चला?

इन सवालों का जवाब जानने के लिए पढ़िए कुमार रहमान का जासूसी उपन्यास ‘अनोखा जुर्म’ का अगला भाग...