रिस्की लव - 39 Ashish Kumar Trivedi द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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रिस्की लव - 39



(39)

अंजन इतना तो समझ गया था कि मीरा के धोखा देने के बावजूद भी वह उससे प्यार करता है। तभी इतने मौके मिलने पर भी उसे उसके किए की सज़ा नहीं दे पाया। जिस दोस्त ने उसकी इतनी मदद की उसने मीरा के लिए उसके ही गिरेबान में हाथ डाल दिया। सागर खत्री का प्रस्ताव सुनते ही उसके तन बदन में आग लग गई थी। वह अपने पर काबू नहीं रख पाया। गुस्से में उसका गिरेबान पकड़ लिया।
अंजन ने अपने आप को कभी भी इतना मजबूर नहीं पाया था। जितना इस समय मजबूर था। इस समय वह बहुत अधिक दुविधा में था। वह कुछ समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे। एक तरफ मीरा थी जिसे वह बहुत अधिक चाहता था लेकिन उसने उसे धोखा दिया था। दूसरी तरफ उसका दोस्त था। जिसने कठिन समय में उसकी बहुत सहायता की थी। लेकिन वह मीरा के बारे में ऐसी बात कर रहा था जो उसे पसंद नहीं थी। इस समय उसकी मजबूरी यह थी कि वह अपने दोस्त सागर खत्री की मेहरबानी पर था।‌ उसका अपना सबकुछ मुंबई में छूट गया था। उस पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। उसके लिए अपने आपको बचाना ज़रूरी था। ऐसे में अपने दोस्त सागर खत्री को खुश रखना ही अक्लमंदी थी।
उसने सागर खत्री का गिरेबान पकड़ कर उसे नाराज़ कर दिया था। उसे खुश करने का एक ही रास्ता था। उसके प्रस्ताव को स्वीकार कर ले। पर ऐसा करना उसके लिए कठिन था।
वह परेशान सा अपने कमरे में टहल रहा था कि उसके फोन की घंटी बजी। गोवा में स्थित पर नज़र बनाए हुए उसके आदमी का फोन था। उसने खबर दी कि समर गिरफ्तार हो गया है। इंस्पेक्टर कौशल सावंत निर्भय और मानवी से डिसूज़ा विला मिलने गया था।
यह जानकारी मिलने के बाद अंजन ने दिमाग लगाना शुरू किया।‌ समर ने ज़रूर उसका नाम लिया होगा। उसने यह भी बताया होगा कि मानवी और निर्भय से उसकी दुश्मनी है। इसलिए ही वह दोनों को किडनैप कर मुंबई बुला रहा था।‌ इन सारी बातों का एक ही मतलब था कि अब पुलिस ने उसके बारे में पता कर उसकी तलाश शुरू कर दी होगी।
अंजन परेशान होकर बिस्तर पर गिर गया। अगर पुलिस ने एक मामला उखाड़ना शुरू किया तो कई सारे मामले बाहर आ जाएंगे। अब तक वह जो भी कर रहा था पुलिस की नज़र में नहीं आया था। पर इस एक मामले से वह पुलिस की निगाह में चढ़ गया है। अब तो उसके लिए कोई चांस नहीं बचा है।‌ वह पूरी तरह बर्बाद हो गया है।
यह खयाल आते ही वह हताशा में ज़ोर से चिल्लाया। उसने कितनी मुश्किल से सबकुछ खड़ा किया था। पर अब सबकुछ रेत की तरह उसकी मुठ्ठी से फिसलने वाला है।
कुछ देर वह हताशा में छटपटाता रहा। फिर उसने सोचा कि इस तरह हताश होने से कुछ हासिल नहीं होगा।‌ वह तो मौत को मात देकर वापस आया है। फिर इतनी आसानी से सबकुछ कैसे छोड़ सकता है।‌ भावनाओं में बहने की जगह उसे होशियारी से काम लेना होगा। कुछ ऐसा करना होगा जिससे वह अपना खोया हुआ सबकुछ दोबारा पा ले।
इस समय उसकी सहायता केवल सागर खत्री कर सकता था। उसके ज़रिए ही वह मुंबई में उन लोगों से सहायता मांग सकता है जिनकी उसने यह सोचकर सहायता की थी कि आड़े वक्त में काम आएंगे।

अंजन सागर खत्री के पास गया।‌ वह उस समय कहीं जाने की तैयारी कर रहा था। अंजन को देखकर उसने कहा,
"उम्मीद है नशा और गर्मी दोनों उतर चुके होंगे। तुम्हें भी खबर तो मिल ही चुकी होगी। समर पुलिस के हाथ आ गया है। अब पुलिस तुम्हारी खोज में है।"
अंजन ने उसके सामने हाथ जोड़ दिए। अपनी आवाज़ में पछतावा लाकर बोला,
"मुझे माफ कर दो। सचमुच उस समय मैं होश में नहीं था। उस लड़की के लिए तुम्हारे गिरेबान में हाथ डाल दिया।‌ मैं उस हरक़त के लिए बहुत पछता रहा हूँ।"
"अच्छा है कि यह बात समझ जाओ कि वह लड़की तुम्हारे लिए सिर्फ मुसीबत पैदा कर सकती हैं। फिलहाल तो मुझे किसी ज़रूरी काम से बाहर जाना है। जब लौट कर आऊंँगा तब इस बारे में बात करेंगे।"
यह कहकर सागर खत्री चला गया। अंजन यह सोचकर खुश था कि उसने अपने पछतावे का यकीन दिला दिया।

इंस्पेक्टर कौशल सावंत ने मुंबई में मानवी के बारे में तफ्तीश की। इस बात के साक्ष्य मिल गए कि जिस वक्त अंजन पर जानलेवा हमला हुआ था वह मुंबई में ही थी। इस आधार पर इंस्पेक्टर कौशल सावंत ने मानवी और निर्भय को ‌पुलिस स्टेशन पूँछताछ के लिए बुलाया था। निर्भय ने मानवी को बहुत ‌समझाया था कि वह परेशान होकर कुछ ऐसा ना कहे जो उनके लिए मुश्किल खड़ी कर दे। पर इंस्पेक्टर कौशल सावंत ने उससे और मानवी से अलग अलग कमरों में पूँछताछ की। मानवी पूँछताछ का दबाव सह नहीं पाई। उसने सबकुछ बता दिया। इंस्पेक्टर कौशल सावंत ने मानवी और निर्भय को ‌अंजन पर जानलेवा हमला करने के लिए गिरफ्तार कर लिया।
अब अंजन को कानून के शिकंजे में लाना था। मानवी ने उसके बारे में बहुत कुछ बताया था। इंस्पेक्टर कौशल सावंत ने मुंबई पुलिस से संपर्क कर उन्हें सारे मामले की जानकारी दी।
मुंबई का असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर सत्यपाल वागले भी अंजन के काले कारनामों की जांच पड़ताल कर रहा था। इंस्पेक्टर कौशल सावंत से इस नए केस की जानकारी मिलने पर उसने फौरन अंजन के नाम पर वारंट जारी करवा दिया।‌ अब मुंबई पुलिस अंजन की खोज में जुट गई। इसी बीच एसीपी सत्यपाल वागले ने अंजन के दूसरे कारनामों का चिठ्ठा खोलना शुरू कर दिया। वन विभाग की जिस ज़मीन पर उसके रिज़ॉर्ट का निर्माण हो रहा था वहाँ से पुलिस को दो नर कंकाल मिले। जांच से पता चला कि उनकी हत्या कुछ महीनों पहले ही हुई थी।
एसीपी सत्यपाल वागले ने तरुण काला की फिशिंग कंपनी की आड़ में चल रहे अंजन के मानव तस्करी के धंधे का भी पता लगा लिया। अंजन को लंबी सज़ा दिलाने के लिए बहुत सारे सबूत एकत्र हो गए थे। अब इंतज़ार था उसे कानून की गिरफ्त में लेने का।

अखबारों में अंजन के गैर कानूनी धंधों में लिप्त होने की खबरें छप रही थीं। टीवी चैनलों के प्राइम टाइम में ‌उसके ऊपर चर्चा हो रही थी। सफेदपोश के काले धंधे, पापी मसीहा, दानी डॉन जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे थे। इन पर लोग अपनी राय रख रहे थे। बहुत से लोगों का कहना था कि अंजन को जल्दी से जल्दी गिरफ्तार कर उसे कड़ी सज़ा दी जाए। वहीं ऐसे लोगों की भी कमी नहीं थी जो अंजन को बेगुनाह मान रहे थे। उसके अच्छे कामों की फेहरिस्त गिना रहे थे। उनका कहना था कि यह एक साज़िश है। एसीपी सत्यपाल वागले अपनी व्यक्तिगत दुश्मनी निकाल रहे हैं।
एक साल पहले भी एसीपी सत्यपाल वागले ने अंजन पर कुछ सवाल उठाए थे। तब भी मीडिया में खूब हल्ला उठा था। पर तब अंजन ने अपनी पहुँच का इस्तेमाल कर मामले को दबा दिया था। तब एसीपी सत्यपाल वागले को अपने आला अधिकारियों की डांट खानी पड़ी थी। सोशल मीडिया पर उसका खूब मज़ाक बना था। लोगों का कहना था कि एसीपी सत्यपाल वागले ने अंजन की गैर मौजूदगी में उसके खिलाफ षड्यंत्र रचा है।
सोशल मीडिया पर अंजन के विरोधी और समर्थकों के बीच खूब नोंकझोंक चल रही थी। विरोधियों की दलील थी कि अगर अंजन निर्दोष है तो वह मुंबई से भागकर क्यों चला गया। इतना सबकुछ होने पर अपने आप को निर्दोष साबित करने के लिए सामने क्यों नहीं आ रहा है। लेकिन अंजन के समर्थक कुछ सुनने को तैयार नहीं थे।
अंजन के कुछ समर्थकों ने एसीपी सत्यपाल वागले के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था।

नफीस और शाहीन डिनर कर रहे थे। टीवी पर अंजन के बारे में एक बहस चल रही थी। उसका समर्थन करने वाला एक शख्स बहुत भावुक होकर बता रहा था कि किस तरह उसके बीमार बच्चे के इलाज में अंजन ने उसकी मदद की थी। उसने कावेरी देवी मेमोरियल हॉस्पिटल में उसका अच्छा इलाज कराया था। वैसे इलाज का खर्च तो वह अपना सबकुछ बेचकर भी नहीं उठा सकता था। वह बार बार यही कह रहा था कि उस देवता ने मेरे बच्चे की ज़िंदगी बचा ली। आज उसके नाम पर कीचड़ उछाला जा रहा है।
टीवी पर उस आदमी की बात सुनकर शाहीन ने कहा,
"इस गरीब आदमी को क्या कहूँ। पर अंजन जैसे लोग कितनी चालाकी से इनकी भावनाओं का लाभ उठाते हैं। कुछ पैसे खर्च कर इनका समर्थन पा लेते हैं। अंजन जितने संगीन गुनाह कर रहा था उनकी माफी नहीं हो सकती है।"
नफीस भी उस आदमी की बात सुनकर यही सोच रहा था। उसने कहा,
"हमारे देश में लोगों का हीरो बनना बहुत आसान है। लोगों की ज़िंदगी में इतनी मजबूरियां हैं कि अगर कोई थोड़ी सी भी मदद करता है तो उनके लिए देवता बन जाता है। फिर लोग उस आदमी के गलत कामों पर भी ध्यान नहीं देते हैंं। पर जैसा तुमने कहा था किए गए गुनाहों की सज़ा तो मिलेगी ही।"
शाहीन ने उसकी बात का समर्थन किया। खाने के बाद नफीस स्टडी में बैठकर अंजन के समाज सेवा के कामों के बारे में अलग अलग अखबारों और पत्रिकाओं में पढ़ने लगा।