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डरावना ख्वाब

आज ईद की चाँद रात है और कल ईद है हम सब बच्चे कल के लिए बहुत ही ज्यादा खुश है हम लोग इफ्तारी के बाद ईद का चाँद देखने के लिए उपर छत पर जाते है और चाँद देख कर अपनी दादी अम्मी के पास ईद मुबारक बोलने के लिए दोड पड़ते है हमारी दादी छोटे अब्बू के पास रहती थी हम सब मिलकर छोटे अब्बू के घर जमा हो जाते थे इस दीन पूरा परिवार एक जगह इकट्टा होता है और हम सब मिलकर खूब मजे करते कल के लिए खूब सारी प्लानिग करते थे की कल हम कहा कहा घुमने जायेगे क्या क्या खायेगे रात में भाई के साथ फिल्म देखने जायेगे लेकिन छोटी उदास बेठी थी क्यूकी उस के ईद के कपडे नही आये थे तभी भाई आये में और छोटी भाई के साथ बाजार गये और उस के लिए बहुत ही खुबसूरत सी ड्रेस खरीदी हमे बाजार से लोटने में काफी देर हो गयी थी जब हम वापस आये तो अम्मी लोग मिलकर ईद की तय्यारिया करती थी

फिर हम लोग दादी अम्मी के पास जाकर जमा हो गये क्यूकी दादी अम्मी अपने टाइम की पुरानी और दिलचस्प बाते बताती काफी देर हो गई अब हमे अपने घर भी जाना था में और मेरी बहन अपने घर जाने के लिए खड़े हुए तो दादी अम्मी ने हमे अपने पास ही रुकने को कहा हम मना नही कर पाए लेकिन नींद तो आनी नही थी मुझे लगा मुझे ही नींद नही आ रही पर छोटी को भी नींद नही आ रही थी मेने उस की तरफ देखा और पूछा नींद नही आ रही है क्या मेरे इतना बोलते ही वो रोने लगी बोली घर जाना है अब में उसे रोता नही देख सकती थी हम दोनों ने दादी अम्मी की तरफ देखा तो वो सो चुकी थी हम दोनों वहा से चुपके से निकल लिए रात बहुत अँधेरी थी और हम ने घडी में समय भी नही देखा क्या हुआ था एक तो रात का अँधेरा उपर से ठण्ड भी बहुत लग रही थीठंडी ठंडी और सायें सायें कर के हवा चल रही थी कही छम छम की आवाज आ रही थी हम दोनों एक दुसरे का हाथ पकडे जा रहे थे हमारे घर और छोटे अब्बू के घर के बीच काफी दुरी थी और बीच में झाडिया भी पडती थी वह से निकलना काफी मुसकिल हुआ करता था हम दोनों बहने डरते डरते अपने घर की और बड रहे थे तभी हमारी नजर एक सफ़ेद कपडे वाले बेठे हुए आदमी पर पड़ी वह बेठा हुआ था हम दोनों के दिल बहुत तेजी से धडकने लगे मेने छोटी का हाथ बहुत मजबूती के साथ पकड़ा हुआ था वह बहुत ज्यादा डर रही थी डर तो में भी रही थी पर में उस से बड़ी थी उस के सामने में डरपोक नही बनना चाहती थी में उसे दिलासा देते हुए आगे बडती रही जब हम उस के थोड़े नजदीक आये तो मेने उस से डर कर कहा बाबू चपल हाथ में लेकर तेजी से भाग तभी हमे कुछ आदमियो के बाते करने की आवाज आई कुछ लोग बाते करते हुए जा रहे थे उन को देखकर हमारे जान में जान आई हम दोनों बहने उन के पीछे पीछे चल दिए उस सफ़ेद कपडे वाले के जब हम करीब से गुजरे तो देखा वो तो मूंगफली बेचने वाले अंकल थे उन की साइकल खराब हो गयी थी वो बेठ कर अपनी साईकिल ठीक कर रहे थे उन्हें देखकर हम निडर हो कर आगे बड़ने लगे हमे लगा अब हम घर पहुँच जायेंगे जिन लोगो के हम पीछे पीछे जा रहे थे वो लोग आगे जाकर गली में मुड गये थे हम दोनों बहने फिर से अकेले पड़ गये अब घर आने में थोड़ी ही दूरी है एसा बोलते हुए में छोटी को आगे बड़ा रही थी थोड़ी दूर जाने पर लगा भाई आ गया हमे लेने के लिए मेंने भाई का हाथ पकड़ लिए और छोटी ने मेरा हाथ पहले ही पकड़ रखा था भाई से बाते करते हुए हम थोडा ही आगे बड़े थे तभी मेरे मन में आया की भाई मेरी बातो का कोई जवाब क्यू नही दे रहे है मेने भाई से पूछा भाई क्या हुआ है बोल क्यू नही रहे हो उन्होंने तब भी मेरी तरफ नही देखा मुझे लगा शायद भाई को भी डर लग रहा है इसलिए भाई शांत चल रहे है झाडी के पास आते आते मेने भाई का हाथ और तेजी से पकड़ लिया तभी वो मेरी तरफ देखने लगे मेने देखा उन का आधा चेहरा नही था हम दोनों ने बहुत तेजी से चलाई तभी मेरी आंखे खुल गयी इतनी ठण्ड में भी में पसीना पसीना हो रही थी में बहुत डर गयी मेने चारो तरफ नजर घुमा कर देखा में कहा हु में अपने कमरे में अपनी बहन के साथ सो रही थी ये एक डरावना सपना था अपनी बहन को सोता देख मेरे दिल को बहुत सुकून मिला सुबह हो गयी थी अम्मी जल्दी जल्दी अपना काम कर रही थी और हमे उठने के लिए बोल रही थी मेने सब को उठा दिया उठो आज ईद है फिर हमने ख़ुशी ख़ुशी ईद का त्यौहार मनाया ईद मुबारक

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