बड़े होकर तुम क्या बनोगे DIPAK CHITNIS. DMC द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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बड़े होकर तुम क्या बनोगे

बड़े होकर तुम क्या बनोगे

DIPAKCHITNIS(dchitnis3@gmail.com)

एक दफा में एक स्कूल में गया था l पहली कतार में बैठा हुआ पहले लड़के से मैंने पूछा, “ तू कौन है ?”

उसने कहा, “ब्राह्मण हूं l”

दूसरे से पूछा ; उसने कहा, कोकणस्थ ब्राह्मण हूं l”

तीसरे से फिर यही सवाल पूछा l उसने सोचा, पहले दो के उत्तर में जरूर कुछ कमी रह गई है ; उसने उत्तर दिया, “ मैं ऋग्वेदीय कोकणस्थ ब्राह्मण हूं l”

सबसे अंत में एक लड़का बैठा था l मैंने उससे पूछा, तो हडबड़ा कर उठा और कहने लगा, “ मैं लड़का हूं l”

मैंने कहा, “ यह लड़का सच्चा जवाब देता है l”

आज के जमाने में यह हालत है कि मनुष्य यह भूल गया है कि, मैं मनुष्य हूं - और तो उसे सब कुछ याद है l गुरुद्वारे में जो बैठा है, वह सीख है l मंदिर में जो बैठा है, वह हिंदू है, मस्जिद में जो बैठा है वह मुसलमान है l कोई कांग्रेसी है, कोई कम्युनिस्ट है, कोई सोशलिस्ट है - सब के माथे पर एक चिप्पी लगी हुई है l हर मनुष्य पर केवल ऐक दो नहीं अनेक चिप्पीयां लगी हुई है l मैं ब्राह्मण हूं, भट्ट हूं, कांग्रेस का सदस्य हूं…. इतनी चिप्पीयां लगी हुई है कि आदमी दिखाई ही नहीं देता l

जो तुम लोग छोटे-छोटे बच्चे यहां बैठे हो, तुम्हारे सामने मैं अपनी इच्छा प्रकट करने आया हूं, हम चाहते हैं कि तुम अपने जमानेमें चिट्टियां हटा दो l मनुष्य मनुष्य है, वह ब्राह्मण भी नहीं है, हरिजन भी नहीं है, तुम्हारे जमानेका मनुष्य मनुष्य होगा l

पहली चीज जो तुम्हें सीखनी है, वह है- इस भारतवर्ष में तुम्हारे लिए कुछ सीमा नहीं l जोशीमठ और त्रिवेंद्रममें रहनेवाले लड़के दोनों का सारा देश एक देश है, और तुम्हें इसके नापक्का आदमी बनाना है l जितना बड़ा देश हो, उतना ही बड़ा आदमी चाहिए l अगले जमाने में देश में बड़े ऊंचे- पूरे आदमी होते थे l महात्मा गांधी, नेहरू, अब्दुल गफ्फार खान…. कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक का आदमी इन्हें जानता था l संकल्प करो कि तूम में से ऐसे आदमी निकले l

सीताजीने एक दफा अपनी मणियोंकी माला हनुमानजीको पहननेके लिए दी तो उन्होंने 11 मणि मालासे तोड़कर दांतो के बीच दबाई और कहां : “माताजी, मैं मणिको खोलकर देख रहा हूं कि इसमें राम है या नहीं l अगर राम होगा, तो मेरे काम की है - नहीं तो नहीं है l”

जब तुम बड़े होंगे, तो कोई व्यापारी बनेगा, कोई बाबू बनेगा, तो मैं तुमसे कहना चाहता हूं कि हनुमानकी तरह हर एक चीज को खोल कर देखो कि क्या उसमें राम है ? क्या उस में गिरे हुए को ऊपर उठाने की कोई चीज है ? दूसरों को चूसकर बनने का रोजगार है, या दूसरोंको ऊपर उठानेका है ?

मेरे जमानेके आदमियों ने यह नहीं देखा l मेरे जमानेके जितने रोजगार है, वे दूसरोंके चूसनेके है l कुछ आदमी ऐसे होते हैं, जो भेड़िएकी तरह खा जाते हैं और कुछ है ऐसे हैं, जो जोककी तरह मनुष्यका खून चूसते हैं l तेल में, आटे में, दवाइयों में मिलावट करने वाले - यह सब जोककी तरह है l दूसरा जो तलवार लेकर आता है, वह भेड़ियोंकी तरह है l तुम्हारी यह शपथ हो कि, नो किसी का खून चूसेगे, ना किसी को गिराएंगे l

तुम्हारे जमाने में तुम सब लड़के लड़कियोंको यह बात समझनी है कि मनुष्य की दूसरी सारी प्रतिष्ठा झूठी है ; समाज में सही मूल्य उतना ही है, जितना परिश्रम मनुष्य करता है l जब तुम्हारा जमाना आएगा, शान उसकी होगी जो ओजारोसे काम करेगा, जीवन के लिए चीजें बनाएगा l उसके ऐक हाथ में ‘ उपनिषद’ होगा और दूसरे हाथमें हेल होगा l वही सच्चा मनुष्य कहे लाएगा l