पेहली मुलाकात - 1 Heer Jani द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पेहली मुलाकात - 1

यह उन दिनों की बात है सर्दी का सीजन चल रहा था घर में शादी की तैयारी चल रही थी सब अपनी अपनी पैकिंग में लगे थे घर के एक कमरे में कपड़ों का ढेर लगाए कोई इस कदर बैठा था मानो जैसे उसकी ही शादी हो...
तभी अंदर से किसी की आवाज आई और कितनी देर बस का टाइम होने वाला है ।। अभी आई माँ मैंने जवाब दीया फाइनली मेरी पैकिंग भी पूरी हुई सब अपना अपना सामान लेकर बस स्टैंड पर खड़े बस की राह देख रहे थे...

सभी रूट की बस आ चुकी थी सिवाय हमारी बस के काफी इंतजार करने के बाद हमारी बस भी आ गई सब अपनी अपनी सीट पर बैठ गए मुझे विंडो सीट बहुत पसंद है दीदी से थोड़ी नोकझोंक करके मैंने वह विंडो वाली सीट हथियाली और अपनी आदत के मुताबिक फोन और एयरपीन निकाल कर अपनी संगीत की दुनिया में खो गई गीत गुनगुनाने में कब आंख लग गई और सुबह हो गई पता ही ना चला
अब हम सब पहुंच गए थे शादी वाले घर में जहां शादी की जोर शोर से तैयारियां चल रही थी थोड़ी सी मेल मिलाई के बाद हम अपने गेस्ट रूम में पहुंचे वहां पहले से ही कुछ गेस्ट ठहरे हुए थे हमने कमरे के ऐक कौने मैं अपना सामान शिफ्ट किया और निकल गए गांव की सैर करने हमने हर जगह देखा लोग बड़े इत्मीनान से अपने-अपने कामों में लगे हुए थे कहां शहर की रोज की भागदौड़ भरी जिंदगी और कहां यह गांव की सुकून वाली सुबह...

कुछ वक्त गांव की सैर करने के बाद हम वापस शादी वाले घर में पहुंचे शादी की सारी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी थी आज संगीत वाली रात थी सब महेमान रात की तैयारी में लग गए खाना खा लेने के बाद सब अपने अपने कमरे में नाइट फंक्शन के लिए तैयार हो रहे थे संगीत वाली रात बड़ी धूमधाम से पूरी हुई अगले दिन सुबह क़रीब 6:30 हम बारात लेकर दुसरे गाँव जाने के लिए बस में बैठें में लास्ट वाली सीट पर बैठी थी वेसे तो मुजे विन्डो सीट पसंद है पर बस में लोग इतने सारे थे कि बैठनेकी जगह मिली वही बोहोत बड़ी बात थी

सब लोग अपना अपना सामान सेट कर रहे थे सबको जगाह मिली या नही किसके बगल में कोन बैठा है कौन कितना ज़्यादा सामान लेके आया है और एक खास बात कोई छुट तो नही गया ये भी देख रहे थे...

फाइनली बस चल पडी बोलिये "श्री अंबे मात की जय" इस जयकारे के बाद वापस सब लोग इधर उधर की बातों में लग गए हरबार की तरहा मै कान में एयरफ़ोन लगाके गाने सुनने लगी मुजे ट्रावेलिंग के टाइम गाना सुनना बोहोत अच्छा लगता है गाना सुनते सुनते कब हमारा स्टॉप आगया पता ही नही चला

सुबह का चाय नास्ता करनेके बाद वापस सबलोग तैयार होने में लगगए इतने में बैंडबाजा और घोड़ी भी आगए बड़ी धूमधाम से बारात निकली सारे बारातियोंओ के साथ दूल्हा पहुंचा दुल्हन के घर बडे शानदार तरीके से दुल्हेका स्वागत हुआ।।

अब हम सब बाराती दुल्हे के साथ पहुँच गए शादी के मंडप पर मंडप पुरा फूलों से सजाया हुआ था

मै और मेरी सहेलिया मंडप की सबसे आगे वाली जगह पर बैठ गए हम सब मिलके बातें कर रहे थे तभी मेरी नजर एक जगह जाकर रुक गई ..
मंडप के ठीक सामने वाली साइड एक लड़का अपने कुछ दोस्तों के साथ बैठ के बातें कर रहा था रेड शर्ट और ब्लैक जीन्स में सबसे अलग दिख रहा था वैसे कुछ खास बात तो नहीं थी उसमें पर उसकी स्माइल.. बोहोत ही प्यारी थी...
आमतौर पर यह सब कुछ एक लड़की को देखकर लड़कों को होता है पर यहां मुझे हो रहा था मैं आसपास बैठे लोगों की फिक्र किए बगैर बिना पलकें झपकाऐ उसे देख रही थी तभी अचानक अपने दोस्तों के साथ बातें करते हुए उसकी नजर मुझ पर पड़ी और वह एकदम से चुप हो गया थोड़ी देर उसने मेरीतरफ देखा फिर अपने दोस्तों की ओर देखने लगा कुछ देर इधर-उधर नजरें घुमाई और फिर वापस मेरी ओर देखने लगा
इस बीच में बिना किसी की परवाह किए बिना कुछ सोचे समझे बस उसे ही देख रही थी फिर....


👉फिर क्या हुआ जानने के लिऐ बने रहे आपकी अपनी Heer के साथ.....✍
To be continue with story part 2