समीर अब एक कामयाब डॉ बन गया था और उसने आपरेशन बहुत ही बखूबी से कर भी दिया वो एक भगवान बन गया था मरीजों के लिए ,बस दिल के हाथों मजबूर हो गए थे। । और अब आगे।
रानो बुआ आकर बोली अरे शालू ऐसे कैसे जिएंगी तू , एक बार तू समीर के घर जा।
शालू बोली किस मुंह से जाऊं । क्या पता वो शादी कर लिया हो।
फिर शालू के आफिस से पिकनिक स्पॉट पर जाने की तैयारी होने लगी। एक हफ्ते की टूर थी वो भी महाबलेश्वर ।।
सब कुछ पैकिंग कर लिया ना शालू ,ये बुआ ने पूछा।
शालू ने कहा जाने का मन तो नहीं है पर जाना होगा।बुआ बोली क्यों मायुस होती है।
उधर इन सब से अनजान समीर का दोस्त विकास और उसकी पत्नी भी महाबलेश्वर जाने का फैसला करते हैं और समीर को भी मनाते हैं पर समीर नहीं जाना चाहता है।
विकास ने कहा एक बार चल तो शायद तुझे तेरी मंजिल मिल जाए।
समीर हंस कर बोलता है अच्छा फिर चलते हैं। समीर भी सब कुछ पैक कर लेता है।
फिर दोनों ही निकल गए एक ही रास्ते पर जिनकी कभी मंजिल भी थी एक।
शालू भी गाड़ी में जितने कलिग थे उसी हिसाब से गाड़ी अरेंज किया गया था
शाम तक ये लोग महाबलेश्वर पहुंच गए ये लोग पहले से ही एक रिसॉर्ट बुक करवा दिया था
समीर को रिसोर्ट देख कर ही शालू की याद आ गई।
विकास ने दो रूम बुक करवा दिया था।
समीर अपने रूम में चला गया और कुछ देर बाद ही शालू की गाड़ी भी उसी रिसोट पर पहुंच गई।
लेडीस के लिए अलग-अलग रूम लिया गया था। शालू और रोजी ने एक रूम शेयर किया।
शालू को सिर्फ सोमू का ख्याल आ रहा था और फिर वो बिना खाना खाए सो गई।
शालू सुबह उठकर रिसोर्ट घुमने निकल गई और शेखर भी शालू के पीछे हो लिया और मैम, मैम करता रहा।
समीर भी सुबह की चाय पी कर बाहर निकल आया और घूमने लगा और किस्मत का लेखा वो शालू से टकराते हुए कहा सो साॅरी!
इतना कहकर जैसे ही पीछे मुड़कर देखा तो शालू खड़ी थी और शेखर भी था।
समीर शालू को देखते ही अनजान बन गया और बस आगे निकल गया और शालू पीछे ही खड़ी रही।
समीर सोचने लगा कि ये शालू का हसबैंड होगा।
शायद हनीमून मनाने आए हैं।
वो जल्दी अपने कमरे में आ गया और सोचने लगा कि शायद मुझे यहां से जाना होगा।
विकास ने आकर कहा अरे समीर चल हमें निकलना होगा।
समीर ने कहा यार मेरा मन नहीं है।
विकास बोला अरे नहीं ऐसा मत बोल चल जल्दी तैयार हो जा।
समीर थोड़ा सा मायूस होकर तैयार होने बाथरूम चला गया।
उधर शालू तो एक दम तड़प उठी वो बस समीर से मिलना चाहती थी।
फिर शालू के आफिस स्टाफ भी रेडी हो कर निकल गए।
सभी टुरिसट लोगों को एक ही डिलक्स बस मिला था
जिसमें समीर, विकास और उसकी पत्नी भी महाबलेश्वर घूमने निकल गए।
समीर शालू से पीछे बैठे थे और शालू दो सीट आगे थी। शालू बार ,बार पीछे मुड़कर समीर को देख रही थी।
पर समीर एक दम गुमसुम सा बैठा था और ये सोच रहा था कि क्या शालू खुश नहीं हैं अपनी शादी से।
बस एक रेस्तरां पर रुक गई दस मिनट के लिए।
फिर सभी यात्री धीरे-धीरे नीचे पहुंच कर खाने पीने का सामान खरीदने लगे।
समीर भी कोल्डड्रिंक लेने गए और शालू पीछे से बोली सोमू ये बहुत ठंडा होगा तुम्हें नुकसान करेगा।
समीर ने कहा क्या हम एक दूसरे को जानते है? शालू ने कहा अरे समीर तुम मुझे भुल गए।
समीर ने कहा भुलाना तो आपकी फितरत है मैडम, वैसे आप मुझे क्यों याद कर रही हैं आपकी तो शादी हो गई।
शालू ने कहा प्लीज़ सोमू एक बार मुझसे बात करो ।
समीर ने हंस कर कहा हां मैम क्यों बात करना है।
ये बोल कर समीर वहां से बस में बैठ जाता है।
विकास बोला अरे समीर शालू थी क्या?
समीर ने कहा हां मैडम को मेरी याद आ गई।
फिर शालू अपने आंसू को पोंछ कर बस में आकर बैठ गई।
ये शायद दोनों का सच्चा प्यार था जो फिर से मिले वरना मुम्बई में तो कौन आता है और कौन जाता है पता नहीं चलता है।
फिर बस में ही एक फिल्म शुरू हुआ वो भी "तुम बिन।" शालू का फेवरेट हीरो ,, समीर हंसने लगा और फिर वो खो गया कैसे कालेज बंग करके ये फिल्म देखने गया था और फिर शालू का लड़ना।ये लड़कियां भी ना कयामत होती है, इनके नखरे हाय तौबा।
कोई फरियाद मेरे दिल में दबी हो जैसे ,, तूने आंखों से कोई बात कही हो जैसे।।।।
विकास ने कहा अरे भाई कहां खो गया?
समीर ने कहा नहीं कुछ नहीं।
शालू तो खुद को रोक नहीं पा रही थी उसे जैसे भी हो समीर से बात करना था।
फिर बस महाबलेश्वर मंदिर जा कर रुकी।
सब धीरे-धीरे नीचे उतर गए।
गाइड करने वाले सबको महाबलेश्वर मंदिर के कपाट खुलने बंद होने से लेकर कर सारी चीज़ें बता रहे थे। फिर सब लोग मंदिर में जाकर दर्शन पूजन कर लिए।
शालू की आंखें समीर को ढुंढ रही थी।
समीर तो आगे निकल चुका था।
शालू।। शालू आवाज देता हुआ शेखर आ गया और बोला अरे मैम आप किसे ढुंढ रही है।
शालू खीज उठी और बोली अब मैं तुम्हें सब बताऊं क्या? शेखर ने कहा गुस्सा इतना। ठीक है।
शालू समीर को ढूंढने लगीं और काफी आगे निकल गई।
शालू समझ चुकी थी कि वह रास्ता भुल गई है।।
और फिर बढ़ी तो देखा वो एकदम अंतिम छोर पर खड़ी थी और नीचे खाई थी। शालू को ऊंचाई से डर लगता था हमेशा।
फिर समीर ने देखा तो कुछ बोले बिना सीधे दौड़ कर शालू के पास जाकर उसको अपनी ओर खींच लिया और बाहों में भर लिया उसको उठा कर वापस ले कर आया पर तब तक शालू बेहोश हो चुकी थी।
समीर ने बहुत कोशिश किया पर शालू को होश नहीं आया।
तभी एक नींबू पानी बेचने वाला आकर पानी का गिलास दिया समीर ने पानी का छींटा मारा शालू के चहरे पर और फिर शालू उठकर बैठ गई और इधर - उधर देखने लगी।
समीर बोला क्या बात है तुम मुझे देख कर बेहोश हो जाती हो हमेशा। और ये क्या नाटक है तुमको तो ऊंचाई से डर लगता है ना!
शालू बात काट कर बोली अरे मैं यहां कैसे?
तभी वो नींबू पानी वाला बोल पड़ा अरे सर ने तो एकदम फिल्मी हीरो की तरह आपको बचा लिया वरना यहां ऐसे हादसे हर रोज होते रहते हैं।
समीर बोला अरे ज्यादा मत बोल,दो ग्लास नींबू पानी पिला दे। बहुत दिन हो गया मटके का पानी पिएं।
नींबू पानी वाला बोला, हां सर जरूर पीजिए। एक बार जो पीएं बार -बार पीना चाहे।
फिर समीर और शालू ने नींबू पानी पिया और वहां से निकल गए।
रास्ते में समीर बोला अजीब हो ऊंचाई से डर लगता है पर वहां क्या तारे गिनने गई थी?
शालू गुस्से से लाल हो कर बोली मैं मरूं या जीऊं तुमको क्या?
समीर हंस कर बोला अरे वाह! मुझे क्या फर्क पड़ता पर बिचारे तुम्हारे पति को शाय़द ।।।।
शालू ने फिर समीर के मुंह में हाथ रख दिया और फिर बोली मेरी शादी नहीं हुई है हां, इतना ही कहना था।
ये बोल कर जाने लगी तो समीर ने कहा क्या मतलब है इसका ।।मजाक कर रही हो?
शालू ने कहा तुम को पता है मैं मजाक नहीं करती हुं।
समीर ने कहा हां। सही है तुम तो दूसरो कि बात पर विश्वास करती हो और हमेशा की तरह बिना बोले गायब हो जाती हो।
कहा से सिखा ये हुनर ।।।
शालू ने कुछ नहीं कहा और आगे बढ़ गई।
फिर सब लोग एक रेस्तरां में जाकर लंच करने लगे।
सभी मजाक मस्ती चल रही थी।
पर शालू गुमसुम सी बैंठी थी।
विकास बोला समीर तू तो हीरो बन गया यार।
समीर हंसने लगा।
फिर सब बस में जाकर कर बैठ गए।
वहां से सब वापस रिसोर्ट आ गए।
क्योंकि दूसरे दिन और सारे स्पोर्ट देखने जाना था।
शालू तो गुस्से में अपने रूम में चली गई।
बाकी सब अपने अपने कमरे में चले गए।
विकास बोला शालू से बात हुई तेरी? समीर ने कहा चल छोड़।
क्रमशः