वो लड़का.... हॉरर - 2 भारती भानु द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वो लड़का.... हॉरर - 2

प्राची के पास अब हर वक़्त वो टैडी रहता था जो उसे हॉल की सफाई के वक़्त मिला था। मानस को ये बात जरा भी पसंद नहीं आई थी। दूसरे बच्चों को एक बार फिर मानस को छेड़ने का मौका मिल गया था।

"एक ही तो दोस्त थी बेचारे की उसे भी एक टैडी मिल गया।" एक लड़का मानस को देखकर उसे चिढ़ाते हुए बोला। मानस ने उसे घूर कर देखा

"हमें घूरने से क्या होगा? जाकर अपनी दोस्त से बोल कि तेरे साथ खेले।" उस लड़के ने मानस को धक्का देते हुए कहा

"लेकिन मुझे लगता नहीं वो मानेगी।" एक दूसरे लड़के ने कहा

"क्यों नहीं मानेगी?" पहले वाले लड़के ने बड़े नाटकीय ढंग से पूछा

"अरे! तूने देखा नहीं वो टैडी देखने में कितना प्यारा है! हाँ बस वो बात नहीं कर सकता फिर भी इससे तो बेहतर ही है... टैडी के 'टी' जैसी तो इसकी शक्ल है..!!" पहला लड़का बोला और फिर सब ठहाके लगा कर हँसने लगे।

मानस कुछ बोला नहीं, उन सबको अजीब नजरों से घूरते हुए वो वहाँ से चला गया। प्राची एक कोने में बैठी टैडी के साथ खेल रही थी। मानस दूर से देखता रहा उसकी आँखों में कुछ अजीब-सा था!! थोड़ी देर वो दूर से ही घूरता रहा और फिर तेज कदमों से चलकर प्राची के पास आया और टैडी को पकड़कर दूर फेंक दिया!

"अनस! ये क्या किया तुमने?" प्राची गुस्से से बोली

"फेंक दिया, मुझे नहीं पसंद वो!" मानस नाराजगी भरे स्वर में बोला

"तुम्हें जलन होती है, क्योंकि अब मैं तुम्हारी दोस्त जो नहीं हूँ।" प्राची गुस्से से बोली और टैडी की तरफ बढ़ी

"तुम मेरी दोस्त नहीं हो!!?"मानस के शब्दों में चिढ़, गुस्सा, दुख सब कुछ एक साथ था।

"नहीं हूँ मैं तुम्हारी दोस्त! तुमने मेरा टैडी फेंक दिया।" प्राची बोली और तेजी से टैडी की तरफ बढ़ गई। टैडी बारिश के जमा पानी में गिर गया था और गीला भी हो गया था। प्राची ने उसे उठाया और तुरंत अपनी सोने वाली जगह पर चली गई।

"तुम्हें ठंडी लग रही है? मानस ने जानबूझकर तुम्हें पानी में फेंफा ताकि तुम गंदे हो जाओ। अब तुम आराम करो हम बाद में मिलेंगे।" प्राची ने कहा और टैडी को अपनी कंबल से ढक दिया। वो देख नहीं पाई कि पानी लगने की वज़ह से टैडी पर चिपकी वो अजीब पीली चीज का रंग हल्का हरा हो गया था और वो कांप भी रहा था।

प्राची और मानस के बीच हुई इस झड़प को कुछ लड़को ने देख लिया था। मानस को चिढ़ाने के लिए उन्हें एक और बहाना मिल गया था। ऐसा नहीं था कि वहाँ के सभी बच्चे बुरे थे। कुछ बच्चों को मानस बहुत अखरता था क्योंकि वो खेल हो या पढ़ाई सब चीजों में आगे रहता था। वो लड़के मानस से दोस्ती भी करना चाहते थे लेकिन मानस को ज्यादा बात करना पसंद नहीं था। उसे बस अपने काम से काम रखना ही पसंद था। उसके इस व्यवहार को वो कुछ लड़के उसके घमंडी होने से जोड़ कर हमेशा उसको नीचा दिखाने की सोचते रहते थे। कुछ बच्चों को ये बात पसंद नहीं आती थी फिर भी वो कुछ नहीं बोलना चाहते थे। वो भी एक ऐसे लड़के के लिए जो उनसे बात भी नहीं करता था। एक प्राची ही थी जो अक्सर मानस की साईड लेती थी और जब कोई मानस की झूठी शिकायत करता तब प्राची तुरंत सब सच बता कर उन लड़को का मुँह बंद कर देती थी। लेकिन अभी कुछ दिनों से प्राची टैडी के साथ व्यस्त हो गई थी।

मानस उखड़ा हुआ सा अपना काम कर रहा था। तभी प्राची उसके करीब आई। मानस ने एक नजर उस पर डाली और वापस अपना काम करने लगा।

"सॉरी अनस!!" प्राची अपने दोनों कान पकड़ते हुए बोली

मानस ने उसकी तरफ देखा और फिर से अपने काम पर लग गया।

"अरे बाबा! अब सॉरी तो बोल दिया न! मुझे तुमसे झगड़ा नहीं करना चाहिए था।" प्राची अपना चेहरा मानस के करीब लाते हुए बोली

"मुझसे दूर रहो तुम!!" मानस हल्के गुस्से में बोला

"अच्छा ठीक है आज के बाद टैडी से कम बातें करूंगी और तुमसे ज्यादा," प्राची मानस को मनाते हुए बोली

"तुम जाओ यहाँ से!" मानस गुस्से में बोला और स्टोर रूम की तरफ बढ़ गया। उसे वहाँ की सफाई का जिम्मा सौंपा गया था। उसके पीछे-पीछे प्राची भी स्टोर रूम की तरफ चल दी। कुछ बच्चों ने दूर से ये देखा और चिढ़ कर मुस्करा दिए। वो नहीं चाहते थे कि मानस और प्राची की फिर से दोस्ती हो जाए। उनके बीच झगड़े को बढ़ाने के लिए दो चार लड़के छिपते-छिपाते प्राची के टैडी तक पहुँचे और बड़ी मेहनत करके टैडी का सिर बिगाड़ कर अलग भी कर दिया। अपनी विजय पर मुस्कराते वो बच्चे वहाँ से बाहर निकल गए लेकिन वो नहीं देख पाए टैडी के अलग हुए सिर को एक भयानक मुस्कान के साथ!

*****

"क्या बात है प्राची तेरे साथ नहीं है " एक लड़का जानबूझ कर मानस को छेड़ते हुए बोला। सुबह से शाम हो गई थी और उन लड़को को इंतजार था मानस और प्राची के बीच झगड़े होने का लेकिन अभी तक ऐसा कुछ वो देख नहीं पाए थे इसलिए जानबूझकर मानस को छेड़ रहे थे। मानस हमेशा की तरह चुपचाप एक तरफ से निकल गया। लड़को को ये देखकर और भी ज्यादा चिढ़ हुई।

"क्यों बे! तू खुद को समझता क्या है?" एक लड़का मानस का रास्ता रोकते हुए बोला

"अपने काम से काम रखो... वरना...!!" मानस ने अपना मुँह खोला। ऐसा लग रह था एक बकरी शेर के आगे मिमियां रही हो।

"अबे ये तो धमकी भी डरपोक स्टाईल में देता है।" एक लड़का उसकी खिल्ली उड़ाता हुआ बोला

"जैसे इसकी गर्दन पर गन रखकर इससे धमकी दिलवाई जा रही हो।" दूसरा लड़का बोला और सब ठहाके लगाने लगे। मानस को ये जरा भी अच्छा नहीं लगा लेकिन फिर भी वो चुप रहा।

रात को खाना खाते वक़्त उन कुछ लड़को ने ध्यान दिया कि प्राची वहाँ नहीं थी।

जल्द ही इस बात की खबर वार्डन और जेलर तक भी पहुँच गई। प्राची का कहीं अता-पता नहीं था। सभी का शक मानस पर था क्योंकि उन्होंने आखरी बार प्राची को मानस के पीछे-पीछे स्टोरूम की तरफ जाते हुए देखा था। उसके बाद से ही प्राची गायब थी।

मानस से प्राची के बारे में कुछ भी पूछे जाने पर वो खामोश ही रहता। वार्डन और जेलर अपने-अपने तरिके से मानस से पूछ चुके थे लेकिंन मजाल है कि उसके मुँह से एक शब्द भी निकला हो। आख़िकर चार-पांच दिन बाद प्राची की लाश बुरी हालत में स्टोरूम से बरामद की गई थी। सभी ये नजारा देख कर दहल चुके थे!!

क्रमशः