पेहली मुलाकात - 2 Heer Jani द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पेहली मुलाकात - 2

Part 2 👉 मंडप में शादी की विधि शुरू हो गई थी और हम अबभी अपनी शरारतों में लगे हुऐ थे तभी पीछे से किसी की आवाज़ आई चलो सब बारातीओ को खाना खाने के लिए बूला रहे है इतने में वो जनाब... अरे वही रेड शर्ट और ब्लैक जीन्स वाले जनाब वहा से कहीं गायब हो गए थे

हम सब सहेलिया पहोंची खाने के काउंटर की और मेने सोचा सवेरे बस में तो साथ नही थे यहा मंडप में मिले तो शायद लड़की वालों की तरफ से होंगे फ़िर तो यही कही मिल जाएंगे ये सोचकर मेने वापस अपनी नज़र इधर उधर घुमाई पर कोई बात नही बनी
हम सबने खाना खाया और वापस चल पड़े शादी के मंडप की ओर वैसे वहाँ पर हमारा कुछ खास काम नही था इस लिए हमने सोचा वहाँ खाली बैठ ने से अच्छा है गाँव घूम लेते है
हम सब सहेलिया चली गाँव की सैर करने बड़ा प्यारा सा गाँव था हम सब जगहा घूमे ढ़ेर सारी मस्ती की और बहोत सारे फ़ोटो भी लिए फाइनली अब सब थककर एक जगह बैठ कर बाते कर रहे थे

तभी दीदी का कॉल आया समान मेसे कोई चीज़ मिल नही रही थी तो मुजे तूरंत मंडप पर वापस आने को कहा..

सभी फ्रेन्ड को वहाँ बैठाकर में चल पड़ी मंडप की और
तभी मेने देखा एक लड़का सामने की और से मेरी तरफ़ आ रहा था थोड़ा नज़दीक आये तो पता चला अरे येतो वही जनाब थे

फेस पर एक बडी सी स्माइल आ गई मानो जैसे दिल खुश हो गया

मेने दूर से नोटिस किया वो मेरी ओर ही देख रहा था दिल ने कहा उसे रोकू उससे कुछ बाते करू पर दिमाग ने कहा बीलकूल नही

ऐसा कोई करता है क्या !! हा माना देखने मे थोड़ा ठीक ठाक है पर इसका मतलब ये तो नही ना के में लटटू हो जाऊं उसपर वो भी तो कब से टूकूर - टूकूर देख रहा था मुजे वो भी तो सामने से बात करही सकता है ना फिर में क्यों करु..
में ये सब मनमे बड़बड़ा ही रही थी कि वो एकदम से मेरी नज़दीक पहोंच गया

पर मैने भी ठान लिया था सामने से बात तो बिलकुल नही करुँगी मेने ना आव देखा ना ताव मू बनाके उसकी बगलमेसे ऐसे निकल गई मानो जैसे मेने उसे देखा ही ना हो पेहले कभी..

फिर मन ही मन मुस्कुराने लगी वैसे हम लड़कीओ को बिना बात के इतराने में बडा मज़ा आता है ।।

थोड़ी देर बाद पीछे मुड़के देखा तो वो काफी दूर निकल गया था उसे यू देखकर थोड़ा बुरा भी लगा पर यू बिना बात के नख़रे दिखानेका मज़ा ही कुछ और है।
में जल्दी से वापस शादी के मंडप पर पहोंची दीदी को समान ढूढने में हेल्प की ओर वही रुक गए करीब एकाद घँटे के बाद शादी ऑलमोस्ट पूरी हुई सब नई नवेली दुल्हन को साथ लेके वापस घर की और रवाना होने की तैयारी करने लगे

बिदाई के बाद दूल्हा दुल्हन और ड्राइवर अपनी कार में रवाना हुऐ और हम सब बाराती अपनी बस में
हर बार की तरहा मेने विन्डो वाली सीट लेली इयरफोन लगाके अपनी सीट पर बैठ गई
तभी मेने सुना कोई ठीक विन्डो के बहार खडा है
मेने नज़र घुमाके देखा तो वही लड़का....अरे वही रेड शर्ट वाला लड़का फोन पे किसीके साथ बाते कर रहा था
इतने में पीछे से दीदी की आवाज़ आए ....अरे तू यहाँ बेठी है में कब से इधर उधर ढूढ रही थी तुम्हें बताके तो आना चाहिए था
मैंने दीदी की बातों को अनसुना कर वापस खिड़की के बाहर नज़र घुमाई पर अबतक वो जनाब वहा से कही गायब हो गए थे मेने उसे ढूढ ने के लिए काफी कोशिश की के शायद कहि पे वो दिख जाये पर कोई फायदा नही हुवा
बगल में बेठी दीदी ये सब देख रही थी में कूछ सफाई दु उससे पेहले ही उसने मुजसे पूछ लिया बहार किसे ढूढ रही हो!??
मेने ना में गरदन हिलाई ऒर बोला किसीको नही..
पर न जाने क्यों मेरा दिल कर रहा था वापस से वो कहीं मेरे सामने आ जाए और मैं बस उसे देखती रहूं
पर हर बार जो हम चाहे वो हमें मिल जाए ऐसा जरूरी तो नहीं
यही सोचकर मैं वापस अपने गानों की दुनिया में खो गई धीरे-धीरे बस में सब लोग अपनी जगह ले रहे थे बस चलने की तैयारी कर रही थी तभी एक लड़का भागता हुआ बस में चढ़ा और ड्राइवर के ठीक पीछे वाली साइड आकर खड़ा रह गया

उसे देख मैं एकदम से चौक गई अरे वही लड़का वही रेट शर्ट वाला उसे यूं ठीक मेरे सामने देख एक पल के लिए लगा मानो जैसे शिवजी ने मेरी सुन ली

बॉलीवुड मूवी में जैसे हीरो हीरोइन को देखकर खुशहोता है ठीक वैसे ही यहां मैं खुश हो रही मानो जैसे मुझे मेरी लव स्टोरी का हीरो मिल गया
पूरी बस फ़ूल हो चुकी थी सिवाए एक सीट के
वो वहा पर जा के बेठ गया मुजे थोड़ा बुरा लगा क्योकि अब वहा से उसकी शकल बलकूल भी नही दिख रही थी
में मु लटकाए वापस अपने फोन में लग गई पता नही क्यो बार बार मेरी नज़र उसकी तरफ़ जा रही थी
तभी मेने देखा उसकी आगे वाली सीट के पास हैंडल पकड़े खड़े अंकल को उसने आवाज लगाई और अपनी सीट पर आकर बैठ ने का इशारा किया अंकल ने थोड़ा मुस्कुराके मना किया.. पर वो लड़का माने तब ना उसने खड़े होकर बड़े प्यार से अंकल को अपनी सीट पर बिठाया और खुद बस का हैन्डल पकड़े खड़ा रेह गया

उसे देख वापस मेरे उदास चेहरे पर एक बड़ी ओर लंबी सी स्माइल आ गई मानो जैसे वो सिर्फ़ मेरे लिए ही खड़ा हूआ हो

एक अजनबी पेहली नज़र मे ही बड़ा प्यारा लगने लगा था वो कहते है ना 1'st crush बस कुछ ऐसा ही हो रहा था यहा पर.. मुजे ना उसका नाम मालूम था और नाही वो कोन है कहा रेहता है क्या करता है कुछ भी नही बस इसलिए ये स्टोरी यही पर रुक गई..
पर आप कहि जाइयेगा मत क्योंकि ये तो सिर्फ शुरुआत थी पूरी लवस्टोरी तो अभी बाकी है मेरे दोस्त.....
बोहोत जल्द मिलूंगी आपको इस लवस्टोरी के अगले पहलू के साथ तब-तक के लिए बने रहिये आपकी अपनी Heer के साथ......