Ahsaas pyar ka khubsurat sa - 19 books and stories free download online pdf in Hindi

एहसास प्यार का खूबसूरत सा - 19




तीनों ही ऑडिटोरियम के अंदर आए । आरव दरवाज़े की ओर ही देख रहा था । जब उसने तीनों को आते देखा तो फटाक से उनके सामने हाज़िर हो सीधे कायरा से प्रश्न किया ।

आरव ( कायरा को चिंता की नज़रों से देख कर कहता है ) - कायरा !!! तुम ठीक तो हो ना???? इतना लेट कैसे हो गई ??? तुम्हारी ......., तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना । जबसे मैंने तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ा है, तब से तुमने मुझे एक बार भी अपनी खबर नहीं दी । कायरा कुछ बोलो ना , सब ठीक तो है ना ??????

कायरा हैरानी से आरव को देखती है , तो वहीं रेहान और रूही मुस्कुरा देते हैं , और बाकी की पलटन भी चारों के पास आ जाती है , और अपनी हंसी छुपाते हुए आरव को देख रही होती है । रूही खुद की हंसी को कंट्रोल कर आरव से कहती है ।

रूही - अरे ...., अरे आरव !!! तुम उसे कुछ कहने तो दो , तब ना वह तुम्हारे सवालों के जवाब देगी ।

इतना कह कर रूही खिलखिला कर हंस देती है , और मीशा कायरा आरव को छोड़ बाकी सब भी हंस देते हैं । आरव उनके हंसने से झेंप जाता है, तो वहीं कायरा अभी तक आरव को घूर कर हैरानी से देख रही होती है । उसे इस तरह आरव को घूरता पा कर नील उससे कहता है ।

नील ( मुस्कुराते हुए ) - अब जवाब दे भी दो कायरा , कहीं हमारे दोस्त की सांसें ही न अटक जाएं 😄😅😂😂😂।

इस बार नील के कहने से कायरा झेंप जाती है और इधर - उधर देखने लगती है । और आरव अब घूर कर नील को देखता है । नील आरव के इस तरह देखने से, अपनी हंसी दबा कर हंसने लगता है ।

मीशा बहुत देर से ये सारा माजरा देख रही होती है । जिसके कारण उसे जलन के साथ - साथ नफ़रत भी होने लगती है, कायरा और रूही से। वह तीनों से कहती है ।

मीशा ( आंखें चढ़ाते हुए, कायरा, रूही और रेहान से ) - वैसे एक बात बताओ, तुम तीनों एक साथ !!!! ( उसकी इस बात पर सभी मीशा को घूरकर देखने लगते हैं, तो वह बनते हुए आगे कहती है ) आई मीन, रूही और कायरा का एक साथ आना समझ आता है । पर रेहान तुम ....., तुम इनके साथ क्या कर रहे हो ???? ( तीखी मुस्कान के साथ ) कहीं कोई रिश्ता तो नहीं बन गया है, तुम लोगों का आपस में , वो भी हमारे पीठ पीछे ???? ( तीनों को घूरते हुए ) बताओ तुम तीनों।

मीशा की बात पर सभी का दिमाग खराब हो जाता है , तो वहीं रूही कायरा और रेहान एक दूसरे को देख रहे होते हैं । और आरव को मीशा की कही हुई बात का अर्थ समझ में नहीं आता है ।

मीशा ( एक बार फिर तीखी नज़रों से तीनों को देखते हुए कहती है ) - बताओ ना रेहान , इतना लेट क्यों हुआ तुम्हें ???

मीशा की कही हुई बात शिवानी के बर्दास्त से बाहर हो रही थी , वह अपने दांत पीसते हुए कहती है।

शिवानी ( गुस्से से ) - मीशा......!!! तुम.....।

वह इतना ही कह पाती है के रूही उससे मुस्कुराते हुए कहती है ।

रूही - हां मीशा !!! है ना हमारा रिश्ता एक - दूसरे के साथ । और बड़ा ही मजबूत रिश्ता है । जस्ट अभी - अभी थोड़ी देर पहले ही बना है ।

रूही की कहीं हुई बात से कायरा और रेहान को छोड़ सभी रूही को हैरानी से देखने लगते हैं । आरव को अब धीरे - धीरे मीशा की कहीं हुई बात का मतलब समझ आ रहा होता है । मीशा सभी से इतराते हुए कहती है ।

मीशा - देखा.... !!! कहा था न मैंने, के कोई तो रिश्ता है ।

इस बार सब खामोशी से रूही, कायरा और रेहान को देख रहे होते है और रूही की कही हुई बातों का सत्य जानने की कोशिश कर रहे होते हैं । तो वहीं राहुल की धड़कने तेज़ चलने लगती है। वह कभी अपने दिल से, तो कभी अपने दिमाग से लड़ने की कोशिश कर रहा होता है । रूही मुस्कुराते हुए मीशा से कहती है ।

रूही - मीशा !!! जानना नहीं चाहोगी , क्या रिश्ता है हम तीनों के बीच।

मीशा ( इतराते हुए ) - वो तो दिख ही रहा है , के क्या रिश्ता है तुम तीनो के बीच । शर्म आनी चाहिए तुम लोगों को , एक ही लड़के के साथ........।

इस बार कायरा को मीशा की बात पर गुस्सा आ जाता है और वह गुस्से से आंखें दिखाते हुए मीशा से कहती है ।

कायरा - मीशा !!!! पहले जान लो, के हमारे बीच रिश्ता क्या है , उसके बाद आगे की बात करना ।

रेहान ( भी गुस्से से उससे कहता है ) - हां मीशा , अपनी जबान संभाल कर बात किया करो । बिना सोचे समझे कुछ भी मत बोला करो ।

रूही ( रेहान से कहती है ) - अरे रेहान, तुम बता दो ना इसे , ताकि शक की कोई गुंजाइश ही न रहे ।

राहुल रूही को हैरानी से देखता है । रेहान अपना दाहिना हाथ आगे कर देता है और बाकी सब समझ जाते हैं, के रूही किस रिश्ते की बात कर रही थी । राहुल को अब चैन मिलता है और वह अब अपने आपको रिलेक्स महसूस करता है, तो वहीं आरव को बहुत खुशी होती है, इस बात से कि उसकी कायरा कितनी समझदार है , किसी की सूनी ज़िन्दगी में रिश्तों के रंग भरना उसे बखूबी आता है । आरव कायरा और रेहान के रिश्ते को जान बहुत खुश होता है । मीशा जब रेहान का हाथ देखती है तो कहती है ।

मीशा - ये हाथ आगे करने का क्या मतलब है रेहान ????

सौम्या ( तिरछी नजरों से मीशा को देखते हुए कहती है ) - जब तुम्हारे ज़िन्दगी में ऐसा कोई रिश्ता होगा, तब न तुम जानोगी मीशा, के असल में जिसे तुम अपने गलत शब्दों से नवाजे जा रही हो, वह रिश्ता तुम्हारी कल्पना से परे है । और खूबसूरत भी ।

शिवानी ( सौम्या के ही अंजाद में कहती है ) - हां सौम्या तुमने सही कहा , जब इसकी ज़िन्दगी में ऐसा कोई रिश्ता है ही, नहीं तो ये क्या जानेगी हाथो में बंधी राखी का मोल।

कायरा ( मीशा से ) - मीशा!!! इसे भाई बहन का रिश्ता कहते है और मैंने और रूही ने रेहान भाई को राखी बांध कर उनसे बहन का रिश्ता जोड़ा है ।

मीशा हैरानी से तीनों को देखती है । क्योंकि उसका ये दांव उस पर ही भारी पड़ गया था । पर वह हार मानने को तैयार नहीं थी । इस लिए वह फिर से नफ़रत के साथ मुंह बना कर कहती है ।

मीशा - तुम जैसी मिडिल क्लास लड़कियां , भैया कहते - कहते लड़को को कब सईयां बना लेती हैं, इसका तो पता ही नहीं चलता....... ।

मीशा आगे कुछ कह पाती , उससे पहले ही उसके गालों पर एक तेज़ झन्नाटेदार थप्पड़ पड़ता है । चटाक.......। सभी हैरानी से कभी मीशा को तो कभी चांटा मारनेवाले को देखने लगते हैं। वह चांटा किसी और ने नहीं, बल्कि आरव ने मीशा को मारा होता है , क्योंकि अब शायद मीशा की बातें आरव के बर्दास्त से बाहर हो रही थीं । जबकि मीशा हैरानी से आरव को देख रही होती है , और आरव गुस्से से लाल आंखें किए मीशा को देख रहा होता है। वह मीशा को अपनी उंगली गुस्से से दिखाते हुए कहता है ।

आरव - खबरदार मीशा ! जो आगे एक भी लफ्ज़ कहा तो ।
सच ही कह रही है सौम्या और शिवानी । तुम्हारी ज़िन्दगी में ऐसा कोई रिश्ता नहीं है, इसी लिए तुम्हें उसकी कदर नहीं है । अरे अगर तुम्हें भाई - बहन के रिश्ते की कद्र होती तो तुम ऐसी वाहियात बातें हमारे सामने नहीं कर रही होती ।

मीशा ( आंखों में आसूं लिए ) - पर आरव !!! मैंने तो सही......।

आरव ( गुस्से से , मीशा की ओर देखते हुए ) - सही ......., तुम इसे सही कह रही हो मीशा । सच मीशा , आज मुझे तुम्हें अपना दोस्त कहने में भी शर्मिंदगी महसूस हो रही है । क्योंकि मेरी दोस्त ऐसी घिनौनी सोच रखेगी , ऐसा मैंने सपने में भी नहीं सोचा था ।

कायरा ( आरव के पास आकर उसे शांत करने की कोशिश करते हुए ) - आरव !!! देखिए आप शांत हो जाइए । इस तरह मीशा पर हाथ उठाना ठीक नहीं है । प्लीज जाने दीजिए ना.....।

कायरा के कहने पर मीशा उसे नफ़रत भरी निगाहों से देखती है, क्योंकि आज से पहले आरव क्या किसी भी दोस्त ने, उस पर हाथ नहीं उठाया था , और न ही इतनी कड़वी बातें कही थी । पर आज आरव ने पहली बार उस पर हाथ उठाया था और इतनी कड़वी बातें कह रहा था, जो शायद कभी उसने न कहीं थीं। आरव गुस्से से कायरा की बात काटते हुए कहता है ।

आरव - तुम बीच में मत बोलो कायरा , मुझे इसके साथ कैसा व्यवहार करना है, ये मैं बहुत अच्छे से जनता हूं।

कायरा आरव का गुस्से से तमतमाया हुआ चेहरा देख सहम जाती है और रूही , सौम्या और शिवानी उसके पास आकर उसे शांत रहने को कहती है। आरव मीशा से एक बार फिर गुस्से से कहता है ।

आरव - अभी तक मैं तुम्हें सिर्फ इस लिए यहां बर्दास्त कर रहा था , तुम्हारी बातें इस लिए अभी तक सुन रहा था , क्योंकि मैं तुम्हें अपनी सबसे अच्छी दोस्त मानता था । अगर तुम्हारी जगह कोई और होता ना मीशा तो अभी तक उसके साथ मैंने क्या हश्र किया होता इसका तुम अंदाजा भी नहीं लगा सकती । इससे पहले के मेरा गुस्सा और बढ़े , तुम यहां से चली जाओ । ( मीशा को वॉर्न करते हुए ) और हां , आज़के बाद ऐसी वाहियात बातें तुमने किसी के भी सामने की ना , तो मैं तुम्हें कहीं बोलने लायक नहीं छोडूंगा मीशा । ( मीशा एक बार भी नफ़रत भरी नजरों से कायरा को देखती है और जाने लगती है , आरव पीछे से आवाज़ देकर उससे कहता है ) एक बात और मीशा , ( आरव के इतना कहने पर मीशा के कदम रुक जाते हैं ) आज के बाद तुम्हारी और मेरी दोस्ती खत्म , मैं तुम जैसी लड़की को अपनी दोस्त तो क्या , दुश्मन बनाना भी स्वीकार न करूं । इस लिए आज के बाद कभी मेरी नजरों के सामने भी मत आना ।

आरव की बात सुन मीशा को बहुत ही ज्यादा बुरा लगता है और वह गुस्से से अपने हाथ मलते हुए ऑडिटोरियम के बाहर चली जाती है । तो वहीं बाकी सभी को मीशा के लिए बुरा भी लगता है । पर सभी मीशा की कही हुई बातों से गुस्सा भी होते हैं । रेहान और आदित्य आरव के पास आते हैं । और उसके कंधों पर हाथ रखते हैं । आरव आदित्य और रेहान कि ओर देखता है । तो रेहान कहता है ।

रेहान - शांत हो जा आरव । इतना गुस्सा ठीक नहीं है ।

आदित्य - हां भाई , प्लीज रिलेक्स कर ।

आरव ( गुस्से कहता है ) - वह मेरी दोस्त होकर ऐसी घटिया सोच रखती है। यह बात मुझे हजम नहीं हो रही है ।

आदित्य - जाने दे आरव । इस समय उसका व्यवहार काफी बदल चुका है । वह किसी न किसी बात को लेकर ओवर रिएक्ट करती ही है । चल जाने दे , वक्त के साथ सब ठीक हो जाएगा । और शायद हमारी मीशा भी पहली वाली मीशा बन जाए ।

आरव आदित्य की बात पर हामी भरता है , तभी उसकी नज़र कायरा पर जाती है , जो आरव के गुस्से से सहमी खड़ी थी । आरव उसके पास आता है और कहता है ।

आरव - माफ करना कायरा ! मैं जान बूझ कर तुम्हें हर्ट नहीं करना चाहता था । पर उस वक्त मुझे मीशा की बातों पर ज्यादा गुस्सा आ रहा था , ( रेहान, रूही की ओर देखते हुए ) क्योंकि वह तुम तीनों के पाकसाफ रिश्ते को, गलत नाम देने की कोशिश कर रही थी । ( कायरा के सामने नजरें झुकाते हुए ) और मुझसे ये बर्दास्त नहीं हुआ । क्योंकि तुम सभी दोस्त मेरे अपने हो । और तुम सबपर कोई ग़लत इल्जाम लगाए , ये मैं बर्दास्त नहीं कर सकता ।

आरव की कहीं हुई बात पर सभी को खुशी होती है । तो वहीं कायरा आरव का हाथ पकड़ कर कहती है ।

कायरा - आपको मेरे सामने नजरें झुका कर माफी मांगने को जरूरत नहीं है। जो भी होता है, अच्छे के लिए ही होता है , और शायद इसमें भी हमारे लिए कुछ अच्छा ही छिपा होगा , जो वक्त आने पर हमारे सामने आ जायेगा । आप बहुत नेक दिल इंसान है आरव , इस लिए आपको मुझसे माफ़ी मांगने की कोई जरूरत नहीं है । अगर आपकी जगह मैं होती , तो शायद एक पल को मैं भी यही करती । ( आरव अपनी नजरें उठाकर कायरा को देखने लगता है ) हां आरव , मैं भी यही करती । पर मैं सिर्फ इस लिए आपको रोक रही थी , क्योंकि इतना गुस्सा किसी भी इंसान के लिए बुरा साबित हो सकता है। और मैं आपको इतने गुस्से में देख नहीं पाई , इस लिए मैंने आपको आगे कुछ भी कहने से रोका ।

आरव अब खुशी से कायरा को देखता है, तो वहीं बाकी सब दोनों की एक दूसरे के लिए फ़िक्र देख मुस्कुरा रहे होते हैं ।आरव और कायरा अब शांत भाव से और प्यार से एक - दूसरे को देख रहे होते है। जहां कायरा इस बात से अनजान के वह जो कर रही है वह क्या है , आरव की आंखों में झांक रही होती है , तो वहीं आरव प्यार से कायरा को देख सोच रहा होता है, के इस लड़की को मेरी कितनी फ़िक्र है । दोनों को खुद में एक - दूसरे में खोए देख सौम्या खांसने का नाटक करती है । तो दोनों ही सौम्या की आवाज़ सुन झेंप जाते हैं।

अब कॉलेज आने के बाद का एक घंटा तो कायरा , रूही और रेहान का वेट करने में निकल जाता है । और बाकी का एक घंटा अभी थोड़ी देर पहले हुए तमाशे में निकल जाता है । इस लिए सभी कॉफी और चाए पी कर ऑफिस जाने का सोचते हैं । और बाकी के बचे हुए लोगों का मन आज कॉलेज में नहीं लग रहा था । तो सौम्या , रूही , शिवानी और रेहान अपने - अपने घर जाने की सोचते हैं। सभी कैंटीन से निकलने के बाद , ऑफिस वाले ऑफिस और घर वाले घर की ओर चले जाते हैं।

ऑफिस पहुंचने के बाद आरव, राहुल से राजवीर के बारे में पता करने को कहता है । राहुल पीयून से राजवीर के बारे में बताने को कहता है और सभी अपने - अपने केबिन की ओर चले जाते हैं ।

थोड़ी देर बाद राहुल आरव के केबिन में जाता है जहां , आदित्य पहले से ही बैठा आरव से कुछ डिस्कशन कर रहा होता है । राहुल आदित्य के बगल वाली चेयर पर बैठ कर आरव से कहता है ।

राहुल - पीयून ने अभी थोड़ी देर पहले ही बताया है , के राजवीर अभी तक ऑफिस नहीं आया है।

आदित्य ( रिलेक्स हो कहता है ) - अच्छा है , जो राजवीर ऑफिस नहीं आया । आज के मीशा के तमाशे के बाद, मेरी तो कोई और तमाशा देखने की कैपिसिटी ही नहीं रही ।

आरव कहीं खोया हुआ सा कुछ सोच रहा होता है , और आदित्य की कहीं हुई बात पर वह कहता है ।

आरव - नहीं, आदि !!! ये अच्छा नहीं है । वह जरूर कोई न कोई बड़ा प्लान करने की सोच रहा होगा ।

राहुल - पर तू इतने कॉन्फिडेंस के साथ कैसे कह सकता है ।

आरव - क्योंकि मैं राजवीर की नस - नस से वाकिफ हूं राहुल । जब आस - पास बहुत शांति हो ना , तो समझ जाना चाहिए के, ये तूफान के आने की पहले वाली शांति है । और जहां तक मैं राजवीर को जानता हूं , वह बिना कोई बखेड़ा खड़ा किए , शांत तो रह ही नहीं सकता । उसका यहां आना भी उसके किसी न किसी प्लान का हिस्सा है, ये हम सभी जानते हैं ।

आदित्य - तो अब क्या करना चाहिए ????

आरव ( राहुल से ) - राजवीर जब भी ऑफिस आए , उसे यहां के रूल्स रेगुलेशंस समझा देना । के अगर उसे यहां रहना है , तो टाइम पर ऑफिस आना होगा और साथ में बिना किसी को इनफॉर्म किए, वह इस तरह कहीं नहीं जा सकता । उसे अगर ऑफिस नहीं आना है , तो वह यहां मेरे पास इनफॉर्म करे , और मुझे सटीक रीजन दे । तभी उसे आगे से हॉलीडे दिया जाएगा ।

आदित्य - पर उसके यहां रहने से , प्रॉब्लम्स ही क्रिएट होंगी आरव ।

आरव ( अपनी चेयर में पीछे की ओर टिकते हुए ) - उसके यहां न होने से प्रॉब्लम और भी ज्यादा होंगी आदि । इस लिए मुझे वह , अपने ऑफिस टाइम मे , हर वक्त अपनी नज़रों के सामने चाहिए । और ये बात तुम दोनो के अलावा नील को भी पता होनी चाहिए । मेरे अलावा तुम तीनों भी राजवीर के ऊपर कड़ी नजर रखोगे।

आदित्य और राहुल उसकी बात से सहमत होते हैं । दोनों ही अपना काम ख़तम कर , आरव के केबिन से बाहर आ जाते हैं।

दिनभर सभी अपने - अपने काम में लगे होते है । और सभी इतने बिज़ी होते हैं के किसी को भी लंच का ध्यान नहीं रहता । जब शाम के पांच बजते है । तो आरव अपना काम फिनिश कर लेता है , और पीयून से अपने लिए कॉफी मंगाता है । तभी उसकी नज़र घड़ी की ओर जाती है । टाइम देख कर आरव को ध्यान आता है, के वह काम के चक्कर में तो कायरा से उस दिन के बारे में बात करना तो भूल ही गया । वह अपनी चेयर से उठ कर अपने केबिन में टहलते हुए सोचने लगता है, के वह अपनी बात कायरा से कैसे कहे और कहां लेजाकर कहे । तभी पीयून कॉफी लेकर अंदर आता है । कॉफी को देख कर आरव को कुछ सूझता है । और वह पियून के जाने के बाद अपनी कॉफी ख़तम कर , भागते हुए कायरा के केबिन में जाता है । और तेज़ी से डोर ओपन करता है । कायरा अचानक से डोर की आवाज़ से डर जाती है , और हैरान हो डोर की ओर देखती है , जहां उसे आरव दिखता है । वह आरव को देख रिलेक्स होती है । आरव कायरा के सामने आता है, तो कायरा अपनी चेयर से उठकर उससे कहती है।

कायरा - क्या हुआ आरव सर ??? आप इतने हड़बड़ी में यहां ....... ?? कुछ काम था क्या ???

आरव जब कायरा को देखता है, तो उसके शब्द उसके हलक में ही अटक जाते हैं और दिमाग तेज़ घोड़े की तरह दौड़ने लगता है, ये सोचने के लिए, के जो वह बोलने के लिए कायरा के पास आया था, वह तो उसे कायरा को देख, याद ही नहीं रहा। अब वह कायरा को क्या जवाब दे । तो वहीं उसका दिल भी ट्रेन की स्पीड से धक - धक करने लगता है । कायरा जब आरव को खुद में उलझा हुआ देखती है, तो वह उसके हाथो को पकड़ कर अपने डेस्क के सामने पड़ी चेयर पर बैठाती है और उसे पानी पीने के लिए देती है । आरव तो कायरा के स्पर्श से ही खो जाता है । जब आरव पानी का गिलास नहीं लेता, तो कायरा एक बार फिर उसके हाथो को पकड़ पानी का गिलास देती है । कायरा के हाथ पकड़ते ही, आरव को 440 वोल्ट का झटका लगता है । वह अपने खयालों से बाहर आकर पानी पीता है और डेस्क पर रख देता है । कायरा वहीं पास में खड़ी होती है । जब उसे आरव थोड़ा रिलेक्स लगता है, तो वह उससे कहती है ।

कायरा - अब बताइए , क्या हुआ है ???

आरव ( सकपकाते हुए ) - वो ...., वो ....., वो.... तुम ... और .... म..... मैं .......।

कायरा उसकी बात से झुंझला जाती है और तेज़ आवाज़ में कहती है ।

कायरा - क्या वो मैं तुम कर रहे हैं आप ???? साफ - साफ बताइए ना हुआ क्या है ??? एक तो वैसे ही , आपकी दी हुई फाइल्स में जाने कब से अपना दिमाग खपा रही हूं मैं , पर कुछ समझ नहीं आ रहा , दूसरा बचा खुचा दिमाग आप खराब कर रहे हैं अपना वो, मैं, तुम बोलकर 😐😑।

इतना कह कायरा थोड़े गुस्से में , अपनी चेयर पर बैठ जाती है, और आरव को घूरने लगती है । आरव कायरा का गुस्सा करने से हैरान हो जाता है, साथ ही घबरा जाता है , ऊपर से कायरा के घूरने से वह और हैरान होता है ।

कितनी अजीब बात है ना । पूरी दुनिया को गुस्सा दिखाने वाला आरव, आज कायर के सामने अपनी बात कहने से भी घबरा रहा था । और उसके हल्के गुस्से को देख सहम भी गया था, किसी छोटे बच्चे की तरह । अभी तो दोनों ने अपने प्यार का इज़हार भी एक दूसरे से नहीं किया है । जब अगर दोनों साथ आ जायेंगे, तब इनका क्या होगा, ये तो भगवान ही जाने । आरव घबराते हुए कायरा से कहता है ।

आरव - मुझे तुमसे बात करनी है, तुम थोड़ी देर बाद अपना काम खत्म कर मेरे साथ कॉफी शॉप चलोगी!!!!???

आरव कायरा के घूरने से एक सांस में ही सब कह जाता है । कायरा जब आरव की बात सुनती है, तो हैरान हो उससे कहती है ।

कायरा - पर आरव सर!!! क्या बात करनी है आपको ? आप यहां भी तो बात कर सकते हैं।

अब आरव थोड़ा गंभीर हो जाता है और वह कायरा से कहता है ।

आरव - कायरा ! अगर मैं यहां बात कर सकता, तो जरूर करता । और अगर मेरा बात करना इतना इंपोर्टेंट न होता, तो मैं तुम्हें कभी कहता भी नहीं ।

कायरा ( असमंजस की स्थिति में ) - पर सर मैं आज लेट नहीं होना चाहती । क्योंकि मेरी तबीयत को लेकर वैसे भी घर में सब परेशान है , बिना किसी रीजन के अगर मैं लेट घर गई , तो वे सब और भी ज्यादा परेशान हो जायेंगे ।

आरव - कायरा !!!! तभी तो मैंने तुम्हें थोड़ी देर बाद के लिए ही कहा है । ताकि हम जल्दी ही वहां से फ़्री हो जाएं और तुम टाइम पर अपने घर जा सको।

कायरा को अपने लिए आरव की फ़िक्र देख बहुत अच्छा लगता है, वह मुस्कुराते हुए आरव से हां कहती है । और आरव मुस्कुराते हुए थैंक्यू कहता है । फिर आरव कायरा की हेल्प कराता है, उसके काम में । और उसके बाद वह आदित्य को जल्दी जाने का बता कर , कायरा को ले कर कॉफी शॉप चला जाता है ।

शाम के लगभग छः बजे दोनों ही ऑफिस के सामने वाले कॉफी शॉप में पहुंचते हैं । आरव अपनी बुक की हुई टेबल पर जाता है और वहीं एक चेयर पर कायरा को बैठने बोल खुद भी उसके जस्ट सामने वाली चेयर पर बैठ जाता है । अब जरूरी थोड़ी न है , के बिना प्यार का इज़हार किए ही आरव कायरा के बैठने के लिए चेयर खीचे, और प्यार से उससे बैठने को कहे ,अरे भई .... कायरा को शक भी तो हो सकता है । और कायरा को अगर बुरा लग गया तो......! इसी लिए आरव उसे खुदसे बैठने बोलता है। आरव वेटर को बुला कर दो चाए ऑर्डर करता है । तो कायरा आरव से पूछती है ।

कायरा ( हैरानी से ) - आरव!!! आप चाए क्यों मंगा रहे हैं? अपने लिए आपने कॉफी ऑर्डर क्यों नहीं की???!!!

आरव ( वेटर को ऑर्डर लिखवाकर भेज देता है और फिर कायरा के तरफ रुख कर, मुस्कुराकर कहता है ) - आज मेरा भी मन तुम्हारे साथ चाए पीने का है । ( कायरा आरव के मुंह से " तुम्हारे साथ " सुन मुस्कुरा देती है ) मैं भी कुछ न्यू ट्राय करना चाहता हूं , इसलिए सोचा, शुरुवात चाए से ही की जाय।

कायरा मुस्कुरा देती है तभी , वेटर दोनों की चाए रखकर चला जाता है । आरव चाए को टेस्ट कर कहता है ।

आरव - नाइस , मुझे नहीं पता था , चाए भी इतनी अच्छी होती है ।

कायरा ( चाए पीते हुए कहती है ) - अगर इंसान अच्छा हो , और उसे नई चीजें अपने जीवन में उतारने की लालसा हो , तो उसे सारी चीज़ें अच्छी और खूबसूरत ही लगती है ।

आरव - इंप्रेसिव , काफी अच्छे विचार हैं तुम्हारे । काफी कुछ जानती हो तुम, लाइफ के बारे में । कहीं कोर्स किया है क्या , या किसी किताबों में पढ़ा है ???!!!!!

कायरा ( कहीं खोई हुई सी ) - जब इंसान की ज़िन्दगी ही किताब बन जाए , तो उसे किसी और से सीखने की या कहीं से पढ़ने की जरूरत नहीं होती । क्योंकि ज़िन्दगी अपने अनगिनत रंगों से बहुत कुछ सीखा देती है , जिसकी शायद आपने कल्पना भी नहीं की होगी ।

आरव को कायरा की ये गहराई से कहीं हुई बातें , बहुत अच्छी लगती है । और कायरा की बातें सीधे उसके दिल में उतरती हैं । आरव मुस्कुराते हुए कायरा से कहता है ।

आरव - तुम्हारी बातों में बहुत गहराई है । मुझे तुमसे बात करना और तुम्हारे साथ टाइम स्पेंड करना काफी अच्छा लग रहा है । हमें शायद हफ्ते में एक दिन , ऐसे ही बाहर जरूर आना चाहिए , एक दूसरे के साथ टाइम स्पेंड करने और बातें करने के लिए ।

इतना कह आरव हंस देता है, तो कायरा जहां कहीं भी खोई हुई थी । वह अब वर्तमान में आती है और मुस्कुराते हुए आरव से कहती है ।

कायरा - वैसे आपको फ्लर्ट करना भी आता है , ये मुझे नहीं पता था ।

आरव ( मुस्कुराते हुए कहता है ) - अब तुम मेरी बातों का जो मतलब निकालो। मुझे तो सब मंजूर है ।

कायरा मुस्कुरा देती है और दोबारा अपनी चाय पीती है । आरव अपनी चाए फिनिश कर चुका था । कायरा उससे कहती है ।

कायरा ( अपनी चाए फिनिश कर ) - अच्छा आप मुझसे कुछ बात करने वाले थे । बताइए क्या बात थी ???

आरव अब कायरा की बात सुन थोड़ा गंभीर हो जाता है और कायरा से कहता है ।

आरव ( हकलाते हुए ) - वो .... मैं .... कायरा .... उ...उस.....।

कायरा आरव की बातें सुन खिलखिलाकर हंस देती है । आरव उसे देख, थोड़ा हैरान सा हो जाता है । कायरा हंसते हुए ही उससे कहती है ।

कायरा - आरव !!! आप फिर से स्टार्ट हो गए । थोड़ी देर पहले ऑफिस में भी आप ऐसे ही अटक - अटक कर बोल रहे थे । फिर मुझे झूठा गुस्सा दिखाना पड़ा था।

आरव ( हैरानी से ) - तुमने झूठा गुस्सा दिखाया था???

कायरा ( मुस्कुराते हुए ) - तो क्या करती !!!! अब आपके मुंह से अपनी बात उगलवाने के लिए, मैंने ये तीर ट्राय किया था । और वह तीर निशाने पर लग भी गया ।

आरव - पर तुमने तो मुझे डरा ही दिया था उस वक्त।

कायरा ( उसकी हंसी उड़ाते हुए ) - आपको भी डर लगता है ??? और वो भी मेरे गुस्से से ????

आरव - अब तुम इतना जोर से चिल्लाओगी, तो मैं तो क्या , कोई भी डर जाएगा ।

कायरा आरव की बात पर उसे शक भरी निगाहों से देखती है, तो आरव सकपकाते हुए कहता है ।

आरव - अरे ...... अरे , मैं तो बस ऐसे ही कह गया था । तुम.....तुम बुरा मत मानो , मैं तो बस ऐसे ही........।

कायरा आरव का चेहरा देख अपनी हंसी नहीं रोक पाती है । तो आरव एक बार फिर हैरानी से कायरा को देखता है । तो कायरा अपनी हंसी कंट्रोल करते हुए कहती है।

कायरा - सॉरी ....., सॉरी आरव । आपका चेहरा देख मुझे हंसी आ गई । अच्छा, अब आप अपनी बात कहिए, जिसके लिए हम यहां आए थे । वरना मैं फिर सच में आप पर गुस्सा हो जाऊंगी ।

आरव ( मुस्कुराते हुए ) - नहीं ...., नहीं ..... । मैं ऐसे ही बोल देता हूं । तुम्हें गुस्सा करने की कोई जरूरत नहीं है । ( कायरा मुस्कुरा देती है , पर आरव फिर से गंभीर हो कहता है ) कायरा ......!!!! ( अपनी नजरें झुकाते हुए ) मुझे माफ़ कर दो ।

कायरा ( हैरानी से ) - ये आप क्या कह रहे हैं आरव ????!!! सुबह की बात के लिए तो आप वैसे भी माफी मांग ही चुके हैं । फिर अब किस बात को लेकर आप मुझसे माफ़ी मांग रहे हैं ???

आरव ( उदास होकर ) - उस दिन के लिए ...., जब तुमने गलती से कॉफी पी ली थी।

कायरा ( असमंजस की स्थिति में ) - उस दिन के लिए ??? उस दिन ऐसा तो कुछ नहीं हुआ था, जिसकी वजह से आपको मुझसे माफ़ी मांगना पड़े।

आरव ( कायरा का हाथ पकड़ , उसकी आंखों में देखते हुए कहता है ) - हुआ था कायरा.........! हुआ था......, ( कायरा अब भी असमंजस की स्थिति में आरव को देखती है ) उस दिन , तुम्हारे चाए का कप मैंने चेंज किया था । पर तब सच में मैं नहीं जानता था , के तुम्हें कॉफी से एलर्जी है ।

कायरा को अब आरव की बात समझ में आने लगती है और वह आरव की आंखों में झांकते हुए कहती है ।

कायरा - और आपने क्यों कप चेंज किए थे????

आरव अब कायरा का हाथ छोड़ देता है , और कायरा के प्रश्न पर चुप होकर सोचने लगता है, के अब मैं क्या कहूं । क्योंकि आरव ने ये एक्सपेक्ट किया ही नहीं था , के कायरा ये प्रश्न भी पूछ सकती है , जबकि ये प्रश्न स्वाभाविक था । पर आरव अपने में ही खोया था, इसी लिए उसे इस तरह के प्रश्न का ध्यान ही नहीं आया । जब आरव बहुत देर तक खामोश रहता है, तो कायरा एक बार फिर उससे कहती है ।

कायरा - आरव , आपने मेरे क्वेश्चन का आंसर नहीं दिया ।

आरव - वो .... कायरा ... , आज की तरह ही उस दिन भी मेरा चाए पीने का मन था । हमें उस दिन ऑफिस आने की जल्दी थी , इस लिए मैंने दूसरी चाय न मंगा कर, तुम्हारी चाए ले ली और तुम्हारे सामने कॉफी का कप रख दिया ।

इतना कह आरव चुप हो जाता है । आज आरव कायरा के सामने झूठ बोल गया था , क्योंकि वह अभी कायरा को अपने प्यार का सच बता, उसे खोना नहीं चाहता था । क्योंकि अभी उसे सच पता चले ऐसा माहौल नहीं था, उस वक्त का। कायरा आरव का जवाब सुन कुछ नहीं कहती , क्योंकि शायद उसे किसी और जवाब का इंतेज़ार था । इस लिए वह थोड़ी उदास हो जाती है । आरव कायरा को शांत देख उससे कहता है ।

आरव - कायरा तुम मुझे माफ़ नहीं करोगी ???? सच में, मैंने जानबूझ कर ऐसा नहीं किया था । पर हां अनजाने में ही सही, गलती तो मुझसे हो ही गई। और जब तक मैं तुमसे ये बात कह नहीं पाया था, तब तक मुझे अच्छा महसूस नहीं हो रहा था । पर कायरा जब तक तुम मुझे माफ़ नहीं कर दोगी , तब तक मैं खुद को भी माफ नहीं कर पाऊंगा । मैं अपने किए के लिए बहुत शर्मिंदा हूं कायरा । प्लीज फाॅरगिव मी।

कायरा आरव की बात सुन उसके हाथों को पकड़कर उससे कहती है।

कायरा - आरव , आपकी इसमें कोई गलती नहीं थी । इस लिए आपको शर्मिंदा होने की कोई जरूरत नहीं है । जो भी हुआ अनजाने में हुआ । और रही माफी की बात , तो मैं आपसे नाराज़ थी ही नहीं । इस लिए आपको मुझसे माफ़ी मांगने की कोई जरूरत नहीं है ।

आरव कायरा की कहीं हुई बातों से, अब रिलेक्स महसूस कर रहा होता है । और मुस्कुराकर वह कायरा से थैंक्यू कहता है । थोड़ी देर रुकने के बाद आरव कायरा से कहता है ।

आरव - कायरा , तुमसे एक बात पूछूं ????

कायरा ( मुस्कुराते हुए ) - जी पूछिए।

आरव - क्या तुम्हें सच में उस दिन पता नहीं चला, के तुमने जो पिया था वह चाए थी या कॉफी।

आरव की बात पर कायरा के चेहरे की हंसी गायब हो जाती है । वह बात बदलते हुए कहती है ।

कायरा ( हाथ में पहनी हुई घड़ी की ओर इशारा करते हुए ) - आरव , सात बज चुके हैं । इससे ज्यादा अगर मैं और रुकी तो लेट हो जाऊंगी ।

आरव ( मुस्कुराते हुए ) - कोई बात नहीं कायरा , वैसे मैंने जिसके लिए तुम्हारे साथ मीटिंग फिक्स की थी , वह बात तो हो चुकी है । अब हमें चलना चाहिए । तुम चलो, मैं बिल पे करके आता हूं ।

कायरा ( पर्स से पैसे निकालते हुए कहती है ) - आरव, रुकिये। मैं बिल पे करूंगी । आप चलिए मैं आती हूं।

आरव ( कायरा के हाथ से पैसे, टेबल में रखे उसके पर्स में डालते हुए कहता है ) - नहीं कायरा , इसकी कोई जरूरत नहीं है । वैसे भी मैंने तुम्हें यहां इन्वाइट किया था , तो उस हिसाब से मेरी ही जिम्मेदारी बनती है , बिल पे करने की ।

कायरा - पर , आरव ......!

आरव ( उसकी बात काटते हुए ) - दोस्ती के नाते क्या तुम मुझे इतना भी नहीं करने दोगी ????

कायरा आरव के अपने पन को देख मुस्कुरा देती है । और आरव बिल पे कर उसके पास आता है । दोनों ही एक साथ कॉफी शॉप से बाहर आते हैं । कायरा मुस्कुरा कर आरव को बाय कहती है । क्योंकि इससे ज्यादा शायद वह अभी आरव से बात नहीं करना चाहती थी । आरव भी कायरा से बाय कह कर अपने घर की ओर निकल जाता है । और कायरा भी अपने घर निकल जाती है । आज कायरा टाइम पर अपने घर पहुंच गई थी। इस लिए दादी भी टाइम पर कायरा को आया देख कुछ नहीं कहती । और कायरा शांति से अपने कमरे में चली जाती है । रात का डिनर कर, वह अपनी दवाई ले कर सो जाती है ।

आरव भी अपना काम निबटा कर , सभी के साथ डिनर कर जल्दी ही सो जाता है । उसे कायरा से अपनी बात कहकर, अब बहुत हल्का महसूस हो रहा था । इसलिए वह भी आज जल्दी ही बिना किसी चिंता के सो जाता है .......।

क्रमशः

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