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छिपी हुई मदद


रघुवन में एक दिन सुबह होते ही एक आदमी और एक छोटी बच्चे प्रवेश करे | दोनों इधर उधर कुछ खोज रहे थे | दोनों कुछ परेशान लग रहे थे | रघुवन में किसी बाहरी का प्रवेश ज्यादा देर तक छिपता नहीं | कुछ ही देर में टोनू तोता, मंगलू बंदर और लल्लू लंगूर उनके इरादे जानने के लिए लग गए | तीनों छिप कर उनकी जासूसी करने लगे |

वे दोनों पिता पुत्री थे| तीनो जासूस उनकी बातें सुनने लगे | पुत्री का नाम था सिम्मी और वो अपने पापा से सवाल जवाब कर रही थी |

सिम्मी ने पूछा " पापा हमें रघुवन में मेरी माँ के लिए औषधी मिल जाएगी क्या? क्या मेरी मम्मी औषधी खा के बिलकुल अच्छी हो जाएँगी?"
सिम्मी के पापा ने बताया " हाँ बिटिया, वो बैध जी बहुत ही अनुभवी हैं, उन्होंने बताया है की रघुवन में एक लाल रंग के फूलों की बगिया है, उसमें ही तुम्हारी माँ की औषधी है| हम उसे ढूंढ लेंगे और वापिस जाके तुम्हारी माँ को खिला देंगे | फिर तुम्हारी माँ बिलकुल स्वस्थ हो जाएँगी |"
सिम्मी अपनी आँखों में आशा भरती हुई बोली "चलो फिर जल्दी से लाल बगिया ढूंढ़ते हैं| पर मुझे अब भूख भी तो लगने लगी, इधर कुछ खाने को मिलेगा क्या?| "
उसके पापा बोले "बस बिटिया जल्दी से औषधी मिल जाये फिर घर जाके आराम से खाना खाएंगे|"

सिम्मी अपने पापा के साथ आगे बढ़ती जा रही थी टोनू, मंगलू और लल्लू को सब समझ में आ गया था | वो लोग उनका पीछा करते रहे| उन सब के सामने सवाल था की अब आगे क्या किया जाए?
मंगलू बोला "यह लोग गलत रस्ते पे जा रहे हैं, इनको तो उस दिशा में लाल बगिया नहीं मिलेगी"
टोनू बोला "हाँ , वो बच्ची भूखी भी है| भूखे पेट कब तक रघुवन में भटकेगी|"
लल्लू बोला "हे ईश्वर, इनकी मदद करना|"

सिम्मी और उसके पापा रघुवन में खो चुके थे | वो लाल बगिया से बहुत दूर थे | सिम्मी भूख से भी परेशान थी | चलते चलते उसे रस्ते में एक पका हुआ आम पड़ा हुआ दिखाई दिया| उसने भाग के उसे उठा लिया और पापा से पूछ कर उसे खाने लगी | तभी उसे आगे एक और आम दिखाई दिया, उसके पापा ने उसे भी उठा लिया| फिर आगे एक और आम पड़ा दिखा और उसके आगे एक और आम मिला| आम मिलने का सिलसिला यूँही चलता रहे और वो लोग आगे बढ़ते रहे| सारे आम वो लोग उठा के झोले में डालते रहे| तभी सिम्मी बोली "अरे पापा वो देखिये सामने लाल बगिया है"| उसके पापा बोले "हाँ सिम्मी, यहीं है तुम्हारी माँ की औषधी|"

दोनों अंदर गए और उनको जल्दी ही वैध जी की बताई औषधी मिल गयी | उसके पापा बोले "यही है वो औषधी, चलो अब हम जल्दी से घर चलते हैं|" दोनों फिर सड़क से होते हुए गांव में वापिस चले गए।

लल्लू, मंगलू और टोनू उनको जाता देख खुश हो रहे थे | टोनू बोला "शाबाश लल्लू तुम्हारी योजना काम कर गयी, सिम्मी की भूख भी मिट गई और उसकी माँ की औषधी भी मिल गई| " लल्लू बोला "मदद करने वाला तो ईश्वर होता है, हम तो बस जरिया बनेे।
शाम को टोनू गांव का चक्कर लगा के आया तो उसने बताया की सिम्मी की माँ को औषधी समय पे मिल गई और उनकी तबीयत में अब सुधार भी है| तीनों बहुत खुश थे क्यूंकि छिपी हुई मदद करने की ख़ुशी ह्रदय में बहुत लम्बे समय तक रहती है।

फिर उन सबने मिल कर पार्टी करीी।

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