Aabha - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

आभा.…...( जीवन की अग्निपरीक्षा ) - 8



आखिरी लाइन कहकर सुनीता जी फिर शांत हो जाती हैं , तो स्तुति उन्हें आगे बताने के लिए कहती है । वो अपने आसूं साफ कर आगे कहती हैं ।

सुनीता जी - अपनी बच्ची की हालत जानकर गुड़िया के पापा के पैरों तले जमीन ही नहीं रहती और वो वहीं पड़ी कुर्सी पर बैठ जाते हैं । हम उनसे भी गुड़िया से मिलने की गुहार लगाते हैं , पर वे कुछ नहीं कह पाते । डॉक्टर्स ने गुड़िया से किसी को मिलने नहीं दिया था , न ही हमसे और न ही गुड़िया के पापा से । अगले दस दिन तक वो लोग गुड़िया को अंडर ऑब्जर्वेशन रखते हैं , और उसकी हालत को देखते हैं । दस दिन बाद जब हमारी गुड़िया से न मिलने के कारण तबियत खराब होने लगती है , तो गुड़िया के पापा डॉक्टर से रिक्वेस्ट करते हैं , तो डॉक्टर सिर्फ दस मिनट के लिए मिलने की परमिशन दे देते हैं । हम तो उतने में ही खुश हो जाते हैं , कि अब हम अपनी बच्ची को देखेंगे । गुड़िया के पापा और हम गुड़िया के कमरे में जाते हैं , लेकिन गुड़िया पर नज़र पड़ते ही हम दोनों के पैर दरवाजे पर ही ठिठक जाते हैं , हमारी छः महीने की फूल सी बच्ची , जिसने अभी हमें मां कहना भी शुरू नहीं किया था , ढंग से करवट लेना भी जिसने नहीं दिखा था , वो आज पट्टियों से लिपटी , मशीनों से घिरी हुई एक कांच के बॉक्स में बंद थी । होश ही नहीं आया था उसे दस दिन से …..। हम दोनों ने गुड़िया को एक नज़र देखा और रो पड़े , लेकिन तब तक हमारे दस मिनट खत्म हो चुके थे , हमें जाने के लिए कहा गया । हम नहीं जाना चाहते थे , मगर हमें जबरदस्ती बाहर भेजा गया। अगले 5 दिन और गुड़िया को होश नहीं आया , तो सभी ने अपनी उम्मीद खो दी , डॉक्टर ने भी हाथ खड़े कर दिए , लेकिन पता नहीं क्यों , हमें ये सब झूठ लगा , ऐसा लगा जैसे हमारी गुड़िया अभी भी हमारे साथ है , वो रो रही है और उसे भूख लगी है .…...। हमने डॉक्टर की नहीं सुनी और तुरंत गुड़िया के कमरे में चले गए, तो हमारी उम्मीद सच निकली । हमारी बच्ची..... , धीमी आवाज़ में रो रही थी और उसे होश आ चुका था । जब डॉक्टर्स ने देखा , तो वो भी हैरान हुए , फिर जल्दी से उन लोगों ने गुड़िया का चेकअप किया और बताया कि वो अब ठीक है , और ये तो चमत्कार हो गया , क्योंकि कुछ समय पहले तक गुड़िया की धड़कने रुक गई थी । हमें बहुत खुशी हुई , कि हमारी बच्ची हमारे पास आ गई वापिस । एक दो दिन गुड़िया को और अंडर ऑब्जर्वेशन रखा गया , फिर उसे हमारी गोद में दिया गया , तब तक गुड़िया की पट्टियां खुल चुकी थी , लेकिन...............!!!!!!

इतना कह कर सुनीता जी शांत हो जाती है , तो स्तुति उनसे कहती है ।

स्तुति - लेकिन क्या....., लेकिन क्या आंटी...????

सुनीता जी ( रोते हुए ) - हमारी बच्ची की जान तो बच गई , लेकिन उसे जिंदगी भर का दाग मिल गया... । ( स्तुति हैरान और नासमझ सी उन्हें देखती है, तो वे कहती हैं ) इस हादसे में गुड़िया के बाएं तरफ का चेहरा , बाएं तरफ का गले का हिस्सा और साथ ही बाएं तरफ के कंधे तक का हिस्सा बुरी तरह से जल चुका था , चमड़ी पूरी काली पड़ गई थी और कहीं - कहीं पर सफेद । डॉक्टर्स ने बताया , कि गुड़िया के शरीर का खून भी लगभग सूख चुका था उस हिस्से का ...., जिसे उन लोगों ने बहुत जद्दोजहद के बाद , गुड़िया के उस हिस्से को कम से कम इस लायक बनाया, कि उस हिस्से में कम से कम खून पहुंच सके , और उन्होंने बहुत कोशिशों के बाद गुड़िया के उस हिस्से को काम करने लायक बनाया था , लेकिन उसमें गुड़िया का कान बुरी तरह जल चुका था , वह सुन तो सकती थी , पर उस हिस्से को कभी पूरा - पूरा महसूस नहीं कर सकती थीं, या ये कहें कि उसकी उस तरफ की त्वचा हमेशा ही ऐसे ही रहने वाली थी..... । गुड़िया बहुत छोटी थी, इस लिए डॉक्टर्स ने बताया कि वो इस उम्र में गुड़िया की सर्जरी नहीं कर सकते । उस हादसे ने हमारी बेटी की खूबसूरती छीन ली थी । उसके बाद , गुड़िया जैसे - जैसे बड़ी होने लगी , वह उसी दाग के साथ जीने लगी, मगर कोई उसके चेहरे को देखकर कुछ कह न दे , इस लिए हम उसे हमेशा ठंड वाला स्कार्फ पहना कर रखते थे , जिससे गुड़िया के चेहरे के दाग ढके रह सकें । गर्मी में भी हमारी बच्ची स्कूल...., स्कार्फ पहनकर जाती थी । धीरे - धीरे वो भी समझने लगी , कि हम ऐसा क्यों करते हैं और फिर उसने अपना चेहरा खुद दुनिया से छुपाना चालू कर दिया । लेकिन उसके साथ ही , वह खुद को और हम उसे दुनिया की बद्सलुकियों और लोगों के तानों से नहीं बचा पाए । गुड़िया जब कॉलेज जाने लगी , तब पता चला कि जबलपुर में प्लास्टिक सर्जरी होती है, जिससे गुड़िया का पूरा चेहरा ठीक हो जायेगा । हमें एक उम्मीद की किरण दिखी , और हम सभी के मन में खयाल आया कि अब हमारी गुड़िया भी आम लोगों की तरह जिंदगी जी पायेगी , लेकिन शायद भगवान को ये मंजूर ही नहीं था कभी.... । तभी तो उन्होंने इतने बड़े हादसे से तो हमारी बच्ची की जान बचा ली थी , लेकिन जिंदगी भर का दर्द उसके नाम कर दिया था .....। हमने जबलपुर में गुड़िया की प्लास्टिक सर्जरी करवाई , लेकिन उससे कोई खास असर नहीं पड़ा , डॉक्टर्स ने बताया कि वे उसके शरीर की सही त्वचा को रिप्लेसमेंट कर , गुड़िया की जली हुई त्वचा पर जब सेट करने की कोशिश करते हैं , तो वह सही त्वचा भी पिघल जाती है , या एक तरह से कहे गुड़िया की जली हुई त्वचा , किसी भी तरह की ट्रीटमेंट एक्सेप्ट नहीं कर पा रही थी । डॉक्टर्स ने बताया , कि पूरी तरह से निशान तो नहीं जा पायेंगे , लेकिन अगर भगवान ने चाहा तो, चार पांच सर्जरी के बाद , अगर गुड़िया की त्वचा ने ट्रीटमेंट एक्सेप्ट की तो , कम से कम उसकी त्वचा थोड़ी तो नॉर्मल हो ही सकती है । अभी तक गुड़िया के तीन ऑपरेशन हो चुके हैं , जिससे कुछ खास फर्क तो नहीं पड़ा है , लेकिन हां...., उसकी जली हुई त्वचा अब सफेद पड़ने लगी है। और वह अब उभरी होने की जगह , सिमटने लगी है । लेकिन असल में कहा जाए तो , वह अभी भी उतनी ही अजीब लगती है , जितनी तब लगती थी । पर हमारे लिए तो हमारी बच्ची , हमेशा से ही खूबसूरत थी । इसी लिए हम चाहते हैं , कि हमारी बच्ची को कोई ऐसा जीवन साथी मिले , जो उसके चेहरे से नहीं , बाकी उसकी अच्छाइयों और उसके मासूम दिल से प्यार करे । लेकिन कहते है न , कि किसी - किसी की किस्मत में प्यार नहीं ही लिखा होता है । शायद हमारी गुड़िया की जिंदगी में भी शादी और प्यार करने वाला पति का सुख ,नहीं लिखा हुआ है । अब तो हम भी उम्मीद छोड़ चुके हैं और हमें भी लगता है कि ये बेकार की कोशिशें करने की जगह , हम अपनी बच्ची का उसके जीवन जीने की ललक में उसका साथ दे । लेकिन इन सबमें गुड़िया ने कही न कही हमें अपना कसूरवार मान लिया है , वह हमसे सब कुछ बताती है , बहुत प्यार करती है हमसे , लेकिन कभी अपनी दुख परेशानी हमसे नहीं कहती , पता नहीं उसकी जिंदगी में कभी कुछ ठीक होगा भी या नहीं।

स्तुति ( अपने आंसू पोंछ कर कहती है ) - इतना सब जानने के बाद , हमें नहीं लगता कि हमें आभा को शादी के लिए अब दोबारा कहना चाहिए । इसकी जगह हम उसे जी भर कर प्यार दें , तो वह ज्यादा मुनासिब होगा और आभा को उससे खुशी भी मिलेगी।

सुनीता जी ( स्तुति के सिर पर हाथ फेर कर बोली ) - तुम ठीक ही कह रही हो बिटिया , गुड़िया को अब हम इतना प्यार देंगे , कि वो अपने सारे दुःख दर्द भूल जाए , भले ही उसकी शादी कभी न हो , लेकिन तब भी हम कभी उसका साथ नहीं छोड़ेंगे , और वैसे भी हमारी बेटी हमारे घर की लक्ष्मी हैं और लोगों की बातों में आकर हमारी बेटी हमारे लिए कभी बोझ नहीं बनेगी । हम अपनी बेटी को हमेशा अब अपने पास ही रखेंगे और उसे हमेशा खुश भी रखेंगे ।

स्तुति उनकी बात सुनकर , आसूं भारी आखों से ही मुस्कुरा देती है ......।

क्रमशः

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