जिंदगी के दोपल Mahendrabhai Khavda द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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जिंदगी के दोपल

ये जिंदगी बस सिरफ पल दो पल है,
जिस में ना तो आज और ना ही कल है,
जी लो इस जिंदगी का हर पल इस तरह,
जैसे बस यही जिंदगी का सबसे हसीन पल है


प्यार में दो पल की जिंदगी भुत है
एक पल की हांसी एक पल की खुशी भुत है
दुनिया जाने या ना जाने तेरी आंखो ने पचाना यही भूत है

जमाना हमसे ये बोला की फागुन क्यों नहीं आया

फागुन गुम हुआ कैसे ,क्या तुमको कुछ चला मालूम
कहा हमने ज़माने से की हमको कुछ नहीं मालूम

पाकर के जिसे दिल में ,हुए हम खुद से बेगाने
उनका पास न आना ,ये हमसे तुम जरा पुछो

बसेरा जिनकी सूरत का हमेशा आँख में रहता
उनका न नजर आना, ये हमसे तुम जरा पूछो

जीवितं है तो जीने का मजा सब लोग ले सकते
जीवितं रहके, मरने का मजा हमसे जरा पूछो

रोशन है जहाँ सारा मुहब्बत की बदौलत ही
अँधेरा दिन में दिख जाना ,ये हमसे तुम जरा पूछो

खुदा की बंदगी करके अपनी मन्नत पूरी सब करते
इबादत में सजा पाना, ये हमसे तुम जरा पूछो

तमन्ना सबकी रहती है, की जन्नत उनको मिल जाए
जन्नत रस ना आना ये हमसे तुम जरा पूछो

सांसों के जनाजें को, तो सबने जिंदगी जाना
दो पल की जिंदगी पाना, ये हमसे जरा पू

हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।
आपकी रचनात्मकता को अमर उजाला काव्य देगा नया मुक़ाम,

जिंदगी के ऐसे कई स
वाल हैं जिनका जवाब हम ढूंढते रहते हैं जवाब मिलता भी है पर तब तक कई और सवाल हमारे सामने खड़े हो जाते हैं

जिंदगी की परिभाषा हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग होती है, कोई कहता है की जिंदगी एक रंगमंच है और हम सब अपना अपना किरदार निभा रहे हैं। तो कोई कहता है जिंदगी एक ट्रेन की तरह है,

जो समय की पटरी पर तेजी से दौड़ रही है और हमें राह में कई लोग मिलते हैं, उनसे जान पहचान होती है कुछ दूर तक हो साथ भी होते हैं, और फिर वह अपने मंजिल की तरफ हम अपनी मंजिल की तरफ ।

वैसे आदमी की असल मंजिल तो मौत ही है, क्योंकि हम सब मरने के लिए ही जीते जा रहे हैं। लेकिन एक शायर, या कवि जब अपनी कल्पनाओं और एहसासों को शब्द का रूप देता है, तो जिंदगी के कई और रंग दिखाई देते हैं।

आज के इस आर्टिकल में मैं आप लोगों के लिए बड़े शायरों द्वारा लिखी गई l लेकर आया हूं। तो चलिए पढ़ते हैं जिंदगी पर कुछ बेहतरीन शायरियां

कंधे पर बैग आज भी है बस फर्क इतना है , कि पहले किताबें लेकर घूमता था और आज जिम्मेदारियां लेकर घूमता हूं

मायने ज़िन्दगी के बदल गये अब तो

कई अपने मेरे बदल गये अब तो,

करते थे बात आँधियों में साथ देने की


बदल जाती है ज़िन्दगी की सच्चाई ऊस वक़्त,
जब कोई तुम्हारा तुम्हारे सामने तुम्हारा नहीं होता।

ज़िन्दगी से अपना हर दर्द छुपा लेना

ख़ुशी ना मिले तो ग़म गले लगा लेना

कोई अगर कहे मोहब्बत आसान होती है

तो उसे मेरा टूटा हुआ दिल दिखा देना


शिकायतें कम किया कीजिए जनाब

आप जो जिंदगी जी रहे हो

वो जिंदगी भी किसी के लिए सपना है


शुक्रिया ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया,
कैसे बदलते हैं लोग चंद कागज़ के टुकड़ो ने बता दिया,
अपने परायों की पहचान को आसान बना दिया,
शुक्रिया ऐ ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया।