हारा हुआ आदमी (भाग 35) Kishanlal Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • इंटरनेट वाला लव - 88

    आह में कहा हु. और टाई क्या हो रहा है. हितेश सर आप क्या बोल र...

  • सपनों की राख

    सपनों की राख एक ऐसी मार्मिक कहानी है, जो अंजलि की टूटे सपनों...

  • बदलाव

    ज़िन्दगी एक अनन्य हस्ती है, कभी लोगों के लिए खुशियों का सृजन...

  • तेरी मेरी यारी - 8

             (8)अगले दिन कबीर इंस्पेक्टर आकाश से मिलने पुलिस स्ट...

  • Mayor साब का प्लान

    "इस शहर मे कुत्तों को कौन सी सहूलियत चाहिए कौन सी नही, इस पर...

श्रेणी
शेयर करे

हारा हुआ आदमी (भाग 35)

"क्या तुमने मुझे --/
"सॉरी निशा को गम्भीर होता देखकर देवेन ने उससे माफी मांगी थी।
निशा को भी पति के व्यवहार से ऐसा लगा वह भी उस बात को गम्भीरता से ले गई।वह भी अपने को सामान्य बनाते हुए बोली,"मजाक छोड़ो।हमे चलना है।"
"निशा मैं तो वहाँ किसी को जानता भी नही।वहां मैं अकेला बोर हो जाऊंगा।"
"मुझे तो रात में रुकना पड़ेगा।लेकिन तुम घर लौट आना।,
और पत्नी के कहने पर उसे उसके साथ जाना पड़ा था।देवेन और निशा शादी वाले दिन ताज एक्सप्रेस से आगरा पहुंचे थे।वे ऑटो करके घर पहुंचे थे।
"अरे तुम लोग आज आये हो?"माया,देवेन और निशा को देखते ही बोली थी।
"क्यो मम्मी?क्या हो गया?"
"रमेश दो दिन से तुम्हे लेने के लिए आ रहा है।आज भी सुबह चक्कर लगा गया है।"
"मम्मी ,रमेश कुछ कह रहा था?"निशा ने पूछा था।
"कह गया है।निशा दीदी को आते ही भेज देना,"माया,राहुल को गोद मे लेते हुए बोली,"आ जा मेरे बेटे।मेरे लाल।"
"रमेश कौन है?"देवेन ने पत्नी से पूछा था।
"गीता का भाई है।"
"तुम दोनों बैठो।मैं चाय बनाकर लाती हूँ।"माया,राहुल को गोद मे लेकर जाने लगी,तब निशा बोली,"मम्मी आप बैठो।चाय मैं बनाकर लाती हूँ।"
"नही री।तू अभी सफर करके आयी है।बैठ मैं अभी बनाकर लाती हूँ।"
निशा और देवेन सोफे पर बैठ गए।
"अब क्या प्रोग्राम है?"देवेन ने पत्नी से पूछा था।
"खाना खाकर कुछ देर आराम कर लो।फिर चलेंगे।"
माया चाय बनाकर ले आयी।वे चाय पीने लगे।निशा चाय पीते हुए बोली,"मम्मी आप भी तो चलेंगी।"
"अब मैं क्या करूँगी।तुम लोग नही आते तो मुझे जाना ही पड़ता।अब तुम लोग आ ही गये हो तो।"
राहुल काफी देर से माया की गोद मे खेल रहा था।वह रोने लगा।
"निशा भूखा होगा।इसे दूध पिलाओ।"
निशा ने राहुल को गोद मे ले लिया।देवेन उठते हुए बोला,"मैं नहा लेता हूँ।"
"मैं खाने की तैयारी करती हूँ।"माया भी उठते हुए बोली थी।
निशा माँ बनने के बाद पहली बार मायके आयी थी।निशा के आने की खबर लगते ही कॉलोनी की औरते उससे मिलने के लिए आने लगी।उनके साथ उनके बच्चे भी आये थे।वे राहुल को गोद मे लेकर खिलाने लगे।
निशा की हम उम्र लड़कियों की भी शादी हो चुकी थी।जिनकी शादी नही हुई थी।वे निशा से मिलने के लिए आयी थी।निशा उनसे बाते करने लगी।सब के चले जाने के बाद निशा भी नहाने चली गयी।
"खाना तैयार है।"
निशा और देवेन खाने के लिए बैठ गए थे।कुछ देर आराम करने के बाद वे जाने के लिए तैयार हो गए।निशा ने बेग में अपने और राहुल के कपड़े भी रख लिए थे।जब वे जाने लगे तब माया बोली थी,"तुम लोग रात को तो लौट आओगे?"
"मम्मी मुझे तो गीता आने नही देगी।रात को वहीं रुकना पड़ेगा।सुबह ही आउंगी,"निशा पति की और इशारा करते हुए बोली,"यह वहां क्या करेंगे।रात को यहां ही आ जाएंगे।"
"तुम्हारे साथ राहुल है।अभी वह छोटा है।परेशान करेगा।हो सके तो रात को ही लौट आना।"
माया ने निशा से कहा था।
"मम्मी मैं आने की कोशिश करूँगी।लेकिन आप तो गीता को जानती है।अगर मैं नही रुकी तो वह नाराज हो जाएगी,"निशा बोली,"आप नही चल रही।अभी तो वह इसी बात पर नाराज हो जाएगी।"
"देख लेना।जैसा मौका हो।"
"निशा रात को आये या ना आये।लेकिन मैं जरूर आऊंगा।"देवेन बोला था।
और वे चले गए थे।
(शेष अगले भाग में पढ़िए)