वो अनकही बातें - भाग - 10 RACHNA ROY द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वो अनकही बातें - भाग - 10

शालू ने समीर का फोन नहीं उठाया और समीर ने फोन करना भी नहीं छोड़ा और अब आगे।।




शालू को लखनऊ में आकर एक साल हो गए थे पर शालू अभी तक सोमू को ही अपने सपनों का राजकुमार ही मानती थी ।


और उधर समीर भी खुद को दोषी मान कर काम में इतना बिजी हो गया था कि ना तो खाने की फुर्सत थी और ना तो सोने का ठिकाना था।


कहते हैं ना प्यार में इंसान क्या-क्या न कर जाता है।

समीर हर रोज एक बार शालू को फोन करता पर शालू फोन नहीं लेती थी।


एक बार समीर ने बहुत सोचा और फिर मिनल का रेकाडिग शालू को भेज दिया और एक मेसेज भी दिया।

शालू मुम्बई के नम्बर को ज्यादा यूज नहीं करती थी पर एक दिन उसने समीर का वाॅयस मेल देखा और जब खोला तो मिनल की आवाज सुनकर एक दम आश्चर्य हो गई और फिर जो -जो बातें उसने सुनी वो सुनकर सुबक सुबक कर रोने लगी

फिर बोली ओह माई गॉड ये क्या कर दिया मैंने।

इतना बड़ा फैसला इतनी जल्दबाजी में ले लिया।

सोमू मुझे कभी माफ नहीं करेगा और मैं कैसे कहूं अपनी अनकही बातें जो बरसों से दबी हुई है मिनल ने ऐसा क्यों किया सिर्फ नादानी की वजह से।

रानो बुआ को भी सब बातें बताया शालू ने ये सुनकर कर रानो बुआ बोलीं शालू तुझे वापस जाना होगा एक बार समीर से बात कर लें।

शालू ने फिर बहुत हिम्मत करके समीर को काॅल किया पर समीर ने फोन नहीं उठाया क्योंकि उन दिनों समीर अपने दोस्त विकास की शादी में शरीक होने दिल्ली गए हुए थे।

शालू ने समझा कि सोमू नाराज हैं तो अब उसे परेशान करना ठीक नहीं।
शालू सोचने लगी क्या किस्मत का खेल है जिसमें मै तो कठपुतली बन गई है।

समीर अपने दोस्त की शादी में पुरी तरह से खुद को व्यस्त रखने वाले थे।
विकास ने कहा यार समीर तू भी शादी कर ले। समीर हंस कर टाल दिया और कहा कि अब और शादी नहीं कर सकता।

विकास ने कहा मौका भी है और दस्तूर भी है।

समीर ने कहा हां सब कुछ तो है यारा लेकिन मेरी शालू नहीं है। मैं उसके बिना कैसे शादी करूं।

विकास ने कहा हां पर ऐसे कैसे यारा कुछ तो होगा जो तुमसे छुट रहा हो ।


समीर सोचने लगा और जब मुम्बई वापस आया और आते ही डायरी लेकर बैठ गया।

समीर ने सोचा कि कोई तो बात होगा इस डायरी में मुझे पढ़ना होगा।

आगे लिखा था समीर ने कुछ नहीं कहा और मैं भी कुछ नहीं कह पाई और मैं रानो बुआ के पास लखनऊ आ गई। वहां पर बहुत सारे रिश्ते मैंने ठुकरा दिया था क्योंकि मुझे तो सोमू ही चाहिए था मैं खुद को उसकी पत्नी मान चुकी थी।और सोमू क्या चाहता था उसका मुझे सरोकार नहीं था।पर हम एक ही बार प्यार करते हैं और बस।।

समीर ने हंस कर कहा मैं क्या चाहता हूं ये शालू पहले ही तुम्हें घर में बताया था।

आगे लिखा था आज अचानक राजीव मुझे शादी का प्रस्ताव दिया और मैं कुछ कहां क्यों नहीं।
उस रात पार्टी में राजीव मेरे साथ बदतमीजी करने की कोशिश किया और मैं वहां से निकल गई।

फिर वही बरसात की रात मैं सोमू के घर में थी। बरसों बाद उसे देख मैं खुद को रोक नहीं पा रही थी क्या पता उसकी शादी हो गई हो।

बस इतना पढ़ कर समीर सोचने लगा कि शायद लखनऊ में है शालू और फिर उसने फोन पर लखनऊ की एयर टिकट बुक करवा कर रात को ही रवाना हो गए

सुबह को ही समीर किसी तरह से खोजता हुआ रानो बुआ के घर पहुंच गए पर घर पर ताला लगा देख मायूस हो गए समीर।

फिर पड़ोसी से पुछा तो पता चला कि बिटिया की शादी करवाने इलाहाबाद गए हैं।

समीर वहां से एक होटल में जाकर रूम बुक करके रहने लगे पर बहुत सारे सवालों के जवाब शायद उनको मिल गया था। शायद शालू ने शादी कर लिया।
मैंने आने में देर कर दी।
हे भगवान क्या करूं।

एक हफ्ते तक समीर लखनऊ में शालू की राह देखी पर वो नहीं आई।
समीर ने लौट जाना ही मुनासिब समझा।
जाने से पहले उसने कुछ नयी दुल्हन के लिए खरीदारी की और शालू के पड़ोसी को वो सामान सौंप कर चले गए।

कुछ दिन बाद रानो बुआ और शालू वापस आ गए।

उसके पड़ोसी श्याम लाल आकर बोले कि आपके पीछे समीर आए थे रोज आकर आप लोगों को पुछ कर चले जाते थे।हमें तो आपने बताया था कि शालू बिटिया की शादी करवाने इलाहाबाद जा रहे हैं वैसा ही मैंने उनको बताया था बड़े ही नेक दिल इंसान हैं वो। जाने से पहले ये सब दे कर गए बोले थे शालू को दे देना।

शालू ये सब सुन कर खुद को नहीं सम्हाल सकी और फिर बेहोश हो गई।

जब उसे होश आया तो देखा कि सब सामान रखा है। दुल्हन का श्रृंगार, जोड़ा, सिन्दूर, गहने भी थे और एक पत्र भी था।


शालू ने रोते हुए वो ख़त खोल कर पढ़ने लगीं।



शालू... वो अनकही बात जो आज तक तुम मुझे नहीं कह पाई और मैं हमेशा तुमसे कहता रहा। हमलोग बिछड़ कर फिर मिले और फिर हमेशा के लिए हम बिछड़ गए। तुम इतनी पढ़ी लिखी, समझदार हो कर भी मिनल की बातों में आ कर सब कुछ छोड़ कर चली गई और जब तक सबकुछ सही हो पाता तो तुमने शादी कर ली। शादी मुबारक हो।

उम्र के इस पराव में आकर मै तो कभी अपनी दुनिया नहीं बसा सकता हूं। तुम सुखी जीवन व्यतीत करना। मैं तुम्हें हमेशा से प्यार करता हूं,करता था और करता रहुंगा।

हम इस जन्म में तो क्या सातों जनम तक इन्तजार करते रहेंगे।

समीर।




शालू की आंखों से अश्रु निकलने लगें और वो सोमू की यादों के सहारे ही जिंदगी निकाल देंगी।
शालू ने समीर के द्वारा ख़रीदा हुआं सारा सामान समेट कर अलमारी में रख दिया।

रानो बुआ ने शालू को बहुत समझाया और सब कुछ भूलकर आगे बढ़ने को कहा।

शालू ने कहा बुआ समीर को तो लगा कि मैंने तो शादी कर लिया है इस लिए वो भी चला गया।

बुआ बोलीं शालू हम तो तेरी शादी कराने गए थे पर तूने तो मन बदल लिया मेरी लाडो।


क्रमशः